mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
03-21-2019, 12:24 PM,
#41
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 39


लगता है मामला कुछ ज्यादा सीरियस हो चला है पर अब मैं जो करने जाउंगा उसे देख तुम्हारे होश न उड़ गए तो मेरा नाम बदल देना....



पर ये मुझे हुआ क्या है। मैं क्यों इतना सोचता हूँ परिधि के लिए । कहि....



नहीं- नहीं, हॉ, नहीं-नहीं, हां पर ये लव है तो रूहि, और वो लव है तो फिर मैं क्यों परिधि की तरफ खिंचा चला जा रहा हू ।



सायद वंहा केवल मेरी फीलिंग थी , और रूही मेरे साथ उतनी फ्रेंडली नहीं रही इसलिए मैं उसे इग्नोर करता चला गया। पर क्या इस वजह से की परिधि मुझ से अच्छे से बात करती है मैं ये मान लूँ की मैं.....



लेकिन परिधि क्या सोचती है, कंही उसे भी तो नहीं....



सायद हो सकता है क्योंकि बीते कुछ दिनों में जो हुआ है, उसका ऋषभ से बात करना और गर्लफ्रैंड की अक्ट, मेरे साथ ही रहाना, टेडी के बारे में भी अबतक नहीं पुछा जबकि मैंने उसे बोल कर लिया था कि किसी खास के लिए है कम से कम मुझ से सफाई तो माँगती की क्यों मुझे दी , वो भी नहीं हुआ। उसका यूँ मेरे लिए रोना , वो कॉफ़ी शॉप, यूँ मुझे बाँहों में लेना.....



मैं अपने मन में चल रहे अंतर द्वन्द से कुछ नतीजे नहीं निकल पा रहा था उल्टा उसमें फंसते चले जा रहा था । मैं लगातार अपनी सोच में ही डूबा रहा....



सिमरन.... कहाँ खोया है बेटू ।



मैं अपने ख्यालों से बाहर आते हुए...... "कुछ नहीं दीदी , बस आगे की प्लानिंग कर रहा था "।



सिमरन.... कैसी प्लॅनिंग ? 


मैं..... "वही की अभी कुछ दिनों में रिजल्ट आ जाएगी तो उसके बाद कौन से कॉलेज में एडमिशन लूँ और CDS की तैयारी कहाँ से करू" ।



सिमरन.... पर तुझे देख कर तो लग रहा है कि मन में कुछ और ही चल रहा है ।



मैं सकपकाते हुए.... नहीं दीदी ऐसी कोई बात नहीं ।



सिमरन..... मत बता फिर फँसना, फिर मुझ से झूठ बुलवाना और सब के सामने मुझे नीचे होते हुए देखना ।



मैं..... .....क्यों दीदी क्यों अब टॉन्ट कर रही हो, बताता हूँ ।




फिर मैंने एक एक करके सारी घटनाएँ बतायी, 40 % तो उन्हें मालूम ही था रूही तक, और रूही का मेरे प्रति सोचना , फिर मैंने एक-एक करके परिधि के साथ हुए पूरी घटनाएँ सुनाता चला गया। फिर मैंने अपनी द्विधा भी बतायी....


अब दीदी....

सुन बेटू ये एक पेचीदा सवाल है। मैं बहुत जायदा तेरी मदद तो नहीं कर सकती पर एक बात जरूर कहना चाहूंगी कि तेरे साथ "far from eyes far from heart" वाली बात हो रही है।
तेरे पास अभी परिधि है तो तू परिधि के बरे मैं सोच रहा है हो सकता है की जब तू वापस जाए और परिधि तुझ से दूर हो तो तेरी फीलिंग फिर से रूही के लिए सैम हो और आज जो रूही के बारे मैं तू सोच रहा कल उसकी जगह परिधि हो, या नहीं भी।


इसे " law of attraction" कहते है ।


मैं... मैं समझा नहीं ।

दीदी.....बतती हूं.....



