Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
03-26-2019, 12:14 PM,
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
काकी ने हाथ छुड़ाने की कोशिश की मैने आगे झुक कर ज़ोर लगाया. काकी के पसीने से भीगे बदन से ऐसी खुश्बू आ रही थी की भेन चोद मेरा तो रोम रोम खड़ा हो गया. यह किसी सेंट की खुश्बू नही थी यह महक थी एक मादा की......जो गरमी में आयी हुयी है....वो खुशबु जो उसके पूरे बदन से उड़ उड़ कर आसपास के हर मर्द को बावला कर देती है.


मेरे नथुने गली की कुत्ते जैसे फड़कने लगे…बाबूराव तो एकदम तन्ना के पूरा सरिया हो गया,

इधर काकी ज़ोर लगाए जा रही थी की अचानक उनका बॅलेन्स बिगड़ा और वो मुड़े से फिसल कर पीछे की और गिर पड़ी . अब अपुन फुल ज़ोर लगा रहे थे और उनके दोनो हाथ पकड़ रखे थे, उनके पीछे गिरते है मेरा भी बॅलेन्स बिगड़ा और मैं उनके उपर ही आ गिरा.

अब सीन ऐसा की इधर काकी फर्श पर टाँगे चौड़ी किए गिरी हुई और उनके उपर अपुन. 

अपना मुँह टी शर्ट मे फँसे उनके विशाल मॅमन पर……अपुन सिर्फ़ चड्डी पहने.

काकी चिल्लाई…..

“हाय राम……..उठ…….राम राम……छोकरे तूने….मुझे ही….”

एकदम से काकी चुप हो गयी……चड्डी मे तंबू बनाए अपना बाबूराव उनके पेट के निचले हिस्से पर गड़ रहा था. काकी खेली खाई औरत थी उनके ये समझने मे देर नही लगी की यह कड़क चीज़ क्या है.

काकी के बोबे तो नरम थे मगर उनके निप्पल फूल कर कुप्पा हो गये थे. अपना पूरा ध्यान उनके नरम मम्मो और कड़क निप्पल पे था और उनका ध्यान उनके पेट पर चुभ रहे मेरे सरिये पर….

काकी की साँसे तेज़ तेज़ चल रही थी और मेरी तो रेल के एंजिन जैसी चल रही थी. काकी अपना हाथ छुड़ा कर सीधे अपने पेट पर ले गयी और उनका हाथ सीधे मेरे सवा सात इंची लौड़े से जा टकराया. 

“हाय राम………” वो चिल्लाई….

उनकी उंगलियाँ धीरे से मेरे बाबूराव पर कस गयी और वो फिर से बोली मगर अबकी बार उनकी आवाज़ फुसफुसाते हुए निकली थी….

“हाय……..राम…….” 
“हाय राम….” काकी का यह फुसफुसाहट वाला हाय राम बहुत सेक्सी था ईमान कसम मेरे रोए रोए मे करेंट दौड़ गया.

काकी की उँगलियाँ अभी भी पाजामा मे तंबू बनाए मेरे बाबूराव को पकड़े थी. उन्होने अचानक बाबूराव को भींच लिया और मेरे मुँह से सिसकारी निकल पड़ी.

काकी ने एकदम से झटका खाया और बोली, “ उठ……जा……..उठ……” 

और फिर ज़ोर से चिल्लई, “ अरे हट परे….निगोड़े …उठ……”

मेरी तो फटफटी चल पड़ी भाई 

मैं तुरंत बबुआ जैसे उठ खड़ा हुआ. काकी कुछ पल ज़मीन पर ही पड़ी रही और उनकी साँसे धोंकनी जैसी चल रही थी, चेहरा लाल भभूक हो गया था. उनकी टाँगे अभी भी खुली हुई थी और फटे लेगिंग मे से झांकता झांटों का जंगल मुझे मुँह छिड़ा रहा था. मेरी नज़रें अभी भी काकी के बदन पर ही चिपकी थी. कसी हुई लेगिंग और मम्मो पर चिपकी शर्ट मे काकी कामदेव की लुगाई लग रही थी. 

अपुन की हालत गैस पर उबलते दूध के जैसी थी की बस अब उफना. बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोक रखा था इच्छा तो हो रही थी की भेन चोद मा चुदाए दुनिया काकी के कपड़े तार तार कर दूं मगर …..

बस…..फटफटी 

काकी ज़मीन पर लेटे लेटे बोली, “ ला….हाथ दे….”

मैने अपने हाथ आगे किया और काकी को उठाने लगा. काकी ज़ोर लगाकर उठी और झोंक झोंक मे मुझसे फिर टकरा गयी. बाबूराव फिर उनके जांघों पर रग़डी खा गया.

कसम उड़ान छल्ले की बाबू….चिंगारियाँ उड़ी चिंगारियाँ.

काकी ने लंबी लंबी साँसें ली और बोली, “ छोरे……तू…..क्या…….अरे राम….क्या बोलू………सुन…..यह सब…………ये…….. ठीक ना है…..तू आपे मे रह….”

और धीरे धीरे टटोलते हुए अपने कमरे मे चली गयी. अपुन को काटों तो खून नही. सारी ठरक उतार गयी भेन चोद .

मैने जैसे तैसे अपने आप को संभाला. मुझे भी लगा की यह तो चोद हो गयी यार….बिचारी अंधी …विधवा……मेरे बाप की काकी……मेरी दादी हुई रिश्ते मे……ये ग़लत है. 

बुरा लगा यार. 

