mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
03-21-2019, 12:22 PM,
#36
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 34



और अब हुई सुबह.....



सुबह मेरी नींद अपने रुटीन टाइम 4 बजे पर खुली। अब तक किसी के भी जागने का कोई सवाल ही नहीं होता । मैं घर में ही आज कुछ एक्सरसाइज की 5 बजे मैं हॉल में आया। हॉल में पापा अकेले बैठे थे । मैं पापा के पास जकर.....


"पापा आप इतनी सुबह"


पापा मेरे कंधे पर हाँथ रकते हुए..... मैं जानता था अभी तुम ही जागे होंगे इसलिए बहार तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था । 


मैं.... क्या पापा आप मेरे रूम भी आ सकते थे ।


पापा.... रहने दे बेटू कोई बात नहीं ।


मैं.... पापा कोई खास बात है ।


पापा.... नहीं उतनी भी खास नहीं ।


मैं.... बात क्या है पापा ।


पापा.... नहीं मैं कल क्षितिज़ जी ( मौसा जी ) की बातों के लेकर तुम से बात करने आया हू ।


मैं..... वो गलती से निकल गया पापा मैं आप से भी मांफी चाहता हूँ की मेरे कारण आप को शर्मिंदा होना पड़ा ।


पापा.... नहीं बेटा कैसी बात कर रहा है तू तो मेरा शेर है, मुझे तेरे नहीं क्षितिज़ जी की बातें बुरी लागी।


मैं...... क्या पापा वो मेरे बड़े है क्या हुआ थोड़े नाराज ही हो गए तो ।


पापा.... चल तू तो बहुत बड़ा हो गया है।


फिर मैं और पापा बहुत देर तक बातें करते रहे अब धीरे-धीरे लोग भी जागने लागे, अभी कुछ ही देर हुए थे कि मौसा और मौसी जी ने भी हमें ज्वाइन किया।


मौसा जी... राहुल कल की बात से नाराज है क्या मुझसे ।


मैं.... क्या मौसा जी आप भी न कैसी बातें करते है, मुझे तो लग रहा था की आप कहीं न नाराज हो मुझसे।


मौसा जी........ नहीं बेटा पता नहीं कल क्या हुआ, तू जो कभी कोई बुरा नहीं किया और मैं कल तुझ पर ही नाराज हो गया।


में।।।।। अब क्या आप सब इसी पर बहस करते रहेंगे कि सब जाके तैयारी में लगेंगे इंगेजमेंट की।



फिर सब निकल गए अपने अपने काम से , पर पापा मेरे कंधे पर हाँथ रखा और जेब से ₹ 20000 मुझे निकल कर देने लगे ।


मैं..... क्या है पापा पैसे हैं मेरे पास ।


पापा..... मुझे पता है अब कोई बहस नहीं..... जबरदस्ती पापा ने मुझे पैसे थमा दिए ।


अभी सुबह के 6 बज रहे थे माँ-पापा, मौसा-मौसी और मुझे छोड़ कर सब सो रहे थे । मैंने सोचा बहुत दिन हो गए सिमरन दीदी के पास बैठे। फिर चला मैं सिमरन दीदी के कमरे में । गुंजन और सिमरन दी एक साथ सोती थी।


मैन रूम में पहुंच, गेट नॉक किया सोयी सूरत के साथ गुंजन दी ने गेट खोली...... तू इतनी सुबह क्यों आ गया ।

मैं.... तो जाऊ क्या ।

गुंजन... खायेगा एक आ बैठ ।


गंजन दी बाथरूम चली गयी और मैं सिमरन दी के सर के पास बैठ गया, बहुत चैन से सो रही थी सिमरन दी , मैं उसके सर पर हन्त फेरा । कुछ देर ऐसे ही करता रहा अचानक से सिमरन दी जाग उठी ।


सिमरन.... बेटू कब आया ।


मैं..... दीदी बस ऐसे हि, बहुत दिन से बात नहीं की थी तो सोचा कुछ देर बैठ लूं ।


सिमरन.... आ ईधर आ। दीदी बैठ गयी और मेरे सर को अपनी गोद में ले लिया और सर पर प्रेम से हाँथ फेरते हुए हम कुछ इधर उधर की बातें करते रहे ।



