Muslim Sex Stories मैं बाजी और बहुत कुछ
03-30-2019, 11:20 AM,
#5
RE: Muslim Sex Stories मैं बाजी और बहुत कुछ
मैं खाना खा के ऊपर कमरे में आ गया और लैपटॉप पे लव सॉंग सुनने लगा। और सोचने लगा कि मैं भी बाजी से अपने प्यार का इजहार कर दूँ? फिर अपने सर पे हल्के से एक थप्पड़ रसीद किया कि बाजी मेरी चचेरी बहन तो है नहीं। जैसे अम्मी अब्बू की चचेरी बहन हैं। । । आज तो अपने रूटीन के अनुसार नींद नहीं आ रही थी मुझे। ये सच है सुना था कि प्यार में भूख कम लगती है और नींद भी कम आती है। । ऐसे ही समय लव सॉंग सुनते हुए बीतता रहा और बाजी का मेसेज आया कि मुझे पिक करने आ जाओ। । मैं उठा और कार लेकर बाजी के कॉलेज की ओर चल पड़ा। । 

वहाँ पहुँच के बाजी को मेसेज किया कि बाहर आ जाएं तो थोड़ी ही देर में बाजी गेट से सामने आई और कार की ओर बढ़ी पर उनके साथ 2 लड़कियों और थी जिनमें से इक मेरी प्रेमिका साना और दूसरी को आज पहली बार देख रहा था । । कार मैंने साइड मे पार्क की और बाहर निकल आया बाजी और उस लड़की को नमस्कार करके साना से पूछा कि वह यहां कैसे तो साना ने बताया कि उसके साथ में उसके चचेरे भाई है जिनका यहाँ पे एडमिशन हुआ है . कॉलेज के समारोह में उसने आज मुझे भी इनवाइट किया था । साना से मैंने पूछा कि आओ आप लोगों को मैं ड्रॉप कर दूंगा तो उसने कहा कि नहीं हमारी अपनी कार है तुम जाओ।

में, साना और उसके चचेरे भाई को बाय बोलता हुआ कार में आ गया और बाजी भी उन्हें बाय कहती हुई कार में बैठ गई। । (बाजी साना को मेरी वजह से बहुत अच्छे से जानती थी और ये भी जानती थी कि हम दोनों बहुत अच्छे फ्रेंड्स हैं) 

बाजी कार में क्या आ बैठी मुझे लगा कि जैसे कार में बहार आ गई। । मेरे आसपास जैसे फूल खिलने लगे। । और मेरा दिल चुपके से मुस्कुरा उठा। । बाजी से मैंने आज के समारोह के बारे में पूछा और बाजी मुझे समारोह के बारे में बताने लगी। । मेरा प्यार मेरा सब कुछ मुझसे कुछ ही इंच दूरी पे बैठा था आज बाजी के साथ कार में बैठ कर जो सफ़र कर रहा था दिल चाह रहा था कि यह सफ़र कभी समाप्त न हो और दिल भी चाह रहा था कि कार किसी ऐसी रोड पे ले जाऊं जो कभी न खत्म होने वाली रोड हो। । । पर यह सब ख्वाहिशें ऐसी थीं जिन्हें सोच में अपने दिल को कुछ पल आराम ही दे सकता था। । तथ्य वही था कि जो मैं चाहता था वह असंभव और बेकार था। । । । । । कुछ ही देर बाद हम घर पहुंचे। । हम घर के अंदर एंट्री हुए। । बाजी अम्मी से मिलने उनके कमरे में चली गई और मैं अपने कमरे में आ गया। 


आज मेरा अपने दोस्तों की ओर जाने का भी कोई दिल नहीं कर रहा था। । मेरी यह कैफियत थी कि मैं बस अकेला रहना चाहता था और अगर मेरी तन्हाई को खत्म करने इख्तियार किसी को अब था तो वह मेरी बहन थी। । रात को जब खाने का समय हुआ तो मैं खाने के लिए नीचे गया और सबको सलाम करके खाना खाने बैठ गया। अम्मी वही रोज की प्यार और ममता की चाहत भरी नज़रों से हम दोनों भाई बहन को खाना खाते देख रही थी . जबकि अबू वही हमेशा की तरह चुप बैठे थे। । । अबू ऐसे ही हमेशा चुपचाप रहते थे जिससे हम दोनों बहन भाई बहुत डरते थे। खैर खाना खत्म किया और मई अपने रूम में आ गया। । 

