RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 42
और गहरी नींद ने मुझे अपने आगोश में ले लिया....
सुबह मैं अपने रूटीन टाइम से उठ गया। आज बहुत फ्रेश लग रहा था । मन में एक ख्याल आया कि क्यों न सुबह सुबह परिधि कि नींद खराब कि जाए और मैं इसी इरादे से उसे फ़ोन लगा दिया.....
तिरिंग
परिधि..... उठ गए जानब ।
ये क्या, पहली घंटी भी पूरी नहीं हुई और ये कॉल पिक उप...
सब ठीक तो है न एक चिंता सा आभास
मैं.... परिधि प्लीज पहले ये बताओ कि इतनी सुबह क्यों जाग रही हो सब ठीक तो है वहा (घबराया सा आवाज़ में)
परिधि.... हँसते हुए, जी हाँ सब ठीक है ।
मैं..... तो इतनी सुबह 4 बजे तुम क्यों जग रही हो ।
परिधि....तुम जो सुबह उठते हो तो मैंने भी आदत डाल ली
अब मैं थोड़ा रिलैक्स होते हुए....
मैं..... तुम ने तो जान ही निकाल दी थी मेरी ।
परिधि.... और वो कैसे?
मैं.... वो ऐसे कि, जाओ मैं नहीं बताता ।
परिधि..... वैसे भी तुम मुझे कंहा कुछ बताते हो ।
मैं..........अब ये सुबह सुबह तुम क्या ले कर बैठ गायी, और मैडम जो बात आपको बताने वाली होती है सब बता देता हू ।
परिधि.... मतलब कल वाली बात बताने वाली नहीं थी ।
मैं.... कौन सी बात?
परिधि.... वो तो तुम्हारा दिल जनता है ।
मैं.... हाँ एक छोटी सी परेशानी थी पर प्लीज पूछना मत जब सोल्व हो जायेगी तो बता दूंगा ।
परिधि... बता देते तो मैं कुछ मदद कर देती ।
मैं... माना कि तुम स्मार्ट हो पर मुझे भी तो कुछ करने दो ।
चूटकी तो ले ली अब रिएक्शन भी देख लेता हू ।
परिधि.... मिल गयी कलेजे को ठंडक सुबह सुबह जो मुझे रुला रहे हो ।
मैं.... पड़ी ओ डियर पड़ी उफ्फ्फ्फ़! आप का ये गुस्सा होना ।
परिधि... जाओ मैं बात नहीं करती तुम तंग करते हो ।
मैं.... नहीं नहीं मैं तो बस....
बोलते बोलते बिच में ही ।
परिधि.... टाइम अप टाइम अप अब जाओ ग्रोउण्ड ।
मैं.... हाँ हाँ जाता हूँ वैसे भी जब तुम्हे मेरी बात ही नहीं सुन नी तो भला मैं क्यों बात करू ।
परिधि..... खिल-खिलकर हँसते हुए इतनी बेज्जती होने के बावजूद बात कर रहे हो अब जाओ ग्राउंड रात मैं बात करती हूण। बाई तब तक ।
उसकी बातों से मेरे चेहरे पर भी एक मुस्कान आ गयी और मैं इसी मुस्कान के साथ ग्राउंड चल दिया।
सूबह सुबह मैं ग्राउंड पहुंचा पर अब तक ऋषभ का कोई पता नहीं था । फिर मैंने अपनी रूटीन एक्सरसाइज कि पर आज जयादा दौड़ नहीं पाया पौन अभी भी सूजन थी।
सूबह के 5 : 30 हो रहे थे कि मुझे किरण नज़र आई ग्राउंड पर। लेकिन ये क्या किरण के साथ ये क्या का रही है ग्राउंड में?
रूही को देखते ही मुझे लास्ट टाइम बिताये सारे लम्हे ताज़ा हो गए और जबकि उसने बोल ही दिया था कि कोई कांटेक्ट मत रखना तो जैसे दूसरे लोग ग्राउंड पर है मेरे लिए वैसे ही रूही ।
मेरे पास किरण आते हुए...
