RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
मिनल।।।।।। बस आप इतने प्यार से खिला रहे है की दिल भर गया। आज आप पूरा दिन मेरे साथ ही रहेंगे मैं कुछ नहीं सुन ने वली।
में।।।।। ठीक है, अब ये तू रोने बंद कर और चुपचाप नास्ता कर।
अपडेट 54
नास्ते के बद मैं घर वाली कार लेकर सोनल के घर पहुंच। सोनल के घर पर उसकी माँ मिली वो मुझे बधाइयां देने लगी। सोनल को उसके घर से लेकर हम स्कूल पहुंचे।
स्कूल पहुँच कर मैंने प्रिंसिपल सर से आशीर्वाद लिया और as it is, सारा स्कूल मुझ से मिलने और बधाइयां देने पहुँच गया। मिनल को ड्राप कर मैं पहले ऋषभ के घर पहुंच, बेल बजायी गेट आंटी ने खोळ।
कउनती।।।।।। अरे बेटा तुम इस समय आओ आओ अंदर आओ
मैन हॉल में आकर बैठ गया। हॉल मैं सैनी और उसकी कुछ फ्रेंड्स भी बैठी थी जिसे मैं नहीं जनता था। सैनी ने मुझे एक बार देखा और इग्नोर कर के बातें करती रही अपने दोस्तों के साथ्।
मैन कुछ देर इंतज़ार करने के बद।।।।। "ऑन्टी कब तक आएगा ऋषभ"
ऑन्टी।।।।।। बेटा फ़ोन कर ले न अभी ही निकला है पता नहीं कब तक आएग।
में।।।।।। आंटी कॉल करो न मेरे पास मोबाइल नहीं है।
ऑन्टी।।।।। सैनी बेटा ऋषभ को फ़ोन लगा कर राहुल की बात करवा दे।
सैनी ने अपने माँ को ok बोला और मेरे तरफ देखते हुए।।।। कॉल लगा दिया है बात कर लो।
मैने ऋषभ से बात की पूछ्ने पर पता चला की कंही बाहर है अभी १०मिन मैं आ जाएगा। कॉल कट कर के मैंने फ़ोन सैनी को वापस किया।
सैनी मेरा हाँथ पाकड कर एक साइड मैं ले जाते हुए..... क्या हुआ राहुल तुम्हें कंहा खोए हो
सैनी का ये पूछना मुझे बहुत अजीब लगा। मैं......"मुझे छोड तुझे क्या हुआ है जो आज ये तेरा बदला बदला रूप देखने मिल रहा है"।
सैनी।।।।। नहीं यार जब तू अच्छे मुड़ मैं होता है तो तुझे छेड़ने मैं मज़ा आता है पर ये आज हुआ क्या है इतना मुर्झाया क्यों है।
में।।।।। क्या तू भी फालतू की बकवास लेकर बैठ गयी ठीक ही तो हूँ में। क्या हुआ है मुझे
सैनी।।।।। जो भी बोल पर तुझे किसी बात का गम तो खाये जा रहा है।
यार ये हो क्या रहा है सुबह से ३ लोग टोक चुके है क्या सही में मेरा चेहरा आज बयां कर रहा है की मैं उदास हूँ। हाँ बात तो सही है पर उदास तो पहले भी था पर आज तक तो किसी ने नहीं टोंका। परिधि क्यों किया तुम ने ऐसा मैं बस तुम्हें पाकर ही पूरा जंहा पा लेता फिर ये क्यों किया?