गंजन दी भी बाथरूम से आ गयी हम दोनों को ऐसे देख मुस्कुरा कर चली गायी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था कुछ देर यूँ ही बैठने और बात करने के बाद मैं चला आया ।



अब मैं पहुंचा हॉल में। सब उठ चुके थे और सब अपनी अपनी तैयारियों में लगे थे । अभी मैं हॉल में बैठा था की मेरी नज़र सुनैना पर पड़ी । उसे देख ऐसा लग रहा था की अन्दर ही अन्दर कोई समसया लिए है जिसका कोई उपाय न मिल रहा हो। चिंता और परेशानीचेहरे से साफ झलक रही हो।



मैं उठा और सुनैना के पास गया तो चेहरे पर एक बनावटी मुस्कान लाते हुए..... "और भाई कैसे हो"



मै कुछ न बोला उसका हाँथ पाकर बाहर ले आया और कार में बैठने को कहा । वो मेरा इस तरह का बेहेवियर देख कर हैरान थी और बिना बोले कार मैं बैठ गायी।


(मुझे लगा सब लोगों को देख बात को टाल न जाय इसलिए उसके साथ अकेले ग्राउंड ले आया)



मैने कार स्टार्ट की और पास के एक ग्राउंड में रोक दी । ग्राउंड के अंदर हम बेंच पर बैठ गए, अभी भी सुनैना मुझे हैरानी से ही देख रही थी की आखिर मामला क्या है?


मैं.... बात क्या है ।


सुनैना.... क्या , कौन सी बात ।


मैं..... वही जो तेरे मन में है ।


सुनैना...... देख तू फालतू में दिमाग लगा रहा है ।


मैं..... नहीं जरूर कोई बात है ।


फर हम दोनों के बीच हॉ, न, हॉ, न होते होते सुनैना ने बात सुरु की.... 


"मुझे कॉलेज में एक लड़के ने पर्पस किया पर मैंने मन कर दी, वो मुझे लगातार परेशान करता रहा मैं फिर भी न मानी । अभी 10 दिन पहले मैं गुंजन दी के साथ मॉल गयी थी वहा मैंने कुछ ड्रेस ट्राय करने के लिए चेंजिंग रूम में गाई । और.....



मैं..... और क्या बता ना ।


सुनैना..... वो लड़का, उसने मेरी ड्रेस बदल ने की पूरी वीडियो निकल ली। अगले दिन उसका मेसेज मेरे मोबाइल पर आया मैंने देखा तो मेरे होश उड़ गए । मैंने उसे कॉल करके विनती की प्लीज इसे डिलीट कर दो । तो.....


मैं..... बता ना प्लीज ।



सुनैना.... उसने शर्त रखी की एक शाम उसके साथ....

ओर रोने लागी।


अब मेरी बात समझ में आ रही थी कि क्यों उस दिन सुनैना ऐसा बोल गयी और वो कॉल उसी लड़के का था ।


मैने सुनैना को कार में बिठाया और पहुँच गया वही पुलिस स्टेशन जंहा मेरी खातिरदारी हुए थी , बस मन में ये विस्वास लिए की वंहा लोग मेरी मदद कर सकते है। 



वँहा तीन लोगों ने मुझे पहचान लिया और इस से पहले कुछ बोलते मैंने उन्हें साइड मे चलने के लिए बोला । वो मान गए ।



पहले तो उन्हें मैंने ये बताया की मैं अरेस्ट हुआ था ये घर मैं किसी को पता नहीं और मैं जिसके साथ आया हूँ वो मेरी सिस है तो प्लीज उस दिन की चर्चा न करे और फिर सुनैना की परेशानी बताई ।


उनलोगो ने मेरी बात समझते ही सुनैना से उस लड़के का नंबर लिया और हम से हमारा नंबर । फिर मुझे बोला अभी तुम जाओ 1 घंटे में कॉल करता हू ।


