RE: mastram kahani राधा का राज
"क्यों अब तो दिल को सुकून मिल गया. मेरी सहेली के बूब्स को देख कर अब मन मचल रहा होगा उन्हे छ्छूने के लिए. लेकिन खबरदार अगर अपनी जगह से भी हिले तो." मैने कहा. वो कुछ उचक कर रचना के निपल को देखने की कोशिश कर रहा था.
"अच्छा सॉफ नही दिख पा रहा होगा जनाब को." मैने कहा और अपने हाथ बढ़ा कर उसके ब्लाउस के बाकी बचे बटन्स खोल दिए. आख़िरी बटन खोलते समय रचना ने अपनी हथेली को मेरी हथेली के उपर रख कर एक हल्का सा अनुरोध किया, " नही राधा.."
लेकिन मैने आख़िरी बटन को भी खोल दिया. मैं राज शर्मा की तरफ देख कर मुस्कुरई और धीरे से अपने हाथों से ब्लाउस के पल्ले को रचना के दूसरे स्तन के उपर से हटा दिया. उसका स्तन एक तो दूध से भरा होने की वजह से और दूसरा किसी पदाए मर्द की नज़रों की तपिश पा कर एक दम कड़ा हो रहा था. निपल्स खड़े होकर आधे इंच लंबे हो गये थे. रचना अपने जबड़ों को आपस मे भींच कर अपने मन मे चल रहे उथलपुथल को बाहर आने से रोक रही थी. मैने ब्लाउस को कंधे से नीचे उतार दिया और रचना की हल्की मदद से उसे उसके बदन से अलग कर दिया. अब रचना टॉप लेस होकर राज शर्मा के सामने बैठी हुई थी. उसका एक स्तन बच्चे के मुँह मे था और दूसरा किसी के होंठों की चुअन के लिए तड़प रहा था. राज शर्मा ने अपना एक हाथ बढ़ा कर उसके उस उरोज को छुआ तो रचना अपने मे सिमट गयी. राज शर्मा अपनी एक उंगली रचना के निपल के उपर फिरा रहा था. रचना के मुँह से "आअहह……म्म्म्मम…." जैसी सिसकारियाँ निकल रही थी. मैने राज शर्मा के हाथ के उपर एक हल्की सी चपत मार कर उसके स्तन के उपर से हटा दिया.
" मैने कहा ना छूना मना है. तुम देखना चाहते थे रचना के बदन को मैने दिखा दिया. इसके आगे कोई हरकत मत करना." लेकिन आग तो भड़क चुकी थी अब तो इसे सिर्फ़ दोनो का सहवास ही शांत कर सकता था. जब एक स्तन का दूध ख़त्म हो गया तो उस निपल को मुँह से निकाल दिया. रचना ने उसे घुमा कर अब अपने दूसरे स्तन के निपल को बच्चे के मुँह मे डाल दिया. बच्चा वापस उसे चूसने मे जुट गया. पहले वाले निपल्स के उपर एक बूँद दूध लटक रहा था. जो बच्चे के मुँह मे जाने से बच गया था. मैने अपनी उंगली मे उस दूध के बूँद को लेकर राज शर्मा की तरफ बढ़ाया राज शर्मा किसी बरसों के भूखे की तरह लपक कर मेरी उंगली को अपने मुँह मे भर कर उसे चूसने लगा.
राज शर्मा आगे बढ़ कर रचना के स्तनो को दोबारा च्छुना चाहता था. इस बार मैने मना नही किया. रचना ने ही उसके हाथ को अपने मकसद मे कामयाब होने नही दिया.
रचना का बच्चा कुछ ही देर मे पेट भरने पर दूसरे निपल को छोड़ कर वापस सो गया. अभी उस स्तन मे दूध बचा हुआ था. रचना ने ब्लाउस पहनने के लिए मेरी ओर हाथ बढ़ाया. मगर मैं तो इतनी जल्दी उसे छोड़ना नही चाहती थी. मैने उसके निपल को अपनी दो उंगलियों मे भर कर हल्के से दबाया तो दूध की एक तेज धार उससे निकल कर सामने बैठे राज शर्मा के पैरों के पास गिरी.
"पियोगे?.... .." मैने राज शर्मा की ओर देखते हुए पूचछा, " अभी कुछ बाकी है. ख़तम करोगे इसे."
अँधा क्या चाहे दो आँखे जैसी ही बात थी. राज शर्मा ने अपने सिर को ज़ोर से हिलाया जिससे मुझे समझने मे किसी तरह की ग़लती ना हो जाए. रचना ने एक बार नज़रें उठा कर राज शर्मा को देखा और मुस्कुरा कर अपनी सहमति भी जता दी. राज शर्मा झपट कर उठा और रचना के स्तन को थामने के लिए आगे बढ़ा.
"नही ऐसे नही. इस काम को पूरा मज़ा लेकर करो कहीं ये भागी तो जा नही रही है. चलो बेडरूम मे" मैने कहा. राज शर्मा तो खड़ा हो ही चुका था. मैने रचना के हाथ से बच्चा लेकर राज शर्मा को थमाया और रचना को खींच कर खड़ा किया. अभी भी कुछ झिझक बची थी उसमे. उसे खड़ी करके मैने उसकी सारी को भी बदन से हटा दिया. अब वो सिर्फ़ एक पेटिकोट पहने हुए थी.
क्रमशः...........................
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