mastram kahani राधा का राज
04-07-2019, 12:31 PM,
#33
RE: mastram kahani राधा का राज
राधा का राज--11 end
गतान्क से आगे....................
फिर उसने जो किया मैने भी आज तक कभी नही किया था. ना ही राज शर्मा को उसके इस हरकत की कोई आशा थी. उसने राज शर्मा के दोनो नितंब अपने हाथों से पकड़ लिए और फिर अपने होंठों को उसके नितंबों से उपर उठा कर अपनी जीभ निकाल ली. रचना ने अपने दोनो हाथों से राज शर्मा के दोनो नितंबों को अलग किया और वाउ….. वो अपनी जीभ राज शर्मा के गुदा द्वार पर फिराने लगी. राज शर्मा भी एक बार चिहुनक उठा. रचना अपनी जीभ दोनो टाँगों के जोड़ से लेकर जहाँ पर राज शर्मा के दोनो नितंब ख़तम होते हैं वहाँ तक फिरा रही थी.

अब राज शर्मा से रहा नही गया और उसने रचना को उठा कर बिस्तर पर पटक दिया. रचना उसे एक बार मना की मगर वो सुना नही. तो उसने भी राज शर्मा की उत्तेजना का आनंद लेने का मन बना लिया. राज शर्मा के सामने वो लेट कर अपनी दोनो टाँगें हवा मे फैला कर छत की ओर उठा दी. और राज शर्मा के बालों को पकड़ कर उसके सिर को अपनी दोनो जांघों के बीच दबा दिया. राज शर्मा अपनी उंगलियों से रचना की योनि की फांकों को अलग करके उसके अंदर अपनी जीभ डाल कर चाटने लगा. रचना उसके सिर को सख्ती से अपनी दोनो जांघों के बीच दबा कर अपनी कमर को उपर की ओर उचका रही थी. राज शर्मा उसकी योनि का रस चाट चाट कर सॉफ कर रहा था. तभी रचना अपने सिर को ज़ोर ज़ोर से तकिये पर पटाकने लगी,

"आआआअहह… ..ऊऊऊओह…सुउुुुुुउरााआआ आज……..म्‍म्म्मममम… ..राआआआईईएल्ल्ला आ………..बाचााआअ… .मुझीईए….आआआहह ह………..माणिईीई… ..गगैइिईईईईईईईई……" रचना की चीखों से पूरा कमरा गूँज गया. रचना के रस का बहाव ख़त्म होने के बाद वो धम से बिस्तर पर इस तरह गिरी मानो किसी ने किस गुब्बारे से हवा निकाल दी हो. अब वो बिस्तर पर निस्चल पड़ी ज़ोर ज़ोर से हाँफ रही थी. उसका पूरा बदन हर साँस के साथ उपर नीचे हो रहा था.

राज शर्मा ने रचना का पूरा वीर्य अपनी जीभ से सॉफ कर दिया. उसके दोनो हाथ रचना के स्तनो को मसल रहे थे और जीभ योनि के अंदर फिर रही थी. उसकी हरकतों से रचना वापस गर्म होने लगी. उनकी हरकतों से मेरी योनि भी गीली हो गयी. मैने अपने कपड़े भी उतार दिए और अपनी उंगलियों से अपनी योनि को सहलाने लगी.

कुछ देर बाद राज शर्मा ने रचना की टाँगों को छत की ओर उठा दिया. मैने आगे बढ़ कर रचना की दोनो टाँगें अपने हाथों से थाम ली. राज ने उसकी दोनो टाँगों के बीच बैठ कर रचना की योनि को अपनी उंगलियों से फैलाया और उसके योनि के द्वार पर अपने लंड को सटा कर एक ज़ोर के धक्के के साथ अपने लंड को पूरा अंदर कर दिया. और वो रचना के स्तनो को चूमते हुए उसके उपर लेट गया.

मैने एक ज़ोर की साँस ली. मेरी कोशिश आख़िर कामयाब हो चुकी थी. मैने रचना को अपने हज़्बेंड से चुदवा कर अपने साथ अरुण द्वारा किए गये सामूहिक बलात्कार का बदला ले लिया.

राज शर्मा ज़ोर ज़ोर से रचना के साथ संभोग करने लगा. रचना भी पूरी उत्तेजना मे अपनी दोनो टाँगों को मेरी पकड़ से छुड़ा कर राज शर्मा की कमर को आलिंगन मे जाकड़ लिया. रचना किसी बेल की तरह राज शर्मा के बदन से लिपटी हुई थी और उसके कमर की हरकत के साथ रचना का भी बदन बिस्तर से उपर नीचे हो रहा था. रचना ने आगे बढ़ कर मेरी टाँगों के जोड़ पर अपना चेहरा रख कर मेरी योनि को अपनी उंगलियों से सहलाने लगी थी.

