mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
03-21-2019, 12:31 PM,
#57
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
६ दिन जुदाई के काटने के बाद ऐसी ही एक सुबह जब मैं देर तक सोया रहा यही कोई ९ बजे तक्।।।।।।।।।।।।
मेरे सर पर किसी ने बड़े प्यार से हाँथ फेरा मैंने धीरे से आँख खोला ऐसा लगा परिधि सर के पास बैठी थी।
"जान तुमने ऐसा क्यों किया कितना तड़प रहा हूँ में, मैं अंदर ही अंदर मर रहा हूँ प्लीज मैं नाराज हूँ तो
क्या हुआ, तुम तो बात कर सकती थी ना"। 
"भइयां, भैया आँखें खोलो" दरवाजे से मिनल आवाजें लगा रही थी। मैंने जैसे ही अपनी आँखें खोली मैं झटके से
बिस्तर से नीचे खड़ा हो गया",
मिनल।।।।।।। क्या भैया ऐसे चोंक क्यों रहे हो।
मैं।।।।। परिधि यंहा क्या कर रही है और कब आयी?
मिनल।।।। फ्रेश हो कर हॉल मैं आओ सब पता चल जाएगा
इतना बोलकर मिनल और परिधि मुस्कुराते हुए निकल गयी मेरे कमरे से और मैं चला फ्रेश होने के लिये।
आज मेरे दिल खुश हो गया। बिरह की तपती आग के बाद आज जैसे सावन की बरसात का आनंद मिला हो। जैसे तपती रेत में कई दिन चलने के बाद झरने का आनंद मिला हो। मैं खुश तो बहुत था अपनी जान को देखने के बाद पर नराजगी भी कम न थी।
परिधि की हरकत मुझे उसके प्रति मेरा प्यार जताने से रोक रही थी। मैं तैयार होकर हॉल मैं आया वंहा पर सब बैठे थे। मैं बिलकुल नार्मल होकर।।।।।
में।।।। परिधि कब आयी?
पापा।।।।।। ये आज सुबह ही पहुंची है मोहित जी के साथ और अगले ३ साल यंही रहने वाली है पता नहीं अब ये क्या नाटक है और ये लड़की अब कौन सा नया गुल खिलने वाली है।
मैं।।। पापा मोहित अंकल कंहा है और ये तीन साल मैं कुछ समझा नहीं
पापा।।।।। मोहित जी तो वापस लौट गए और रही बात परिधि बेटी की तो तुझे पता चल जायेगी तब तक सस्पेंस मैं तू रह।
मैं।।।।। कोई बात नहीं यदि न बताना हो तो मैं पूछ्ने वाला भी नहीं और हाँ बड़ा शुभ कदम होता है परिधि का
देखिये गा कंही कोई आलीशान बंगला न प्राइज में आपको मिल जाय।
एक वयंग जो मैंने परिधि के लिए कहा जिसे उसे ये अह्सास हो की भूला नहीं मैं कुछ भी वो तो घर के लोग है इसलिए
मै नोर्मल्ली बातें कर रहा हूं।
मिनल।।।।।। भैया आज कंही घुमने चलो न देखो परिधि भी आई है 
मैं।।।।। नहीं छोटी मुझे आज जरा काम है मैं नहीं जा सकता
अलिसा।।।।। चल बेटू कितना भाव खाता है मैं सोच रही थी की मैं भी तुम लोगो के साथ चल दू। आज मेरा भी मूढ़ हो रहा है कंही घुमने क
मैं।।।। कभी और चलो न दीदी आज मन नहीं है कंही जाने का
अलिसा।।।।।।।। ठीक है बेटू मत ले जा वैसे भी तुम्हें हम लोगों से क्या मतलब।
मैं।।।।।। ये ठीक नहीं है दी, तुमहारा ये इमोशनली ब्लैकमैल, अच्छा ठीक है बता देना कब चलना है
फिर हम सब नास्ता करने लगे पर रह रह कर मेरे ध्यान परिधि पर ही जा रही थी। बता नहीं सकता कितना सुकून मिला मैं आज। मैं खाते हुए चुपके से परिधि को ही देख रहा था और जब हमारी नजरें मिलती तो मैं ऐसा रियेक्ट करता मानो मेरी चोरी पकड़ी गयी हो और परिधि एक हलकी सी स्माइल देती।
