RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 43
"किस आग में उसने हाँथ डाला है....
मैं एक नई एनर्जी के साथ घर पहुँच गया। हॉल में सिमरन मुझे नजर आयी मैं समझ गया की कल की बात पर क्लास लगनी है। इसलिए मैं आँख बचा कर उस से निकलने लगा लेकिन...
सिमरन.... बेटू पहले इधर आ फिर कंही जाना ।
मैं दीदी के पीछे गया और पीछे से गले लग गया.... ओह मेरी प्यारी दीदी कितना काम करती हो चलो आज मूवी चलते है।
सिमरन.... मुझे छोड़ पहले सामने बैठ ।
मैं चेयर पर बैठते हुए..... दीदी आप फाइनल इयर कम्पलीट करने के बाद क्या करने वाली हो?
सिमरन.... मुँह बंद और जो पूछती हूँ जवाव दे समझा.. ।
मैं बिना मुह खोले.... ह्म्म्म ।
सिमरन..... ये क्या नाटक है मैं कुछ बोल रही हू ।
मैं..... हम्म्म्म ।
सिमरन (ग़ुस्से में).... , अब बोलता क्यों नहीं ।
मैं... खुद ही तो कहा था मुंह बंद कर के बैठ ।
सिमरन...... शैतान रुक तू अभी , और उठ कर मारने के लिए आई ।
मैं..... अच्छा बैठ जाओ , अब परेशान नहीं करुँगा ।
सिमरन..... कल तू ड्रिंक कर के आया था ना ।
मैं...... ह्म्म्म ।
सिमरन...... देख बेतु ये सब अच्छी आदतें नहीं है। तू क्यों करता है ये सब ।
मैं..... दीदी वही तो मैं कह रहा हूँ अच्छी आदत नहीं है पर ये मेरी आदत थोड़े ही है न ।
सिमरन... फिर भी बेटू तू अपनी दीदी की बात नहीं मनेगा ।
मैं.... चलो ठीक है मैं नहीं करूँगा पर क्या कभी कभी?
सिमरन.... कभी भी नहीं , नहीं मतलब नहीं ।
मैं..... जो हुकुम मेरे आका नो मीन्स नो , पर यदि कभी बय चांस जरूरत पड़ी तो ।
सिमरन...... तो तू सब के लिए लेते आना हम सब भी कंपनी देंगे ।
मैं..... ठीक है अभी बता दो कितना लगने वाला है शाम को लेते आउन्गा ।
सिमरन..... रुक अभी बताती हु ।
हमारी कुछ देर यूँ ही बातें चलती रही वंहा से फिर माँ के पास गया कुछ देर उनके पास बैठने के बाद मैं चला फ्रेश होंने।
बाहुत दिन हो गए थे अपनी धूल से जमी किताबों को छुए तो आज सोचा क्यों न कुछ धूल साफ़ कर दी जाए । करीब 11बजे मैं अपने स्टडी रूम से बहार आया । हॉल में सुनैना बैठी थी और माँ से बातें कर रही थी।
मैं.... क्या चल रहा है आप दोनों में ।
सुनैना.... हमारी बातें छोड़, यंहा हूँ तो कंही ले जायेगा घूमने की नहीं ये बता ।
मैं.... ठीक है रेडी हो जा और दिया और दीदी को भी बोल दे । हम लोग पहले लंच करेंगे फिर वंहा से मूवी चलेंगे।
सुनैना.... तू मज़ाक तो नहीं कर रहा?
मैं..... हाँ , ना ले जाओ तो टाइम नहीं देते और बोलो चलने के लिए तो मज़ाक लगता है।
सुनैना.... ठीक है पर प्लान क्या है? प्लान तो बता कब निकलना है। ओए तू खो कंहा गया।
एक्चुअली जब सुनैना बोल रही थी तो मैं कुछ सोच रहा था...... १मिन रुक और चिल्लाते हुए...दीदि, दीदी ।
मेरी आवाज सुनकर दोनों सिमरन और दिया हॉल में पहुंचि ।
सिमरन.... क्या हुआ चिल्ला क्यों रहा है?
