RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 38
क्या करूँ मैं अब?.....
धीरे धीरे अब ये अहसास हो चला था कि कंही न कंही परिधि बहुत ही ज्यादा नाराज है क्योंकि कल जिस तरीके से मैंने उसे इग्नोर किया था परिधि ने बात दिल से लगा ली तभी तो मैं इतना परेशान था और वो बिना बात किये चली गायी।
पर इस का क्या करें अब तो कंही उठ कर भी नहीं जा सकते और न ही आज कोई निकलने देगा,
हाय रे क्यों मैं अंधी दौर मैं खुद से ही रेस लगा लिया।
लेकिन एक है जो इस सिचुएशन मैं भी मेरी मदद कर सकती है दिया । हाँ उसे ही बुलाता हूँ वही मुझे यंहा से निकल सकती है।
पहिर मैंने दिया को कॉल करने के लिए फ़ोन उठाया पर ये क्या इतने मिस कॉल और मेसेज किसके है।
फ़ोन को ऊपर से नीचे स्क्रॉल किया तो पता चला कि सुबह से परिधि के 25 मिस कॉल पड़े है जो फ़ोन साइलेंट मैं होने के कारन सुन न सका। ये क्या 25 से 30 मेसेज भी पड़े है परिधि के। तभी तो गुस्से मैं ताम-तामयी है। उसे अब भी लग रहा होगा कि मैं उसे अवॉइड कर रहा हू । सबसे पहले तो इस हरामखोर को रिंग मोड़ पर डालो ये भी आज मेरा काम बिगाड़ने में लगा है।
अभी मे फ़ोन लगा ही रहा था कि दरवाजे से गुंजन दीदी आते हुए.....
"सुन बेटू गरम पानी में पैर डाल लेना और ये टेबलेट ले ले रिलीफ मिल जाएगी"
मैं.... ठीक है दीदी । फिर गुंजन दीदी जाने को हुए तो... दीदी सुनो तो ।
गुँजन... क्या है बोल ।
मैं... वो तीनो का मिजाज कैसा है।
गुँजन... किसका।।
मैं... माँ, सिमरन और दिया का ।
गुँजन.... मासी नार्मल है बस ।
मैं..... एक काम करो न सिमरन को भेज दो न प्लीज उसको कितना सुन न पड़ा मेरे कारण ।
गुँजन.... और दिया ।
मैं.... वो सिमराम के बाद ।
गुँजन दीदी.... ठीक है बोल कर चली गायी।
कुछ देर बाद सिमरन दी आई चेहरे पर थोड़ी मायूसी थी मैं जानता था कि क्यों मायूसी थी क्योंकि सबसे ज्यादा फील उन्ही को हो रहा था इस पूरी घटनाक्रम में, मेरे लिए झूठ बोली उसका और डिस्को कि परमिशन दी उसका दोनों बातों क़। अन्तः मैं तो सब मेरी गुणगान कर सब चले गए राहुल ए, राहुल ऐसा पर सब मेरी सिस को भूल गए ।
मैने दोनों कान पकड़ कर.... नाराज हो क्या दीदी ।
सिमरन.... जो बहावनाएँ अबतक अन्दर थी अब वो बाहर आते हुए और खुद को नाकाम कोसिस से रोकने के बावजूद रोते हुए ।... मैं क्यों नाराज होने लगी ।
यही कोई 25 मि लगा होगा उन्हें मानाने में पूरी तरह टूट गयी थी। सिमरन के इतनी समझदार होने के बावजूद आज मेरे कारन इतना सुन न पड़ा । मुझे इसका अफ़सोस हमेशा रहेगा ।
फिर सिमरन से पूछा दिया कहाँ है कि इतने मैं वो भी आ गयी लेकिन वो सिमरन को बुलाने आयी थी।
मैने सिमरन को नहीं जाने दिया और उसे भी बिठा लिया। फिर क्या था तीनो लगे अपने अपने गिले शिकवे दूर करने। दिया सबसे छोटी थी तो उसके सारे नखरे हम दोनों को ही उठा ने पड़ते थे ।
जब दोनों नहीं गयी तो माँ , मासी और रंजना आंटी(परिधि माँ) , तीनो मेरे तरफ रूम में आई और माँ बोल पाडी.... मासी और रंजना आंटी को इंडीकेट करते हुए....
