RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
रुही।।।।। क्या बाइक से हम जाएंगे
में।।।।।। (चिढ़ते हुए) यार तुम्हें हो क्या गया है हर बात पर टोक रही हो।
अपडेट 53
रुही।।।।।। ठीक है ठीक है पर ब्रेक ठीक से लगाना मज़े मत लेने लगना।
में।।।।।।।। लो महारानी ये चाबी लो तुम ही चलाओ ब्रेक भी लगाना और मेरे मज़े लेना।
रुही।।।।।।।। राहुल हुआ क्या है आज इतने भन्नाये क्यों हो बताओ तो हो सकता है मैं कुछ हल ढूंढ़ने मैं मदद करू।
में।।।।।।। सॉरी यार पता नहीं हो क्या गया है मैं इतना चिरचिरा क्यों हो गया हू, पर तुम चलो गी भि
रुही।।।।। चलो
फिर मैं रूही के साथ उसी के घर की तरफ चलने लगा
रुही।।।।।। क्या राहुल तुम तो घर की तरफ जा रहे हो।
में।।।।।। हाँ इतनी सुबह तुम्हें क्या लगा मैं किसी रेस्टूरेंट में ले कर जाऊंगा
रुही।।।।।।। बुद्धू, मैं अपनी स्कूटी पार्किंग में ही छोर आई हूँ अब तुम मुझे घर ड्राप कर डोज तो मैं स्कूटी कैसे लौंगइ।
में।।।।।। ओह्ह्ह! ये आज कल क्या हो रहा है।
रुही।।।।।। चलो कोई बात नही, मुझे पहले चाय पिलाओ फिर चलते है वापस ग्राउंड।
फिर हम दोनों ने चाय पि और वापस ग्राउंड लौट। ग्राउंड पहुँच कर रुही।।।।
"देखो अगर तुम चाहो तो शेयर कर सकते हो की आखिर बात क्या है या फिर कम से कम कंसन्ट्रेट करो ताकि तुम्हारा मंन एब्सेंस न रहे"
मैन रूही की बात को टालते हुए।।।।
"रूही मुझे लगता है तुम सही कहती हो बात यूँ तो कुछ खास नहीं है पर मुझे लगता है की खुद पर कंट्रोल करना सीखना पडेगा। थैंक्स फॉर बेस्ट सजेशन"।
फिर रूही वंहा से अपने घर और मैं अपने। अबतक ९a.m हो चुके थे। वाकई दिल किसी काम मैं नहीं लग रहा था, घर पर इस समय कोई नहीं था मिनल स्कूल के लिए तैयार हो रही थी और अलीशा अबतक कॉलेज जा चुकी थी। मैं भी चला गया फ्रेश होणे।
मैन फ्रेश होकर अपने रूम में ही बैठा बस परिधि के बारे मैं सोच रहा था। दिल तो बहुत कर रहा था उस से बात करने का पर अन्तर आत्मा इस बात की गावहि नहीं दे रहा था।
इतने में मिनल मेरे पास आती दिखी और आते ही।।।।
"भाइया मैं देख रही हूँ जब से आप दिल्ली से आये हो बड़े खोए खोए रहते हो आखिर बात क्या है"।
में।।।।।। (झुंझलाते हुए) तू सुबह सुबह मेरा दिमाग क्यों खा रही है काम बता न।
मिनल।।।।।। क्या भैया मुझे अच्छा नहीं लगता आप ऐसे अकेले रहते हो ऊपर से कुछ बोलो तो डांट देते हो। मैं देख रही हूँ कुछ दिनों से आपका व्यवहार बहुत बदला बदला है। लगता है उम्र बढ़ते बढ़ते हमारे लिए आप का प्यार घाटता जा रहा है।
में।।।।। सॉरी छोटी मैं जरा आवेश मैं था प्लीज अब तू ये इमोशनल अत्याचार बंद कर।
मिनल।।।। ठीक है, प्रिंसिपल सर का फ़ोन आया था आपको स्कूल बुलाया है।
में।।।। क्यों बुलाया है मुझे?
मिनल।।।।। मुझे क्या पता, तुम्हारा नम्बर नहीं लग रहा था तो मुझे फ़ोन किये थे।
में।।।।। ठीक है तू चल मैं आता हूं।
मिनल।।।।।। भैया एक बात पूछ सकती हूँ
में।।।।।। पूछ न तू कब से इतनी फॉर्मल हो गयी
मिनल।।।। भैया आप ये उदास रहते हो मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता। मेरा मन रोंने को करता है। आप plzz ऐसे मत रहा करो। कई दिन हो गए आप तो अब बैठ कर बात भी नहीं करते। ऐसे मत रहो भैया अच्छा नहीं लगता है।
मुझे बहुत अफ़सोस हुआ मिनल की इन बातों का और साथ में बुरा भी लग रहा था। मैंने अपनी गुड़िया के सर पर प्यार से हाँथ फेरते हुए।।।।
"तु तो बहुत सायानी हो गयी है चल चल कर नास्ता करते है"
फिर मैं और मिनल नास्ता करने बैठ जाते है। मिनल को मैं अपने हांथों से खिला रहा था की उसके आँखों में आंसू छलक आते है।
में।।।। अब तुझे क्या हुआ रो क्यों रही है।
मिनल।।।।।। बस आप इतने प्यार से खिला रहे है की दिल भर गया। आज आप पूरा दिन मेरे साथ ही रहेंगे मैं कुछ नहीं सुन ने वली।
में।।।।। ठीक है, अब ये तू रोने बंद कर और चुपचाप नास्ता कर।
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