RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 46
निलेश भाई.... तेरी खुश किस्मती की यंहा अभी मैं अपने फ्रेंड्स के साथ हूँ अभी अगर ये न होती तो तुम्हारे बदन से तुम्हारी चमड़ी अलग कर देता।
जब्तक इतनी बातें हुए तबतक नजदीकी थाने के इंचार्ज (ईसप) और उसके साथ ५,६ हवलदार भी पहुँच गए ।
पुलिस को देखते ही सबके चेहरे से हवाइयां उड़ने लगी उनके ही नहीं हमारे तरफ से भी। तभी इंस्पेक्टर ।
इंप..... काजल बेटी क्या बात है?
काजल.... अंकल पता नहीं पर देखो न हम सब फ्रेंड्स एंड फैमिली लंच करने आये थे और ये रेस्टूरेंट वाला बहुत बद्तमीजी कर रहा है।
इंतना सुना और आ गया इंस्पेक्टर अपने ताऊ मैं गरम के बोला....
"यहाँ का मैनेजर कौन है"
ओनर... मै हूँ ।
इंस्पेक्टर...तो तू इस रेस्टूरेंट का मैनेजर है ।
अब जब मामला इंस्पेक्टर ने संभाला तो मैंने मौका देख कर असीस को इशारा कर दिया, मेरा इशारा समझ कर तबतक उसने मीडिया को भी इन्फॉर्म कर दिया।।और इधर ।
ओनर.. नहीं मैं मैनेजर नहीं यंहा का ओनर हू ।
इंस्पेक्टर.... गरजते हुए, तू ओनर है तो बद्तमीजी करेंगा। अपने गुंडे लाकर इन्हें डरायेगा । देख इन लड़को को सब स्टूडेंट लगते है अगर यंहा ये न होती तो अबतक तो हमलोग जन आक्रोश का केस नोट कर रहे होते, बोलता क्यों नहीं बे ।
ओनर... नहीं सर ऐसी बात नहीं हैं वो कल ।
इंसपेक्टर.... ये कल परसो पर मत जा पहले हुआ क्या ये बाता ?
लो इतनी बात हुए तो अबतक मीडिया भी आ गायी, मीडिया को देख ।
"काजल बेटा तुमलोग जाओ बस दो लोग रुको"
फिर मैंने भी सहमति देकर ऋषभ को बोला ।
"ऋषभ तू सबको लेकर मल्टीप्लेक्स पहुच मैं और असीस आते है"
वैसे तो जाने का किसी का मन नहीं था लेकिन जब पुलिस थी तो उन्हें अब कोई डर नहीं था और ये मेरे लिए भी अच्छा था क्योंकि अगर बात फ़्लैश बैक मैं जाती तो सब भेद खुल जाता ।
सभी चल दिए मल्टीप्लेक्स की ओर और इधर मीडिया अपने काम में और इंसपेक्टर ।
इंसपेक्टर..... हाँ तो बता की क्या हुआ जो गुंडागर्दी पर उतर आए ।
ओनर.. . इसने मेरे स्टाफ को थप्पड़ मारा ।
इंस्पेक्टर.... तुझे पता है क्यों थप्पड़ मारा ?
ओनर... नही ।
इंस्पेक्टर.... तूने पूछा था क्या कारण है?
ओनर... नहीं ।
इंस्पेक्टर तो माँ********* तू मामला सुलझा रहा था की यंहा लेडिस के बिच मैं गुंडागर्दी दिखा रहा था ।
ओनर... वो सर, ये लोग ।
इंसपेक्टर.... चुप वे , हाँ तो कौन वीर है जो अपने फ्रेंड और फैमिली के साथ होते हुए भी थपड मारा है, इतना दिमाग नहीं की लेडीज रहे तो थोड़ा गम सह लेना चाहिए और बाद में जो कुछ भी गलत हो तो हमें इन्फॉर्म करना चहिये। बता कौन है तुम दोनों में से और क्यों किया?
मैं... सर मैंने किया ।
इंसपेक्टर ... नाम बता और काजल को कैसे जनता है ?
मैं.... सर मैं राहुल है और दोनों साथ मैं पढ़ते है ।
इंसपेक्टर, सुर बदलते हुए.... तुम ही राहुल हो जो चंडीगढ़ का नाम ऊँचा किया था 10 थ बोर्ड में राहुल मेरा बेटा भी तुम्हारे ही स्कूल मैं पढ़ा है, तुम्हारा तो वो फैन है, कभी आओ हमारे घर भी।
मैने नजरों से इशारा कर बताया की यंहा मीडिया है ।
इंस्पेक्टर... हाँ तो राहुल बताया नहीं क्यों मारा ।
मैं... सर मैंने जिसे मारा वो बड़ी गन्दी नजरों से घूर रहा था मेरे फ्रेंड्स को , फैमिली थी सर मैं शांत रहा, दो बार समझाया भी फिर भी वही हर्कतें। अब आप ही बताइए की मैं क्या करता?
इंस्पेक्टर.... कौन है बे , साला फैमिली के साथ तो ये रेस्टूरेंट रह ही नहीं गया आने के लायक, कौन है सामने क्यों नहीं आता ।
तभी वही वेटर सामने आया डरा और सहमा सा ।
इंस्पेक्टर...... चल थाने वंहा तू आँख दिखाना हम सब को और तुम (ओनर ओनर इंडीकेट करके) चल तू भी मामला बिना जाने गुंडागर्दी करता है।
अब आया पसीना सारे स्टाफ और कोओनर फिर बिच मैं बोलते हुए....
"सर रहने दीजिये इस वेटर को, क्योंकि ये अपने मालिक के सह पर ही इतनी हिम्मत दिखा रहा था वरना इनकी क्या औकात की मना करने के बावजूद ये वही गलती करे"।
इंसपेक्टर..... हाँ ये सही कहा चलो रे ले कर चलो इनके ओनर को और तुम दोनों भी आओ FIR रजिस्टर्ड करनी हैं इनके अगैंस्ट।
ओनर.... सर पहले ही बहुत तमासा हो चूका है मीडिया भी बुलवा ली है पर मुझे अरेस्ट करना ये सही नहीं है। आप समझ रहे है ना ।
इंस्पेक्टर. ठीक है आप इन लोगो से सब के सामने मांफी मांग लो, मैं केस अभी रहा दफा करवाया हू ।
पता नहीं उन दोनों के बीच मामला कितने मैं सेटल हुआ हो पर मुझे क्या करना था मुझे तो इस बात की ख़ुशी थी की ये कमीना मांफी मांगने वाला है। अब इंस्पेक्टर ने हम लोगो को समझाया की FIR न रजिस्टर करे वो ओनर मांफी मांग रहा है और इस बात से हमें भी कोई ऐतराज़ नहीं थी।।
ओनर.... "मैं बहुत शर्मिंदा हूँ मुझे मांफ कर दो"
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