"देखो तीनो को हमेशा ऐसे ही करते है अपनी माँ को भूल जाते है"
अब चूंकि हम तीनो भी नार्मल थे फिर क्या सूझी सैतानी फिर जो बुलाने आये थे हमने उनको भी बिठा लिया और लगे पंचायत करने देखते देखते फिर एक बार सभी लोग उसी कमरे मैं जमा हो गए लेकिन जंहा पहले सब रो रहे थे वही हांसी कि किलकारियां गूंज रही थी। पर एक सदस्य ऐसा भी था जो वंहा पार्टिसिपेट नहीं कर रही थी। परिधि यूँ तो साथ मैं थी पर झूटी हांसी हँस रही थी।
अब मैं परिधि को छेड़ते हुए.... "जो भी ओड मन है वो यंहा से आउट हो जाय नहीं तो पूरा पार्टिसिपेट करे"।
सभी ये समझने कि कोसिस कर रहे थे कि मैं क्या बोलना चाह रहा हूँ वही परिधि एक गुस्से वाले एक्सप्रेशन में मेरी तरफ घूरते हुए नज़रों से देख रही थी।
जब मेरी बात नहीं समझ में आयी किसी को तो मासी ने पूछ ही लिया...
"बेटा क्या कहना चाह रहा है"?
मैने परिधि कि तरफ इशारा कर....
"देखो जब भी हम हँसते है तो झूठ मूठ के दांत बाहर निकल कर हिन् हिन् करती है।
अगर हो तो दिल से साथ रहो ऐसे झूठ का साथ निभाने किस काम का"
तभी गुंजन दी... तू उसे छेड़ क्यों रहा है...... ......और परिधि से सही तो कह रहा है राहुल तुम्हे क्या हुआ क्यों शांत हो।
बीच में मैं फुदकते हुए, मैं बताता हूँ दीदी.....
कल जब हम हॉस्पिटल से निकले तो मुझे आप के पास पहुँचने कि चिंता थी वैसे तो ठीक ही दिख रही थी उस वक़्त लेकिन ये जिद करने लगी कि जबतक तुम कपड़े चेंज करोगे मैं पार्लर से मेक उप कर लूंग़ी। फिर क्या था , मुझे लगा ये लड़कियां भी न पार्लर गयी तो हुआ कल्याण आज का प्रोग्राम कल अटेंड करवाएंगी इसलिए मैने चने के झाड़ पर चढ़ा दिया फिर क्या था जब पहुंची तो इस सुनैना कि सहेली उर्वशी ने टोक दिया कि थोड़ा तो मेक उप कर लेती, फिर क्या था तब से चेहरा उतरा है ।
झुट सफ़ेद झूट जबकि सब लोगों ने कल देखा था बड़ी ही प्यारी लग रही थी किसी डॉल कि तरह ।
ईधार मेरी बात का समर्थन सुनैना और दिया ने भी कर दिया हाँ मैं हाँ मिला के।
अब क्या था गुस्सा , भयंकर गुस्सा देवी के प्रकोप वाला पर इतने लोगों के बीच में कर भी क्या सकती थी और अकेले उसके साथ इस रोमांच के लिए मे कब से तैयार था ।
अब एक बार और परिधि ने मेरी ओर देखा धीमी स्माइल दी जैसे खुला निमंत्रण दे रही हो कि तुम्हारा हो गया अब मैं बताती हू ।
हम सब आपस मैं यूँ ही एक दूसरे कि खिंचाई करते हुए हांसी मजाक कर रहे थे, कभी ये बंदा सेंटर पॉइंट तो कभी वो , और परिधि अपने मोबाइल से खेल रही थी।
अभी कुछ देर हुए ही कि मेरे फ़ोन कि रिंग बजी मुझे लगा कि कंही ये उरवसी का फ़ोन तो नहीं और मैं बिना फ़ोन देखे कॉल कट कर दी ।
इतने में परिधि बोल पड़ी...."ये गलत है"।
सब..... क्या गलत है ।
परिधि... अभी तो कह रहा था ओड मेन आउट और अभी इसकी फ़ोन कि रिंग ओड है इसे सजा मिलनी चहिये।
अब चूंकि मैं सेंटर पॉइंट था तो सब लोगों ने रुख मेरी ओर किया और परिधि के समर्थन में तुम ही सजा तय कर दो ।
मैने सोचा चलो ठीक है इतने लोगों कि बीच सजा वो भी भुगत लेंगे । पर मुझे क्या मालूम मैंने मधुमक्खी के जाल में हाँथ डाला था सुनिये सजा भी.....
