RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 17
मैं थोड़ी हैरानी मे की यहाँ कैसे पहुंचा ।
दर्द पूरे शरीर में था जो कि मुझे महसूस हो रहा था फिर मैं सारे घटनाक्रम को याद करने लगा । बीती बातो को याद करके मैं फिर से शून्य ( 0 ) की स्थिति में पहुंच गया और फिर अनयास ही मेरी आँखों से आंसू छलक आए ।
मैं फिर से उसी तड़प मै डूब गया तभी दरवाजे पर आहत हुई मैं पीछे मुड़ा और शॉक्ड हो गया.....
दरवाजे पर वही लाल और उसके साथ दिल्ली के मशहूर उद्योगपति मोहित चौहान भी साथ मे थे । ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ समझ से परे था ।
मोहित जी मेरे पास आते ही पूछने लगे... बहुत दर्द हो रहा है क्या ( शायद मुझे रोता हुआ देख पूछ रहे हो) अबतक उनके परिवार के दूसरे सदस्य भी आ पहुंचे ।
मैंने मोहित जी से पूछा... अंकल आप किस दर्द की बात कर रहे है ।
बड़ी हैरानी से देखते हुए.... वही जो पुलिस ने तुम्हें टॉर्चर किआ था..।
पता नहीं मुझे क्या हो गया मैंने हँसते हुए जवाब दिया... अंकल वहाँ तो मेरे दर्द पर मरहम लगा था इतना सुकून तो मैंने कई दिनों से महसूस नहीं किया पर हाँ दर्द अब हो रहा है ।
मेरी बात शायद सबके परे थी इसीलिए सब के सब मेरे जवाब के बाद मुझे बड़ी हैरानी के साथ देख रहे थे । अब सब चुप मेरी ओर देख रहे थे मैं चुप्पी तोड़ते हुए... अंकल यह तो बातये मामला क्या था और मैं यहाँ कैसे पहुंच गया ।
फिर अंकल ने सारी बात बता दी कैसे उसका बच्चा 1 हफ्ते पहले किडनैप हुआ पुलिस ने कैसे इन्वेस्टिगेशन की ।
फिर प्लानिंग कर उन्हें दिल्ली आने पर मजबूर किया, मेरा उस केस में फंसा और क्लीन होना और अंत में... मुझे माफ़ कर दो बेटा मेरी वजह से तुम्हारे साथ यह सब हुआ ।
मैं बिना किसी रिएक्शन के उनकी बातें सुनता रहा और बिना किसी एक्सप्रेशन उनसे कहा... अपने तो मेरे दर्द की दवाई करवाई है , शुक्रिया अंकल पर अब मैं चलता हूँ ।
मेरी बात जैसे उनके लिए पहेली थी समझ से परे लेकिन मेरी जाने की बात पर पूरा परिवार ज़िद पर आ गया... नहीं कुछ दिन यहाँ बिता कर जाओ । और फाइनली मैंने हाँ कर दी ।
लेकिन मुझे वहाँ किसी का भी होना अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि मैं तो अब बस रोना चाहता था । अपनी वीरान दुनिया में अकेला रहना चाहता था इसीलिए मैंने सब को बोल दिया कि... मैं अभी आराम करना चाहता हूँ ।
फिर अंकल ने मुझे मेरा फ़ोन दिया और वहाँ से चले गए कहा घर पर बता देना
और इसी बीच मेरे घर पर जिस दिन से दिल्ली के लिए निकला मतलब2 दिन पहले..
शाम का समय यही कोई 5 बजे
सिमरन दिया से
दी... बात हुई थी राहुल से ।
दिया... हैं 3 बजे के आसपास हुई थी ।
दी.. क्या सब बोल रहा था ।
दिया.... कुछ नहीं दीदी बस बोला दिल्ली पहुंच कर बात करता हूँ । अभी कॉल लगाऊ क्या भैया को ।
सिमरन... नहीं रहने दे दिया आराम कर रहा होगा तू एक काम कर मासी से पूछ लें पहुचा की नहीं ।
दिया अब मासी को फ़ोन लगते हुए
मासी... हेलो ।
दिया... नमस्ते मासी में दिया ।
मासी...हाँ बेटा बोल ।
दिया.... मासी राहुल भैया पहुँच गए?
मासी... अबतक नहीं बेटा ।
इतना सुनकर दिया ने बाई बोलकर फ़ोन कट कर दिया । अब फिर दिया सिमरन बात करने लगी ।
दिया... भैया नहीं पहुचे अभी तक ।
दी... लगता हैं ट्रेन लेट होगी।
दिया... हाँ दी मुझे भी ऐसा ही लगता है ।
फिर दोनों अपने काम मे लग जाते है । अब शाम 6 बजे दी ने मासी से बात की लेकिन फिर वही जवाब नहीं पहुंचा ।
अब थोड़ी सि चिंतित दी ने रेल इंक्यूरी में फ़ोन लगाया तो पता चला ट्रेन अपने समय पर दिल्ली पहुंच गई है यानी 3:45 पर ।
दी को अब और ज्यादा चिंता होने लगी राहुल को कॉल करने लगी पर फ़ोन स्वीच ऑफ ।
कहानी जारी रहेगी....
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