Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
03-26-2019, 12:01 PM,
#48
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
21


मेरी गांड फट रही थी की कहीं कांच वांच रह गया तो ........


मैंने तुरंत अंडरवियर उतारी और अपने प्रिय बाबुराव को अपने हाथों से छुपाकर खड़ा हो गया. अभी भी मेरी गांड चाची की तरफ थी मगर अब पासा बदल गया था.

कहाँ तो मैं चाची को नंगा देखना चाह रहा था और कहाँ मैं खुद नंगा खड़ा था.....किस्मत है.


चाची बोली, "शुक्र है राम जी का........खून तो छिलने से आया है......कांच तो नहीं घुसा और बस थोड़े से टुकड़े चिपके है.......हटाये देती हूँ "


चाची ने हलके हलके हाथों से मेरी गांड पर चिपके कांच के टुकड़े साफ़ किये. किसी भी मर्द के नितम्ब उसके गोटों जैसे ही संवेदनशील होते है. चाची के हलके हाथ और टुकड़े हटाने की हलकी हलकी थाप से मुझे अजीब से गुदगुदी हो रही थी. धीरे धीरे मुझे मज़ा आने लगा और बाबुराव ने भी सर उठा लिया. मैंने उसको अपने हाथों में छुपाये रखा. मगर चाची इतने प्यार से हौले हौले सहला रही थी की कमीना बार बार सर उठा कर देख रहा था.


चाची बोली, "लल्ला......कांच तो अब नहीं है.....मगर ये मरी मोमबत्ती में कुछ दिख नहीं रहा......तू बिस्तर पर लेट जा........एक बार ढंग से देख लूँ....हें......?


मैं चुप चाप बिस्तर पर पेट के बल लेट गया. चाची ने मोम्बाती बेड के कोर्नर पर रखी और मेरे बिलकुल पास पालथी मार कर बैठ गयी. उनके इस तरह से बैठने से उनका बंधा हुआ टोवल थोडा सा खुल गया और उनकी चिकनी जांघें दिखाई देने लगी......उनका पूरा ध्यान मेरी घायल गांड पर था और मेरा पूरा ध्यान उनके जांघ पर लिखे "बलमा" पर था. न जाने क्यों मैं जब भी चाची की जांघ का टेटू देखता मेरा बाबुराव सनक जाता.....पहले से ही कंट्रोल में नहीं था मगर अब तो उसने बगावत ही कर दी. मैं पेट के बल लेटा था इस तरह मैंने बाबुराव को अपने पेट से चिपका कर फंसा लिया था ताकि वो सर न उठा सके. मगर अब वो कुलबुलाने लगा और मेरी हालत ख़राब होने लगी.


इधर चाची मेरी गांड का मुआयना ऐसे कर रही थी जैसे रोड के उद्घाटन से पहले इंजिनियर साहब करते है. वो मेरी गांड पर मस्ती से हाथ फेर रही थी और उनके एक एक स्पर्श से मेरी नसे सनसना रही थी. उन्होंने उनके हाथ से मेरी टांगो को खोलने की कोशिश की. मैंने नहीं खोली क्यूँ की मुझे डर था की कहीं उन्हें मेरी गुस्से में फुफकारता शेषनाग दिख गया तो. चाची बोली, "लल्ला......जरा इधर भी देखने दे बेटा........कहीं इधर उधर कांच चुभ गया तो बाद में दिक्कत ना हो,,,"


भेनचोद....दिक्कत तो अभी हो रही थी.......मेरा बाबुराव अब दुखने लगा था. मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी टंगे चौड़ी की.......और बाबुराव को और जोर से दबा लिया.

चाची ने धीरे से मेरे गोटों को सहलाया मानो सच में चेक कर रही हो की कांच तो नहीं चुभा. मेरी सांसें बंद होने लगी........तभी चाची ने नाखुनो से मेरे गोटों को रगड़ दिया. मेरे मुंह से आह निकल गयी. चाची बोली, "हाय राम......दुःख रहा है क्या लल्ला.......


अब मैं चाची को क्या बोलता की चाची ऐसे ही करो मज़ा आ रहा है. इधर साला बाबुराव कहना नहीं मान रहा था और उधर चाची की उंगलिया जाने कहाँ कहाँ जादू चला रही थी. मेरी हालत टाईट हो रही थी. टालने के लिए मैंने कहाँ, "न न नहीं च च चाची.......ल ल ल लगता है की कांच के कुछ टुकड़े आगे की तरफ भी आ गए......मुझे आगे भी दुःख रहा है...."


चाची बोली, "हाय राम.........देखने दे बेटा .....घूम जा......" मैं कुछ बोलता या कर पता इतनी देर में तो चाची ने मुझे धक्का देकर घुमा दिया. बाबुराव जो अब तक लीबिया की जनता जैसा दबा हुआ था एक दम उछल के चाची के हाथों से जा टकराया....


चाची जोर से चिल्लाई, "हाय राम........"


मेरी भी गांड फटी की ये क्या हो गया.........मैंने झट से बाबुराव को छुपा लिया मगर अब तो वो फन उठा चूका था........घंटा छुपने वाला था ???

मेरे बाबुराव का चमकदार सुपाडा मोमबत्ती की टिमटिमाती रौशनी में ठुनक ठुनक कर चाची को सलाम कर रहा था.


चाची बोली, "बेशरम........चोट लगी है मगर.......अभी भी.........लल्ला.........तू तो बहुत ही बदमाश है रे.........हाय राम........" यह कह कर चाची ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया मानो मैं अपने लंड उनके मुंह में घुसेड़ने वाला हूँ.


मैंने कहा, "न न न नहीं च च चाची........म म म मैंने नहीं क क क किया अपने आ आ आ आप हो गया......."


चाची की नज़ारे तो लंड पर ही जमी थी जैसे बिल्ली की नज़ारे दूध के बर्तन पर लगी हो. उन्होंने अपने सूखे होटों पर जुबान फेरी और बोली, "हम्म...कहाँ कांच लगा है......दिखा तो ज़रा ?" मैंने अपने हाथ नहीं हटाया तो चाची ने मेरे हाथों को मेरे बाबुराव से हटा दिया.


जैसे स्प्रिंग को दबा कर छोड़ दो......तो उछलती है वैसे ही बाबुराव ने झटका खाया और ठुन्कियाँ मारने लगा. चाची अपनी ऑंखें सिकोड़ कर एकटक बाबुराव को निहारे जा रही थी.....ऐसा लग रहा था मानो अपनी नज़रों से उसको सहला रही हो.......उनका मुंह हल्का सा खुल गया था और उनकी नाक के दोनों कोने फुल गए था.

चाची बोली, " हाय राम लल्ला......तुझे कुछ चैन भी है की नहीं.......जब देखो तब ही तलवार लेकर खड़ा रहता है, अभी तो चोट लगी है फिर भी यह क्या.........."


मैं घबरा भी रहा था और मुझे मज़ा भी आ रहा था, मैं कहा, "च च चाची वो....आप मेरे पीछे......म म मेरा मतलब है की मेरे पुठ्ठो पर से कांच हटा रही थी न इसलिए यह अ अ अ ऐसा ह ह ह हो गया.........मैंने जानबूझ कर नहीं किया...."


चाची मेरे बाबुराव को घूरते हुए ठंडी सांस लेकर बोली, "हाँ रे लल्ला......जानबूझ कर अगर हो जाता तो तेरे चाचा आज बाप बन चुके होते......"
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