RE: Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
धीरे धीरे शालिनी मेरे दिलो दिमाग पर छाती चली गई और मैं अक्सर उसके नाम की मुठ मारने लगा और कई बार अपनी बीवी को चोदते हुए शालिनी को चोदने का ख्याल मन में लाता और आँख मूंद कर उसे अपने हिसाब से तरह तरह से चोदता जैसे :
‘शालिनी मेरी जान… ये लो मेरा पूरा लंड’ यह सोच कर अपनी बीवी की ढीली ढाली नदिया सी बहती बुर में पूरे दम से धक्के मारता बदले में उसकी इंडिया गेट जैसी बुर में से छपाक छपाक फच फच की प्रतिध्वनि आती और मेरी अर्धांगिनी अपनी कमर उछाल उछाल के मनोयोग से मेरे लंड को प्रत्युत्तर देती.
‘स्वीटी बेटा, कितनी टाइट कसी हुई चूत है तेरी!’ मैं ऐसे सोचता हुआ मन ही मन शालिनी को चूमते हुए अपनी बीवी को चोदता और मेरी बीवी मेरी चुदाई से निहाल तृप्त हो उठती और मुझे चूम चूम के मुझ पे न्यौछावर हो जाती. अब उस बेचारी को क्या पता रहता कि मेरे मन में क्या क्या चलता रहता था और मेरी वो मर्दानगी किसकी खातिर थी.
ज़िन्दगी यूँ ही गुजर रही थी और मुझे कोई शिकायत या चाहत भी नहीं थी इससे ज्यादा क्योंकि मेरी गिनती अंकल टाइप के लोगों में होने लगी थी, हालांकि मेरी उमर उस समय कोई चवालीस पैंतालीस की ही रही होगी, दूसरी बात लड़की पटाने के लिए छिछोरों जैसी हरकतें करना मेरे स्वभाव में कभी नहीं रहा. तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि मेरी मान प्रतिष्ठा मोहल्ले में बहुत अच्छी थी अतः मैं किसी भी तरह की कोई भी रिस्क लेने के खिलाफ था या स्थिति में ही नहीं था तो मैं शालिनी का चक्षु चोदन करके और उसे ख्यालों में लाकर अपनी बीवी को चोद चोद कर या मुठ मार कर ही खुश था.
दिन यूं ही गुजरते रहे.
एक दिन की बात, मोहल्ले में एक लड़के की शादी हुई. रिसेप्शन की पार्टी में जाना पड़ा. वैसे मैं शादी ब्याह की पार्टियों में जाने से मैं बचता हूँ क्योंकि आजकल गिद्ध भोज का प्रचलन है. सैकड़ों की भीड़ में अपनी प्लेट लिये खाना ढूँढना और धक्के खाते खाते खाना खाना मुझे पसन्द नहीं आता. जहाँ तक संभव होता है मैं अपने बीवी बच्चों को ही भेज देता हूँ. हाँ, कोई अपना बेहद ख़ास हो तो
बात अलग है.
तो उस पार्टी में मैं गया, सबसे हाय हेलो के बाद मैंने खाना शुरू किया तभी मुझे शालिनी दिखी. वो किसी लड़की से बतियाती हुई खाना खा रही थी. शालिनी को मैंने ज्यादातर कान्वेंट स्कूल की ड्रेस में ही देखा था, वही घुटनों तक के सफ़ेद मोज़े, घुटनों से चार अंगुल ऊपर नीली सफ़ेद चौकड़ी वाली स्कर्ट और उसके ऊपर सफ़ेद शर्ट और गले में लाल टाई…
लेकिन आज वो स्काई ब्लू जींस और नारंगी टॉप पहने थी जिसमें से उसके मम्मों का चित्ताकर्षक उभार सभी के आकर्षण का केंद्र था. नितम्बों में कसी हुई जीन्स उसकी जाँघों का भूगोल बहुत खूबसूरती से दिखला रही थी.
मेरे मन ने उड़ान भरी और उसकी चूत के उभरे हुए त्रिभुज की कल्पना की.
मैं अपनी प्लेट लेकर एक तरफ कोने में खड़ा होकर खाने लगा जहाँ से शालिनी के रूप के दर्शन और उसका चक्षु चोदन भी साथ ही करता जा रहा था. फिर एक बार उसकी नज़र मुझसे मिली और उसने सिर झुका कर मेरा अभिवादन किया. मौके का फायदा उठाते हए मैंने भी उसके पास जाकर नमस्ते का जवाब दिया.
फिर हम लोग सामान्य बातें करने लगे. खाना खाते खाते बीच बीच में उसकी क्लीवेज का नजारा भी हो जाता था. उसके गले में पहनी हुई पतली सी सोने की चेन उसके मम्मों के बीच जाकर छुप गई थी.
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