अपोजिट सेक्स के प्रति हमेशा अट्रैक्शन बना रहता है इसलिए जब हम किसी को ,पाहली बार देखते है तो उसी के ख्यालों में खोए रहते है जिसे हम लव समझते है। ये अट्रैक्शन इतना स्ट्रांग होता है की हम दिन रात उसे किसी तरह पाने की कोसिस करते है, किसी को मिलती है किसी को नहीं । और जब वही हमें मिल जाती/जाता है और हमारा पर्पस सोल्वे हो जाता है तो हमारा अट्रैक्शन धीरे धीरे खत्म हो जाता है और हमारा अट्रैक्शन किसी और के लिए स्ट्रांग होता चला जाता है और ये निरंतर चलते रहता है। और कई एक दुषरे के साथ पूरी लाइफ गुजार देते है।





दीदी की बातें मेरे समझ में तो आ रही थी पर अभी भी कुछ क्लैरिफिकेशन बांकी थी।



मैं...... तो क्या दीदी लव होता ही नहीं केवल अट्रैक्शन ही होता है ।



दीदी...... नहीं ऐसी कोई बात नहीं पर जो तू पूछ रहा है लव ये एक उंडेफिनेड टॉपिक है। कोई ये नहीं कह सकता/सकती कि मेरी मास्टरी है टॉपिक लव के ऊपर और मैं इसे डिफाइंड कर सकता/सकती हू ।



वैसे मेरे पॉइंट ऑफ़ व्यू मैं लव एक ऐसी फीलिंग है जिसे तुम कभी किसी को नहीं कहते हो लेकिन फील करते हो। जरूरी नहीं ये फीलिंग एक लड़के को लड़की या लडकी को लडके के लिए हो ये किसी के लिए भी हो सकता है।



एक्साम्प्ले ऐषा मन लो कि एक छोटा सा बेबी जिसके माँ बाप का पता नहीं उसे तुम ने पाला पर अचानक से उसके माँ बाप आ गए लेने । तुम जानते हो की ये तुम्हारी संतान नहीं है पर तुम किसी भी हालत मैं उसे नहीं दे सकते और न ही वो बच्चा कभी एक्सेप्ट करता/करती है अपने खुद के पैरेंट को।ये है लव । लेकिन ये एक एक्सएम्पले है ऐसे बहुत सारे होंगे, जैसे अपने पेट के साथ , फॅमिलि, फ्रेंड्स एंड ऑफ-कोर्स बॉयफ्रेंड गर्लफ्रैंड, वाइफ एंड हस्बैंड्। 



मै बस दीदी को गौर से सुन रहा था दीदी ने फिर अपनी बात आगे बढ़ाते हुए....



देखो तुम्हारा सोचना गलत नहीं है पर तू विचार कर के ये डिसाइड नहीं कर सकता कि तुम्हे रूही से रिलेशन आगे बढ़ाना है या परिधि से ।


ये भी हो सकता है की तुम अभी परिधि को पर्पस करो तो वो भी हा कह दे पर ये जल्दी होगी क्योंकि हो सकता है परिधि को भी अट्रैक्शन हो।



मेरे अबतक बहुत से डाउट क्लियर हो गए थे पर मन में अभी भी कुछ सवाल उठ रहा त। में.....



पर दीदी ये मान लो की मैं वापस गया और जैसा तुमने कहा अटट्रक्शन, उसी के तहत मैं अगर परिधि को भूल गया और रूही के साथ आगे बढ़ा तो क्या ये गलत नहीं होगा क्योंकि अट्रैक्शन तो दोनों तरफ था तो क्या फ़र्क परता है कि रूही के साथ कंटिन्यू करून या परिधि।



ओर इस बात का क्या जस्टिफिकेशन है की दोनों मे से किसी एक के साथ रिलेशन आगे बढ़ाता हूँ तो फिर मैं किसी दूसरे की तरफ अट्टरक्त न हो जाऊं।



दीदी मुस्कराते हुए..... बड़ी समझदारी वाली बात कर रहा है। बटाती हूं....