मैं.... सुनो आप सब का लंच आज बहार है आप सब मेरी कार से आ जाना मैं घर वाली कार ले के जा रहा हूँ और हाँ छोटी सोनल को भी ले लेना बहुत दिन हो गए मिले सोनल से हम लोग लंच के बाद मूवी भी चलेंगे।
सिमरन...... यूँ अचानक क्या सूझी जो तू ये लंच और मूवी का प्लान?
मैं...... सोचा सुनैना आयी है इसलिए ।
सिमरन.... तू सब जा मेरा मन नहीं है ।
दिया.... तो मैं भी नहीं जाउंगी ।
मैं.... क्या दीदी , नहीं चलना है?(बनावटी गुस्से से) ।
सिमरन..... ठीक है, पर तू जा कंहा रहा है ।
मैं.... मैं जा रहा हूँ कुछ और लोग को इनवाइट करना है तुम्हे फ़ोन कर के बता दूंगा किस रेस्टोरेंट में आना है आ जाना ।
सब फाइनल होने के बाद अब मैं घर से निकला और सीधे पहुंचा ऋषभ के घर चूँकि उसे आज बोला था कहीं नहीं जाने के लिए इसलिए मुझे पता था की ऋषभ मुझे घर पर ही मिलगा।
ऋषभ के घर पहुँच कर मैंने बेल बजायी, दरवाजा सैनी ने खोला ।
अंदर से आंटी की आवाज..... कौन है सैनी ।
सैनी.... कौन होगा तेरा बेटा घर पर है तो अपने निकम्मे दोस्तों को यंही बुला लिया है।
सैनी अभी भी दरवाजे पर खड़ी थी मैंने उसे "हट बे चुहिया" कह कर साइड कर दिया और हॉल में पहुँच गया। ऋषभ मुझे हॉल में ही मिल गया।
ऋषभ.... मैं तो तेरे ही फ़ोन का इंतज़ार कर रहा था ।
मैं..... वो सब छोड़ आज घर में सबको मूवी दिखाने का प्रोग्राम है तू 14 टिकट अर्रंगे कर ले । हैं तेरे पास काजल का नम्बर तो है न वो मुझे लिखा दे और सुन टिकट ले कर 2 बजे तक फ्री हो जाना मेरे कॉल आने पर बताये जगह पर आ जाना ।
ऋषभ..... मेरे बाप आदमी हूँ कोल्हू का बैल नहीं जो एक साथ इतने कम बता रहा है।
मैं.... तू न कामचोर हो गया है 1 ,2 काम क्या बता दिए तुझे लग रहा है की पहाड़ तोड़ने के बराबर है। बस जो बोला है वो कर ।
इतने में सैनी..... माँ देखो ये ऋषभ किसी लड़की का नम्बर राहुल को दे रहा है।
ऋषभ सैनी से..... तू अपना चोंच बंद नहीं रख साकती । और तू ये हमारी बात क्यों सुन रही है?
जब्तक आपसी विवाद चल रहा था सैनी और ऋषभ में तबतक आंटी भी पहुँच गायी ।
आंटी.... लल्ला (ऋषभ का नाम) ये क्या है तू ये सब क्या कर रहा है?
मैं..... क्या आंटी आप इस चुहिया की बात का ध्यान देते है मैं अपनी क्लासमेट काजल का नम्बर ले रहा था उसे लंच पर इनवाइट करने के लिये।
सैनी..... झूठ, झूठ माँ दोनों मिलकर उल्लू बना रहे है, ये दोनों कुछ तो खिचड़ी पका रहे है।
रीसभ..... माँ इसकी तो आदत है लड़ने भिड़ने की ऐसा कुछ भी नहीं है ।
आंटी.... तू सच कह रहा है न बेटा ।
क्या अजीब मुसीबत है मैं यंहा मेगा प्लान कर रहा हूँ और ये कामिनि आग लगाने में लगी है इसको तो मौका आने पर बतौँगा। खैर मामला अभी क्लोज करना होगा।
मैं.... आंटी सुनिये मेरे साथ सिमरन , दिया और उनकी भी कुछ फ्रेंड्स है कहो तो बात करवा दुं।
सैनी..... माँ ये झूठ बोल रहा है।
आंटी..... तू ज्यादा दिमाग मत लगा तुझे तो हमेशा से राहुल गलत लगता है। तुझे बहुत सनका है तो तू भी चली जा ।
अब ये क्या नाटक है खैर चलो ये भी अच्छा ही है जितने लोग होंगे उतना कामयाब प्लान ।
मैं..... तो ठीक है तय हो गया तू टिकट लेने के बाद सैन्य को पिक करके मेरे बातये रेस्टूरेंट में आ जाना ।
अब दिमाग ठनका ऋषभ का रेस्टोरेंट का नाम सुनकर , सब लोग होने की वजह से वो चुप रहा बस सही मौके की तलाश में ।
मैं फिर ऋषभ को सब समझा कर जैसे ही बहार आया मेरे पीछे पीछे ऋषभ भी बाहर आ गया और मुझे टोकते हुए.....
