mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
03-21-2019, 12:21 PM,
#34
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 32 



बहरहाल अब मैं परिधि के साथ निकला मन में कई सवाल लिये......



हम दोनों अब कार मैं बैठे, दोनों शांत, कार स्टार्ट और चल दिए हम । न तो मैं कुछ बोल रहा था और न ही परिधि दोनों ही शान्त बैठे थे इस शान्ति को हम दोनों केवल महसूस कर रहे थे । पूरा सन्नाटा सा छाया रहा, सायद तूफ़ान से पहले का हो। मैंने गाड़ी उसी कॉफ़ी शॉप के पास रोक दि। अब दोनों ही चले कॉफ़ी शॉप के अंदर, बैठ गए एक टेबल पर दोनों हम अभी भी शान्त थे, पर परिधि के साथ इस शांति में भी एक अलग ही आनंद मिल रहा था ।




हमारी शान्ति को भंग करते हुए वैटर..... सर, आप क्या लेंगे ? 


दोनो एक साथ बोल पड़े......"सुनो" फिर परिधि ने मुझे इशारे मैं कंटिन्यू करने को कहा और मैं परिधि को।" अच्छा तुम्" सैम डायलॉग सैम टाइम फिर दोनों बोल पड़े, अब मैंने अपने मुँह पर ऊँगली लगायी साइलेंस के इशारे की और परिधि को कंटिन्यू करने को बोला । दो कॉफ़ी आर्डर की और चला गया वो वैटर ।



फिर हम दोनों शान्त अब मैंने बोला.... "क्य आज मौन वर्त है जो चुप हो"।



परिधि..... पहले तुम अपने सवाल करो फिर मैं बोलूंगी ।


मैं..... नहीं लेडीज फर्स्ट ।


परिधि..... नहीं पहले तुम क्योंकि बाद मैं तुम्हे शायद बोलने का मौका मिले या न मिले।


मैं.... ओके मेम, बस मेरे कुछ छोटे छोटे डॉब्टस है उसे क्लियर करना है ।


परिधि..... यही न की मैं कैसे आज आई और तुम्हारी मासी के पास कैसे पहुंची?


मै अनायास ही अपने दोनों हाँथ जोड़े क्या मेरे अन्दर कोई ट्रांसमीटर लगा है की मेरी हर बात बिना बताये तुम्हे ट्रांसफर हो जाती है।


परिधि थोड़ा स्माइल के साथ.... नहीं सवाल तुम्हारे चेहरे पर लिखा रहता है, वैसे मैं बता दूँ की मैं तुम्हारे वजह से यंहा हूँ ।


मैं..... कैसे?


परिधि.... तुमने तो कल अचानक फ़ोन कट दिया मुझे लगा की तुम झूठा गुस्सा दिखा रहे थे और मेरे कॉल आने का इंतज़ार कर रहे होगे। और यंहा मैं तुम्हारे कॉल का इंतजार कर रही थी की तुम्हे मेरा कॉल न आने पर सायद तुम खुद कॉल करोगे।


पर जब शाम ( अबतक परिधि बहुत सीरियस हो चुकी थी ) तक तुम्हारा कॉल नहीं आया तो मुझे लगा की सही में कहीं नाराज न हो। मैंने तुम्हे कॉल लगाया नम्बरऑफ पूरी रात कॉल लगायी पर फ़ोन स्विच ऑफ था । मुझे बहुत पछतावा हुआ इसीलिए सुबह ही यंहा पहुँच गायी ।


मैं..... तुम कल रात रोई हो ना ।


परिधि.... हड़बड़ाते हुए नहीं, मैं कभी नहीं रोती ।


मैं.... में उतना स्मार्ट तो नहीं जितनी तुम हो पर मैं जानता हूँ की तुम रोई हो ।



मेरा इतना कहना था और परिधि की आँखें भर आई और आंसू फूट पड़े उसके । उसे रोता देख मैं बिलकुल घबरा गया।
बास अंदर से इतनी फीलिंग आ रही थी की मैं उसे रोता नहीं देख सकता था । अभी हम आमने सामने बैठे थे अब मैं उसके बगल मैं बैठ गया अपने हाथों से उसके आंसू पूछे पर रोना उसका काम न हुआ।