वहाँ से मैं और सुनैना लौट कर वापस ग्राउंड चले गए और कॉल का वेट करने लागे । यही कोई 9 बजे के आस पास इनफार्मेशन देने के डेढ़ घंटे बादकॉल आया और हमें पुलिस स्टेशन आने को बोला ।


हम दोनों पुलिस स्टेशन पहुंचे तो वंहा कुछ लड़के, और सायद उनके माँ बाप भी थे। सुनैना ने सभी लड़को को पहचान लिया और उसे भी जिसने ये वीडियो बनाया था ।



ये जितने भी लड़के थे सब सुनैना के कॉलेज के थे और इन सब को वो वीडियो mms से सेंड किया गया था ।


फिर हम से इंस्पेक्टर सब ने पूछ...... क्या करना चाहते हो कहो तो FIR कर दे ।


मैने 1 बार सब की तरफ देखा फिर उनके माता पिता की तरफ । अब मैं..... सर इनसे से वीडियो डिलीट करवा के छोर दीजिये अगर FIR हो गया तो फ्यूचर में कुछ नहीं कर पाएंगे और तुम लोग सरम नहीं आती एक लड़की ने न कर दिया तो उसे इस तरह से परेशान करते हो और ब्लैकमैल। अभी रिपोर्ट हो गयी तो मालूम है क्या होगा।




सब को अपने किये पर पछतावा हो रहा था उनके माँ बाप तो जैसे गिर ही पड़े हमारे कदमो में। फिर सब ने हम से मांफी मांगी और इन फ्यूचर न कभी वो सुनैना को कभी परेशान नहीं करेंगे ऐसा वादा किया ।


वीडियो डिलीट कर सब को पुलिस वालो ने छोड़ दिया और मेरे किए को सराह रहे थे ।


तब मैंने कहा.... सर मैंने सिर्फ उनको अपनी बहन के वजह से छोड़ा है की आज न कल वो बहार आते ही और आते ही बदला लेते अगर ये चंडीगढ़ में होता तो अबतक पता नहीं क्या हो गया होता मैंने यह सिर्फ ये बात सुनैना की वजह से बर्दास्त की है "।



फिर मैंने मदद के लिए सबको धन्यवाद बोला और मेरा बिंदास अंदाज़ देख कर एक ने पूछ ही दिया.... 
तुम पुलिस स्टेशन में ऐसी बात कर रहे हो डर नहीं लगता ।



मैं.... सर ये फैमिली मैटर है 2,4 साल के लिए चला भी गया तो ग़म नहीं हाँ आप मुझे जितना चाहे उतना परेशान करे कोई गम नहीं ।


वही पुलिस वाला.... आदमी अच्छे हो नंबर दो अपना कभी चंडीगढ़ आना हुआ तो जरूर मिलुंगा। फिर मैंने उन्हें नंबर । दिया और चले वापस घर की ओर 


सुनैना...... मुझे माफ कर दो मैंने तुम्हे क्या समझा और तुमने मेरी कितनी मदद की ।


मैं...... पागल फॉर्मेलिटी छोर और ये बता तू इतनी परेशान थी तो नीरज भैया को क्यों नहीं बताया।


सुनैना.... मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था ।



मैं......... देख तेरे अपने समझ के कारण तू मर रही थी मेरी बात मान कोई भी परेशानी हो और खास कर लडको की तो घर मैं जरूर बताया कर इस से आने वाली परेशानी कम हो जाती है।


फिर मैंने सुनैना को बहार ही नास्ता करवाया अब तक 12 बज चुके थे और हम घर वापस आए । 


आब सुनैना एक्चुअल सुनैना के रूप मई चहक रही थी। घर पर भी सब अपने रंग में थे । मैंने सोचा क्यों न एक बार परिधि से बात की जाय तो मैंने फिर परिधि को फ़ोन लगगया।



हमारी क़रीब 15 मिन की बात हुए बात के दौरान हमारा प्रोग्राम कुछ यूँ तय हुआ की परिधि को मैं 5 बजे पिक करूण। वंहा से हम दिल्ली डेंजरस ग्रुप से मिले, फिर 7 बजे हम इंगेजमेंट पार्टी के लिए जाए और इन सब बातों पर मैंने हामी भर दी ।