"अब जो भी इसके पास कॉल लायेगा चाहे जिसका भी हो स्पीकर ऑन कर के बात करनी होगी बिना बताये कि यंहा फैमिली मेंबर है"
मैं.... यह कैसी शर्त है मेरे कई दोस्त है । और कहते कहते रुक गया ।
अब बोले नीरज भैया पहले तो लगा समर्थन कर रहे है मेरा पर मुझे क्या पता था मेरी मारने मे लगे है..
नीराज भैया बोले.... ये गलत है सब कि अपनी ...
इतना बोले ही थे कि फिर फ़ोन बजा मेरा और मैंने फिर काटा और नीरज भैया....
ये गलत है सबको अपनी पर्सनल बातें होती है जिसे इस तरह सुनना ठीक नहीं । (आह मेरा दिल खुश) पर यदि राहुल कि बात है तो मैं भी सुनना चाहूंगा कि जो घर मैं इतना अछा है उसके फ्रेंड्स कैसे है।
लो हो गया कल्याण नाम बड़े और दर्शन छोटे ।
मुझे एक आईडिया आया और मैं चुपके से फ़ोन ऑफ कर दिया पर ये हरामखोर फ़ोन बंद होते होते भी आवाज़ करने लगा फिर क्या था फ़ोन ऑन और फ़ोन नीरज भैया के पास और जयादा इंतज़ार भी नहीं करना पड़ा फिर फ़ोन आया उसी का लेकिन ये फ़ोन उर्वशी का नहीं बल्कि ऋषभ का था ।
लो वैसे तो 3 दिन हो गए बात किये लेकिन जनाब को आज ही समय मिला कॉल करने का , खैर फँस तो चूका ही था अब देखता हूँ ।
स्पीकर ऑन...
मैं..... क्या हाल है ऋषभ ?
ऋषभ... कमीने जब से दिल्ली गया है बात तो करता नहीं है खैर, इतनी देर से फ़ोन लगा रहा हूँ तो काटे जा रहा है, हाँ पहले तो केवल घर और दोस्त था पर अब तो तू हीरो हो गया है ना ।
आज लगता है ये मरवायेगा भगवन थोड़ी सद्बुद्धि देना इसको ।
मैं... एक ही साँस मैं कितना बोल गया मेरे भाई बता न फ़ोन क्यों किया नाराज है क्या?
ऋषभ.... चल कोई बात नहीं , ये बता सब कैसे है, और इंगेजमेंट कैसी राहि।
मैं.... सब बढ़िया मेरे भाई, अच्छा रहा पर तुझे कैसे पता चला ।
आह! भगवन धन्यवाद, मेरा दोस्त है मजाक थोड़े है कितनी चिंता रहती है उसे मेरी। यही सोचति, अपने आप मैं प्राउड फील करते और कॉंफिडेंट से सबको ओर देखा जैसे सब से कह रहा हू , देखा मेरा दोस्त है पर....