मैने उसके सर को सिने से लगया, प्यार से उसके आंसू पोछता रहा और उसके गलों पर हाँथ फेरता रह। उसे जैसे किसी तरह का सुकून मिला हो।



हम ऐसे ही क़रीब 5 मि तक रहे, सारी दुनिया से बेख़बर, की हम कंहा बैठे है और आस पास कौन बैठा है। कुछ देर ऐसे ही वो मेरे आग़ोश मैं रही फिर अचानक मुझे अलग करते हुए


परिधि.... तुम क्या सिचुएशन का फायदा उठा रहे हो ।


मैं.... तू परिधि की बच्ची, अभी तो तुझे शांति मिल रही थि, तो मैं तेरा फायदा उठा रहा हूँ जाओ मैं अब तुमसे कोई बात नहीं करना चाहता ( एक बनावटी गुस्सा )।



परिधि.... ओ बाबु,बाबू जी सुन लो।


मैं..... हनननन! क्या है।

परिधि.... अले ले नाराज है पर ये क्या ये नाक लाल क्यों हो रही हैं ।


परिधि के इस प्रकार बोलने पर मैं खुद को हॅसने से नहीं रोक सका और वो भी एक मीठी सी स्माइल दी ।


मैं..... प्लीज तुम रोया मत करो मेरा दिल बैठ जाता है।


परिधि.... तुम ही तो रुलाये हो ।


मैं..... कैसे?

परिधि..... तुम बार बार मुझे क्या ये बहुत स्मार्ट हो बहुत स्मार्ट हो कहते रहते हो ।


मैं.... तुम हो बावा , ये तो कॉम्पलिमेंट है ।


परिधि.... पर मुझे गली लगती है वो भी जब तुम्हारे सब्दों में ये शुमार रहता है तो ।


मैं.... मुझे प्लीज माफ कर दो मैं जरूर टॉन्ट के रूप में कह्ता था पर मुझे पता नहीं था की तुम्हे ये बिलकुल पसंद नहीं।


परिधि..... कोई बात नहीं पर अब तुम फिर शुरू हो गए, माफ कर दो माफ कर दो ।


मैं.... तुम भी अजीब हो अभी कहति हो ये बातें बुरी लगी और जब मांफी मांगता हूँ वो भी बुरा लगता है। में बेचारा अब क्या करू ।


परिधि..... ( मुस्कुराते हुए ) तुम्हे कुछ नहीं करना है बस मेरा साथ देना है ।


मैं..... समझा नहीं क्या कहना चाह रही हो?


परिधि..... कुछ नहीं बाबा अब तुम्हारा राउंड ख़तम की अभी बांकी है ।


मै.... हाँ हान, वो अड्रेस कैसे पता लगया ।


परिधि....... बच्चों जैसी बातें करते हो तुम्हारे फ़ोन के जीपीएस ट्रैक किया।


मैं..... अस्चर्य से जीपीएस कैसे ट्रैक किया और मेरा फ़ोन तो ऑफ था ।


परिधि..... ये इस फ़ोन की फीचर है ये अपने सैटेलाइट से हमेशा कनेक्ट रहता है ऑफ होने पर। बस मैंने ट्रैक कर लिया।



मैं..... अच्छा तो तुम मुझपर नजर रखने के लिया प्लानिंग के तहत फ़ोन गिफ्ट किया है। 


परिधि.... मिल गयी कलेजे को ठंडक मुझे चिढा कर या और भी कुछ बांकी है ।


मैं.... हस्ते हुए वह! आज कल मेरे सोना को टोना बहुत जल्दी लगती है।


परिधि.... Now it's my turn . 


मैं..... ठीक है आओ बकरा सामने है हलाल कर लो।


परिधि..... अरे इतना भी नहीं पूछ्ने वाली मैं तो जिज्ञासा बस कुछ जानना चाहती हू ।


मैं..... ओके बोलो ।


परिधि...... पहले कल की बात बताओ की तुमने फ़ोन क्यों ऑफ किया और आंटी के पीछे छुप कर रो क्यों रहे थे?



