mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
03-21-2019, 12:23 PM,
#38
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 36



अब कार रुकी और हम पहुंचे गार्डन के अंदर.....



हमारे एंट्री होते ही हम पॉइंट ऑफ़ अट्रैक्शन लग रहे थे । मैं और परिधि साथ साथ ही चल रहे थे और स्टेज कि ओर बढ़ रहे थे । जहाँ एक तरफ हमारे घर के लोग हम दोनों को देख खुश हो रहे थे वंही अंकल आंटी बहुत आश्चर्य कर रहे थे ।



लाल कि नजर जैसे ही मुझपर पड़ी वो दौड़ कर मेरे पास चला आया । फिर मैं और परिधि पहुंचे अंकल आंटी के पास । जब मैंने आंटी का चेहरा देखा तो लगा कि आंटी गिल्टी फील कर रही है अब थी तो मेरी माँ समान ही मुझे अछा नहीं लगा ।



मैं आंटी के गले लगते हुए कान में कहा.... क्या आंटी अब तक नाराज है, वो गलती से हुआ, चाहो तो दुबारा मर लो पर नाराज मत हो।



अब आंटी को जैसे ही सब नार्मल लगा तो मेरे कान पाकर कर..... तू कल आ बताती हूं।



फिर मैं अंकल के पास गया उन्होंने कंधे पर हाँथ रखते हुए कहा.... मुझे पता चला शाम कि घटना।


अब मैं टोकते हुए अंकल से..... क्या हम भूल जय इस बात को जो होना था वो हो गया रहने दीजिये न।



आंटी..... तुम दोनों यंही आ रहे थे और हमें बताया भी नहीं ।


परिधि..... सरप्राइज था मोम ।


मैं..... आंटी अब हम जय वंहा दीदी से भी नहीं मिले।



आंटी...... जाओ बेटा वैसे भी कब से तेरा ही इंतज़ार हो रहा है।



हम दोनों गुंजन दीदी के पास पहुँच कर ।


मैं.... गुंजन दीदी से , बहुत प्यारी लग रही हो दीदी कंही मेरी नज़र न लग जाए ।



गुंजन.... तू तो रहने दे आज अपनी दीदी को परेशान किया है न इतना लेट क्यों हुआ?


मैं...... आप को अछा लगता कि मैं किसी को वैसी हालत मैं छोड़ आता ।



गुंजन.... नहीं काम तो दिल खुश करने वाला किया है ।


तभी निखिल मुझसे.....
"तो तुम मोहित सर को जानते हो"


मैं..... थोड़ा बहुत ।


निखिल.... और वो लड़की (तबतक परिधि दिया के पास थी) जो तुम्हारे साथ रहती है। 



मैं..... वो परिधि है मेरी दोस्त, अब आप सब का बायो-देता बाद मैं लेना पहले मंगनी कि रस्म शुरू कीजिये।


चूंकी मैं सबसे लेट था इसलिए एक एक करके सबसे मिलते रहा उस दौरान परिधि भी मेरे साथ थी।



आज पता नहीं क्यों मैं भी नहीं चाहता था परिधि मेरे नज़रों से दूर हो इसलिए जब परिधि किसी से अकेले मिलती तो मैं इशारे से बुला लेता।



हम यूँ ही आपस मैं बात करते हुए घूम रहे थे और पार्टी का लुफ्त उठा रहे थे कि सामने से दिया और सुनैना आती दिखी ।



मैने अपना सर पीट लिया क्योंकि अगर दिया अब शुरू हुए तो भगवन ही मालिक है कि किस बात से किसको मारगी। इस बात को भांपते हुए मैं बिंदास तरीके किसी दूसरी ओर मुड़ गया।




पर कहते हैं न कि अगर आप को मारना है तो कोई नहीं बचा सकता और वही हुआ मेरे साथ्।



पीछे से.... भैया- भैया ।


मैं अंजन बनते हुए.... हाँ बोल।

दिया.... आप मुझे देख अवॉयड क्यों कर रहे है ।


बीच में परिधि..... नहीं वो मैंने कहा था मुझे कुछ स्वीट्स खाने थे ।



दिया..... बस इतना ही , सुनयना दी थोडा इनको आप स्वीट्स खिला के लाओ तबतक मैं भैया से बात भी कर लू ।



सुनैना परिधि को लेकर चली गयी और मैं मरता क्या न करता....
"बता ना क्या बात है"



दिया.... यहाँ नहीं चलो उस टेबल पर और खिंच कर मुझे टेबल पर ले गयी मैं पीछे मुड़ कर परिधि को देख रहा था और परिधि मिझे और जैसे एक दुसरे को कह रहे हो कान्हा फँस गए ।



दिया......भैया मुझे परिधि बहुत पसंद है आप सेलेक्ट कर लो।



मैं.... तू समझ रही है तू क्या बोल रही है ।



दिया..... हाँ पर वो भी तुम्हे पसंद करती है ।


मैं.... देख दिया तू मेरे साथ इतना रहती है पर कुछ सीखा नहीं, किसी भी चीज पर अपनी राय तभी बनानी चाहिए जब आपको यकीन हो। तो मेरी बहन तू कैसे यकीन है?


