RE: Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
शाम होने के पहले मैं एक राऊँड बाज़ार का लगा के आया. मेडिकल शॉप से एक सेक्स वर्धक दवा ले के खा ली क्योंकि पिछली रात ही शालिनी को दो बार चोदा था और आज रात उसकी कड़क जवान भाभी जो कि जनम जनम से लंड की प्यासी थी, उसकी भी पलंगतोड़ चुदाई करके उसकी तपती चूत को शीतल करना था. कहीं मेरी मर्दानगी पर आंच न आ जाए इसलिए एहितयात के तौर पर मेडिसिन ले ली थी.
शाम के छह बज चुके थे और शालिनी अभी नीचे रानी के पास थी. मैं छत पर ही चेयर डाल के बैठा था मेरी नज़र बाहर गली में थी. एक मिनट बाद ही मुझे रानी का पति और ससुर घर से निकल कर जाते दिखे. रानी के पति को देख कर मुझे सच में रानी कि भाग्य से सहानुभूति हुई; उसका पति नाटे से कद का सांवला सा बदसूरत आदमी था. उसका पेट भी सच में किसी बड़े घड़े की तरह बाहर निकला हुआ था. चुदाई की कोशिश करते वक़्त उसका पेट जरूर पहले चूत से जा टकराता होगा; ऐसे लोगों को चूत में लंड घुसाने में बहुत परेशानी होती है. अगर जैसे तैसे लंड चूत में घुसा भी लिया तो फिर धक्के लगाते नहीं बनता… बेचारी रानी!
मैं ये सब सोच ही रहा था तभी मुझे रानी की सास भी घर से निकल के जाती दिखी; मतलब अब लाइन क्लियर हो गई थी.
कुछ ही देर में शालिनी ऊपर आई और बोली- बस दस मिनट और… रानी भाभी अभी अभी नहा कर आई हैं वो कपड़े पहन लें, फिर हम लोग नीचे चलते हैं.
‘गुडिया रानी, जब तेरी रानी भाभी को अभी थोड़ी देर बाद नंगी हो के चुदना ही है तो कपड़े काहे को पहन रही है बेकार में?’ मैंने मजाक किया.
‘अच्छा जी, ये भी कोई बात है. शर्म लिहाज भी तो कोई चीज है. मेरी भाभी ऐसी फूहड़ बेशर्म भी नहीं है कोई!’ वो बोली.
हम लोग ऐसे ही कुछ देर तक हंसी मजाक करते रहे. नई चूत देखने और चोदने के ख्याल से ही मैं उत्तेजित हो रहा था और दिल में धुकधुकी भी मची थी.
थोड़ी ही देर बाद शालिनी बोली- अब चलो अंकल जी, आपका सरप्राइज आपका वेट कर रहा है.
मैं शालिनी के साथ उसका हाथ पकड़े सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आया और हम दोनों रानी के बेडरूम में जा पहुंचे.
वो एक कुर्सी पर बैठी कोई पुस्तक के पन्ने पलट रही थी. मुझे देख कर उसने हाथ जोड़ कर नमस्कार किया और मुझे सोफे पर बैठने को कहा.
मैं नमस्ते का जवाब देते हुए सोफे पर बैठ गया.
उसके बेडरूम में धार्मिक फोटो और संत मुनियों के चित्र लगे थे. कोई ऐसी सजावट इत्यादि नहीं दिखी जो वहाँ रहने वालों की रसिकता का परिचय देती. इसके पति से ऐसी कोई उम्मीद भी नहीं थी.
फिर मैंने रानी की ओर देखा.
जैसा कि शालिनी ने उसके हुस्न के बारे में बताया था वो उससे बढ़ कर निकली. कोई साढ़े पांच फुट कद, गोरी गुलाबी रंगत, चित्ताकर्षक नयन नख्श, चेहरे पर सौम्य मुस्कान और हंसती हुई आँखें… भरा भरा निचला होंठ जिससे रस जैसे टपकने को ही था, उमर कोई ख़ास नहीं, तेईस चौबीस साल की ही लगी मुझे वो…
कॉटन की महरून कलर की साड़ी बांध रखी थी उसने जिसमें से उसके सीने के उभार छुपाये नहीं छुप रहे थे. उसके मम्मे इतने बड़े भी नहीं लगते थे कि भद्दे दिखें. ’34c’ मैंने मन ही मन उसकी ब्रा के साइज़ का अंदाज़ लगाया.
सिर से पांव तक सोने के आभूषणों से सजी थी रानी… गले में, कानों में, हाथों में; कमर में भी सोने कि करधनी और पांव में सोने की पायलें.
किसी को सोने की पायल पहने हुए पहली बार ही देख रहा था. उसके गोरे गोरे मुलायम पैरों में वो सोने कि पायलें बहुत ही जच रहीं थीं.
कुल मिला कर अप्सरा सा रूप लिए कमनीय काया की वो स्वामिनी किसी कुलीन कुल की विदुषी नारी ही लगती थी. उसे देख कर कोई अंदाज भी नहीं लगा सकता था कि ये स्त्री लंड की प्यासी अपनी चुदास से त्रस्त रहती होगी.
इस तरह कोई दो मिनट तक मैंने उसकी रूपराशि को निहारा. ऐसी मदमाती मस्त जवानी को चोदने के ख्याल से ही मेरे लंड में तनाव भरने लगा. वो मेरी ओर रह रह कर देखती और फिर नज़रें झुका लेती. शायद मेरे इस तरह नज़र गड़ा कर देखने से वो अन इजी फील करने लगी थी.
‘आप लोग बैठो मैं चाय बनाती हूँ!’ वो बोली और उठने लगी.