मैं...... एक एक करके मैंने सारी घटनाएँ में परिधि को बताता गया शुरू से कैसे गुंजन को मॉल लाया, निखिल से मिलन, उनको अकेला छोड़ना, फिर सुनैना के साथ कंही चलने के लिए चिट चैट फिर उसका फ़ोन पर बात करना और मेरा परिधि को फ़ोन लगाना ।


यहाँ तक तो ठीक था पर जैसे जैसे में मुख्या कारन की ओर बढ़ रहा था मतलब सुनैना को टोकना और उसका रिप्लाई, परिधि उसका चेहरा देकने से ही लाल लग रहा था । मनो अभी सुनैना सामने आ जाये तो कच्चा चबा लेगी।


परिधि.... एक लम्बी साँस लेते हुए मुझे मांफ कर दो तुम इतनी परेशानी में थे और मुझे जरा भी फील न हुआ।



मैं...... अब तुम्हे क्या हुआ तुमने थोड़े न किया है। जाने दो बहन है मेरी वो भले ही कुछ भी सोचे पर रहूँगा तो मैं उसका भाई ही चिंता तो बानी ही रहेगी।
अब प्लीज अपना चेहरा ठीक करो गाल फूल के लाल हो गया है।



परिधि कुछ न बोली पर अपने आप को नार्मल करने की कोसिस कर रही थी।

मैं.... क्या हुआ?


परिधि.... ..... कुछ नहीं , बस यूँ ही सोच रही थी की क्यों ऐसे बोली सुनैना ।


मैं.... जैसे ही मुझे पता चलेगा वैसे ही बता दूंगा ।


परिधि...... (अपने पुराने रंग में आते हुए)ओके , पर मुझे अभी और भी बहुत कुछ जानना है?


मैं..... हाँ जानता हूँ पूछ लो अब ।


परिधि...... तुम्हारी फैमिली से तो मिल चुकी ये भी समझ गयी की हम साथ साथ वाली तुम्हारी फैमिली है, सब के सब पर दो लोग कुछ खास समझ मैं नहीं आए ।


मैं..... कौन?


परिधि...... दिया, वो तुम्हारी इतनी खिचाई क्यों कर रही थी और तुमने भी उसे मौका देख कर डांट भी पड़वा दी , और दूसरी वो सुनैना हालाँकि तुम्हारी मासी के परिवार में मैं किसी को नहीं जन्ति पर तुम इतने अच्छे हो फिर भी ऐसा व्यवहार?



मैं...... सबसे पहले मैं सुरु किया सुनैना की कहानि
की हम दोनों कुछ ही दिन के छोटे बड़े है तो हम उम्र के कारण हमारा आपस मैं कभी नहीं बनी, एक्साम्स में मेरे रिजल्ट हमेसा अच्छे होते और सुनैना किसी तरह पास तो उसको ये भी चिढ थी , फिर जब भी मैं मासी के यंहा आता तो मेरा उद्धरण देकर हमेसा उसको डांट पड़ती ये बातें उसके दिल मैं नफरत का बीज बोती राहि।



उसके दोनों भाई बहन मुझे बहुत प्यार करते है और निराज भैया तो मेरे फ़ेवरिट है ये भी एक वजह थी कि, क्यों उसके अपने भाई बहन उसे इतना प्यार करते है नफरत नहीं?



पर मेरे दिल में कभी भी इस बात का मलाल नहीं रहा , वैसे उसका नेगेटिव पॉइंट ऑफ़ व्यू मेरे लिए है पर दिल की बहुत अच्छी है । बहुत व्यवहार कुसल, मुझे कभी सिकायत नहीं रही की क्यों वो मुझ से नफरत करती है क्योंकि कंही न कंही मैं ही इसकी वजह था और फिर हर कोई तो स्टडी मैं अच्छा नहीं होता सबका एरिया ऑफ इंटरेस्ट अलग अलग होता है।



अगर तुम उस से मिले और मेरे साथ क्या करती है उसको छोड़ कर, तो तुम उसकी फेन हो जाऒगी। सबको पल मैं हंसा देती है, इसलिए मेरी रिक्वेस्ट है यदि तुम मेरी वजह से उस से नफरत करोगी तो तुम मेरी नफरत की पात्र होगी क्योंकि ये कुछ अलग मामला है, हाँ अगर कोई पर्सनल इशू है तो मैं नहीं रोकने वाला ।



मैने थोड़ी साँस ली तबतक परिधि की ओर देखा वो बहुत ही हैरान थी मेरी बात सुन्कर ।


अब मैंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए..... 


