RE: mastram kahani राधा का राज
गतान्क से आगे....................
एक दिन वो सुबह अख़बार पढ़ रहा था तभी रचना हम तीनो के लिए चाइ बना लाई. चाइ के कप्स टेबल पर रखते वक़्त उसकी सारी का आँचल कंधे पर से फिसल गया. राज शर्मा अख़बार पढ़ने का बहाना करता हुआ उसके उपर से रचना की चुचियों को निहार रहा था. रचना के ब्लाउस के उपर के दो बटन्स और नीचे का एक बटन खुला हुआ था. उसका ब्लाउस सिर्फ़ एक बटन पर टिका हुआ था. उसने आँचल को निहारता देख चाइ के कप्स को टेबल पर रख कर अपने आँचल को समहाल लिया. लेकिन एक मिनिट का वो अंतराल काफ़ी था राज शर्मा की आँखों मे सेक्स की भूख जगाने के लिए.
" रचना तू ऐसे ही बैठ जा अपनी चुचियों पर से आँचल हटा कर. तेरे जीजा के मन की मुदाद पूरी हो जाएगी." मैने रचना की तरफ देखते हुए अपनी एक आँख दबाई. रचना शर्म से लाल हो गयी. उसने अपने आँचल को और अच्छी तरह बदन पर लप्पेट लिया.
" मेरा राज शर्मा तेरी उन दोनो रस भरी चुचियों को देखने के लिए पागल हुआ जा रहा है. क्या करूँ मेरी चुचियाँ तो अभी सूखी ही हैं ना." मैने दोनो की और खिंचाई की.
" चुप…चुप…..तू आज कल बहुत बदमाश होती जा रही है. कभी भी कुछ भी कह देती है." रचना ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा.
हम तीनो हंसते बातें करते हुए चाइ पीने लगे. इसी तरह मैं दोनो को पास लाने के लिए जतन करती जा रही थी. एक दिन जब हम दोनो ही थे घर मे तब मैने जान बूझ कर सेक्स संबंधी बातें शुरू की. वो कहने लगी अरुण बहुत गरम आदमी है और जब भी आता है दिन रात उसके पास सिर्फ़ यही काम रहता है. मैने भी राज शर्मा के बारे मे बताया. वो राज शर्मा के बारे मे खोद खोद कर पूच्छने लगी.
" राज शर्मा ठेठ पहाड़ी आदमी है उसमे ताक़त तो इतनी है कि अच्छे अच्छो को पानी पीला दे. उसका लंड इतना मोटा और गधे की तरह लंबा है. जब अंदर जाता है तो लगता है मानो गले से बाहर अजाएगा."
"हा….तू झूठ बोल रही है. इतना बड़ा होता है भला किसी का." रचना राज शर्मा के बारे मे खूब इंटेरेस्ट ले रही थी.
" अरे जो झेलता है ना वो ही जानता है. आज इतने सालों बाद भी मेरे एक एक हाड़ को तोड़ कर रख देता है. इतनी देर तक लगातार चोद्ता है कि मेरी तो जान ही निकल जाती है."
" अच्छा तुझे तो खूब मज़ा आता होगा? लेकिन अब भी मैं नही मानती कि उसका लंड इस साइज़ का हो सकता है. अरुण का इससे काफ़ी छ्होटा है" रचना ने अपनी सूखे होंठों पर अपनी जीभ फेरी.
" तूने देखा नही पयज़ामे मे जब खड़ा होता है उसका तो कैसे तंबू का आकार ले लेता है."
रचना ने कुछ कहा नही सिर्फ़ अपने सिर को हिलाया.
"हां हां तुझे पता कैसे नही चलेगा. आजकल तो तुझे देखते ही उसका लंड बाहर आने को च्चटपटाने लगता है." मैं उसको छेड़ने लगी.
" तू भी तो अरुण के लंड को तडपा देती है." रचना ने मुझे भी लपेटने की कोशिश की.
"देखेगी?... बोल देखेगी राज शर्मा के लंड को?" मैने उससे पूछा. तो वो चुप रह कर अपनी सहमति जताई.