ऋषभ.... राहुल मुझे तुझ से कुछ बात करनी है ।
मैं..... जल्दी बता टाइम नहीं है मेरे पास ।
ऋषभ.... तू सबको तमन्ना रेस्टुरेंट में बुला रहा है न?
मैं हँसते हुए......... ज्यादा दिमाग मत लगा जैसा बोला है वैसा कर ।
ऋषभ.... मैं तो दिमाग नहीं लगाउंगा पर तेरे दिमाग में चल क्या रहा है?
मैं..... मिशन मन की शंति, अब तू कुछ मत पूछ बस जैसा कहा है वैसा कर ।
आपास में सहमति होने के बाद मैं निकला वंहा से और पहले कॉल लगाया कुणाल को....
कुणाल..... कौन बोल रहा है?
मैं.... तेरा बाप राहुल बोल रहा हु,नंबर भी नहीं पहचाना।
कुणाल.... मेरे बाप, पिता जी , ये तू अननोन नंबर से कॉल करेगा तो कैसे पहचानु ।
ओह शिट, ये काम भी रह गया, ये परिधि भी न सिम तोड़ने की क्या जरूरत थी, खैर इसे मैं बाद में देखता हू ।
मैं.... सुन भाई तू अपनी वाली को फ़ोन कर दे लंच और मूवी का प्लान है ।
कुणाल.... पर ये अचनाक ।
मैं..... सब अचानक ही होता है तू उसको बोल मैं उसके घर के पास कार लेकर खड़ा हू , आ जाए ।
कुणाल..... ठीक है भाई , मैं भी तैयार हूँ मुझे भी पिक कर लेना ।
मैं..... सुन बे ओए, तू तैयार है अच्छी बात है पर अभी वो मेरे साथ कंही और जाएगी, और जब मैं फ़ोन करूँगा तब तू मेरे बताये जगह पर आ जाना ।
कुणाल..... भाई, जान से मार दे लेकिन ऐसी बातें क्यों कर रहा है? भाई वो मेरी गर्लफ्रैंड है। तेरी भाभी है वो ।
मैं.... सुन बे छिछोरे जितना दिमाग है उतना ही लगा ज्यादा इस्तमाल मत कर और हाँ मैं जा रहा हूँ उसके घर के पास कम हो जानी चाहिए नहीं तो तूने जो चड्ढी की ऐड की है उसे मैं तेरे घर मैं बता ढुंगा ।
अब बोले तो क्या बोले सांप-छुछन्दर वाली कहावत है न उगलते बने न निगलते बने.....
