RE: Muslim Sex Stories मैं बाजी और बहुत कुछ
बदनसीबी तो जैसे मेरी दासी बन के रह गई थी। हर समय गुस्से में रहने लगा था। अजीब सा युद्ध चलता रहता था हर समय ही मेरे अंदर। प्रत्येक रिश्ता प्रत्येक संबंध मेरे लिए अब बेमानी सा हो गया था। कभी कभी ऐसा लगने लगता है कि मैं पागल होने वाला हूँ। । एक दिन ऐसे ही रात के समय अपने कमरे में लेटा अपने कमरे की दीवारों को खाली नजरों से देख रहा था कि अचानक उठा और लैपटॉप ऑनलाइन किया और एक फिल्म देखने लगा, यह सोच कि क्या पता कुछ पल ध्यान कहीं और हो जाय ((पर सलमान कितना मूर्ख था न कि उसे क्या खबर थी कि ध्यान जहां वह लगा बैठा था वहाँ से ध्यान का हटना उसकी मौत तक असंभव ही था)) कुछ देर ही फिल्म देख पाया बोर होने लगा और फिल्म बंद दी। फिल्म के बंद होते ही बे ध्यानी में मुझसे अश्लील फिल्मों का फ़ोल्डर खुल गया। जो कुछ अश्लील मूवीज़ आज से बहुत समय पहले की मैंने डाउन लोड करके रखी हुई थीं। ना चाहते हुए भी मैंने एक अश्लील मूवी चालू कर दी। । थोड़ी ही देर में जब मूवी के अंदर तकरार शुरू हुई तो मुझे अपनी सलवार के अंदर कुछ उठता हुआ महसूस हुआ, जी हैं वह मेरा लंड ही था। उसे तो जैसे मैं कब का भूल ही गया था। । ना चाहते हुए भी मुझे अपने लंड को अपने हाथ में थाम लिया था, पहले सलवार के ऊपर से और फिर कुछ देर बाद हाथ अंदर डाल कर ((मेरे लंड ने मुझे कह ही डाला कि जब तक तुम जीवित हो कुछ जरूरतें मेरी भी हैं जिन्हें पूरा तो करना ही है, खाना भी तो खाते रहना थोड़ा ही सही पर खाते तो हो ना, ऐसे ही एकाध बार ही सही पर कुछ विचार मेरा भी तो रखो))
मैं अपने लंड को थामे, हिलाए जा रहा था, वहाँ सिनेमा में तकरार बढ़ रही थी और यहाँ मेरे लंड पे मेरे हाथ की गति। । आह आह की आवाज के साथ मेरा वीर्य निकलना शुरू हुआ और फिर निकलता ही चला गया । । इस बात को से इनकार नहीं किया जा सकता कि बहुत मज़ा आ रहा था मुझे। । । जहां एक ओर वीर्य निकल रहा था, वहीं दूसरी ओर एक विचार मेरे मस्तिष्क में उतर रहा था। छुट्टी होने के बाद अपने बेड पे ही पड़े पड़े कितनी ही देर में मन में आए इस विचार केबारे में सोचता रहा। । फिर कुछ सोचते हुए मैंने अपना वीर्य साफ किया, लैपटॉप ऑफ किया, सेल उठाया और साना को कॉल लगा दिया । । ।
साना ने कॉल अटेंड की और बहुत गंभीर आवाज से हाय हेल्लो की। और ऐसे ही फिर गंभीर सी आवाज में मुझसे पूछा "तुम कैसे हो सलमान?"
"मैं ठीक हूँ, आप कैसी हैं?"