पहले तो ये क्लियर कर दूं कि attraction is the first step of love । किसी भी लव स्टोरी मैं पहले अट्रैक्शन ही होता है नहीं तो कभी सुना है कि कोई लड़का/लड़की किसी बदसूरत बहुत ही भद्दी सूरत वाला/वाली को अपना बॉयफ्रेंड/गर्लफ्रैंड बनाया हो।



आट्रक्शन वो स्टेप है जंहा लोग अपने कॉउंटरपार्ट को काटेगोरिसातिओं करते है कुछ लोग कोम्प्रोमाईज़ भी करते है की मैं ऐषा हूँ तो मुझे ऐसी ही मिल सकती/सकता है फिर भी अट्रैक्शन का 1 ही कॉमन रूल होता है की बेस्ट चोइस



। इसलिये तुम कॉलेज में देखते होंगे की कुछ लड़कियों के पीछे सब लरके पड़े रहते है और कुछ लड़कों के पीछे कॉलेज की सभी लड़कियां यही है लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन की फर्स्ट रूल है इसके अलावा भी है जैसे टॉपर्स तो टॉपर्स , रिच तो रिच ।



आब चूँकि कोई भी बॉयफ्रेंड/गर्लफ्रैंड जब अट्रैक्शन के बाद अपना रिलेशन आगे बढ़ाते है तो फिर दोनों एक दुसरे की फीलिंग से जुडते है और ये फीलिंग की जो जुड़ाव होती है ये एक स्ट्रांग बौंडिंग होती है। जिसका जितना स्ट्रांग उसका लव उतना देवीने और वीक बौंडिंग तो केवल अट्रैक्शन तक ही रहता है और जैसे ही उस से कोई बेस्ट मिलता है ब्रेक अप हो जाता है।



ऐसी बहुत सारी चीजें अभी भी बाकी है जो तुझे समझनी है पर इस लव सब्जेक्ट की थ्योरी हो चुकी है अब प्रक्टिकली एक्सपीरियंस करो। पर राहें आसान नहीं है।



मै तो दीदी की बातों मैं गुम ही हो गया कि मैं क्या सोच रहा था और होता क्या है मेरा तो ब्रेन वाश हो गया और लव को एक अलग ही एंगल से देखने लगा ।



दीदी एक आखरी सवाल ।



दीदी.... नहीं अब कुछ नहीं चॉइस इस यौर'स तो तुम्हे सोचना है की कैसे तुम अपने इस सवाल का आंसर ढूँढ़ते हो। और सिमरन वंहा से चली गायी।




चालो ये भी अच्छा रहा कि सिमरन से बात कर ली तो सारे डाउट क्लियर हो गए । अब तो अट्रैक्शन है या लव ये तो चंडीगढ़ पहुंच के ही पता लगेगा तबतक मैं अपने अट्रैक्शन और लव को काबू में करता हूँ और अब इस परिधि की बच्ची को बताता हूँ की मैं चीज क्या हू....



पहले तो मैंने बाथरूम गया गर्म पानी में पौन डाल कर अपने सूजन को कम करने की कोसिस की। टेबलेट ले ही चुका था तो अब दर्द तो नहीं था बस चलने में थोड़ी परेशानी हो रही थी। पर चूँकि अब मिशन परिधि को जलना एंड मनाना भी था यही सोच कर मैंने प्लान बनाना सुरु किया। पूरी कहानी प्लाट हो चुकी थी अब बस सरे करैक्टर से सही तरीके से अपना काम निकलवाना था... यही सोचते हुए मैंने अपने लीड करैक्टर के पास गया।



मै बाहर हाल में आया अभी चूँकि 1pm हो रहे थे तो सारे लोग खाने की तैयारी में लगे थे और मुझे जल्द ही काम शुरु करना था इसलिए वंहा मेरी नजर सुनैना को ढूँढ़ने लगी।



