RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 28
अब मैं उत्साह के साथ चल पड़ा परिधि के कमरे की ओर आखिर रखा क्या है परिधि ने मेरे लिए....
मैं भागते कदमों से परिधि के रूम पहुंचा, अंदर बेड पर कार की और एक लेटर रखा था । मैंने जल्दी से वो लेटर उठाया और पढ़ना शुरू किया....
हे,
डियर
मैं 2 दिनों के लिए अपने अंकल के पास जा रही हूं । बहुत दिन पहले से प्लान था उनके पास जाने का इसीलिए जाना पड़ा । सुबह मैं आई थी तुमसे मिलने पर तुम शायद मोर्निंग वाक पर गए थे । इसीलिए मुलाकात नहीं हो पाई ।
मैं कल के लिए तुमसे माफी मांगना चाहती हूँ जो मैंने कहा कि " अभी अपनी पहचान इतनी गहरी नहीं हुईं कि सब बातें तुम्हें बता दूँ " लेकिन बात कुछ ऐसी है कि सही समय पर मैं खुद तुम्हे बता दूंगी । तबतक मेरी विनती है कि हम इसपर चर्चा नहीं करेंगे । और हाँ अपने आप को रेडी रखना क्योंकि जब मैं लौटकर आउंगी तो अपना अधूरा सफर पूरा करेंगे ।
तबतक के लिए बाई तुम अपनी मासी के पास जा सकते हो तुम्हारा समान कार में रख दिया है। और हाँ लेटर पढ़ना हो गया हो तो एक बार कॉल जरूर कर देना ।
बाई... तुम्हारी दोस्त ।
परिधि....
लेटर पड़ने के बाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा था । अब शॉक देने की बारी मेरी थी इसीलिए मैंने कार की चाबी ली और भागते हुए कार से वो टेडी निकाल ली और परिधि के रूम में रख दिया ।
फाइनली मुझे अब मासी के यहाँ पहुंचना था इसलिए मैं आंटी से मिला उनसे मिला विदा ली और निकल पड़ा मासी के घर । चूंकि मुझे मासी को सरप्राइज देना था इसीलिए बिना उनको इन्फॉर्म किए उनके घर की ओर चल दिया ।
हालांकि अपनी मासी के घर का पता मेरे पास नहीं था , उनलोगों ने हाल ही में अपना फ्लैट चेंज किया था । इसलिए मैंने माँ को फ़ोन किया....
माँ ने कॉल उठाते हुए... कैसा है मेरा बच्चा ?
मैं... जी अच्छा हूँ माँ ।
माँ.... मासी के पास कब तक पहुंच जाएगा ।
मैं... अभी उनके पास पहुंच जाऊंगा कुछ देर में पर मेरे पास पता नहीं है ।
माँ.... तू कॉल करले न , पिक करने निर्मला दीदी ( मासी ) आ जाएंगी ।
मैं... नहीं माँ सरप्राइज देना है आप पता भेज दो ।
माँ ने मुझे पता लिखवाया, फिर कुछ देर तक माँ से बात करने के बाद मैंने फ़ोन कट कर दिया । मैं अभी रास्ते में ही था कि सोचा क्यों ना एक बार परिधि के साथ बात कर ली जाए पर कुछ सोच कर मैं रुक गया और एक मैसेज लिखा और परिधि को भेज दिया ।
मेसेज कुछ इस तरह था....
" तुम बिना बताए चली गई इसीलिए सजा के तौर पर मैं तुमसे बात नहीं करूंगा । तुम अब सजा भुगतो , जब मिलेंगे तब बात करेंगे " ।
मैं अब मासी के घर जा रहा था अभी कुछ देर ही हुए थे कि परिधि का मैसेज आया....
" हर सजा कबूल है सरकार, पर हम भी चौहान कहलाते है । सोच लो अभी मेरे साथ एक शाम और बाकी है " ।
मेरा रिप्लाई....
" इसका मतलब क्या समझू तुम मुझे डरा रही हो , कोई बात नहीं मैं हर संभावनाओं के लिए तैयार हूँ । तुम्हे जो अच्छा लगे कर लेना पर किसी बात का डर नहीं हमें " ।
परिधि रिप्लाई... तो ठीक है मिलते है 2 दिन बाद ।
इसके बाद कोई मेसेज नहीं हुए और मैं मासी के घर की तरफ चल पड़ा । पता पूछते पूछते मैं मासी के गजर पहुंच गया । मैंने डोर बेल बजाई....
टिंग डाँग...
गेट खुला और एक लड़के ने दरवाजा खोला पर इसे मैं नहीं जानता था । लड़का.... बताइये क्या काम है ।
मैं... मिस्टर क्षितिज वर्मा ( मौसा जी ) का घर यही है ।
लड़का... नहीं आप गलत गेट पर आए है ।
मैं... ओह सॉरी । और गेट बंद कर लड़का अंदर चला गया ।
लगता है माँ ने गलत पता बता दिया है एक और बार कंफर्म करता हूँ ।
मैं... हेल्लो माँ ।
माँ.... हाँ बोल बेटा ।
मैं.... माँ एक बार पता फिर बताना ।
पता पूछकर फिर फोन कट कर दिया । पर यह क्या दोनो पता एक ही है अब कैसे पता करूँ । मैं अब भी उसी गेट पर था और असमंजस में फंसा था । मैंने अब मासी को कॉल किया...
मैं... हेल्लो मासी ।
मासी... कब आ रहा है मेरा बच्चा जल्दी आ ।
मैं.... मासी अभी आ रहा हूँ पता बताओ ।
मासी... तू कहाँ है यह बता मैं खुद आती हूँ तुझे लेने ।
मैं... अरे आप क्यों परेशान हो रही है पता तो बता दो । इतने में फ़ोन कट ।
अरे यार यह फ़ोन भी अभी कट होना था । मैं यह सब सोच ही रहा था एक बार फिर वो गेट खुला और अब मैं वहाँ सबको जानता था सिवाय उस लड़के को छोड़कर..
कहानी जारी रहेगी....
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