RE: mastram kahani राधा का राज
कुछ देर बाद दोनो भी ठंड से बचने के लिए गाड़ी मे आ गये. जैसा की मैने पहले ही कहा कि दोनो के बदन पर भी बस एक एक पॅंटी थी. उनके निवस्त्र बदन को मैने भी गहरी नज़रों से देखने लगी.
"यार, मुकुल ठंड से तो रात भर मे बर्फ की तरह जम जाएँगे. कॅबिनेट मे रम की एक बॉटल रखी है उसको निकाल." अरुण ने कहा.मुकुल ने कॅबिनेट से एक बॉटल निकाली. लाइट जला कर मुकुल डॅश बोर्ड के अंदर कुछ ढूँढने लगा.
"सर, ग्लास नहीं है." उसने कहा.
"कोई बात नही." अरुण ने रोशनी मे बॉटल को उँचा किया आधी बॉटल भरी हुई थी. उसने अपने पैरों के पास से एक पानी की बॉटल निकाल कर रम की बॉटल को पूरा भर लिया. अरुण ने बॉटल लेकर मुँह से लगाया और दो घूँट लेकर मुकुल की तरफ बढ़ाया.
"एम्म अब मज़ा आया.."
मुकुल ने भी एक घूँट लिया. और वापस बॉटल अरुण को देदी.
" राधा तू भी दो घूँट लेले सारी सर्दी निकल जाएगी." अरुण ने कहा.
" अरूण पागल तो नही हो गये. तुमको मालूम है मैं दारू नहीं पीती" मैने मना कर दिया. मगर कुछ ही देर में मुझे अपने फ़ैसले पर गुस्सा आने लगा. लेकिन उस वक़्त दो आदमख़ोरों के बीच मे मैं इस तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी. कहीं ऐसा ना हो कि मेरा
अपने उपर से कंट्रोल हट जाए. मगर ठंडक ने मेरी मति मार दी. मैं दोनो को पीते हुए देख रही थी. और ठंड से सिकुड़ी हुई बैठी काँप रही थी.
उन्होंने फिर मुझ से पूछा. इस बार मेरे ना मे दम नहीं था. अरुण ने बॉटल मुझे पकड़ा दी.
"अरे ले यार कोई पाप नहीं लगेगा. एक डॉक्टर के मुँह से इस तरह की दकियानूसी बातें सही नहीं लगती." अरुण ने कहा.
क्रमशः........................
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