"ठीक है मैं कोई जुगाड़ लगाती हूँ."
उस दिन जैसे ही राज शर्मा पेशाब करने के लिए रात को बाथरूम मे घुसा मैने रचना को बाथरूम मे जाकर टवल लेकर आने को कहा. रचना को पता नही था कि अंदर राज शर्मा है. और जैसी मुझे उम्मीद थी. राज शर्मा ने दरवाजा अंदर से लॉक नही किया था. रचना बिना कुछ सोचे समझे बाथरूम के दरवाजे को खोल कर अंदर चली गयी. मैं पहले ही वहाँ से हट गयी थी. राज शर्मा कॉमोड के सामने खड़ा हुआ पेशाब कर रहा था. रचना को सामने देख कर हड़बड़ी मे वो अपने लंड को अंदर करना ही भूल गया. रचना की आँखें उसके लंड पर ही लगी हुई थी. उसका लंड रचना को देख कर खड़ा होने लगा. कुछ देर तक इसी तरह खड़े रहने के बाद रचना "उईईईई माआ" करती हुई बाथरूम से बाहर भाग आई. उसका पूरा बदन पसीने पसीने हो रहा था. मैने कुरेद कुरेद कर जब उससे पूछा तो उसने माना की वाक़ई उसे राज शर्मा का
लंड पसंद आ गया. अब मुझे उम्मीद हो गयी कि मैं अपने मकसद मे ज़रूर कामयाब हो कर रहूंगी.
रात को खाना ख़ान एके बाद मैं बर्तनो को सॉफ करके किचन सॉफ कर रही थी. रचना मेरे काम मे हाथ बटा रही थी. उसने मेरे ज़ोर देने पर रात को सारी की जगह सामने से खुलने वाला गाउन पहन रखा था. नीचे मैने उसे पेटिकोट या ब्रा पहनने नही दिया. इससे वो अपने कदम धीरे धीरे उठा कर चल रही थी क्योंकि पैरों को हिलाते ही नग्न पैर बाहर निकल पड़ते. मैं आज अपने काम से संतुष्ट थी. रचना चाह कर भी अपनी सुंदर टाँगे राज शर्मा से छिपा नही पा रही थी. इस पर मैने दोनो को कुछ निकटता देने के लिए कहा,
"रचना तू रहने दे. ये दूध गरम कर रखा है. इसे राज शर्मा को पिला कर जा बच्चे को सम्हाल नही तो अभी उठ कर रोने लगेगा. उसके दूध का टाइम भी हो गया है. ये मर्द हमेशा दूध के शौकीन होते हैं चाहे बच्चा हो या बूढ़ा."
रचना कुछ ना बोल कर राज शर्मा के लिए दूध का ग्लास लेकर हमारे बेडरूम मे चली गयी. मैं बिना आवाज़ के बेडरूम के पास पहुँची दोनो के बीच होने वाली बातों को सुनने के लिए. राज शर्मा धीरे से कह रहा था, "रचना आज तुम गाउन मे बहुत खूबसूरत लग रही हो. आओ बैठो यहाँ कुछ देर."
" नही मुझे जाने दो. बच्चे के दूध पीने का टाइम हो गया है." रचना ने धीरे से कहा.
" कितना किस्मेत वाला है." राज शर्मा ने धीरे से उसके साथ मस्ती करते हुए कहा.
" धात आप बहुत गंदे हो." फिर कुछ देर तक चुप्पी रही सिर्फ़ बीच बीच मे चूड़ियों की या कपड़ों के सरकने की आवाज़ आ रही थी.
" एम्म छोड़ो मुझे प्लीज़. राधा आती ही होगी. मुझे इस तरह तुम्हारी बाहों मे देख कर क्या सोचेगी. तुम मर्द तो कुछ ना कुछ बहाना बना कर बच जाओगे. मैं ही बदनाम हो जाउन्गि." रचना के गिड़गिदाने की आवाज़ आई.
"इतनी जल्दी भी क्या है. राधा काम पूरा करके आएगी कुछ देर तो लगेगा."
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