RE: Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
फिर मैंने उसे बाहों में उठा लिया और बेडरूम में लेजाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर मैं चढ़ गया और उसके होंठ अपने होठों की गिरफ्त में ले लिये. फूल से कोमल कुंवारे होंठों का वो रस आज भी भूल नहीं पाता मैं…
बहुत देर तक मैं उसके ऊपर लेटा हुआ उसके दोनों मम्में अपनी मुट्ठियों में भर कर उसके अधरों का रसपान करता रहा, उसके गालों को चूमता चाटता काटता रहा और वो मेरे नीचे बेसुध सी पड़ी यौवन की इन प्रथम अनुभूतियों से परिचित होती रही, अपने अंग प्रत्यंग में हो रही सनसनी और उत्तेजना को वो आँखें मूंदे महसूस करती रही.
इधर मेरा लंड भी दम से खड़ा हो गया था और मुझे कपड़ों के नीचे से परेशान करने लगा था.
जब मैंने उसका कुर्ता उतारा तो उसने मामूली सा विरोध किया जैसे मुझे अपना विरोध जता दिया हो. कोई ख़ास प्रतिरोध नहीं किया.
ब्रा तो उसने पहनी ही नहीं थी. कमर से ऊपर उसका बदन नग्न हो चुका था. जैसे ही उसका कुर्ता उतरा, उसने अपने पैर एक के ऊपर एक रख के कस कर भींच लिए जैसे अपनी लाज के अंतिम आवरण को बचाये रखना चाहती हो.
उसके मम्मे ज्यादा बड़े नहीं थे यही कोई 28-30 साइज़ के रहे होंगे जो उसके बदन के हिसाब से बिल्कुल परफेक्ट थे. मुझे वैसे भी कमसिन छोरियों के छोटे छोटे बूब्स ही ज्यादा पसन्द हैं जिन्हें दोनों मुट्ठियों में भींच के धुआंधार चुदाई कर सकूं.
उसके मम्मे… लगता था जैसे दो मुलायम गुलाबी संतरे उग आये थे उसके सीने पर… किशमिश जैसे निप्पल और उनका घेरा हल्के भूरे से रंग का था.
मैंने बिना देर किये एक निप्पल अपने होठों में भर लिया और चूसने लगा और दूसरे वाले मम्मे से खेलने लगा.
स्तन चूसने और उन्हें मसलने उनसे खेलने का ऐसा आनन्द जीवन में मुझे इससे पहले कभी नहीं मिला था. मैं किसी अबोध शिशु की तरह उसके दूधों से लिपटा हुआ अमृत पान करता रहा और वो मेरे सिर को सहलाती हुई, बालों में उंगलियाँ पिरो कर कंघी करती हुई अपना स्नेह जताती रही.
बीच बीच में मैं उसके होंठ भी चूसता जाता और गाल भी चूमता काटता जाता. लड़की के होंठ, मम्में और लगभग सारा बदन ही किसी सिस्टम के तहत उसकी चूत से जुड़ा होता है. बदन पर कहीं भी प्यार करो, चूमो या सहलाओ लड़की की चूत इन अठखेलियों का स्वतः संज्ञान ले लेती है और गीली हो जाती है, लंड के स्वागत के लिए उसका प्रवेश सुगम बनाने के लिए रस का सिंचन करने लगती है.
सो मेरी कामकेलि से शालिनी जल्दी ही चुदासी हो उठी और उसने अपने पैर जो आपस में भींच रखे थे, खोल दिए और अपनी जांघें दायें बाएं फैला कर अपनी चूत को जैसे कैद से आजाद कर दिया.
अब मैं उसे चूमता हुआ नीचे की तरफ बढ़ चला उसका समतल चिकना पेट, गहरी नाभि कूप चूमने के बाद मैं उसके पैरों के पास बैठ गया और और दोनों पैर उठा कर तलवे चूमने चाटने लगा, पैरों की उंगलियाँ अपने मुंह में भर के चूसने लगा.
मेरे ऐसा करते ही वो जल बिन मछली की तरह मचलने लगी और अपना एक पैर मेरी गर्दन के पीछे फंसा कर मुझे अपने ऊपर दबाने लगी- उफ्फ अंकल जी… अब सहन नहीं होता, जल्दी से ट्रीटमेन्ट दे दो मुझे!
‘बस थोड़ी देर और… फिर ट्रीट करता हूँ तुम्हारी चूत को!’ मैं उसकी पिंडलियाँ चूमते हुए बोला.
फिर मैंने सलवार के ऊपर से ही उसकी दोनों जांघें चूम डालीं और और हल्के हल्के काटने लगा.
उसकी सलवार का नाड़ा मेरी नाक के ठीक ऊपर ही बंधा था सो मैंने उसे दांतों से पकड़ कर खींचना शुरू किया.
‘अंकल जी, पहले एक वादा करो?’ उसने अपना नाड़ा खुलने से पहले ही पकड़ लिया.
‘हाँ बोलो स्वीटी रानी?’
‘पहले वादा करो कि आप मेरे साथ सेक्स नहीं करोगे. मेरा कुंवारापन छीनोगे नहीं!’
‘ठीक है, वादा करता हूँ!’ मैं बोला.
‘ऐसे नहीं ठीक से बोल के वादा करो!’
‘शालिनी, मैं तुम्हारे साथ तुम्हारी इच्छा के विरुद्ध जबरदस्ती सेक्स या ऐसा कोई भी काम नहीं करूंगा जिसमें तुम्हारी मर्जी न हो!’
‘भगवान की कसम खा के कहो?’
‘मैं भगवान की कसम खा के कहता हूँ कि तुम्हारे साथ जबरदस्ती संभोग नहीं करूंगा. ओके नाउ?’
‘हाँ अब ठीक है!’ वो बोली और उसने खुद सलवार के नाड़े का एक सिरा ऊपर तक खींच दिया.
हालांकि सलवार का नाड़ा खुल चुका था परन्तु अभी भी अटका हुआ था. मैंने शालिनी की कमर के नीचे से सलवार खिसकाई तो उसने भी सहयोग देते हुए कमर को ऊपर उठा कर सलवार नीचे से निकल जाने दी.
उसने पेंटी भी नहीं पहन रखी थी, उसके चिकने मुलायम नितम्बों को मैंने मसल दिया. बदले में उसके मुंह से सिसकारी निकल गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
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