"मैं ठीक हूँ, पर तुम ठीक नहीं हो ना, पूछ पूछ के थक सी गई हूँ, पर तुम हो कि कुछ बताते ही नहीं, बचपन के साथी हैं हम पता चल जाता है हम दोनों को कि कौन ठीक है हम मे से और कौन ठीक नहीं है, प्लीज़ बता दो, नहीं तो मैं सोच सोच पागल हो जाऊँगी "साना एक ही सांस में कितना कुछ बोल गई। ।
"मैं ठीक हूँ, और सब सेट है, तुम से एक बात करनी थी"
"हां कहो न क्या बात है"
"कल मिल सकती हो मुझे"
"कल? कहाँ? कितने बजे? हां ना क्यों नहीं मिल सकती" साना अपनी ये खुशी अपने सवालों में छिपा न सकी। । ((मैंने जिस दिन साना को फिर न छूने का फैसला किया था उस दिन के बाद आज तक मैंने साना को फिर कभी नही छुआ था, और साना इसलिए बहुत परेशान भी थी कि क्या कारण हुआ कि मैं अब उसके करीब नहीं आता, वह सोचती थी कि कोई बात मुझे बुरी लग गई है जिस वजह से मैं उससे दूर होता जा रहा हूँ, और वह इस डर में भी थी शायद वह मेरे प्यार को खो न बैठे, उस प्यार को जो मैंने उससे कभी किया ही नहीं था सना को न छूने के अलावा एक फैसला और भी किया था कि मैं समय पे उसे यह भी बता दूंगा कि मैं उसे प्यार नहीं करता, पर फिर मेरा अपना समय ऐसे बदला कि मेरे प्यार ,मेरी आत्मा, भावना, सबका ही खून हो गया))
"कल 4 बजे आ जाऊं? वहीं चलेंगे जहां तुम्हारी बर्थ डे पे गया था"
"ओके ठीक है मैं इंतजार करूंगी" साना के लहजे में निरन्तर खुशी और बेसब्री काफी थी। । ।
"ओ के टाइम पे आ जाऊंगा और हाँ घर में किसी को मत बताना कि मेरे साथ जा रही हो"
"क्यों? और अगर तुम्हें किसी ने मुझे तुम्हारे साथ देख लिया तो?"
"तो कोई बात नहीं, पर तुम मत बताना, बस यही कहना कि फ्रेंड्स के साथ जा रही हूँ ओ के "
" ओ के जैसा तुम सही समझो "
कुछ देर यहाँ वहाँ की बातों के बाद हमने कॉल एंड की। । ।
अगले दिन में निर्धारित समय पे साना को पिक करने पहुंचा। मौसम काफी बदल चुका था और गर्मी का जोर भी अब लगभग टूट ही चुका था। । साना की फरमाइश की गई जींस और टीशर्ट पहने हुए था। । इस बार बार मैंने उसे व्हाइट सूट, सलवार पहनने के लिए कहा था। । । साना को मिस कॉल की और उसका मेसेज आया कि 2 मिनट। । । मैं उसका इंतजार करने लगा और इस इंतजार में मैने अपनी नजरें साना के घर पर ही ध्यान केंद्रित की हुई थी .
