RE: mastram kahani राधा का राज
" मैं यहीं था मगर मैं जान बूझ कर ही आपसे मिलना नही चाहता था. कहाँ आप और कहाँ मैं. चाँद और सियार की जोड़ी अच्छी नहीं लगती" मैने उसके मुँह पर हाथ रख दिया.
" खबरदार जो मुझ से दूर जाने का भी सोचा. आगर जाना ही था तो आए क्यूँ? मेरी जिंदगी मे हुलचल पैदा करके भागने की सोच रहे थे. वो सब जो हमारे बीच उस कॅबिन मे हुआ वो सब खेल था. टाइम पास?" मैने कहा.
"अरे नही आप मुझे ग़लत समझ रही हैं….."
" और मुझे ये आप आप करना छोड़ो. तुम्हारे मुँह से तुम और तू अच्छा लगेगा."
" लेकिन मेरी बात तो सुनिए...... सुनो ..."
" बैठ जाओ" कहकर मैने उसे धक्का देकर सोफे पर बिठा दिया. मैने मन ही मन डिसाइड कर लिया था कि इतना सब होने के बाद आब मैं राज शर्मा से कोई शरम नहीं करूँगी और निर्लज्ज होकर अपनी बात मनवा लूँगी. हम इतने आगे बढ़ चुके थे कि शर्म की दीवार खींचना अब व्यर्थ था.
मैं उठी और फ्रिड्ज से बियर की बॉटल निकाल कर उसका कॉर्क खोला. एक काँच के ग्लास मे उधेल कर उसके पास आई. ग्लास मे उफनता हुआ झाग मेरे जज्बातों को दर्शा रहा था. मैं उस से सॅट कर बैठ गयी और ग्लास को उसके होंठों के पास ले गयी. जैसे ही उसने ग्लास से अपने होंठ लगाने के लिए अपने होंठ बढ़ाए मैने झट से ग्लास को पीछे करके अपने होंठ आगे कर दिए. राज शर्मा मुस्कुराता हुआ अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिया.
मैने उसके होंठों से ग्लास लगा दिया. उसने मेरी ओर देखते हुए मेरी हाथों से एक घूँट पिया. उस एक घूँट मे ही पूरा ग्लास खाली कर दिया.
"हां तो अब बताओ कि दोनो मे से कौन ज़्यादा नशीला है. मैं या ये……" कहकर मैने उत्तेजक तरीके से अपने बालों को पीछे करके कमर पर हाथ रख कर अपनी टाँगों को कुछ फैला कर खड़ी हो गयी. उसने
हाथ बढ़ा कर मेरी बाँह पकड़ कर मुझे अपने गोद मे खींच लिया. हम दोनो के होंठ मिले और मैने अपनी जीभ उसके मुँह मे डाल दी. मैं उसके पूरे मुँह के अंदर अपनी जीभ फिराने लगी. काफ़ी देर बाद जब
हम अलग हुए तो ग्लास को उसके हाथों मे पकड़ा कर मैं खड़ी होगयि.
" तुम्हे मेरे ये बहुत अच्छे लगते थे ना? " मैने अपने ब्रेस्ट्स की तरफ इशारा करते हुए उसके होंठों के बिल्कुल पास आकर पूछा. उसने स्वीकृति मे अपने सिर को हिलाया.
" खोल कर नहीं देखना चाहोगे?" इससे पहले कि वो कुछ कहे मैने खड़े होकर एक झटके मे गाउन की डोर को खींच कर उसे खोल दिया. गाउन सामने की तरफ से पूरा खुल चुका था. मेरा गुलाबी बदन सिर्फ़ दो छोटे कपड़ों से ढका हुआ था.
मैने अपने गाउन को शरीर से अलग कर दिया. वो एकटक मेरे लगभग नग्न बदन को निहार रहा था.. मैं उसकी ओर झुकते हुए अपने ब्रा के एक स्ट्रॅप को खींच कर छोड़ा. स्ट्रॅप वापस अपनी जगह पर आ गया मगर सामनेवाले के दिल मे एक टीस सा छोड़ गया. उसकी ज़ुबान तो लगता था सिथिल सी हो गयी थी. मुझसे शायद इतने बोल्ड हरकत की उसकी उम्मीद नही थी उसे. वो बस एक तक मेरे बदन के एक एक इंच को निहार रहा था. आज पहली बार मुझमे भी कामुक लहरे उफन रही थी. आज तक सर्द सी जिंदगी बिताने के बाद आज पूरा बदन गर्मी से झुलस रहा था.
क्रमषश्.......................
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