Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
04-05-2019, 12:31 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:44 PM by sexstories.)
#85
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका-आप क्यों आपना आँसू बहा रहें हैं भैया. आपने तो सब कुछ एक ही पल में ख़तम कर दिया. मैं तो अब आप पर विश्वास करने लगी थी. शायद यही मेरी ग़लती थी...........

कृष्णा- आज तेरे दिल में मेरे लिए जितने शिकवे गीले हैं सब कह दे राधिका मैं तुझे आज नहीं रोकुंगा. ग़लती मेरी ही हैं. नहीं करना चाहिए था मुझे ये सब.

राधिका- भैया जिस तरह एक औरत की इज़्ज़त एक बार लूट जाने पर उसकी इज़्ज़त उसे दुबारा नहीं मिलती उसी तरह अगर आदमी का विश्वास अगर एक बार टूट जाए तो वो दुबारा नहीं जोड़ा जा सकता. देखिए ना भैया मेरे नसीब में सब कुछ होकर भी अब मेरे पास कुछ नहीं हैं.

कृष्णा- बस कर राधिका क्यों तू इन सब बातों को अपना पाप का भागीदार अपने आप को बना रही हैं. इसमें तेरा कोई दोष नहीं हैं. सारा कसूर मेरा हैं............बस मेरा.

राधिका- भैया क्या बुराई हैं मुझ में कि आपको मेरे होते हुए आपको उस रंडी के पास जाना पड़ा. अगर इतना ही आपका खून गरम था तो एक बार मुझसे कह दिया होता. राधिका आपकी खुशी के लिए आपने आपको आपके कदमों में बिछा देती. मगर आपने तो मुझे उस रंडी के बारबार भी नहीं समझा. आज जान गयी हूँ कि मेरी औकात आपकी नज़र में क्या हैं. और इतना कहते कहते राधिका की आँखें बंद हो जाती हैं और वो नशे में फिर से बेहोश हो जाती हैं..............

कृष्णा आज दिल खोल कर रोना चाहता था. आज उसकी वजह से ही राधिका की ये हालत हुई थी. आज इन सब बातों का ज़िम्मेदार भी वो ही था. और वो राधिका को अपनी बाहों में लेकर उसे बड़े प्यार से अपने सीने से लगा लेता हैं.

कृष्णा के मन में हज़ारों सवाल उठ रहे थे....... कैसे समझाऊ राधिका कि मैं तुझसे कितना प्यार करता हूँ. अरे तू नहीं जानती कि जब तक मैं तुझे एक नज़र देख नहीं लेता मुझे चैन ही नहीं मिलता हैं. आज जिस प्यार का एहसास मैने किया हैं वो बस सिर्फ़ तेरी वजह से. तूने ही मुझे जीना सिखाया हैं. मेरे इस बदलाव का सबसे बड़ी वजह भी तू हैं. मैं कसम ख़ाता हूँ राधिका कि आज के बाद मैं तुझे किसी भी तरह का कोई दुख नहीं दूँगा. आज से मेरी जिंदगी का मकसद हैं तेरी खुशी. अगर तेरी खुशी के लिए मुझे अपनी जान भी देनी पड़े तो मैं पीछे नहीं हटूँगा.तेरी खुशी के लिए वो सब करूँगा जो तू मुझसे उमीद करती हैं. मैं दूँगा तुझे वो प्यार , वो खुशी. सब कुछ राधिका ..................सब कुछ.......और कृष्णा की आँखों से भी आँसू फुट पड़ते हैं.....................

घंटों वो भी बस राधिका को ऐसे ही अपनी गोद में लिए रहता हैं और फिर उसे अपने बाहों में लेकर सो जाता हैं. राधिका इस वक़्त पूरी तरह नशे में थी.उसे तो कोई भी होश नहीं था. थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी राधिका के बगल में सो जाता हैं.

सुबह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो कृष्णा उसके बगल में सोया रहता हैं. वो अपना दुपट्टा सही करती हैं और उठकर बाथरूम में जाती हैं. रात के नशे से अभी भी उसकी चाल में लड़खड़ाहट थी और उसका सिर भी थोड़ा घूम रहा था. थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी उठ जाता हैं. जब उसकी नज़र बिस्तेर पर पड़ती हैं तो उसे राधिका वहाँ नहीं दिखती हैं. वो तुरंत घबराकर पूरे घर में उसे ढूँडने लगता हैं. आख़िर कर किचन में राधिका उसे दिख ही जाती हैं. और उसकी जान में जान आती हैं.

कृष्णा फिर धीरे से जाकर राधिका को अपनी बाहों में पीछे से पकड़ लेता हैं. और बड़े प्यार से उसकी गर्देन को चूम लेता हैं. राधिका की तो जैसे साँसें रुक जाती हैं. कृष्णा का ऐसा बदलाव देखकर उसे हैरानी भी होती हैं और खुशी भी.

राधिका- भैया आप यहाँ पर इस वक़्त किचन में क्या कर रहें हैं.???

कृष्णा- देख नहीं रही हो अपनी बेहन को प्यार कर रहा हूँ.

राधिका भी धीरे से मुस्कुरा देती हैं.

कृष्णा- कल जो भी हुआ राधिका वो तो सच में मुझे माफी के लायक नहीं हैं मगर मैं तेरे सर की कसम खाकर कहता हूँ कि मैं आज के बाद ये सब कभी नहीं करूँगा. अगर तुझे थोडा भी यकीन हो मुझपर तो....

राधिका एक टक कृष्णा की आँखों में देखती हैं- ठीक हैं भैया मैं आपको माफ़ कर देती हूँ. जाओ आप भी क्या याद करोगे. और राधिका भी धीरे से मुस्कुरा देती हैं.

कृष्णा उसे तुरंत अपने गोद में उठा लेता हैं और अपना लब राधिका के लब पर रख देता हैं और बड़े प्यार से उसके होंठो को चूसने लगता हैं. राधिका भी अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और वो भी कृष्णा के होंठ को धीरे धीरे चूसने लगती हैं. आज जो एहसास और मज़ा होंठ चूसने में राधिका को मिल रहा था वो मज़ा उसे अपनी ज़िंदगी में कभी नहीं मिला था. पता नहीं क्या था उसके भैया में कि जब भी वो उनके करीब आती थी वो मदहोश होने लगती थी. आज राधिका भी पूरी तरह से बहकना चाहती थी.

करीब पाँच मिनिट के बाद राधिका कृष्णा को अपने से दूर करती हैं और कृष्णा भी उसे नीचे ज़मीन पर रख देता हैं.

राधिका- आज इतना मस्का किस लिए. बहुत प्यार आ रहा हैं मुझपर बात क्या हैं.कहीं आज मेरी इज़्ज़त तो लूटने वाले नहीं हो ना.............

कृष्णा- हाँ इरादा तो कुछ ऐसा ही हैं. आज तो सोच ही रहा हूँ कि आज मैं अपनी बेहन को चोद कर बेहन्चोद बन ही जाउ.
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