कुछ ही देर में साना अपने घर के गेट से सामने आई और कार की ओर बढ़ी। । फुल व्हाइट ड्रेस उस पे बहुत जच रहा था। ((हाँ मस्त ही तो लग रहा था))। । कार में बैठते ही साना अपनी विशिष्ट आवाज में बोली "हाय हैंडसम हाउ आर यू"
"ठीक हूँ, प्यारी लग रही हो"
"थैंक्स, चलें" फिर मैंने कार आगे बढ़ा दी। साना हमेशा की तरह शुरू हो गई यहाँ वहाँ की बातें और मैं बस "हाँ" हूँ "ही करता रहा।। पार्क में पहुंचने के साथ ही पहले वाली जगह पे कार पार्क करने के बाद मैंने साना से कहा कि पिछली सीट पे चल कर बैठते हैं। फिर हम दोनों पीछे की सीट पे जा बैठे और अपनी अपनी साइड की फ्रंट सीट आगे करके पीछे हो गए।।
कुछ देर यूँ ही चुप रहने के बाद साना ने मेरे गाल पे अपना प्यारा नरम हाथ रखा और पूछा "आज लास्ट टाइम पूछ रही हूँ, तुमसे खुद ही जब मन किया तो बुला लिया, क्या हो गया है तुम्हें क्यों चुप चुप से रहते हो और मुझ से दूर भी "
" दूर तो नहीं हूँ देखो तो तुम्हारे पास ही हूँ "
" चुप क्यों रहते हो "
सच तो यह था कि मेरे पास साना की बातों का कोई जवाब नहीं था न मुझ पर अब इन बातों का कोई प्रभाव था। जिसकी आत्मा की हत्या हुई हो, भला उसे प्यार भरी बातें कहां भाती हैं। वह जो एक दोस्ती हम दोनों में कभी हुआ करती थी, साना को क्या मालूम था कि मैं आज इस दोस्ती का भी जनाज़ा निकालने आया हूँ। मैंने कहा तुम जरा पास होकर बैठो ना मेरे साथ। । और वह मेरे पास हो गई। । उसके पास होते ही मैंने उसके दोनों गालों पे हाथ रखे और उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया। ।
उस मासूम परी के कोमल होंठ मेरे होंठों में आते ही जैसे मैं पगला गया और निरन्तर चूमने लगा मैं उसके होठों को। वह भी तो आज जैसे बरसों की प्यासी बनी मेरे होठों से लगी अपनी प्यास बुझाने। । मुझे किस करते करते साना हमेशा की तरह दूर कहीं खो चुकी थी। वैसे ही खोेये हुए साना ने किस करते करते मुझे कहा: अब मुझसे दूर तो नहीं जाओगे ना, मैं घबरा जाती हूँ। ।
मैंने कहा: हां अब कभी नहीं जाऊँगा। । "साना अपनी जीभ मेरे मुँह में डालो" यह सुनते ही साना ने देर किए बिना अपनी गीली जीभ मेरे मुंह में डाल दी, जिसे मैं अपने मुंह के अंदर बाहर करके चूसने और चूमने लगा। । कुछ ही देर बाद मैंने अपनी ज़ुबान साना के होंठों पे रखी और उसके होंठों पे फेरा और कहा : साना अब तुम इसे चूसो ना। ये कहते ही मैंने साना के होठों से गुज़ारते हुए अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। । उसने आराम से अपना मुंह खोला और आइसक्रीम की तरह मेरी जीभ को चूसना शुरू करदिया अहह आह मम कितने प्यार से चूसी थी उसने मेरी जीब . जब मेरी जीभ साना मुंह में चली जाती तो वो अपनी जीब को भी टकराती मेरी जीब से। । ।
इसी दौरान मैंने अपना एक हाथ नीचे किया और साना के बूब्स पे फेरने लगा। । वह आह ऑश्फ्ह ओह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ें भी साथ में निकालने लगी। । बूब पे हाथ फेरते ही हाथ से दबाते ही आह ओह्ह्ह्ह्ह और मेरी जीभ को चूसते हुए मम मम की आवाज़ें। । । कुछ ही देर में मेरे दोनों हाथ साना की कमीज के अंदर से उसके मम्मों से खेल रहे थे। जबकि साना अब मेरी गर्दन को चूम रही थी और उसके दोनों हाथ मेरे कंधो पे थे ((साना और मैंने अपनी एक टांग सीट के ऊपर ही कर फ़ोल्ड कर ली थी)) मैं साना के मम्मे को दबाते हुए उसे कहा: साना जब मैं तुम्हारे बूब्स से खेलता हूँ तो तुम्हें मज़ा आता है। । साना ने अपनी नशीली आवाज़ में कहा: हां जानी बहुत मज़ा आता है आह हाँ ना जानी। । ((शायद इतने समय से वह भी मेरे हाथों के टच को मिस कर रही थी या शायद वो सावधान थी कि कहीं फिर किसी बात पे खफा न हो जाऊँ))
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