किराण.... वेलकम टू चंडीगढ़ हीरो, गुड मोर्निंग।
मैने भी किरण को गुड मॉर्निंग विश किया और प्रैक्टिस के बारे मैं पूछने लागा । बातों ही बातों मैं पता चला कि दो दिन बाद पुलिस ग्राउंड मैं किरण कि फिजिकल टेस्ट है। किरण ने मुझे रोक कर अपनी प्रैक्टिस को जज करने के लिए बोली और चली गायी।
मैन जंहा खड़ा था उसके दो कदम पीछे रूही खड़ी थी, मेरी पीठ रूही कि ओरे थी और मैं बिना ध्यान दिए किरण कि प्रैक्टिस देख रहा था ।
मै किरण कि प्रैक्टिस देख रहा था तभी पीछे से आवाज आई
"बहुत आरोगेंट हो गए हो आज कल"
मै बात को अनसुना कर बस किरण कि प्रैक्टिस देख रहा था । तभी रूही बिलकुल मेरे सामने खड़ी हो गई ।
रूही.... मैं पागल नहीं जो अपने आप से बात कर रही हू ।
मैं... जी आपने मुझसे कुछ कहा मिस..
रूही... "तुम समझते क्या हो अपने आप को" और इतना बोलकर मेरे गले लग गयी और रोने लागी।
मैन तो बस हैरान रह गया साथ ही साथ बहुत अजीब भी लग रहा था क्योंकि ग्राउंड में वो मेरे गले लगी थी, हर एक आदमी हमें ही देख रहा था,मैंने रूही को अपने से अलग करते हुए.....
"ये क्या बचपना है"
रूही.... बचपना तो तुम कर रहे हो , तुम मुझसे बात क्यों नहीं करते ।
मैं.... किसने कहा कि मैं तुमसे बात नहीं करता ।
रूही...... तो जब मैने तुम्हे आवाज़ दी तो रेस्पोंड क्यों नहीं किए ।
मैं... तुमने किसी अररोगेंट को बुला रही थी जो मैं नहीं हू ।
रूही.... नाराज हो मुझपर (बड़ी मासूमियत से) ।
मुझे बहुत ही ज्यादा प्यार आ गया रूही कि बात पर मैंने अपने दोनों हांथों से उसके आंसू पोछते हुए...
मैं.... हाँ थोड़ा नाराज था पर अब बिलकुल भी नहीं ।
रूही.... मुझे मांफ करना मैं उस दिन बहुत बोल गायी, पर विस्वास मानो मुझे जादा भी अंदाजा नहीं था की....
ओर बोलते बोलते रूक गयी क्योंकि तबतक किरण वापस आ रही थी,
हालाँकि किरण ने भी हमें गले लगते देख चुकी थी लेकिन अब सारी बातें तो उसके सामने नहीं ही हो सकती थी।
किरण.... हँसते हुए ये क्या हो रहा था ग्राउंड पर तुम दोनों के बीच ।
मैं.... आप जैसा सोच रही है वैसा कुछ भी नहीं है ।
किरण..... हाँ हाँ हमें तो कुछ पता ही नहीं और गुनगुनाने लागि ।
आईसे भोले बनकर है बैठे
जैसे कोई बात नहीं ।
सब कुछ नज़र आ रहा है
दिन है ये रात नहीं
क्या है कुछ भी नहीं है अगर
होंठों पे है ख़ामोशी मगर
बातें कर रही हैन
बातें कर रही हैं नज़र चुपके चुपके.....
मै अब क्या रियेक्ट करू इस बात का मुझे समझ मैं ही नहीं आ रहा था तभी मेरी उलझनों को समझते हुए रूही...
"बहुत हुआ किरण अब तुम चुपचाप प्रैक्टिस करोगी"
किरण.... हाँ हाँ मेरा होना तो अब तुझे गवारा नहीं न जा रही हू ।
अब मेरा भी यंहा रुकना खतरे से खली नहीं और मैंने रूही को रेस्टोरेंट में मिलने को बोल चला आया ।
मै जल्दी से भागा इस खतरनाक माहौल से,ऐसा लग रहा था कि किरण अभी ही बोल पड़ेगी...