मैं मासी से... मासी सुनैना कंहा है।


मासी.... अपने रूम में है राहुल ।



बस इतना जानकर मैं सुनैना के रूम की ओर चल दिया पर जाते जाते मैं परिधि का रिएक्शन भी नोटिस कर रहा था , बहुत ही गुमसुम थी ऐसा लग रहा था हो कर भी नहीं है।




मुझे बहुत तरस आया क्योंकि वो आई थी मेरे साथ ही समय बिताने, पर खुद के जूठे ग़ुस्से ने उसे बांध रखा था और मैं भी कोई इंटरेस्ट नहीं दिखा रहा था उसे मानाने का शायद यही वजह उसकी उदासी का था ।



खैर मैं चला अपना प्लान फॉलो करने पहुंचे सुनैना के पास पहले उसकी रजामंदी ली फिर पूरा प्लान बताया। प्लान बताने के दौरान सुनैना ने भी उसमें कुछ सर्टेन चंगेस किये। सब बातें हो जाने के बाद मैं हॉल में आकर बैठ गया।



मै हॉल में बैठ कर सब से बातें कर रहा था पर रह रह के परिधि का उदास चेहरा मेरे सामने था ।


हे भगवान अभी सिमरन ने सारी बातें बताई समझ भी गया लेकिन मुझे ये हो क्या रहा है , क्यों मैं बार बार उसी के ख्यालों में डूबा जा रहा हूँ लगता है अब तो ये लव और अट्रैक्शन के बीच में मैं पिस के रह जाऊंगा । न बे स्ट्रांग जबतक की कोई कन्क्लूसिओं नहीं निकलता।



पर कहते हैं न "इश्क़ पर कोई जोर नहीं गालीब" वैसा ही कुछ त। अब मैं अपनी भावनाओं को काबू में कर बिना परिधि पर ध्यान दिए बस सब से बातें करता रहा ।



कुछ देर मैं यूँ ही बातें करता रहा कि सुनैना बहार आयी और परिधि से....



"लागता है आप को हम छोटे लोगों के यंहा रुकना पसन्द नहीं"



परिधि एक तो खेलों मैं थी दूसरी अचानक से पुछा गया ये सवाल वो बिल्कुल चौंक गयी पर थी तो मास्टर माइंड इसलिए परिधि बोली....



"मैं यह जानती हूँ की ये इनडाइरेक्ट क्वेश्चन है इसलिए डायरेक्ट वाला क्वेश्चन कीजिये"



परिधि के इस जवाब पर अब चोंक ने की बरी सुनैना कि थी , सुनैना एक मुस्कान के साथ....



"मान गए आपको , मैं ये जानना चाह रही थी आप उदास क्यों हो" ?



परिधि.... उदासी ! नहीं मैं उदास नहीं (मेरी ओर देखते हुए) बस यूँ ही कुछ उलझनों में थी, अब ये न पूछिये की कैसी उलझन, नहीं बता सकती ।



कुछ देर दोनों के बीच कुछ शान्ति के बाद, सुनैना....


"वैसे आप घर वापस जाकर क्या करेंगे"?


परिधि.... फिर इनडाइरेक्ट क्वेश्चन , डायरेक्ट क्वेश्चन प्लीज ।


सुनैना हस्ते हुए.... क्या आप मेरे साथ घूमने चलेंगी?



परिधि... कहाँ । 


सुनैना-वाटरफाल । 


इतना सुनने के बाद परिधि कुछ सोचने लगी अब मैं भी सोचा की कंही इसने कड़ियाँ जोड़ने सुरु की तो प्लानिंग फेल हो सकती है इसलिए मैं बोल पड़ा...