ऋषभ... हरामखोर 2 दिन पहले सपना आया था, तू तो लगा था ,अपनी दिल्ली वाली के साथ ।
(पॉज , अभी पॉज है ) हरामजादे चुप हो जा सब यही है मारवा मत देना(मन कि भावना) एक चोर वाली नजर सब पर मारी कंटीन्यू.....
सला मैं देख रहा हूँ तू उस लड़की के चक्कर मैं सब भूल रहा है। और तू मेरा एहसान...
फ़ोन काट दिया क्योंकि अहसान बोला है तो साला दिल्ली आया और 2 दिन डेट पर था वो भी न बक दे अब सब को बोलते हुए....
"क्या आप लोग परेशान कर रहे है अच्छा लगता है यूँ बात सुनना " मैं गंभीर होते बोला ।
इसपर नीरज भैया बोले...
"वो बाद में जज करेंगे"। और ए भाई तू ये फ़ोन ना काटा कर ।
अब मैं परिधि कि तरफ देखा उसे देखने से ऐसा लग रहा था कह रही हो देख, ये तो बस सुरुवात है ।
अभी हमारे नज़रों कि बद विवाद चल ही रही थी कि फिर फ़ोन बजा और सैम कॉल ऋषभ का था । स्पीकर ऑन बातें शुरू...
मैं... बोल भाई ।
ऋषभ.... सॉरी यार, वो गुस्से में था ग़लती से अहसान वाली बात निकल गायी।
मैं... चल कोई बात नहीं, और सब बढ़िया है ।
ऋषभ.... मेरा तो बढ़िया है पर ये काजल (डिस्को वाली लड़की एंड माय क्लासमेट) का क्या चक्कर है, 2 दिन से परेशान कर रखा है तेरा ने मांग रही थी।
मैं.... तूने दिया तो नहीं ।
ऋषभ... पागल है क्या नहीं दिया, चल तू आराम कर लगता है जैसे किसी परेशानी मे है बाद में बात करता हू ।
मैं... ओके बाय डूड जल्द मिलते है।
फिर क्या फ़ोन कट खिंचाई शुरू । सबने क्या खिंचाई की ।
पर अब मैं जयादा परेशान नहीं करना चाहता था परिधि को। (खुद में सोचते हुए) पर इसे अकेले निकालूँ कैसे?
जब सब आपस मे लगे थे तो मैंने परिधि को मेसेज टाइप कर दिया प्लीज मुझे बात करनी है। प्ल्ज़ प्ल्ज़ प्ल्ज़ प्ल्ज़ प्ल्ज़ प्लज़
परिधि ने ओके एंड वेट लिख कर सब के साथ फिर से लग गयी और मैं भी माहोल का मज़ा लेने लाग। फिर धीरे धीरे रूम से चले गए । बचे सिर्फ मैं परिधि दिया ।
मैने दिया से कहा.... छोटी बाथरूम में गरम पानी थोड़ा कर दे ।
अब बचे मैं और परिधि.....
परिधि काफी बेरुखी से... जल्दी बताओ मुझे जाना है ।
मैन डायरेक्ट पॉइंट पर आते हुए......"मुझे तुम से बात करनी है"।
परिधि- बोलो।
मैं-यंहा नाहीन
परिधि...... तुम्हारा समय समाप्त होता है और मे चली , इतना कह कर निकलने को होती कि मैं पीछे से टोकते हुए।
मैं..........सोच लो मैं लडख़ड़ाते हुए सिढ़ियों से गिर सकता हूं
परिधि......... जो करना है सो करो मुझे कोई लेना देना नहीं
लागता है मामला कुछ ज्यादा सीरियस हो चला है पर अब मैं जो करने जाउँगा उसे देख तुम्हारे होश न उड़ गए तो मेरा नाम बदल देना....
कहानी जारी रहेगी....
|