थोड़ी देर बाद कमरे के दरवाजे पे दस्तक हुई और मैंनेडोर खोला तो सामने बाजी खड़ी थी और बाजी ने कहा कि सलमान मुझे अभी स्टडी करनी है स्टडी करके तुम्हारे कमरे में सोने आऊंगी। (जैसा मैंने पहले ही कहा था कि बाजी जब भी बुरा सपना देखती हैं तो 2 या 3 दिन उन्हें अपने कमरे में नींद नहीं आती) बाजी की यह बात सुनते ही मेरा दिल जोर जोर से धड़कना शुरू हो गया। बड़ी मुश्किल से मेरी ज़ुबान से यह शब्द निकले '' जी बाजी ठीक है '' फिर बाजी अपने रूम में चली गई और मैं डोर बंद करके अपने बेड पे आकर गिर गया। । । 

मेरा प्यार मेरे जीवन में आज रात मेरे साथ मेरे बेड पे सोने आ रही है। यह सोच के ही मेरे शरीर से प्राण निकल चुके थे । । पता नहीं बाजी इससे पहले कितनी बार मेरे कमरे में सोई थी। । मुझे तो गिनती भी भूल गई थी। पर पहले मेरे साथ मेरी बाजी सोया करती थी। आज वह सिर्फ मेरी बाजी ही नहीं बल्कि मेरी जिंदगी और मेरा प्यार भी थी जो मेरे साथ मेरे बेड पे सोने वाली थी। । । । । । । एक एक पल मेरे लिए वर्षों के बराबर था। समय था कि बीतने का नाम ही नहीं ले रहा था। । मेरा रोम रोम बस मेरे प्यार को आकर्षित करके बुला रहा था और चीख के कह रहा था कि मेरी रात की रानी आ भी जाओ ना क्यों मुझे सता रही हो आओ मेरी रात की रानी और आकर मेरी भावनाओं और चाहत की दुनिया को अपनी खुशबू से सुगंधित कर दो। । । । । । । 
आखिर वह समय आ गया और मेरे रूम के दरवाजे पे दस्तक हुई। । में एक तेज़ दिल के साथ उठा और डोर खोला और तो सामने बाजी खड़ी थी। । । बाजी ने मुस्कुरा के कहा कि छोटे भाई आजडोर पे ही खड़ा रखना है या अंदर भी आने दोगे . मैं बहुत मुश्किल से बाजी की इस बात पे मुस्कुराया और एक साइड पे हो गया और बाजी को अंदर आने का रास्ता दिया। । । बाजी रूम के अंदर आई और बेड की ओर बढ़ी मैने रूम का दरवाजा बंद कर दिया। और बाजी को बेड पर जाते हुए देखने लगा . मेरा दिल किया कि बाजी को पीछे से जाकर जोर से हग कर लूं और अपने दिल की बात कह दूं। । सच कहते हैं कि प्यार इंसान के मन को कहीं का नहीं छोड़ता और मानव मस्तिष्क को जंग लग जाती है। । मैंने अपने सिर को हल्के से झटका और बड़ी मुश्किल से अपने आप को कंट्रोल किया । । 

बाजी बेड पे टेक लगा कर लेट चुकी थी मैं भी अपनी शहज़ादी के साथ बेड पे आकर टेक लगाकर लेट गया। । । में बाजी से बहुत देर तक बातें करना चाहता था। पर बाजी ने काफ़ी देर तक मुझसे बात नहीं की और मुझे कहा कि सलमान अब तुम पढ़ाई करो और सोने जा रही हूँ। । । (बाजी क्या जाने कि उनका भाई 2 ही दिन में उन्हें कैसे दीवानों की तरह चाहने लगा है।। और अब बाजी की निकटता ही दीवाने भाई के लिए राहत की बात है अपनी सगी बहन के बिना तो यह पागल भाई बिल्कुल अकेला और अधूरा है) मैंने चुपचाप लाइट ऑफ करके टेबल लैंप ओं की और पुस्तक खोल ली। । । और बाजी थोड़ी ही देर में सो गई। । । मैंने बाजी के सोते ही बुक बंद की और करवट बदल के बाजी की तरफ मुंह कर लिया और बाजी के चेहरे को देखने लगा । । बाजी सीधी होकर लेटी हुई थी। । बाजी सोते हुए कितनी सुन्दर लग रही थी। । । । । । । । । । । । । । । मुझे कुछ खबर नहीं रही कि मैं ऐसे कब तक अपना प्रेम दर्शन करता रहा। बंद आँखों पे सजी पलकों का , आधे खुले गुलाबी होंठ, और चंदा की तरह चमकते गाल। मैं इस आलम में सब कुछ भूल चुका था। आलम यह था कि दुनिया से बेखबर हो चुका था। । ऐसा लगता था कि बस इस दुनिया में मैं हूँ और साथ मे मेरी बाजी। । बाकी दुनिया भूल बैठा था। । 