फिर अपने अंदर का क्राइम मास्टर गोगो बोला की अगर ये सब ग़लत लगा तो काकी ने जो दो दो बार ग़लती से तेरा लौड़ा पकड़ा…..और वो खाट के नीचे जो माल ढोला उस पर काकी का हाथ लगा था क्या उनको नही पता की वो क्या था…..और जो सुबह सुबह फिर से लौड़े पर हाथ लगा दिया……अभी फिर लौड़ा पकड़ लिया….मसल दिया.

बाबू….सीन तो है मगर इतना सीधा नही.

अब क्या करू समझ नही आ रहा था तभी किवाड़ बजा. मैं तुरंत चिल्लाया “ कौन….?”

“छोटे बाबू….हम है हरिया…”

“हाँ ….बोलो….क्या काम है…?”

“अरे बाबू वो मालकिन तो ले जाने आए है……महादेव मंदिर मे अभिषेक रखे है ना अपने तरफ से…मालकिन ने दक्षिणा डी है तो परसाद…..और दर्शन….”

मैं गया काकी के कमरे के बाहर….और आवाज़ लगाई, “ काकी…….वो हरिया आया है मंदिर जाने का पूछ रहा है….”

अंदर से काकी की घुटि घुटि आवाज़ आई,” तू चला जा…….”

काकी रो रही थी शायद. मा की चूत यार ये क्या हो गया.

मैने खिड़की से झाँका काकी औंधे मुँह बिस्तर पर पढ़ी थी और उनका पूरा बदन हिल रहा था.

रो ही रही थी. अरे यार एक मिनट.....उनका हाथ उनके शरीर के निचे था और.......अबे वो हिल क्यों रही थी इतनी ज़ोर ज़ोर से....

मैं कंफ्यूज टाइप बाहर आया और किवाड़ खोला. हरिया उल्लू जैसा मुँह बनाए खड़ा था. 

“मालकिन को देर है क्या…..?”

“ मालकिन की तबीयत ठीक नही है….वो नही आएगी…”

हरिया का मुँह लटक गया फिर एकदम खुश होकर बोला “ तो मलिक आप चलेंगे ……..चलिए खेत भी ले चलू…”

इसकी मा के भोस्डे मे घुस गया खेत…ये गांडू पागल है क्या…जब देखो खेत खेत.

मैने गुस्से से कहा, “ म….म….मंदिर चलो…..”

“जी भैया जी….”

मंदिर काफ़ी बड़ा और पुराना था. बढ़िया पूजा पाठ चल रहा था. हरिया ने पंडित जी से पूछा और बताया की अभी थोड़ा समय है पूजा ख़त्म होने मे. वो जाक्र 2-3 गाओं वालों के साथ बैठ गया जो सिला-लौड़ी पर कुछ हरा हरा पीस रहे थे.

मैने थोड़ी देर बैठा रहा. मारे गर्मी के गला सूखा जा रहा था. कुछ ही देर मे तो पसीने से भीग गया. मैने हरिया को आवाज़ लगाई और ठंडे पानी का पूछा. 

“अरे छोटे भैया आप रुकिये तो सही…..ठंडाई बन जा रही है….गर्मी वर्मी सब गायब हो जाएगा…”

मैने पूछा, “ क्या….कैसी ठंडाई……?”

“ अरे छोटे भैया…..देखे नही सामने घोंट रहे है ना…..एकदम ठंडा ठंडा फ़ील करेंगे….”

वो चटपट एक ग्लास ले आया. ग्लास मे एक दो बर्फ के टुकड़े तैर रहे थे मैने थोड़ा सा सुड़का.

मस्त हरियाली छा गयी. ठंडी ठंडी ठंडाई मेरे गले को तर बतर करते करते नीचे उतरी. मानो जनम जनम की प्यास एक घूँट मे बुझ गयी. मैं सुड़क सुड़क कर पूरा ग्लास पी गया और हरिया से और माँगी.

हरिया खि खि करके बोला, “ नही….भैया…..अब आप रहने दीजिए…..ये गांव का ठंडाई बहुत भारी होता है….”

मैं मन मसोस के बैठ गया. ठंडाई इतनी शानदार थी के पूरे बदन मे चंचलाई आ गयी. मैं हाथ पीछे टेक कर आराम से पैर फैला कर बैठ गया. थोड़ी देर मे ठंडी ठंडी हवा के झोंके आने लगे. आंखे भारी भारी से होने लगी.

मैं कब तक ऐसे बैठा रहा मुझे याद न्ही. मैने आसमान देखा तो ऐसा मस्त झक नीला ..जैसा मैने आज तक नही देखा…..मेरा गला फिर से सूखने लगा.मैने पानी पीया और इधर उधर देख कर मुस्कुराने लगा. अचानक से मेरा मूड अच्छा हो गया था. मंदिर से आते मंत्र पूजा की आवाज़ ऐसी मधुर लग रही थी. मैने सोचा यार आज तक ना कभी आसमान इतना नीला दिखा और ना ही पूजा पाठ इतना अच्छा लगा.

मैने हरिया को आवाज़ दी भेन चोद …मेरी आवाज़ मेरे ही कानों में गूंजने लगी. मैने चोंक कर इधर उधर देखा. हरिया सामने बैठा बैठा मुस्कुरा रहा था.

“हम न बोले थे बाबू…..सहर की ठंडाई से बहुत अलग है गांव का ठंडाई ..”

इस भेन के लौड़े ने मेरेको भांग पीला दी मादरचोद 
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