"कुबुल कर की तुम ही ने रूही का दिल चुराया है और तुम्हे सजाये प्यार दी जाती है"
खैर मैं जब वहा से निकला तो सोचा क्यों न ऋषभ के पास चला जाऊ । हालाँकि मैं ऋषभ के घर जाने से बहुत करता ता था और इसकी वजह थी उसकी जुड़वा बहन सैनी ।
हमारी पहली मुलाकात कुछ ऐसी थी कि सैनी नई एडमिशन थी हमारे क्लास में और मुझे मालूम नहीं था कि वो ऋषभ कि बहन है। इस से पहले वो अपने ननिहाल हरियाणा मैं रह कर पढ़ाई करती थी। ऐसा नहीं था कि मुझे पता नहीं था कि ऋषभ कि एक बहन है पर कभी भी देखा नहीं था ।
हुआ यूँ कि मैं स्कूल के गेट पर था और सैनी भी अंदर ही आ रही थी तो जल्दी जल्दी में मैं उस से टकरा गया। मेरी टक्कर से वो गिर गयी फिर क्या था लगी मुझे सुनाने ।
"लड़की देखि नहीं कि लगे लाइन मारने, छिछोरे, कमीने, बद्तमीज, अँधा है और पता नहीं क्या क्या"
।
अब मैं गेट पर देखा तो सरम से पानी पानी हो गया बहुत से स्कूल के स्टूडेंट, टीचर और स्टाफ जमा हो गए थे, और अपनी अलग ही इमेज थी स्कूल में।
फिर क्या था मैं भी भावनाओ मैं बह गया और बहुत जलील किया। मैं बहुत अपसेट हो गया इसलिए उस दिन स्कूल अटेंड नहीं की। और को-इंसिडेंट देखिये मुझे क्या सूझी और मैं इवनिंग टाइम मैं चला गया ऋषभ के घर । बेल्ल बजायी तो दरवाजा भी इसी ने खोला, और मुझे देखते ही.....
"तुम!मेरा पीछे मेरे घर तक चले आए, कंटिन्यू जो मन मैं आया वो बोलते चली गायी।
इस तरह से सैनी को बोलते देख उसके घर के लोग भी गेट पर आ गए और ऋषभ तो डंडा लेकर दौड़ा दौड़ा आया । जो अबतक मैं चुप था ऋषभ को यूँ देख कर....
"रूक क्यों गया मरता क्यों नहीं है डंडा"
मेरे इस तरह से बोलने पर सैनी ने मुझे हैरानी से देखा और ऋषभ ने मुझे अंदर बुला लिया। अंदर जब सबको पता चला तो सब हंस हंस कर लोट पॉट हो रहे थे लेकिन मेरा और सैनी का यंहा से कोल्ड वॉर शुरू हो चूका था जो अब तक चल रहा था ।
मै पहुंचा ऋषभ के घर बेल्ल बजायी। आंटी ने गेट खोला और......
"अरे राहुल बेटा तुम कब आए, आओ आओ अंदर आओ"
मैने आंटी से पुछा ऋषभ कंहा है तो पता चला कि वाक पर गया है। पर ये तो ग्राउंड पर मिला ही नहीं अच्छा बाद मैं पता करता हू । फिर मैंने सैनी के बारे में पुछा और "शैतान के बड़े मैं सोचा और शैतान हाजीर"।
"मा आज ये सुबह सुबह यंहा क्या कर रहा है आंटी ने घर से निकाल दिया कया"?
आंटी.... चुप कर बदमाश उसे कोई क्यों घर से निकलेगा? ल ले जा के चाय दे रहल को।
सैनी मेरे पास चाय लेकर आई और चाय देकर चली गायी।
कुछ देर इंतज़ार के बाद ऋषभ भी आ गया। फिर मैं चला गया उसके कमरे में। कल कि घटना से थोड़ा हल्का फील कर रहा था पर कहीं न कंही उसे ये बात खये जा रही थी ।
जब मैं उस से बात कर रहा था रेस्टोरेंट के बारे मैं तो मुझे रूही के साथ भी रेस्टोरेंट जाना याद आ गया और दिमाग का शैतान जग गया।
मै ऋषभ को बोला कि मैं जा रहा हूँ पर दिन मैं कंही मत जाना कॉल करके जंहा बुलाऊँ आ जाना ।
ऋषभ... पर तुझे अचानक हुआ क्या और ये दिन का क्या लफ़ड़ा है।
मैं.... मैं जा रहा हूँ मुझे अभी काम है तू दिन मैं मेरे बताये जगह पर मिल तू खुद समझ जाएगा ।
मै वहा से चला आया बस इस ख्याल से कि आज जो मैं तम्मना रेस्टोरेंट में करूँगा उस से उसको आज पता चल जायेगा की......
"किस आग में उसने हाँथ डाला है"............
कहानी जारी रहेगी......
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