दिया में तो मेरे प्राण है, जब दिया के बारे मे जान रही हो तो उसकी सहेली सोनल के बारे में भी जानना होगा। ये दोनों दिखने में दो है पर है एक जां। में पक्का कह सकता हूँ की यदि सोनल ने या दिया किसी ने भी एक दुसरे को याद किया तो या तो उनका कॉल आ जायेगा या खुद मिलने। बहुत गहरी दोसति, इसलिए सोनल भी बहुत प्यारी है मेरे लिये।



अब रही बात खिचाई की तो मेरी लाडली है तो मुझे छेड़ना अपना हक़ समझती है, पर असली रूप देखना हो तो मेरे बारे मैं कुछ बोल के देख, माँ और सिमरन तो फिर भी बात करने के तरिके से बात करेगी पर वो एक पल तुम्हे देखना बर्दाश्त नहीं करेगी ।



अब देखना में जानता हूँ की उसको डांट पड़ी थी अबतक वो खाने को हाँथ भी नहीं लगायी होगी उसे जब तक मैं उसे मना न लूँ और अपने हाँथ से खिला न दूँ हो ही नहीं सकता की खा ले।



परिधि बड़ी शांति से पूरी बात सुनती रही फिर बोली.....
तूम क्या हो,इतना पॉजिटिव कोई कैसे हो सकता है।


मैं...... इसमें पॉजिटिव वाली क्या बात है ये तो अपनी अपनी सोच है।


परिधि...... फिर भी बहुत गहराई है तुम्हारी बातों में।


मैं..... तुम भी न, हो गया, अब ताड के झार पर मत चढ़ाओ ।


परिधि..... ओके पर मेरी एक शर्त है मैं तुम्हे दिया को मनाते देखना चाहती हू ।


मैं...... ये क्या बचपना है कैसी जिद है ये?


परिधि...... अब जो है सो है या फिर क्या तुम अब मुझे भी खिलाओगे अपने हाँथ से ।


मैं...... मैं क्या हुन एक तुच्छ प्राणी भला मुझे आप की ही साये मैं रहना है। जो हुकुम मेरे आका ।


परिधि...... हम खुश हुए।


मैं....... पर हम घर पर क्या बोलेंगे तुम्हे क्यों वापस लया तो क्या कहुंगा।


परिधि..... बस इतना ही वो मैं मैनेज कर लुंगी तुम पहले बुक शॉप चलो ।


मैं..... बुक शॉप क्यों?


परिधि..... अभी तुम बच्चे हो हमे घर से आये क़रीब 1 घंटे से ज्यादा हो गए अब बुक न ले के गए तो.....


फिर परिधि ने पूरी सांभर और टोमेटो सॉस अपने ऊपर डाल ली ।


मैं.....अब ये क्या है


परिधि..... हँसते हुए तुम्हारे घर की एंट्री एक्सक्यूसे सारे कपड़े गंदे हो गए ।


मैं.... तुम्हारा दिमाग सिर्फ इन्ही सब बातों मैं चलता है या अच्छे कामो मैं भी इस्तेमाल करती हो।


परिधि.... अभी तो मुलाकातें शुरू हुए है धीरे धीरे आप हमारी सारीअदाओँ से वाकिफ़ हो जाएंगे।


बस अब क्या , प्लान तैयार है सुरु करे खेल

हम चल पड़े अपने प्लान को फाइनल टच देने, हम किताब लेकर घर पहुंच, घर पर परिधि को वापस आया देख सब चकित हो गए फिर अब कामन सम्भाला परिधि ने । और फिर प्लान सफल होता चला गया।


साब बातें तो हो गयी पर अब एक समसया थी की परिधि चेंज कर पहनेगी क्या? इसका हल कर दिया गुंजन दीदी ने वो कल वाला जीन्स टॉप परिधि को दे दि।


