RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 47
मैं. .. सर जी क्या कहना चाह रहे है समझ में नहीं आया ।
ओनर.... थोड़ा ज़ोर से मैं मांफी चाहता हूँ जो भी यंहा हुआ। प्लीज मुझे मांफ करो, और अपने स्टाफ को बोलै की सर से बिल मत ले ।
मीडिया वाले माफी नामा सुनकर जा चुके थे और इंस्पेक्टर साहब हमें भी अब जाने को बोल रहे थे लेकिन मैं 1 मिन बोलकर वापस आया और ओनर से....
"बड़ी जल्दी मांफी मांग लिए ख़ैर", फिर मैंने बिल पूछा और उनको पूरा पैसा टिप के साथ उस ओनर को दिया और "तु मालिक है न तुझे तो नौकरों से जायदा देना पड़ेगा इसलिये 1000₹ टिप तेरे लिये"।
ओनर ने बहुत गंदे से घूरा जैसे निचे से उसकी चड्ढी खींच दी हो और ये एक्सप्रेशन मेरे और असीस के लिए बहुत आनंदमय था दोनों देखते ही हंस पड़े ।
खैर प्लान १०० नहीं न सही पर उस से कम भी नहीं सक्सेस हुआ था । हमारा प्लान ही यही था की बहुत सारे लोग और इस रेस्टूरेंट के ओनर की बेज्जती।
बहुत ही सुकून मिला, ऐसा लगा की मैंने अपने लिए कुछ किया। हम दोनों चल दिए अब मल्टीप्लेक्स की ओर । सबको पिक्। दिखाई और लौटे अपने अपने घर ।
मीडिया कवरेज भी लगातार तमन्ना रेस्टूरेंट की न्यूज़ फ़्लैश किये थे जो हम अपने अपने घर की टीवी पर इंजॉय कर रहे थे।
।
आज का दिन मेरे लिए बहुत ही अच्छा रहा जंहा एक ओर रूही ने मेरी जिंदगी मुझे वापस लौटा दी वही मैंने अपने दोस्त के बेज्जती का बदला ले लिया। पर प्यार तो अभी भी अधूरा था ।
अब मुझे क्या करना चहिये, फ़ोन पर बात करू , मैसेज करून नही, हाँ ये ठीक रहेग। यदि उसकी चाहत भी उतनी ही है जितनी मेरी तो कल मैं उसे अपने प्यार का इज़हार कर दूंग
।
मैन एक हसीं प्यार के अहसास के साथ अपने ही ख्याल मैं डूब गया। कल मुझे मेरा प्यार मिलने वाला है। अह्हह्ह्ह्ह! अजब सी धुन साँसों मैं बस गयी थी।
मेरा रोम-रोम एक अलग ही सुख की अनुभूति में डूबा चला जा रहा त। कल के ख्याल से ही एक गुदगुदी पुरे शारीर मैं दौर रही थी। आज रात मुझपर बहुत भारी पड़ने वाली थी क्योंकि परिधि ही परिधि मेरे ख्याल में थी....
कहानी जारी रहेगी....
|