दिया.... मैं कुछ नहीं जनती ।



मैं.... दिया बहुत हुआ अब हम इस पर कोई चर्चा नहीं करेंगे
इतने में सुनैना और परिधि भी आ गयी आते ही । 


सुनैना.... क्या बातें हो रही थी ।


दिया.... परिधि के बारे में ।


अब मैंने सर पीट लिया कि ये लड़की आज कोई न कोई कांड यंहा जरूर करेगि। 


परिधि..... ऐसी क्या बातें हो रही थी हमरे बारे में जरा हमे भी बताइये, अगर ऐतराज़ न हो तो ।


दिया..... मुझे लगता है आप के 1,0(जीरो,निल) बॉयफ्रैंड होगा पर सुनयना दीदी कह रही थी कि आप के 2 से जयादा होंगे । वही भैया से क्लियर कर रही थी। 



लो हो गया कल्याण मैं तो चला यंहा से अगर और थोडी देर रहा तो ये लड़की मेरा हार्ट-अटैक करवा के छोडेगी।


मुझसे रहा नहीं गया और उठकर वंहा से चल आया पर अपनी तिरछी नज़रों से परिधि को देखा और परिधि ने मुझे ।



घूमते घूमते मैं फिर गुंजन दी के पास पहुँच गया, जंहा गुंजन और सिमरन दी, निखिल पार्टी मैं अपने फ्रेंड और रिलेटिव्स को अटेंड कर रहा था ।


गंजन दी मुझे छेड़ते हुए.... देख ले राहुल इन में से एक कोई पसंद हो तो बता देना तेरा भी मामला सेटल कर दूंगी ।



अब सिमरन बोल पडी...... बेचारा अभी तो दो में ही डिसाइड नहीं कर पा रहा होगा कि रूही या परिधि क्या चहिये।



मै क्या करता वंहा से भागने के अलावा कोई चारा न था । आज सब के सब मज़ा ले रहे थे मुझसे।



वहाँ से मैं मोम डैड के पास आ गया। वंही उन लोगों से चर्चा होती रही । सामने से मोहित अंकल और आंटी ने भी हमें ज्वाइन कर लिया। हम सब कुछ देर यूँ ही बातों में लगे रहे फिर मैं वंहा से नीरज भैया कि तरफ चलने लगा लेकिन सोचा एक झलक परिधि कि भी ले लू इसी मंशा से मैं फिर परिधि को देखा तो पाया कि परिधि अकेली बैठी है और दिया और सुनैना वँहा नहीं थी ।



अब जो कदम नीरज भैया कि ओर बढ़ रहे थे वो जल्द ही परिधि के तरफ बढ़ने लगे और मैं कुछ ही छड़ो मैं परिधि के सामने बैठा था ।


परिधि मुझे देखते हुए.... खाना खा लिए क्या....


मैं.... नहीं क्यों ।



परिधि.... तो आ जाओ और हमें ज्वाइन करो, तबतक दिया एक वेटर के साथ दिखी जिसके हाँथ में 2 प्लेट खाना था ।



मैंने कहा.... तुमलोग शुरू करो मैं तुम्हे ज्वाइन करता हूँ और अब मैंने भी खाने कि प्लेट लेने चला गया। 



वापस मैंने दिया और परिधि को ज्वाइन किया। हम तीनो आपस मैं कुछ खट्टी कुछ मीठी और नोक झोंक के साथ खाने का लुफ्त उठाते रहे ।


अभी कुछ समय बीते थे कि सुनैना हमारे पास आते हुए........क्या हम भी यंहा बैठ सकते है, उसके साथ एक और लड़की थी जिसे हम तीनो में से कोई नहीं जानता था ।



दिया......... क्या दीदी अब आप को भी पूछ कर बैठना पडेगा। 



सुनैना बैठ ते ही..... आप लोग इनसे मिले ये है मेरी बेस्ट फ्रेंड उर्वशी ।



उसके बाद हम सब को सुनैना ने इंट्रोडस करवाया। बांकी सब तो ठीक ही रहा पर जब हमारा इंट्रो हुआ तो उर्वशी सुनैना से.... 
यार कान्हा छिपा रखी थी इस हीरो को फिर मुझसे......अगर कल फ्री है तो वाना डेट विथ मी । 



इस से पहले कि मैं कुछ बोलता दिया बोल पड़ी.... 
"देखिये मैडम यंहा पहले ही त्रिअंगुलार सीरीज कि नौबत है जिस से मैं परेशान हूँ अब 4थ पार्टिसिपेंट का तो सवाल ही नहीं होता" 