मै जल्दी से नास्ता कर के अपने कमरे में चला गया। पता नहीं कुछ देर और होता तो क्या हो जाता। मन में ग़ुस्सा और दिल में बेसुमार प्यार अजिब कस्मकस में फंसा था। एक तरफ दिल मैं इस बात की ख़ुशी थी की वो मेरे प्यार की वजह से मेरे घर तक आई तो दूसरी तरफ मन ये कह रहा था की नहीं बहुत गलत किया परिधि ने। मै परिधि को तो सजा दे ही रहा था पर साथ साथ खुद को भी उसी आग से जला रहा था। मैं बस विडंबनाओ के बीच कबसे बिस्तार पर लेटा था की परिधि मेरे रूम मैं आई हुई जान प्ल्ज़ अब मांफ कर दो मुझे।
पल्ज़ प्ल्ज़ प्लज़।।।
क्या बताऊँ बहुत प्यारी लग रही थी। उसका वो मासूम चेहरा और यूँ मासुमियत के साथ बोलना उफ्फ्फफ्फ्फ़! मेरे तो कलेजे पर जैसे चाकू चल रहे हो परिधि के उन अल्फाजों का और मैं कट ते हुए चला जा रहा हूं। मैं थोड़ा खुद को नोर्मल करते हुए और बेरुख़ी के साथ
मैं।।।।।। सुनो मैं तुम से मांफी माँगता हूँ प्ल्ज़ यंहा से जाओ मैं तुमसे अभी कोई बात।।।।।।।।।। इतना ही बोल पाया था की परिधि मेरे बिस्तर पर मेरे ऊपर गिर जाती है और मेरे चेहरे को अपने हांथो मैं लेकर बेहतास
चूमने लगती है। उसका मेरे प्रति यूँ प्यार जताना साफ कर रहा था की वो भी मेरे बिना कितना तड़पी है पिछले कुछ दिनो
मैं। फिर भी मैं अपनी भावनाओ को काबू मैं करते हुए परिधि से २ बार बोला "हट जाओ हट जाओ"।
लेकिन जैसे परिधि को मेरी कोई भी बात सुनाइ न दे रही हो वो लगातार मेरे चेहरे को चूमे जा रही थी। जब मेरी बातो
का उसपर कोई असर न हुआ तो मैंने उसे झटक दिया औऱ।।।।।।।।
"अब और तुम्हारी नाटक बिलकुल भी नहीं चहिये। अरे तुम क्या किसी से प्यार करोगी जब की तुम्हें ये भी पता नहीं की प्यार का बदले प्यार देते है भिख नहीं"।
इतना बोल मैं निकल गया घर से। पीछे परिधि का क्या रिएक्शन था वो भी न देख। मैं चाह कर भी नहीं भुला पा
रहा था की कैसे मुझे परिधि ने कार दिया। घर से तो निकल आया पर १० बजे सुबह कंहा जाऊं। घूमते घूमते मैं
किरन के घर पहुँच गया।
किरन।।।।।।आओ राहुल अच्छा हुआ मिल गै। मैं तो खुद तुम्हें की दिनों से ट्राई कर रही थी फ़ोन करने का पता नहीं 
तुम्हारा फ़ोन हमेसा ऑफ ही आ रहा था।
मैं।।।।।। तो सिलेक्शन हो गया मैडम का अब तो आप इंस्पेक्टर किरन हो गयी यही ना।
किरन।।।।। इकजीतली, और इसका श्रेय तुम्हें भी जाता है। तुम न होते तो सायद मैं फिजिकल टेस्ट मैं फ़ैल हो जाती।
मैं।।।।।। मैडम जी खाली थैंक्स से काम नहीं चलने वाला है आप को तो इनाम देनि होगी।
किरन।।।।। जो तुम चाहो
मैं।।।। ठीक है जब आप ट्रेनिंग से लौट कर ज्वाइन कर लेंगी और सैलरी पाने लगेंगी तब मैं मांग लूंगा तबतक उधर रह।
किरन।।।।। ठीक है पर यूँ ही बाहर खड़े रहोगे या अंदर भी आओगे।
मैं।।।।।।। नहीं मैं अब चलता हू। बस आप के ही बारे में जान ने आया था वो तो हो गया।
इतने में रूही।।।।। अरे ऐसे कैसे हो गया साब इस तरह गेट पर खड़े होकर बातें की और चले गए ऐसा थोड़े ही ना होता है।
मैं।।।।। जाने दो काम है कुछ, वो तो इस तरफ से गुजर रहा था तो सोचा की किरन से मिलता चलूं।
रुही।।।। अरे वाह! ऐसे कैसे केवल किरन से मिलकर चले गए पहले तो यंहा से जाना नहीं चाहते थे और आज गेट से ही चले ।