परिधि को अब सब जिद करने लगे की खाना खा कर जाओ तो वो मन गयी पर मुझे घर बात करके माँ को इन्फॉर्म करने को बोलि, की लेट घर पहुँचुँगी।


मुझे अस्चर्य लगा पर फिर भी मैंने आंटी को इन्फॉर्म कर दिया। इधर परिधि तो ऐसे मिली हमारे फैमिली से की जैसे वर्षों से पहचान हो। पर बार बार इशारा कर के मुझे डेली शो दिखाने को बोल रही थी।



मैने ईशारों मैं उसे मना किया प्ल्ज़ ये कोई गेम नहीं है सो मुझे मेरे हिसाब से काम करने दो ।


मासीऔर माँ कल की तैयारियों में लगी थी। पापा और मौसा जी बाहर का काम देख रहे थे चूँकि मेरे मौसा की फैमिली और मेरी फैमिली सभी रिस्तेदारों मैं काफी क्लोज थी इसलिए हम सब घर पर थे बांकियों का इन्तज़ाम पास के होटल में किया गया था ।


हम बच्चों को सारे कामों से दूर रखा गया था क्योंकि सभी काम टेंडर पर दे दिया गए थे सो किसी बात की किसी को चिंता नहीं थी। पापा और मौसा जी फाइनल टच के लिए बहार का कम देख रहे थे और घर में माँ और मासी ।



इधर गुंजन दी, सिमरन दी , निराज भैया , और परिधि एक साथ बातें कर रहे थे । सुनैना अकेली किसी कमरे में थी और दिया के बारे में तो सब जनते थे की अब मैं आ गया हूँ तो वो भी सब को ज्वाइन कर लेगी।



पर मुझे सुनैना के लिए अफ़सोस हो रहा था की क्यों वो ऐसा बोल पड़ी और अभी सब यंहा आपस मैं मज़े कर रहे हैं और वो सजा काट रही है। पर मैं इस बार उसके लिए कोई मदद करने वाला नहीं था उसकी गलती छोटी नहीं थी।



खैर दिया सब के साथ नहीं थी तो वो भी मुझे ख़राब लग रहा था । मैं.....
सब लोगों से दिया कंहा है।


गुंजन......क्यों तू नहीं जानत, इतना दाँट खिलवाया है कंहा होगी।


मै..... आप लोग भी न, उसे ला नहीं सकते थे ।


सिमरन....... हम सबको मालूम है अब हमें बात करने दे और ले आ अपनी लाड़ली को ।


मै चला आया वंहा से और बैठ कर सोच ने लगा की ये गलत है सब उसे मेरे भरोसे छोड़ देते है कोई उसके पास नहीं जात। में अपनी इन्ही ख्यालों मैं खोया था और उधर गुंजन,सिमरन, परिधि और निराज भैया आपस में।



परिधि..... सुनैना नज़र नहीं आ रही ।


नीराज भैया समर्थन करते हुए..... हाँ गुंजन दी कंहा है सुनैना ।


गुंजन दी.... क्या बताऊ कल लगता है दोनों राहुल और सुनैना मैं कुछ हुआ है। राहुल तो कल से अब तक कुछ खाया भी नहीं, देखा नहीं कैसे मासी से लिपट गया जैसे पीछे मुद कर रो रहा हो।


सिमरन..... में बात करून क्या राहुल से?


गुंजन.... सिमरन कोई बड़ी बात है नहीं बतायेगा मैंने कल पुछा था ।


नीराज..... अभी मैं इस सुनैना की खबर लेता हूँ की ये राहुल को क्यों परेशान करती है ।


गुंजन..... तू क्या राहुल को नहीं जानता उसकी फिलॉसफी वो अभी भाग जायेगा अगर सुनैना को डांटे तो ।


नीराज..... हाँ दीदी ये तो सही कहा ।


परिधि..... जन भुझ कर पूछति हुए, वैसे मुझे इंटरफेर नहीं करनी चाहिए पर क्या किसी के बिच का इशू उन्ही पर शार्ट आउट करने छोड़ देते है क्या?