"कहाँ सुनैना तू भी इस दुखी आत्मा को अपने साथ ले जा रही है खुद उदास रहेगी और साथ साथ 4 लोगों को भी उदास करेगि ।



सुनैना..... तो तू है न इसे हँसते रहना , और चल तू भी हमारे साथ । 



मैं.... " मैं तो चल ही दूंगा पर परिधि मेरे साथ नहीं जाएगी"




मेरे इतना कहते ही परिधि झट से बोल पाडी..... सुनैना ने पहले मुझ से पुछा था तो यदि तुम्हे मुझसे डर लगता है तो तुम मत आओ मैं तो जाउंगी ।



मैं.... तुम से और डर , तुम क्या बंदीद क्वीन हो ।


परिधि.... वो तो पता चल ही जाएगा ।



मैं.... ठीक है मैं भी चलता हूँ फिर वक़्त आने पर समझ लेंगे कौन किस पर भारी है।


तिकककककक है...... हानंन्न तो ठीक है।



अक्तुअल्ली यंहा चल कुछ ऐसा रहा था की मैं अपने नेगेटिव आंसर से उसे चलने का चैलेंज दे रहा था और वो भी यही कर रही थी।



रान्डोम चंगेस हमारे कम्युनिकेशन मैं थोड़ा सा कॉम्प्लीकेशन्स लय पर प्लान का पहला पार्ट तो कम्पलीट हो गया अब बारी थी दुसरे पार्ट की।



अभी हम दोनों की बात खत्म ही हुई थी कि सुनैना को कॉल आया कुछ देर बात करने के बाद कॉल होल्ड पर रखते हुए। हम दोनों को इंडीकेट करते हुए...... सुनो उर्वशी का कॉल आया है वो अकेली बोर हो रही थी तो पूछ रही है की अगर मैं फ्री हूँ तो मुझसे मिलने आ रही है क्या जवाव दूँ ।



आब तो चेहरा देखने लटक था परिधि का काटो तो खून न निकले ।


चेहरा देखते ही समझ मैं आ गया की वो नहीं चाहती की उर्वशी हमारे साथ चले और इसी ख्याल से शायद परिधि बोली... उस से कहो 5 मिन मैं कॉल बैक करती हू ।



सुनैना ने वैसा ही किया खैर...


सुनैना.. . क्या सोचा क्या बोलू ।



परिधि.... मैं सोच रही थी तुम्हारी फ्रेंड है साथ चलनी चाहिए पर मैं चाहती हूँ की जब तुमने मुझे चलने के लिए कहा है तो आज मुझे टाइम दे दो हम एक दुसरे को अच्छे से समझ ले ।



मान गए भाई क्या सफाई से एक फ्रेंड को दूसरे फ्रेंड को क्यों नहीं चलना चाहिए समझा दी , पर ये मेरे बाउंसर का टाइम था । 


मैं सुनैना से....


एक काम कर सुनैना तुम दोनों चले जाओ मुझे एक काम याद आ गया।



मेरी बात सुनते ही क्या एक्सप्रेशन था परिधि का जैसे सांप लोट रहे हो बदन में, जैसे कोई घायल शेर अपने शिकार को देख रहा हो। 



सुनैना..... अब कोई कमैंट्स नहीं तुम दोनों और उर्वशी भी आ रही है और हाँ परिधि में वंहा तुम्हारे लिए ही जा रही हूँ तुम्हे मैं ये जरा भी अहसास नहीं होने दूँगी की मैं तुम्हे इग्नोर कर रही हू । आखिर तुम हमारे लिए बहुत मायने रखती हो।




खैर एस पर प्लान सब खत्म हुआ मेरी प्लानिंग ही यही थी की परिधि, सुनैना, मैं और उर्वशी सब साथ जाए और बातों बातों में तो अब ये भी डिसाइड हो गया कि सुनैना अब परिधि को अकेले नहीं छोड़ने वाली ये तो और अच्छा हो गया।



हमने 2: 30 pm का टाइम तय किया चलने के लिये। प्लान अपने फाइनल स्टेज में था ।और मैं अपने अंदर एक रोमांच की अनुभूति करने लागा 



अब देखते हैं क्या होता है। अब आएगा जलाने और मानाने का मजा....



कहानी जारी रहेगी....
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RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी ) - by sexstories - 03-21-2019, 12:24 PM

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