मैं।।।।।। तुम भी न कहाँ की बात कहाँ ले आती हो सच में काम है मैं बाद मैं आता हूँ न।
रुही।।।।।। ठीक है पर मिलना जरूर
मै ठीक है बोलकर निकला वंहा से। मुझे भी पता नही, मैं क्यों गया किरन के घर खैर किसी तरह निकल तो आया।
जब प्यार आपका आपके आस-पास हो तो फिर कहाँ आप को कहीं और दिल लग सकता है। और वही हो रहा था मेरे साथ में था
तो घर के बाहर पर दिल घर में ही छोड आया था।
किरन के घर से निकल तो आया पर अब भी मैं अपने अहंकार मैं घर वापस नहीं जाना चाह रहा था। बस इसी ख्याल से पहूंचा अब मैं ऋषभ के घर। बेल्ल बजायी दरवाजा खुल।।
सैनी।।।।।। तुम, चले जाओ इस समय घर पर कोई नहीं है। ऋषभ और माँ दोनों मार्किट गए है।
मैन ठीक है बोलकर जाने लगा
सैनी।।।।।। हँसते हुए आ जाओ आ जाओ मैं मज़ाक़ कर रही थी।
मैं।।।।।। कोई बात नहीं मैं बाद मैं मिल लुँगा ऋषभ से
सैनी।।।।।। आ जाइये सर मैं भी अकेली बोर हो रही हूँ थोड़े गप्पे लड़ाते है।
मैं।।।।।। रहने दे सैनी वैसे भी मुझ से जयादा बातें बनती नहीं।
सैनी।।।।। यार कैसे लड़के हो एक अकेली लड़की घर मैं तुम्हें बुला रही है और तुम हो की जा रहे जो।
मैं।।।।। तू ऐसी छिछोरी बातें कहाँ से सिख गयी है तुझे शर्म नहीं आती मुझ से ऐसी बातें करते।
सैनी।।।।।।। हयययय! शर्म तो आती है पर क्या करू तुझे देख कर चली जाती है। अब अंदर आओ गे की मैं पकड़ कर ले अऊ पागल लड़की, पता नहीं इसके दिमाग मैं क्या चलते रहता है। यही सोचते मैं चला अंदर। अन्दर हॉल मैं हम दोनो बैठे।
सैनी।।।।। चाय लोगे या कोफ्फी
मैं।।।।।कॉफ़ी ले आओ
कुछ देर बाद सैनी दोनों के लिए कॉफ़ी लायी और साथ में बैठ कर कॉफ़ी पिने लगा।
सैनी।।।।।। राहुल यार तू मुझे अपनी गर्लफ्रैंड बना ले बहुत हैंडसमे है यार तु।
मैं।।।।। तू ऐसी पागल वाली बातें करेगी तो मैं जा रहा हूँ।
सैनी।।।।। इसमें पागल वाली कौन सी बात है तू मुझे अच्छा लगता है इसमें बुराई क्या है। तू भी सिंगल है और मैं भी सिंगल। वैसे भी यदि अफेयर भी होता तो भी तेरे हाँ पर मैं अभी ब्रेकअप कर देती।
मैं।।।।। ये तुझे हुआ क्या है। ऐसी बहकी बहकी बातें क्यों कर रही है।
सैनी।।।।।। लो दिल की बात बतायी तो बेहकी बेहकी बातें हो गायी।
मैं।।।।। मेरी माँ मुझे बक्श दे मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं इस रिलेशन में। और तू मेरे दोस्त की सिस्टर है मैं तो सपने में न सोचूँ इस तरह की वाहयात बातें। सैनी खड़ी होकर अपने कमर को थोड़ा रोल करते हुए।।।।। देखो क्या मैं सुन्दर नही
मैं।।।।। तू बहुत सूंदर है पर बात समझ तू जो सोच रही है वो पॉसिबल ही नहीं है। 
सैनी।।।।।। क्या कमी है मुझमे बता न, या तू उन सब की तरह है जो गर्लफ्रैंड बनाते है केवल अपने फिजिकल रिलेशन के लिए और कयोंकी मैं तुम्हारे दोस्त की बहन हो इसलिए गड़बड़ के आसार देख तुम ये एक्सेप्ट नहीं कर रह।
मैं।।।।। तू क्या आज भांग वांग तो नहीं खायी है। क्या तुमने कभी देखा है मुझे किसी के साथ मैं तो ५ साल से तेरे ही साथ पढ़ रहा हूँ। प्लीज अब इस बारे में सोचना बंद करो।