मुझे अचानक होश तब आया जब बाजी ने सोते में करवट बदली और मुंह दूसरी तरफ कर लिया। । । और मुझे ऐसा लगा कि किसी सांप ने अचानक मुझे डॅन्स लिया हो एक नशा सा मेरी नस नस में दौड़ना शुरू हो गया। । । यह था मेरे इस प्यार का दूसरा रुख। । प्यार के इस रुख को कैसे भुला सकता था। । एसी रुख से तो पहले वाले रुख को जान पाया था। । यह शरीर का प्यार मुझे बाजी से न हुआ होता तो आत्मा के प्यार को कैसे समझ पाता। । यही तो वह दो पहलू यानी शरीर का प्रेम और पवित्र प्यार। ये दोनों जब मिलते हैं तो प्रेम पूर्ण होता है 


दो दिन पहले की ही तो बात थी जब पहली बार मैंने अपनी बहन को ऐसी करवट लेते देखा था और अपनी बहन के शरीर के साथ मेरी दीवानगी की हद तक प्यार उसे करवट लेते हुए ही तो शुरू हो गया था । । 

इस समय मेरा दिल इतनी तेज़ी से धड़क रहा था कि मेरा गला सूख चुका था थूक निगलने की हिम्मत मुझमें बाकी नहीं बची थी। । शरीर में जान नाम की कोई चीज नहीं थी। जहां था वही पे एक मूर्ति बना रह गया। । मेरा मुझ पे कोई कंट्रोल नहीं था। । अब तो जैसे प्यार का देवता मुझे अपने इशारों पे नचाने मेरे कमरे में आ गया था। मेरी नजरें अपनी बहन की मोटी और मुझे तरसाने और तड़पा ने वाली गाण्ड पे जम गई। मैंने सोचा कि दीदी की मोटी और बाहर निकली हुई गाण्ड जब सलवार से बाहर आएगी तो जाने मेरा क्या हश्र कर देगी उस दिन। । । ऊपर से देख कर इतनी उत्तेजना में हूँ अगर अंदर से देख ली तो पता नहीं उस दिन बहन के प्यार में कहीं मर ही न जाऊं । । । 

इसी नशे और दीवानगी की हालत में मेरा एक हाथ आगे की ओर बढ़ा और मैंने बाजी की कमीज को धीरे धीरे सलवार के ऊपर से हटाना शुरू कर दिया। और फिर मैंने कमीज़ को पूरी तरह से बाजी की गाण्ड पर से हटाकर ऊपर कर दिया। । बाजी कीगांड की लाइन काफी स्पष्ट सलवार सेदिख रही थी। और मेरी जान के दो नशेमन वो गाण्ड पब। मैंने जी भर के अपनी बहन की इस क़यामत ढाती गाण्ड को देखा और अपनी आंखों को जितना हो सका इस नज़ारे का दर्शन करवाया। ताकि बाद में कहीं वह मुझसे शिकायत न करें। । । । मैंने अपने हाथ को आगे की ओर करके अपनी बाजी की गाण्ड के एक पब को पकड़ लिया। 

हां अब मेरी बाजी की प्यारी मोटी बाहर निकली हुई गान्ड का एक पब मेरे हाथ में था मैं बाजी की गाण्ड का मरने की हद तक दीवाना बन गया था। । । बाजी की गाण्ड जितनी मोटी और सेक्सी और बाहर निकली हुई मस्त थी उतनी ही बाजी की गाण्ड नरम भी थी। मुझे ऐसा लगा कि मैं इस दुनिया का राजा हूँ मैंने जैसे आज सब कुछ जीत लिया हो। । । । 