‘रहने दो भाभी… चाय पानी के चक्कर में टाइम ख़राब मत करो; आप लोग तो जल्दी से चुदाई का चक्कर चलाओ अब. देखो साढ़े छह तो हो ही गए हैं. हम लोगों के पास सिर्फ डेढ़ दो घंटा ही बचा है. मैं तो बाहर दरवाजे के पास जाकर बैठूंगी. आप लोग अपना मिलन शुरू करो!’ शालिनी बोली और रानी का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा कर लिया और मेरे पास लाकर उसका हाथ मेरे हाथ में दे दिया.
‘ये लो अंकल जी मेरी प्यारी भाभी… ज्यादा मत सताना इसे… और भाभी तुम भी ज्यादा मत शरमाना, ऐसा मौका ज़िन्दगी में फिर मिले न मिले इसलिये एक एक पल की कीमत समझो और बेझिझक खूब एन्जॉय करो. ध्यान रखना कि टाइम कम है और काम ज्यादा करना है. ओके… मैं बाहर ही रहूँगी अगर कोई खतरा दिखा तो मैं सावधान कर दूंगी!’ ऐसे कहते हुए शालिनी ने रानी को मेरे हवाले किया और बाहर निकल गई.
मैंने भी दरवाजे को यूं ही भिड़ा दिया अन्दर से कुण्डी नहीं लगाई और रानी के साथ बेड पर बैठ गया.
वो सकुचाती सिमटी हुई सी मेरे पास बैठ गई. मैंने उसके गले में हाथ डाल उसे अपनी ओर खींचा उसका गाल चूमते हुए उससे हल्की फुल्की बातें करने लगा जैसे घर में कौन कौन है, एजुकेशन क्या है. इन जनरल बातों से वो भी थोड़ी सी सामान्य हुई और मेरे और निकट खिसक आई. वो अभी अभी नहा कर आई थी अतः उसके बदन की ताजगी, नमी और भीनी भीनी सुगंध मुझे उतावला करने लगी.
मैंने उसकी गर्दन को चूमते हुए उसके ब्लाउज के हुक खोल दिये. उसने हल्का सा प्रतिरोध किया, लेकिन मैंने उसे समझाया कि अपने पास समय कम है सब कुछ जल्दी जल्दी ही करना है.
फिर उसने खुद ही अपना ब्लाउज खोल दिया मैंने उसे उसके बदन से अलग किया और फिर उसकी ब्रा को भी उससे जुदा कर दिया.
दो भरे भरे अमृत कलश मेरे सामने थे, एल ई डी बल्ब की तेज रोशनी में उसके मम्में दमक उठे. मम्मों के ऊपर जैसे भूरे रंग के अंगूर चिपके हुए थे.
मैंने देर न करते हुए उन्हें चूसना शुरू कर दिया और दबाना मसलना शुरू कर दिया. ऐसे करने से रानी की आँखें नशीली हो चलीं और वो बिस्तर पर पैर फैला कर लेट गई. मैंने भी अपनी शर्ट उतार फेंकी और अपने नंगे सीने से उसके बूब्स दबा कर उसे अपने बाहुपाश में जकड़ लिया और उसका निचला होंठ चूसने लगा.
रानी भी अपनी बाहें मेरे गले में पहना कर मेरे चुम्बन का जवाब देने लगी. हमारी जीभ आपस में टकराती और गजब की सनसनी जिस्म में दौड़ जाती.
रानी की सोने की चूड़ियाँ आपस में टकरा के खनक बिखेर रहीं थीं.
उसने कब अपनी जीभ मेरे मुंह में धकेल दी, पता ही नहीं चला, मैं उसे चूसता रहा और फिर दोनों बूब्स दबाता मसलता रहा.
रानी भी मेरी पीठ सहलाये जा रही थी, कभी कभी अपने नाखून भी गड़ा देती और मुझे कसकर भींच लेती. उसकी कजरारी आँखों में अब वासना के गुलाबी डोरे तैरने लगे थे.
अचानक उसने अपना मुंह खोल दिया ‘आ’…मैंने भी उसका इशारा समझ के अपना मुंह उसके मुंह के ऊपर खोल दिया. लार का पतला सा तार मेरे मुंह से निकला और उसके मुंह में समाने लगा.
फिर मैंने उसे बाहों में बांध के करवट ली और वो मेरे ऊपर आ गई और अपना मुंह खोल दिया इस तरह उसका मुखरस मेरे मुंह में अमृत की बूंदों की तरह गिरने लगा और फिर हमारे होंठ फिर से जुड़ गए.
उफ्फ… कितना अपनापन, कितनी गर्माहट थी उसके चुम्बन में… मेरा बस चलता तो मैं सारी रात यूं ही चूमने चाटने और अधर चुम्बन में गुजार देता!
लेकिन समय की बंदिश थी, एक एक पल कीमती था, अतः मैं उसके ऊपर से थोड़ा उठा और उसका पेट नाभि चूमते हुये उसकी साड़ी निकाल दी और पेटीकोट के ऊपर से ही उसकी जांघें सहलाने लगा. चिकनी गुदाज जंघाओं का वो उष्ण स्पर्श पाकर मेरी उंगलियाँ उसकी चूत की तरफ बढ़ चलीं और मैंने उसकी चूत को पेटीकोट के ऊपर से ही मुट्ठी में भर लिया, लगा कि जैसे नीचे पेटीकोट के अलावा अन्य कोई आवरण चूत के ऊपर नहीं था और चूत मध्य रेखा में अपनी तर्जनी उंगली फिराई जिससे चूत का चीरा दिखने लगा और चूत का गीलापन झलकने लगा.
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