मैन सोच ही रहा था की सैनी ने एक बार और मेरा हाँथ पकड़ा और अपनी फ्रेंड्स के बीच मैं बिठा दिया और सबको इंडीकेट करते हुए।।।।
"इनसे मिलो ये है चंडीगढ़ की जान। राहुल सिन्हा जिन्होंने बैक टू बैक १०th और १२th मैं टॉप रैंकिंग हासिल की है"
सभी लड़कियों ने एक एक करके बधाई दी तबतक ऋषभ भी आ गया। मैं फिर सब से पीछे छुरा कर पहुंचा ऋषभ के पास
ऋषभ।।।।। क्या हुआ भाई तू इतनी समय क्या बात है।
में।।।।।।।। कुछ नहीं यार, बस चल थोड़ा मैं अपना सिम निकलवा लू फिर एक मोबाइल लेकर चलेंगे अपना मैटर शार्ट आउट करने।
दोनो दोस्त फिर निकले वंहा से, पहले अपना सिम निकलवाया फिर जब हैंडसेट लेने गया तो रुक गया। ख्याल आया की यदि मोबाइल मेरे पास हुआ तो हो सकता है की दिल के हांथों मजबूर होकर परिधि को फ़ोन न कर दूँ बस ये सोचते हुए मैंने हैंडसेट नहीं लिया। जबकि बार बार ऋषभ मुझे फोर्स करता रहा फ़ोन लेने के लिये।
खैर मुझे अब तमन्ना का मैटर शार्ट आउट करके मिनल को लेने उसके स्कूल भी जाना था इसलिए ऋषभ को बोलकर कुनल और असीस को भी वंही बुला लिया। अब हम सब एक बार फिर इकठ्ठा हुए तमन्ना में। ओनर सामने ही था।
में।।।।। अंकल आप बाहर आएंगे आप से कुछ बात करनी हैं
ओनर।।।।।। चलो मेरे केबिन में।
हम सब फिर चले ओनर के पीछे उसके साथ केबिन में।
ओनर।।।।।। हाँ तो बताओ क्या बात है।
में।।।।।।। देखिये अंकल बात आगे बढ़ने से अब कोई फायदा नहीं है। इसलिए पुरानी बातों को भूलते हुए एक दूसरे को भूल जाते है।
ओनर।।।।।। क्या भूल जाने के लिए कह रहे हो मीडिया के सामने जो मेरे रस्टूरेंट की रेपो ख़राब हुए है उसे भूल जाने को बोल रहे हो। तुम सोच भी नहीं सकते की मैं क्या हाल करने वाला हूँ तुम लोगों का।
में।।।।।।।। देखिये अंकल जंहा तक कुछ बिगार्ने की बात है तो आप कुछ न हमारा उखाड़ पाएँगे। अबतक तो हमने बहुत प्यार से बदला लिया है यदि अपनी पर उत्तर आये तो भगवान मालिक है आपका।
वइसे अगर देखा जाय तो काम बड़ी गलती नहीं थी आपकी। जिस तरह से आपने इन्हे चड्डी में कर दिया उसके मुकाबले तो कुछ भी नहीन । वैसे भी हम सब स्टूडेंट है। फिर भी आपको यदि लगता है की हमने गलती की है तो हमें मांफ कीजिये और मैटर क्लोज कीजिये।
ओनर।।।।। सायद तुम ठीक कहते हो मुझे भी अब इस बात को भूल जाना चहिये। ओके बच्चों अच्छा लगा मिलकर। आते रहना अच्छा लगेगा।
चारो निकले वंहा से फिर अपने अपने रास्ते। मैं मिनल को लेने उसके स्कूल पहुंच। आज पूरा दिन मैं मिनल और सोनल के साथ रह। थोड़ा अच्छा मेहसूस करता था मैं जब भी मिनल के पास होता।
परिधि के बिना अब दिन कैसे बीत रहे थे मेरा दिल ही जनता है पर एक बात तो ये अच्छी हुए की मैं धीरे धीरे अपनी उदासी छिपाने और झूठी हँसी हॅसने मैं भी माहिर होता चला जा रहा था।
बिना किसी कांटेक्ट के ५ दिन बीत चुके थे और समय के साथ परिधि के प्रति मेरा प्यार और भी गहरा होता जा रहा था मैं कैसे उसके बिना जी रहा था मेरा दिल ही जानता है और परिधि की हालत की तो मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था। मुझे कभी कभी ऐसा लगता की परिधि अभी मेरे पास आएगी और मेरे गले लग कर चूमने लगेगी।
बस कुछ यदि था मेरे और परिधि के बीच मैं तो वो बस मेरा ईगो था मुझे मेरी जान से मिलने से रोक रहा था। मैं अब रोज रात को नींद की टेबलेट लेने लगा था क्योंकि दिन तो किसी तरह गुजर ही जाती थी पर रात नहीं कटती।
तबलेट का असर कुछ ऐसा था की आज कल कोई रूटीन फॉलो नहीं कर पा रहा था। ८a.m नींद ही खुलतीं थी।
६ दिन जुदाई के काटने के बाद ऐसी ही एक सुबह जब मैं देर तक सोया रहा यही कोई ९ बजे तक्।।।।।।।।।।।।
|