RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
बस इतना बोला और वापस चल दिया अपने घर को। पीछे से बहुत आवाजें आती रही पर मेरे कान अब बंद हो चला था परिधि के शब्द सुनने के लिये।
अपडेट 52
मुझे परिधि की हर शरारत, हर नादानी मंजूर थी पर मुझे कभी ये गवारा नहीं की यूँ झूठ बोलकर अपने पापा के पैसे से मुझे इस तरह से गिफ्ट देण। मुझे तो ऐसा लग रहा था की मुझे अब से पलने की जिम्मेदारी परिधि ने उठा ली है जो कंही न कंही मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा रही थी।
मैन बहुत गुस्से से दिल्ली तो चंडीगढ़ रवाना हुआ। परिधि की ऐसी हरकत से जंहा मैं स्तब्ध था वंही घर जब पहुंचा तो मेरे घर मैं किसी शादी सा माहौल था। लोग आ रहे थे और हमें बधाइयां दे कर जा रहे थे। पता चला की आज पुरे दिन लोगो का आना जाना लगा रहा हमरे घर पर। अब चूँकि इतनी बड़ी ख़ुशी थी तो घर पर मेहमान नवाजी में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे सब।
घर लौट कर पूरा समय लोगों को रिसीव करने, थैंक्स बोलने और फ्यूचर प्लान बताने मैं गुजर गया। रात को मुझे नींद कंहा आने वाली थी बस इसी ख्याल से मैंने नींद की टेबलेट ली और सो गया।
सुबह रूटीन के हिसाब से नींद खुली 4 a.m और पहुँच गया मैं ग्राउंड लेकिन मेरा मन किसी भी काम में नहीं लग रहा था। ग्राउंड पर मैं और ऋषभ मिले। ऋषभ ने मुझे बधाइयां दी फिर मैंने ऋषभ के रिजल्ट के बारे मैं पूछ, उसे भी अच्छे मार्क्स मिले थे और उसे उम्मीद थी की अपने स्कूल मैं अंडर १०कि पोजीशन में होगा।
हम चले अपने रूटीन एक्सरसाइज किया पर मन तो कंही और ही था । करीब ५।३० बजे तक हमारे पास रूही भी पहुँच गयी। उसने मुझे बधाई दी और ऋषभ से उसके भी रिजल्ट के बारे मैं पूछा। तभी बीच मैं मैं टोकते हुए।।।
"रूही मेरा ही दोस्त है"
रुही।।।।। हाँ तुम्हारा ही दोस्त है और मैं भी,पर दोस्तों पार्टी तो बनती है
ऋषभ।।।।।।। कब और कंहा चाहिए आप इन्फॉर्म कर देना मेरी तरफ से डन।
रुही।।।।।। मैं राहुल को बता दूँगी, ठीक बॉय
इतना बोलकर रूही चली गयी तभी ऋषभ ने कल के बारे में पूछ्ने लगा
में।।।।।। यार कल नीरज भैया के पास था दिल्ली शाम को लौटा हूँ।
ऋषभ।।।।।। भाई ठीक किया जो तू कल अड्डे पर नहीं था
में।।।।। क्यों क्या हुआ?
ऋषभ।।।।।। कुछ नहीं भाई वो तमन्ना वाले ने कुछ लोग भेजे थे हमें पिटवाने के लिये, यार उसका रेस्टोरेंट की बहुत बदनामी हुए न परसो उसी की खुन्नस निकलने।
में।।।।।। यार लगता है जयादा हो गया है चल आज चल कर कोम्प्रोमाईज़ कर लेते है नहीं तो फालतू के पचड़े मैं पड़ेंगे।
ऋषभ।।।।।। हाँ यार मैं भी यही सोच रहा था। ठीक है तो चलते है ४p.mके आस-पास
में।।।।। ओके बोल, और ऋषभ वंहा से चला गया। में वंही ग्राउंड में सीढ़ियों पर बैठ गया और कल के बारे में सोचने लाग। हाँ थोड़ा मायूस जरूर था पर दिल तो दिल है जुदाई का भी गम था, बहुत प्यार जो करता हूँ मैं अपनी परिधि से।
कुछ देर में यूँ ही चारो तरफ देखता रहा और सोचता रहा, की रूही मेरे बगल में आकर बैठी और मेरे कंधे पर हाँथ रखते हुए।।।
रुही।।।।।।।।। लगता है फिर आज तुम मेरे ख्यालों मैं खोए हो क्या?
न चाहते हुए भी मैं झूठी हँसी हँसते हुए
"अब तुमने तो मन कर दिया मेरा प्रपोएसल, पर तुम जैसी हसीना को कोई कैसे न अपना बनाना चाहि"
रुही।।।।। ओह हो! । हम तो यूँ ही मना करते है पर ये तो तुम्हारा काम है हमें न से हाँ मैं इक़रार करवाना।
में।।।।।। ओह अब बर्दास्त नहीं होगा मेरे अरमान मेरे काबू मैं नहीं है अब मैं फिर से
रुही।।।।।।। रहने दे रहने दे नौटंकी सब चेहरे पर लिखा है, अब कितनी नौटंकी करेगा बात क्या है जो उदास हो।
में।।।।।। कुछ भी तो नहीं बस यूँ ही बीती बातों को याद कर रहा था।
रुही।।।।। बता न कौन है जिसके बारे मैं सोच रहा है।
में।।।।। तुम ही मेरी जानेमन जिसके ख्यालों में मैं डूबा था।
रुही।।।।।। चल चल हवा आने दे, तुम्हें मालूम है लड़कियों की क्या खास बात होती है उसे पता होता है की किसकी नजर कंहा (अपने क्लीवेज की तरफ इशारा करते हुए) और कैसी है। इसलिए झूट छोड और सच बतओ।
में।।।।।।। हाँ बात तो तुम्हारी सही है की मैं तुम्हारे बारे में नहीं सोच रहा था बस यूँ ही।।।।।।। अब चलो
रुही।।।।।। कहाँ
में।।।।।।। क्यों क्या हुआ विश्वास नहीं है क्य, चलो तो पह्ले
रुहि ने मुझे आश्चर्य से देखते हुए चल दी मेरे साथ्। हम दोनों ग्राउंड के बाहर आये और मैं अपनी बाइक लेकर उसके सामने खड़ी की। बाइक देख कर रूही।।।।।।
रुही।।।।। क्या बाइक से हम जाएंगे
में।।।।।। (चिढ़ते हुए) यार तुम्हें हो क्या गया है हर बात पर टोक रही हो।[url=https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=8728&start=385#top][/url]
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