सैनी।।।।।।। हयययय! यही तो तेरी कातिलाना अदाएँ है पता नहीं स्कूल में कितनी तुझ पे मरती है पर तू तो किसी को घास भी नहीं डालता।
मैं।।।।।।। देख सैन्य ये तुझे आज हुआ क्या है तुझे शायद मालूम नहीं लेकिन मुझे ऐसी बातें पसंद नहीं।
सैनी।।।।।।। मैं वो सब नहीं जानती मैंने अपने दिल की बात बता दी है फैसला तुम्हें करना है। इस से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारा जवाब क्या है मैं बस तुम्हें चाहती थी और चाहती रहुंगी।
मैं।।।।।। देख सैनी तू केवल मेरे दोस्त की बहन है बे। तुम से इतनी बात भी होती है तो वो भी केवल ऋषभ को लेकर नही तो मैं किसी से बात करने मैं भी इंटरेस्ट नहीं रखता। वैसे १ बात मैं क्लियर कर दूँ की मैं सिंगल नही
" i have a girlfriend"।
सैनी।।।। तो छछूंदर तुझे क्या लगा की मैं तेरे साथ कोई अफेयर चाहती हू। वो तो तू उस दिन इतना उदास था और तू अपनी बात टाल गया इसलिए इतना ड्रामा करना पङ गया।
मैं।।।।।।। अब तो तू जान गयी न अब हट मुझे जाने दे।
सैनी।।।।।। चल बे ऐसे कैसे जाने दुं। मुझे तेरे और काजल के बारे में पता है डिस्को की घटना बस उसी दिन से
जीज्ञासा है तेरे अफेयर के बारे में जानने की। रूही ही है न वो। बता न बता न।।।।।
मैं।।।।। नहीं मेरी Gf रूही नहीं है कोई और है।
सैनी।।।।।। चल झूट। उस दिन भी तू काजल को रूही से ही मिलवाने रेस्टूरेंट में लाया था और तेरी पूरी टोली मौजूद थी।वहां सब तुम दोनों की अफेयर की ही पार्टी चल रही थी न। सिर्फ मुझे नहीं मालूम था बांकी सबको मालूम थी।ये सब टीवी सीरियल का असर है कंहा कंहा से जोड़ कर कंही तैयार कर देती है ये लड़कियां।
मैं।।।।। हा हा ह, पागल तुझे कुछ नहीं पता है
"क्य नहीं पता है" ऋषभ ने पीछे से बोला
मैं।।।।।। उस दिन रेस्टूरेंट वाली घटना यार 
मै तो बिना सोचे बोल दिया पर ऋषभ के चेहरे से हवाइयां उड़ने लगी।
ऋषभ।।।।। तो तू उसे क्या बताने वाला था
मैं।।।।। कुछ नहीं यार बस यही की उस दिन की पार्टी रेण्डम प्लान थी जंहा एक के बाद एक लोग जुडते चले गए।
हम दोनों दोस्त कुछ समय वंही बिताये अभी ११ाम रहे द। घर के बाहर तो एक पल भी मन नहीं लग रहा था पर
टाईम पास करने के ईरादे से अब मैं पहुँचा सोनल के पास।
ऑन्टी अपना टीवी सीरियल एन्जॉय कर रही थी मैं बैठा आंटी के पास 
ऑन्टी।।।।। जा सोनल के पास मैं अभी सीरियल देख रही हूँ डिसट्रब मत कर। वैसे भी बहुत नाराज है तुझसे।
मैं।।।।। क्या हुआ आंटी बात क्या है।
ऑन्टी।।।।। अभी कल रात को ही रो रही थी बोल रही थी देखो न राहुल भैया को मैं इतनी परेसान हूँ और उनका मोबाइल भी नही लग रहा और घर पर भी नहीं मिलते।
मैं।।।।।। थोड़ी चिंता में क्या हुआ औंटी।
ऑन्टी।।।।। मुझे क्या पता बेटा तू खुद ही पूछ ले
क्या हुआ सोनल को कंही फिर किसी ने छेड-खानी तो नहीं कि। रो रही तू क्यों?
मै अपनी चिन्ताओ में कदम सोनल के रूम की ओर बढ़ने लगा।।।।।।।।
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RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी ) - by sexstories - 03-21-2019, 12:31 PM

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