mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
03-21-2019, 12:30 PM,
#52
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
मैं...... परी !!कहाँ चलना हैं?
परिधि .....वही शॉपिंमाल और कहाँ
मैं......एक बात पुछना चाह रहा था खैर जाने दो चलो
अपडेट 50
परिधि .....जान यूँ ना बात अधूरी छोड़ा करो,और किसी भी सवाल के लिए पूछने के लिए इजाजत लेने की क्या जरूरत हैं।अब ऐसा किया तो शोच लेना तुम मेरा रुद्र रूप देखोगें।
मैं......वाओ!! क्या तुम अभी मुझे अपना रुद्र रुप दिखा सकती हो।
एकदम से परिधि ने अपनी बालों को बिखरा ली,जीभ बहारऔर दोनों हाथों को बहार लाते हुये...(भरी आवाज मे) बता बता मुझे फिर कभी परी को परेसान करेगा? बताता क्यों नहीं।
इस तरह परी की हरकत देख कर मै हस पड़ा और मुझे हस्ता देख उसने अपने आप को ठीक किया और मेरे गाल पर एक किश करते हुये"love you Jaan" बस ऐसे ही हँसते रहा करो अच्छा लगता हैं।
परिधि की इस तरह अचानक किश करना,मैं तो बिलकुल ही फ्लैट हो गया।
"आज परी मैम लगता है मेरी जान ही निकाल देंगी,please एक बार और"

परिधि .....हटो तुम्हें तो बस चान्स चाहिए।तुम तो कोई भी मौका नहीं चूकते ,पहले बताव की क्या पूछ रहे थे?
मैं..... पहले चलो कहि जहां हम हो और वही फुरसत से बात करेंगे।
परिधि .....हटो जी !! बड़े आये अकेले मे चलने वाले,आज ज्यादा ही रोमांटिक लग रहे हो,इरादे तो नेक हैं ना?
"मुझे अच्छा नही लगा परिधि का यूँ बोलना मैं अपना मुँह बनाते हुये"
"गलती हो गई जो ऐसा बोला माफ़ करो और मॉल चलो"
परिधि.....क्या हुआ मेरा बच्चा नारज हैं।मैं तो मजाक कर रही थी plzz अब मूड ठीक करो अपना।
इतना बोल कर परिधि अपने दोनों बाहे मेरे गर्दन मै लपेटे और चेहरे को मेरे कंधे पर टिका कर बैठ गईं।
मैं.....मुझ पर से हटो परी मैं अभी ड्राइव कर रहा हूँ।
परिधि .....नही पहले मुझे एक किश चाहिए।
मैं...... तुम हटो या मैं कार से उत्तर जाऊ।
परिधि.....(थोड़े गुस्से मे)क्या मैं मज़ाक भी नही कर सकती। ठीक हैं जब मुझे तुम पर कोई हक़ ही नहीं हैं तो जो जी मे आये करो । तुम्हें क्या मैं जिऊ मरु
इतना बोल कर परी मुझसे अलग हो कर बैठ गईं, और कार मे बिलकुल शांति।मैं भी थोड़ा उखड़ा थ इसलिए परिधि को छोड़ दीया।कुछ ही छणो मे हम शोप्पिंगमाल के पास थे लेकिन हम दोनों ही शांत थे।
साथ-साथ चले माल के अंदर बिल्कुल ही शांति बनाये हुये मैं साइड से अपनी जान का एक झलक देखा बहुत ही प्यारी लग रही थी।इतना प्यारा रूप और ये शांति, मुझे अब परिधि का चुप रहना खटकने लगा। लेकिन फिर भी बनावटी गुस्से से ......
"कुछ बोलना हैं की हम कहाँ चल रहें हैं या यूँ ही आये हम यहाँ"
परिधि कुछ ना बोली केवल चुपचाप चलती रही, मुझे अब उसका चुप रहना बर्दास्त नहीं हो पा रहा था। इसलिए मै बिल्कुल उसके सामने आया और चिपक गया उससे।
मैं उसे अपनी बाहों मे भर लिया इस तरह अचानक मेरे गले लगने से वो चौक गईं।उसने पुरे माहोल का जायजा लिया और मुझे अपने से अलग करने की नाकामयाब कोसिस करती रही।
जब परिधि मुझे हटाने मे नाकाम हो गईं तो मेरे कान मे बोली.... "plzz जान छोड़ो क्या कर रहे हो पब्लिक प्लेस हैं सब देख रहे हैं"
मैं...... नहीं मुझे किसी कि परवाह नही यदि किसी को परेसानी है तो अपना मुँह फेर कर चला जाये और मज़ा आता हैं तो देखें।
परिधि .....क्यों सता रहे हो,मुझे बहुत शर्म आ रही हैं,"हटो ना जान plezz"
मैं..... नहीं पहले तुम हँसो फिर मैं हट जाता हूँ।
परिधि.....हँसते हुये, छोडो बाबा देखों मैं हँस रही हूँ।
मैं उससे अलग हुआ तो परिधि हँसते हुये .....
"बहुत बदमाश हो पहले जली-कटि सुना कर घाव देते हों फिर मरहम भी लगते हों"
मैं..... तुम इस क़दर बोली की मुझे बुरा लग गया,अब क्या मैं नाराज़ भी नही हो सकता।
परिधि......हाय मेरी जान सदके जावा इस नराजगी पर।
परिधि की ऐसी बातों पर मै हसने लगा और अब चले हम पेट पूजा करने उससे पहले मैंने अपना फोन ऑन किया और मैंने अलिशा को मैसेज कर दिया क़ि.....
"Every things is fine मैं शाम तक लौट रहा हूँ"
हम रेस्तरां पहुँचे खाने का ऑर्डर किया और एक कोने वाली सीट पर अपना आसन जमा लिया।
परिधि......अब बता दिजिये सरकार की क्या पूछनेवाले थे।
मैं...... नही,मुझे तुम्हारे साथ कोई भी बॉडीगार्ड नजर नही आ रहें वाही जानना था।
परिधि ......मुझे अब अपनी पर्सनल लाइफ भी जीनी थी इसलिये उनकी छुट्टी।
मैं.....और पुछ सकता हूँ की कैसी पर्सनल लाइफ।
परिधि .....उफ्फफ्फो,अब मै तुम्हारे साथ रहूँ और क्या क्या हुआ हमारे बीच उसे अपने घर वालों को डिटेल स्टोरी सुनने के लिए बॉडीगार्ड रखती अपने पास।
मैं...…लेकिन अंकल -ऑन्टी को सब पता चल गया तो?
परिधि .....उसकी चिंता मत करो आज ही बता दुँगी घर मे,अब इस पर कोई चर्चा नहीplezz चेंज टॉपिक।
मैं.....ok बाबा पर ये तो बताओ मेरे बारे मे जानने के बाद उनका रिएक्शन क्या रहेगा।
परिधि ....फ्यूचर का सोच कर तुम प्रेसेंट में क्यों परेसान हो रहे हो जो भी होगा डिटेल तुम्हें मिल जायेगी।
मैं...
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