Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
04-05-2019, 12:30 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:40 PM by sexstories.)
#72
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
अब बिहारी भी उसके उपर चढ़ जाता हैं और अपना लंड को मोनिका की चूत में डाल देता हैं. थोड़ी मुश्किल से मगर एक झटके में बिहारी का लंड पूरा मोनिका की चूत में चला जाता हैं. और फिर मोनिका की यहाँ पर एक साथ दोहरी चुदाई शुरू हो जाती हैं. आज तक उसने कभी ज़िंदगी में एक साथ कभी दो लंड नहीं लिए थे. उसे तो सच में लगता हैं कि वो जन्नत में हैं. कभी विजय का लंड आगे जाता तो कभी बिहारी का ऐसे ही करीब 30 मिनिट्स की ख़तरनाक चुदाई के बाद मोनिका भी करीब 3 बार फारिग होती हैं और विजय और बिहारी भी उसकी चूत और गान्ड में अपना वीर्य पूरा निकाल देता हैं और दोनो उसके उपर पसर जाते हैं............

दोनो बिल्कुल पसीने से लथपथ एकदम शांत होकर मोनिका के उपर चढ़े हुए थे और उन दोनो के बीच मोनिका भी एक दम शांत पड़ी हुई थी. ऐसे ही दोनो बदल बदल कर पोज़िशन और रात के करीब 12 बजे तक मोनिका की तीन बार जम्कर चुदाई होती हैं और वो तीनों थक कर वही पर सो जाते हैं..

सुबह के करीब 10 बजे तीनों की आँखें खुलती हैं. मोनिका बाथरूम में जाकर अपने कपड़े पहन लेती हैं और बिहारी और विजय भी जल्दी से तैयार होने लगते हैं. थोड़ी देर के बाद........

मोनिका- अब मुझे चलना चाहिए. अब मैं तुमसे 1 महीने के बाद मिलूंगी अपना कांट्रॅक्ट ख़तम करने के बाद.

विजय हंसते हुए- ये तुझे किसने कह दिया कि हम तुझे एक महीने तक हाथ भी नहीं लगाएँगे.

अब चौकने की बारी मोनिका की थी- क्या??? तुम ऐसा नहीं कर सकते...

विजय- अरे मेरी जान ज़रा ध्यान से पढ़ ना इस कांट्रॅक्ट लेटर को. मैने कहीं भी इस बारे में कोई भी ज़िकरा नहीं किया हैं कि हम दोनो तुझे एक महीने तक हाथ नही लगा सकते. हां मैने इस बात का ज़रूर ज़िकरा किया हैं कि तू पूरे एक महीने तक हमारे लिए काम करेगी. चाहे कोई भी काम क्यों ना हो. उसके बाद तू आज़ाद हैं.

मोनिका- फिर से धोका!!!! सच में विजय तुम बहुत बड़े कमिने हो. मैने आज तक तुम जैसा कमीना इंसान अपनी जिंदगी में नहीं देखा.

विजय- और देखोगी भी नहीं अगर तुमने अपना कांट्रॅक्ट टाइम से ख़तम नही किया तो. और हां हमारा जब जी चाहे जहाँ जी चाहे जब भी हम तुम्हें बुलाएँगे तुम्हें आना होगा. बाकी तुम खुद समझदार हो. और इतना कहकर बिहारी और विजय दोनो हँसे लगते हैं.

मोनिका जितना चाहती थी कि वो इस दलदल से बाहर निकले वो अब उतनी ही इसमें फँसती जा रही थी. और एक बार फिर उसकी आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं. मगर वो वहाँ से चुप चाप उठती हैं और बाहर निकल जाती हैं. अब उसके मंन में कई तरह के सवाल उठ रहे थे. वो ये बात अच्छे से जानती थी कि जो हाल उन्दोनो ने मेरा किया वो तो कोई दुश्मन भी किसी से नही कर सकता. पता नहीं उस राधिका से इनलोगों की क्या दुश्मनी हैं. अगर वो उससे अपनी दुश्मनी निकालेंगे तो पता नहीं उसके साथ ये लोग क्या सुलूक करेंगे.अब उस राधिका का क्या होगा ये तो बस भगवान ही जानता हैं.

जैसे ही मोनिका वहाँ से बाहर निकलती हैं किसी और की नज़र उस पर पड़ जाती हैं. पर किसकी ये बात अभी कुछ देर में पता लगने वाली थी.

जी हां वो और कोई नही बल्कि बिहारी की पत्नी पार्वती थी जिसकी उमर करीब 43 साल थी ,थोड़ी मोटी और हेल्ती शरीर की रंग थोड़ा गेहुआ था. और तो और उसने मोनिका को जाते हुए भी नही बल्कि बिहारी और विजय की सारी बातें भी सुन ली थी. वो छत पर से नीचे सीढ़ियों से उतर कर नीचे आती हैं............

पार्वती अपने दोनो हाथों से ताली बजाते हुए नीचे सीढ़ी से उतर कर बिहारी और विजय के पास आती हैं. और जैसे ही बिहारी की नज़र अपनी पत्नी पर पड़ती हैं उसके होश उड़ जाते हैं और घबराहट की वजह से उसका गला सूखने लगता हैं.

बिहारी- आँखें फाड़ कर देखते हुए- .....तू....तुम यहाँ पर.........कैसे????

पार्वती- क्यों मुझे इस वक़्त यहाँ पर नहीं होना चाहिए था क्या???

बिहारी- लेकिन तुम तो........ अपने मायके जाने वाली थी........फिर????

पार्वती- नही गयी.. चलो अच्छा ही हुआ कि यहाँ पर आकर तुम क्या गुल खिला रहे हो कम से कम मुझे इस बात का तो पता चला. तुमपर शक़ तो मुझे बहुत पहले से था लेकिन आज यहाँ पर ये सब देखकर मुझे यकीन भी हो गया...

बिहारी- तुम मुझे ग़लत समझ रही हो. मैं वो लड़की को नहीं जानता. वो तो बस मेरे दोस्त से मिलने आई थी..

पार्वती बिहारी के एकदम करीब आती है और कसकर एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर मार देती हैं. फिर उसके बाद एक और थप्पड़ उसके दूसरे गाल पर जड़ देती हैं. बिहारी का चेहरा एक दम लाल हो जाता हैं.

पार्वती- शरम करो 50 साल के हो गये और अपनी बेटी जैसी लड़की के साथ ये सब काम करते हो. और तो और ना जाने कैसे कैसे दोस्त हैं तुम्हारे. जी तो करता हैं कि अभी पोलीस स्टेशन जाकर तुम्हारी सारी पोल पट्टी खोल दू. फिर तुम जानो और तुम्हारा काम.

बिहारी पार्वती की बातों से एक दम घबरा जाता हैं और वो तुरंत उसके पाँव में गिर पड़ता हैं.
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