उर्वशी.... कोई बात नहीं मैं केवल वन डे फ्रेंडली मैच के लिए इनवाइट कर रही हूं ।



जहाँ उर्वशी इतनी फ्रैंक होकर मुझे डेट पर चलने कह रही थी वंही दिया अपनी नराजगी जाता रही थी, सुनैना तो बस अंपायर कि तरह जज कर रही थी। लेकिन परिधी
परिधि को देखा तो मैं बिना हसे नहीं रह सका पर बाहर से बिलकुल नोर्मल। परिधि अपनी चुन्नी को दो उँगलियों मैं लपेट घुमा रही थी । चेहरे का रंग उड़ हुआ, गुस्से से लाल आँखें और चेहरा बिलकुल गम्भीर।




मैन परिधि को और चिढ़ाने के ख्याल से....



मैं उर्वशी को अपना फ़ोन देते हुए....
इसमे अपना नम्बर सेव कर दे और मेरा नम्बरअपने पास ले ले।




मेरे इस तरह से करने पर अब तो दोनों दिया और परिधि दोनों चिढ़ गयी पर कर कुछ नहीं सकती थी , इसी दौरान उर्वशी......
"किस नाम से अपना नाम सेव करून जो आप को याद रहे" 



मैं..... आपने मेरा नाम किस नाम से सेव किया है ।



उर्वशी.... किलर राहुल ।



मैं.... फिर अपना नाम उर्वशी अप्सरा से सेव कीजिये।


वो थोड़ा मुस्कुराई मैंने भी सैम रेस्पोंद किया, इतने मैं परिधि उठी कंही जाने के लिये।।



मैं..... कंहा जा रही हो ? 



परिधि..... मैं लॉन मैं जा रही हू ।



मैं.... कुछ देर बैठो हम सब चलते है साथ में ।



परिधि...... नहीं तुम अपनी रास लीला चालू रखो मैं क्यों कबाब मैं हड्डी बनु । इतना कहा और बड़े गुस्से मैं वंहा से निकली और साथ में दिया भी।



लागता है कुछ ज्यादा ही हो गया, देखते है अब इसका रिएक्शन कि कल क्या होता है।



पार्टी ऑलमोस्ट खत्म हो रही थी सारे गेस्ट और रिलेटिव जा रहे थे सारा कार्यक्रम समाप्त हो चूका था परिधि अपने पापा के साथ घर जा रही थी। अब यंहा केवल हम फैमिली मेंबर रह गए थे तो पापा और मौसा जी को छोड़ कर बाकी सब वंहा से रवाना हुए मासी के घर ।



सब थके हुए थे इसलिए सब अपने अपने कमरे मैं चले गए सोने पर इस समय मुझे अपने दर्द का अहसास हो रहा था प्यार वाला नहीं पागल पान वाला जो ग्राउंड मैं कर आया था ।



पैर बिलकुल किसी हेलीकाप्टर कि पंखी कि भाँति धररर धरररर कर रहा था और हवा में उड़ने को तैयार थे । अब रात भी इतनी हो गयी थी कि किसे बताऊ । पर जब अंत में दर्द बर्दाश्त न हुआ तो मै सिमरन के पास चला गया क्योंकि माँ तो पूरा दिन काम करती रही इसलिए सोचा उन्हें न बताऊ ।



मै सिमरन के कमरे मैं गया वंहा गुंजन दी और सिमरन दोनों आपस मैं बात कर रही थी , रूम अभी भी खुला था ।


मै जैसे ही अंदर गया दोनों ने मेरा चेहरा देखते ही समझ गयी कि कि मुझे कोई तकलीफ है।



सिमरन.... क्या हुआ बेटू बता मुझे ।



मैं.... दीदी पैर बहुत दुःख रहे हैं सोया नहीं जा रहा मैं कहराती आवाज़ मैं बोला ।



सिमरन.... तू जा चेंज कर के लेट मैं अभी आई ।



मै वापस कमरे मैं शॉर्ट्स पहन कर लेट गया, कुछ देर बाद सिमरन और गुंजन दी दोनों मेरे कमरे में आई । सबसे पहले मुझे एक पेनकिलर दी खाने के लिए उसके बाद सिमरन दी मेरे पैर दबाने लगी साथ साथ गुंजन दीदी के साथ बातें भी कर रही थी।



कुछ देर मैं रहत भी मिलने लगी और जब रहत लगी तो दिमाग भी चलने लगा और परिधि के कल के रिएक्शन के ख्याल से ही मेरे अंदर एक अजीब सी फीलिंग दौड़ने लगी और इन्ही सब बातों को सोचते मैं सो गया।



मैं सो गया अपने अंदर एक रोमांच को महसूस करके कि कल क्या होगा......




कहानी जारी रहेगी.......
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