काई काम था नहीं तो मैं नीरज भैया के पास चला गया, वंहा से दिया के पास, वंहा से फिर भोजन, भोजन के बाद थोड़ा सा रेस्ट, रेस्ट के बाद फॅमिली मीटिंग और अब बज गए 4 ।


मैंने घर पर बोल दिया की मैं अपने कपड़े नहीं ख़रीदा हूँ तो मैं शॉपिंग कर परिधि को साथ लेते हुए 7 बजे तक पहुँच जाऊंगा ।



साढ़े 4 बजे मैं परिधि के यंहा पहुँच गया परिधि अबतक अपने कमरे मे थी और मेरे आने का इंतज़ार कर रही थी। हॉल में कोई नहीं था बस कुछ नौकरों को छोड़ कर। सबसे पहले मैं गेस्ट रूम में गया जंहा पहले ठेहर था 20 मिन लग गए मुझे तैयार होते होते ।



अब में चल पड़ा परिधि के रुम.... 


और परिधि को देख कर तो मेरी नज़र ही फिसल गायी। वो लंहगे मैं क्या खूबसूरत दिख रही थी। मैं न चाह कर भी उसे देखने से खुद को नहीं रोक पा रहा था ।


परिधि थोड़ी शर्माते हुए......... प्लीज माँ को मेरे कमरे में भेज दो ।



मैं.... क्या हुआ कोई बात हो तो बोल दो न, परिधि शर्माते हुए पीछे मुड़ी और अपनी चोली की तरफ इशारा करते हुए......., ये आखरी हुक नहीं लग रहा है क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो।



मैन क्या बोलता मेरे तो गला ही सुख चुके था , रुको मैं आंटी को भेजता हूं। फिर गया आंटी को बुलाने पर आंटी भी तैयार हो रही थी। मैंने आंटी से पुछा की कही जा रही है तो उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी के किसी एम्प्लोयी की आज इंगेजमेंट है उसी में सब जा रहे है। जाना तो परिधि को भी था पर वो तुम्हारे साथ जा रही है।



आप चलिये तो आज हम भी वही पहुँच रहे है (मन में सोचते हुए)


इतने मैं परिधि की आवाज़ आई..... मोम, मोम ।



आंटी.... बेटा जरा देख क्या कह रही है ये लड़की भी न मुझे बस परेशान करती रहती। मैं अभी तैयार हो रही हूँ लेट हो गयी तो मोहित भी मुझ पर चिलायेंगे। 



मैं.... ठीक है आंटी कह कर मैं चला परिधि के रूम में ।


मुझे देख कर इस बार बड़े बेबाक अंदाज मैं......अब जल्दी से इसे लगाओ नहीं तो जाओ यंहा से ।


मरता क्या न करता मैं चला आगे, मेरे हाँथ काँप रहे थे और काँपते हांथों से मैं परिधि की चोली का हुक लगा दिया पर जैसे ही वो आगे की ओर मुड़ी तो लंहगे में उसका पैर फँस गया और वो गिरते गिरते बची पर पोजीशन कुछ इस तरह थी......


उसके दोनों हाँथ मेरे कंधे पर और मेरे दोनों हाँथ उसके पेट पर उसे सँभालते हुए।


और अब हुए आंटी की एंट्री.....



बेटी को चिल्ल्या सुन भगते रूम में आई और इस पोजीशन में हमें देख, अब आओ देखा न ताव और एक तमाचा मेरे गाल पर और चिल्लाते हुए........"निकल मेरे घर से एक मिनट भी रुका तो काट कर फिकवा दूंगी " ।



इतने कम समय में ये सब हुआ कि न तो परिधि कुछ बोल पायी और जबतक उसने बोलने को मुँह खोला तबतक बहुत देर हो चुकी थी।



मुझे बहुत जिल्लत महसूस हुई और मैं एक पल भी बिना गवाये निकल गया मैं परिधि के घर से...


कहानी जारी रहेगी....
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