सिमरन..... परिधि तुम नहीं जनति, दिया को तो हम सब जान बूझ कर छोड़ देते है अभी कुछ देर मैं डेली शो सुरु होग, सुबह हम सबने भी केवल यही शो को ध्यान मैं रख कर उसे डांट दिया ।


बीच मैं निराज भैया टोकते हुए


नीराज..... हीरा है मेरा भाई, वो कभी नहीं चाहता की सुनैना को हम सब उसकी वजह से डांटे क्योंकि राहुल अच्छा है स्टडी मैं और सुनैना हमेसा पीछे रही उस स। फिर वही सब जो मैंने बताया परिधि को।


सिमरन.... पर भैया मुझे अच्छा नहीं लग रहा सुनैना का अकेले रहना । मुझे बहुत बुरा लग रहा है।


नीराज..... बस इतना रहुल, रहुल ।


मै अभी सब सोच ही रहा था की भैया ने पुकारा मैं निराज भैया के पास गया ।

मैं....
"जी भैया क्या बात है"
नीरज....कल क्या हुआ था तेरे और सुनैना के बीच।


मैने परिधि की तरफ आँख दिखाई और मेरा इशारा समझते ही मुझे इशारो मैं समझाया की उसने कुछ नहीं बताया है।


तभी निराज भइया.... कुछ पुछा है, बतायेगा ।


मै.... भैया कुछ भी नहीं हुआ वो आप को गुंजन दीदी मिर्च मसाला लगा कर बताई होंगी पर मेरे सर मैं दर्द था । सच में ।



गुंजन दी.... तू मुझे इतने लोगों के पास झूठा बना रहे हो तो खा मेरी कसम की कोई बात नहीं।।


मैन बिलकुल चुप चाप

नीराज.... अब बता क्यों नहीं रहा मेरे भाई?


मैं.... निराज भैया केवल आप है इसलिए इस टॉपिक पर बात कर रहा हूँ नहीं तो मैं सोचता भी नहीं , पर सॉरी बात क्या है मैं बता नहीं सकता पर हाँ मैं सुनैना को सब के साथ शामिल कर सकता हूँ ।


अब प्लीज कोई भी , कोई मतलब कोई भी नहीं मुझसे पूछेगा की बात क्या थी , और हाँ मेरे पीछे कोई नहीं आएगा मैं जा रहा हूँ सुनैना के पास ।


मुझे इस तरह से रोटी आवाज़ मैं बात करते देख सब हैरान थे पर माहोल को ध्यान मैं रखते हुए कोई कुछ नहीं बोल।


अब मैं सुनैना के पास ।


मैं.... तू यंहा क्या कर रही है, हॉल मैं सब बैठे हैं फिर वयंग भरे सब्दों मई "यह सॉरी मैंने पूच लिया मैं कौन सा तेरा सगा वाला हूँ" 


सुनैना जो अबतक चुप थी कुछ न बोलि मेरी ओर बस देखि
मैन तो उसे देख कर हैरान हो गया ऐषा लग रहा था खुद को कल रात से बहुत तकलीफ दी हो।


मैन तो हैरान रह गया उसे देख अब वो बॉली....
"तु हैरान क्यों हो रहा है कौन सा तू मेरा सागा वाला है?
ओ इतनी उखड़ी थी , इतनी हताश की मैं खुद मैं अफ़सोस किया की कल ही बात शार्ट आउट क्यों नहीं की।




आब हम दोनों का बाद विवाद शुरू सारे गिले शिकवे दूर उसको हँसाया फिर मैंने कहा की कुछ भी हो जय किसी को कल वाली बात मत बताना ।


मेरी इस बात पर वो बोली.... "तुम इतने अच्छे क्यों हो, मुझे माफ कर दो" 


मैं....अब चल जल्दी जा बाथरूम से आ हुलिया ठीक कर अभी एक और बांकी है।


अब चूँकि ये बात किसी से छिपी थी जो वो न जानती हो..... .... क्या अभी तू दिया के पास जाने वाला है रुक रुक 2 मि में आई ।


जलदी गयी फटाफट तैयार होकर बाहर , चेहरे पर अब हम दोनों के स्माइल था हम हस्ते हुए बहार निकले ।



अब चला मैं मेरी लाड़ली छोटी को मनाने.....


कहानी जारी रहेगी.....
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