बड़ा मायुस होकर..... काम हो जाएग, पर ये तू गलत कर रहा है। काम तो तेरा कर देता हूँ पर आज के बाद तुझे मैं अपनी जिंदगी से डिलीट करता हू ।
बक्त ख़तम और काम सुरू, अभी 12 बज रहे है मतलब मेरे पास बस 1 : 30 घंटे है और अब मैं सब अकेला नहीं कर सकता । यही सोचते हुए मैंने अब असीस को फ़ोन लगया। हम लोगों के बीच ये बंदा मैनेजिंग गुरु के नाम से फेमस है। कोई ऐसा लफरे वाला काम नहीं जो ये सोल्वे नहीं कर सकता।
आसीस..... हेललो ।
मैं..... राहुल बोल रहा हू ।
आसीस.... हाँ बोल भाई ।
मैं.... ध्यान से सुन, फिर मैंने उसे सारा प्लान बताया ।
आसीस.... मेरे लिए क्या आदेश है ।
मैं..... 50% मैंने कर दिया है, आगे अपने हिसाब से एडजस्ट कर के तमन्ना मैं टेबल बुक कर देना और हाँ सिंगल टेबल पर सब अरेंज होना चाहिए वो भी बिलकुल मिडिल में ।
आसीस.... मैं कोसिस करता हूँ, अब तू सब मुझ पर छोड़ दे तू अब टेंशन फ्री हो जा ।
मैं.... और हाँ भाई तू कुणाल को पिक कर लेना उसे मेरी किसी बात का सदमा लगा हुआ है अभी तो वो मेरा फ़ोन भी पिक नहीं करेंगा। और हाँ तू कुछ मत बताना प्लान के बारे में।
आसीस.... ठीक है तू जा मैं मैनेज कर लुंगा ।
अब मैं चला कुणाल की गर्लफ्रैंड अनन्या को पीक करने। जब मैं पहुंचा तो अनन्या पहले से मेरा इंतज़ार कर रही थी। पता नहीं कैसे मनाया कुणाल ने और कैसे मन गायी, मैं होता तो अबतक घर जाकर मार के आता ऐसा बोलने वाले को। मुझे ये सोच कर हंसी आ गायी।
खैर मैंने उसे पिक किया और रस्ते से काजल को फ़ोन लगया। काजल से मेरी बात हुई तो मैंने बता दिया की अनन्या आ रही है उसके घर (बोथ बेस्ट फ्रेंड)। दोनों तैयार होकर रहे फिर लंच और मूवी का प्लान बताया।
काजल को थोड़ा अजीब लगा मगर मान गायी। इस खेल में काजल का भी अपना ही रोले था क्योंकि ये हमारे ऐश आई की बेटी थी।
अब जब सब मैनेज हुआ तो अब मैं थोडा रिलैक्स फील करने लागा । अब मैंने रूही को फ़ोन लगया। रूही से मेरी बात हुए वो भी तैयार थी पर किरण भी उसके साथ आना चाहती थी। मैं समझ गया किरण क्यों आना चाहती है इसलिए मैंने भी इस बात पर तूल नहीं दिया और हाँ बोल दिया।
सब करते करते अब 12 : 30 हो चुके थे मैं रूही और किरण को पिक उप,करने चला गया। प्लान अपने फाइनल स्टेज में था और मैं परिधि के साथ अपने रिलेशन को भी आगे बढ़ने के फाइनल प्रोसेस मैं था ।
मै अपने काम को देख कर एक रोमांच मैं था पर पता नहीं कहीं न कहीं कुछ खाली खाली सा आभास हो रहा था । कुछ ऐसा जो जरूरी न हो कर भी जरूरी लग रही थी पर क्या ये पता नाहीन। खैर मैंने अब कंसन्ट्रेट किया रूही को पिक अप करने की।
जैसे जैसे मैं रूही की ओर बढ़ रहा था अंदर ही अंदर एक उलझन खाये जा रही थी। ऐसा लग रहा था की मेरी जिंदगी की एक अहम कदम और मैंने ये क्या कर दिया।
कहिं मैं अपनी ही फीलिंग के साथ मज़ाक तो नहीं कर रहा ।
आज जो भी मेरी और रूही के बीच होना है उसका जिम्मेदार भी तो मैं ही हू । यदि रूही को भी मुझसे प्यार हुआ तो , मैंने तो खुद ही परिधि को चुना बावजूद इसके कि मेरी चाहत रही है। मुझे ये क्या हो गया मैं दोनों को कैसे पसंद कर सकता हू ।
अब जो भी हो मैं सच का रास्ता चुना पसंद करूंग। अब मैं अपनी किस्मत का फैसला भगवन पर छोरता हू । आज मेरे और रूही के बीच जो भी होगा वो मुझे मंजूर होगा फिर चाहे मिझे परिधि को ही क्यों न भूलना पडे.......
कहानी जारी रहेगी......
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