मैं ने पहली बार अपनी बाजी के चूतड़ को हल्के से दबाया आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ह और साथ ही मैंने अपना अंगूठा अपनी बाजी कीगांड की लाइन में आराम से डाल दिया । मेरा अंगूठा मेरी बहन की गांड की लाइन में अंदर होता जा रहा था और अंदर और अंदर बाजी की लाइन गहरी थी बहुत ज्यादा गहरी। । मेरी बाजी की गांड की जो गहरी लाइन थी न इसी गहरी लाइन की वजह से ही तो मेरी बाजी कीगांड बाहर निकल के अपनी सुंदरता में वृद्धि करती थी। । । अब बाजी का एक पूरा चूतड़ मेरी पकड़ में था। । मेरा दिल खुशी से झूम रहा था और मेरा लंड वह तो जैसे मेरी सलवार को फाड़ने की पूरी तैयारी में था। 


अब बाजी का जो चूतड़ मेरी पकड़ में था उसे दबाना शुरू हो किया हाय क्या मजा था आराम था नशा था तब। । । मुझे दुनिया का कोई होश और कोई डर नहीं था। मैं अपनी मस्ती में बाजी के इस नरम और घातक चूतड़ को अब जोर से दबाना शुरू हो गया। और चूतड़ को देख दिल में कहना शुरू हो गया देखा मुझे चिढ़ा रहे थे न कल। अब देख लो मैंने तुम्हें पकड़ भी लिया है और अब तुम्हारे साथ मजे भी ले रहा हूँ। मैं मस्ती की हालत में डूबा हुआ था कि अचानक बाजी के शरीर को इक झटका सा लगा और बाजी ने मुझे पीछे मुड़ के देखा। । । मेरा नशा मज़ा और आनंद की बुलंदी यह सब कुछ साबुन के झाग की तरह इक दम से बैठ गया। । । । और मिट्टी दबानेवाला बन जहां था जैसा था वही रह गया। । । बाजी ने जब यह सारा दृश्य अपनी आंखों से देखा तो तड़प के उठकर बैठ गई। । मुझे कुछ होश नहीं रहा था। बाजी ने मेरा हाथ पकड़ा और पकड़ के पीछे की फैंक सा दिया। । । और साथ ही बाजी ने एक जोर का थप्पड़ मेरे मुंह पे दे मारा। । और कहा कि तुम इतने नीच और घटिया भी हो सकते हो कभी ऐसा सपने में भी नहीं सोच सकती थी। । । ऐसा लगता है कि बाजी ने एक और थप्पड़ मेरे मुंह पे लगा दिया। । । और कहा कि एक लड़की के लिए उसका भाई जो उसका रक्षक होता है। । जो लड़की की इज्जत की रक्षा करता है। और तुम भाई हो कि अपनी बहन की इज्जत के दुश्मन हो। बाजी की गुस्से से लाल आँखें टेबल लैंप की रोशनी में स्पष्ट नजर आ रही थीं। । ऐसा लग रहा था कि आज बाजी मुझे जान से मार देगी। । । और फिर बाजी बेड से उठी और कमरे के दरवाजे की ओर जाने लगी कि फिर वहां से वापस आई और फिर एक तीसरा थप्पड़ मेरे मुंह पे लगा दिया। । और फिर बाजी रूम से बाहर चली गई। । । 


मेरे आँसू थे कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। । । जाने उस दिन में कितनी देर तक रोता रहा। । मेरे आँसुओं ने मेरी चादर को भिगो कर रख दिया । । बाजी ने जो कहा था सही ही तो कहा था। । पर बाजी यह नहीं जानती थी कि मेरे दिल का आलम क्या है मेरे दिल की भावनाए उनके लिए क्या कर रही हैं। । न बाजी ने मुझे मौका दिया कि मैं कुछ कह सकूँ। । । और वह मुझे मौका देती भी क्यों। जो भाई अपनी बहन से प्यार कर बैठा था तो उस भाई के लिए इस दुनिया में कही भी कोई जगह नहीं थी। । ऐसे ही रोते रोते जाने कब सो गया

सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैं पहले ऐसे ही कुछ देर बेड पे लेटा रहा और रात के बारे में सोचता रहा। । । इस एक रात ने मेरी आत्मा को झकझोर कर रख दिया था। इन बीते लम्हों को याद किया तो मेरी रूह कांप उठी। 3 दिन ही तो हुए थे मुझे प्यार किए हुए और 3 दिन के भीतर ही इस बेरहम दुनिया के निराधार सिद्धांतों ने धर्म की बनाई हुई सीमाओं ने मेरे प्यार के मुँह पे एक थप्पड़ दे मारा था। । .किस ने बनाई थीं ये सीमाए और क्यों बनाई थीं? 

ऐसे ही बहुत से सवाल और विश्लेषण की ग़ज़बनाक लड़ाई मेरे अंदर लगी हुई थी कि अचानक किसी सोच से मैं चौंक पड़ा। । में बीती रात क्योंकि इतना अपसेट हो चुका था कि मैं भूल गया कि बाजी तो रूम से गुस्से से बाहर निकली थी। । यह न हुआ हो कि उन्होंने गुस्से में अम्मी अब्बू को मेरी की हुई खता के बारे मे बता दिया हो। । ये बात मन में आते ही में सब बातें भूल इस बात को लेकर परेशान हो गया और बहुत घबरा गया। । 

ये परेशानी भी तो इसी समाज की देन थी ना। । प्यार करने वाले को इस समाज में कहीं भी कोई ऐसी जगह तो नहीं न कि जहां जा कर वो कुछ पल के लिए स्वतंत्र रूप से सांस ले सके। । । अब मैं सोच रहा था कि पता नहीं नीचे जाऊँगा तो वहां कौन सा नया तमाशा मेरा इंतज़ार कर रहा होगा। । नीचे जाने से मैं बहुत घबरा रहा था। । नीचे जाना तो था मुझे। । अब सारी ज़िंदगी तो इस कमरे में बैठा तो नहीं सकता था। । । 

अबू का चेहरा मेरी आँखों के सामने आता तो शरीर पे कपकपी दौड़ जाती। क्योंकि अपने अबू का मुझे पता था कि वह मुझे जान से मार देंगे। । वह तो किसी बाहर की लड़की से मेरा अफेयर सहन नहीं कर सकते थे। बाजी के साथ छेड़छाड़ के लिए तो वह मुझे गोली मारने से भी नहीं रुकेंगे । । अम्मी का ममता से भरपूर चेहरा मेरी आँखों के सामने आता तो मैं एक पल के लिए आँखे बंद कर सिर को झटक देता। । .क्यों कि उनका सामना करने की मुझ में हिम्मत न थी। । । और मेरी चाहत मेरा प्यार मेरी बहन जब उनका चेहरा मेरी आँखो के सामने आता तो आंखें जानेक्यों भीगने लगती


खैर मैंने एक गहरी साँस ली और बाथरूम में चला गया यह सोचते हुए कि अब जो होगा वह मेरी किस्मत मेरा नसीब। । जब मैं तैयार होकर बाथरूम से निकला तो बहुत मुश्किल से कांपते हुए हाथों से रूम काडोर खोला और काँपती टाँगो सेसीढ़यों से नीचे उतरने लगा। । जब मैं नीचे पहुंचा तो सामने डाइनिंग टेबल पे अबू और अम्मी बैठे नाश्ता कर रहे थे और बाजी कहीं नज़र नहीं आ रही थी। । । मैंने डरते डरते अम्मी और अबू कोसलाम किया तो अम्मी ने मुस्कुरा के जवाब दिया और अबू ने भी सलाम का जवाब दिया। । । उनके अभिवादन का जवाब और अम्मी की रोज की्रह विशेष मुस्कान से मेरे दिल और दिमाग पे छाया भय और डर एक दम से उतर गया। । । 

यह था वह दया का टुकड़ा जो मेरी चाहत ने मेरे प्यार ने यानी मेरी बाजी ने मेरी झोली में फेंका था। मैं जान चुका था कि बाजी ने इसलिए अम्मी अब्बू को नहीं बताया था कि वह जानती थी कि अबू मुझे गोली मारने से भी पीछे नहीं हटते। बाजी की दया को अपनी झोली में समेटे नाश्ता करने लगा। । और फिर बाजी प्यार करे या न करे। उसकी निगाह में घृणा हो या प्यार। इससे क्या फर्क पड़ता है। । मेरे लिए इतना ही काफी था कि मेरा प्यार मेरी बाजी ने मेरा इतना ही ख्याल रखा था और मेरी जान बख्श दी। और अपने इस दीवाने आज मरने नहीं दिया। । । । । 


में नाश्ता करते हुए सोच रहा था कि अम्मी से पूछूँ कि बाजी कहाँ हैं नज़र नहीं आरहीं। पर मेरे दिल में चोर था। । इस लिए पूछने से घबरा रहा था। । फिर भी पूछना तो था ही बाजी का क्योंकि वह रोज मेरे साथ ही तो जाया करती थीं। मैंने हिम्मत कर के अम्मी से पूछा कि बाजीकहाँ हैं। तो अम्मी ने आगे जो कहा वह मेरे दिमाग पे किसी परमाणु बम के विस्फोट से कम न था। । । । । । । । । । । । । । । । । । । । 

अम्मी ने कहा कि बाजी आज से होस्टल जा रही हैं। । । मेरे मन में आंधियां और तूफान फिर से चलना शुरू हो गए। । । मैने मरी हुई ज़ुबान मे अम्मी से पूछा कि वह क्यों? अम्मी ने कहा कि हिना (मेरी बाजी का नाम) कहती है कि घर पर पढ़ाई सही नहीं होती। । हॉस्टल में सबी क्लास की साथी लड़कियों के साथ में मिल के पढ़ाई करेगी तो ज़्यादाअच्छे से पढ़ाई होगी। मैं तो मना कर रही थी तुम्हारे अब्बू को अब कौन समझाए कहते हैं कि जहां हिना की इच्छा है हिना वहां रह कर पढ़े, हमें बस इसी बात से मतलब है कि यह स्टडी अच्छे से करे। । । । । । । 


अजीब बेरहम प्यार था मेरा एक तरफ तो मुझे मारने नहीं देता और दूसरी तरफ मुझसे दूर जाकर मुझे अकेला तड़पने और मरने के लिए छोड़ के जा रहा है। । । । साथ ही अम्मी ने कहा कि सलमान तुम कॉलेज चले जाओ बाजी को अबू उसके हॉस्टल में छोड़ देंगे उसका काफी सामान भी है कि तुम्हारी कार मे नहीं आएगा । और हां जा के बाजी से मिल भी आओ और बाय बोल आओ। । में नाश्ता क्या करता बस वही पे छोड़ दिया। । पर अम्मी जो मुझे बाजी से मिलने को कह रही थी मैं कैसे मिल सकता था बाजी को कैसे फेस कर सकता था उन्हें। । । 

उनके रात को कहे हुए शब्द अभी भी तो मेरे कानों में गूंज रहे थे और ऊपर से उनका हॉस्टल शिफ्ट होने का फैसला । । यह सब बातें तो इस बात की घोषणा कर रही थीं कि सलमान तुम्हारी बाजी तुमसे नफरत करती है। और अब वह तुम्हारा चेहरा कभी नहीं देखना चाहती। । । । में हारे होय जुआरी की तरह चेयर से उठा जो अपना सब कुछ हारी हुई बाजी में लगा बैठा था। सीढ़ियाँ चढ़ता हुआ ऊपर की ओर बढ़ा अपने रूम में जाकर थोड़ी देर के लिए खड़ा हो गया। ताकि अम्मी को यह लगे कि मैं बाजी से मिल रहा हूँ। । फिर रूम से बाहर निकला और अपनी बाजी के रूम केडोर की ओर एक बार देखा । इस दरवाजे के दूसरी ओर ही तो मेरा प्यार बैठा था। । । 

कॉलेज पहुंचा और कॉलेज मे एक साइड पे लगे एक बेंच पे जा के बैठ गया। यहाँ बहुत कम ही कोई आता था। । । पर एक था जो मुझे कहीं भी देख सकता था वह थी मेरी प्रेमिका साना। । । मुझे अपने पीछे से किसी के गाना गाने की आवाज आई '' चुप चुप बैठे हो जरूर कोई बात है '' मुझे साना की च्वाइस पे हमेशा हंसी आती थी। । आज जानेक्यों मुझे उसका यह गाना दिल को बहुत भा गया। । यह समय और हालात ही तो होते हैं जो इंसान को क्या से क्या बना देते है । साना ने कहा क्या बात है जनाब आज यहाँ कहाँ और कैसे आए। । । 

मैंने मुश्किल से साना के आगमन पे स्माइल की और कहा कि कुछ नहीं बस वैसे दिल कर रहा था यहाँ थोड़ी देर बैठने का। । साना ने कहा, न बताओ जब दिल करे तो दिल की बात साझा कर लेना। । । और साना मेरे साथ बेंच पे आ के बैठ गई। । फिर हम लोग वैसे ही गपें लगाते रहे कुछ देर। उस दिन मैंने जाना कि औरत अगर मर्द को जख्म देती है तो यही औरत आदमी को मरहम भी तो लगाती है, चाहे जख्म देने वाली महिला कोई और हो और मरहम लगाने वाली कोई और। । जब मेरी कॉलेज में एंट्री हुई थी तो मुझे अपने दोस्त दूर से नज़र आये पर मैंने उनसे बात नहीं की और उनसे नज़रें बचाकर यहाँ आकर बैठा था जब साना यहाँ आई और मैंने साना से कुछ देर गपशप की तो मुझे ऐसा लगा कि साना की गपशप ने मेरे ज़ख़्मों पे मरहम का काम किया है सच कहते हैं '' अपोजिट अट्रॅक्टिव। ' । पर जो भी था मेरे जख्म ऐसे थे कि अब उनका पूरा इलाज एक ही इंसान के पास था और वह थी मेरी प्यार यानी कि मेरी अपनी बाजी। । । 

अचानक बात करते करते साना ने कहा कि सलमान तुम्हें तुम्हारी दीदी के बारे में तुम्हें कुछ बताऊँ? ? साना की बात जैसे मेरे दिमाग पे हथौड़ा का वार साबित हुई और मेरा मन धड़क कर रह गया साना ने जैसे मेरी दुखती रग पे पैर रख दिया था। मैं अपने आप को और अपनी दिली भावनाओं को नियंत्रित करके साना से पूछा कि हां बताओ क्या बात है। तो साना ने कहा कि मेरी जो चचेरे भाई हैं तमखा है तमखा की फ्रेंड के ही कॉलेज में पढ़ती है वह कुछ दिन पहले तुम्हारी दीदी की कुछ फ्रेंड्स के साथ बैठी थी और तुम्हारी दीदी की फ्रेंड्स तुम्हारी दीदी के बारे में ही आपस मेंबात कर रही थीं .... । 

साना कुछ देर के लिए खाँमोश हो गई। मैंने तड़प के साना से कहा कि आगे कुछ बताएगी या नहीं। । साना ने अपनी बात आगे बढ़ाई और कहा कि सलमान वह बात कर रही थीं कि हमारे कॉलेज में बहुत कम ऐसी लड़कियां हैं जिनका किसी लड़के के साथ कोई अफेयर नहीं है और उनमें से एक हिना है (यानी मेरी बाजी)। । साना ने कहा कि सलमान तुम्हारी दीदी के साथ कॉलेज के कई लड़के अपने प्यार का इजहार कर चुके हैं पर तुम्हारी बाजी इन सब बातों के सख्त खिलाफ हैं। । । मेरी चचेरे भाई को उनकी फ्रेंड्स ने यह भी बताया है कि तुम्हारी दीदी की यह सोच है कि लड़की की इज्जत और लड़की हया ही लड़की का गहना है। तुम्हारी दीदी की यह सोच है कि लड़की को सारा जीवन शालीनता में गुजारना चाहिए और जब लड़की की शादी की उम्र आए तो उसके माता-पिता को ही उसकी शादी तय करना चाहिए। और लड़की जब पहली बार प्यार करे तो वह शादी के बाद अपने हसबंड के साथ ही करे। 
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RE: Muslim Sex Stories मैं बाजी और बहुत कुछ - by sexstories - 03-30-2019, 11:20 AM

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