"थॅंक उूउउ राआाआल…..तूने मेरी बरसो की चाहत को पूरा कर दिया. आआआहह….. मैं कब से इस दिन का सपना देख रही थी…" रचना अपने हाथों से मेरे चेहरे को पकड़ कर अपने होंठों पर झुकाया और मेरे होंठों को चूमने लगी.

"तो फिर इतने दिन नखरें क्यों करती रही?" मैने पूछा.

"कैसे मैं हा हा अपने दिल की बात बिनाअ किसीइ संकोच के अपनीी जुबाअं पर लाती. आख़िर हम हम हम हूँ हूँ तो एक औरत ही नाअ…..वो भी शाआदी शुदाा….एम्म्म" वो राज शर्मा की दोनो सख़्त चुचियों पर अपने हाथ फिराने लगी.

"अया राआआजज आआहह आौर्र्रररज़ोर सीई और ज़ोर सीई…….हां हां ऐसे…ऑफ ओफफफफ्फ़…" रचना कुछ देर मे स्खलित हो गयी. मगर उसका मन अभी तक नही भरा था और वो वापस उसी आवेग से फिर राज शर्मा
के धक्कों का जवाब देने लगी. पूरा बिस्तर दोनो के धक्कों से चरमरा रहा था. दोनो पसीने पसीने हुए एक दूसरे को हराने के प्रयास मे लगे हुए थे.

रचना मुझे प्यार किए जा रही थी और मैं खुशी से उसके चेहरे को उसके बालों को सहला रही थी. कोई पंद्रह मिनट तक लगातार इसी तरह संभोग करने के बाद राज शर्मा ने उसे किसी गुड़िया की तरह उठाया और बिस्तर पर हाथ और पैरों के बल उल्टा करके झुका दिया. अब वो रचना को पीछे की तरफ से ठोकने लगा. उसके हर धक्के के साथ रचना के दोनो बड़े बड़े स्तन उच्छल रहे थे. रचना का मुँह खुला हुआ था आँखें मानो पथरा गयी थी. वो एक टक बस मुझे देख रही थी उसके मुँह से किस तरह की कोई आवाज़ नही आ रही थी सिर्फ़. मैने आगे बढ़ कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसके मुँह मे अपनी जीभ फिराने लगी. तब मानो उसे होश आया और वो "आअहह हाइईईई…..ऊऊऊंम्म म्माआ" करने लगी.

राज शर्मा का स्टॅम्न्ना वैसे भी बहुत ज़्यादा था और उसके बाद एक नयी योनि ठोकने को मिली थी इसलिए उसकी उत्तेजना ख़त्म होने का नाम ही नही ले रही थी. रचना ज़्यादा देर अपने शरीर के बोझ को अपने हाथों के सहारे उठा कर नही रख पाई. उसकी कोहनियों ने जवाब दे दिया और उसका चेहरा धप्प से तकिये पर गिरा. उसका चेहरा तकिये मे धंसा हुआ था और सिर्फ़ कमर राज शर्मा की ओर उठी हुई थी जिस पर राज शर्मा वार पे वार किए जर आहा था. कोई आधे घंटे तक बिना रुके रचना को चोदने के बाद राज शर्मा नेढेर सारा वीर्य रचना की योनि मे भर दिया. जब तक आख़िरी क़तरा रचना की योनि मे नही चला गया तब तक रचना की योनि मे अपना वीर्य किसी पिस्टन की तरह अपने लंड से पंप करता रहा. दोनो वही हानफते हुए लुढ़क गये. रचना का तो इसी दौरान तीन बार स्खलन हो चुका था.

कुछ देर राज शर्मा के सुस्ता लेने के बाद मैने उसके लंड को अपनी जीभ से वापस उत्तेजित किया और उसके लंड पर चढ़ाई कर मैने अपनी गर्म हो चुकी योनि की प्यास बुझाई. हमने सारी रात जाग कर बिताई. हम दोनो ने मिल कर राज शर्मा को खूब निचोड़ा. राज शर्मा जब दूसरे राज शर्मा के उदय होने का समय आया तो थकान से नींद की आगोश मे चला गया. हम दोनो भी उसके नग्न बदन से लिपट कर सो गये.

इसके बाद तो बस सिलसिला चल निकला. मैने रचना को विस्वास दिला दिया था कि हम तीनो के बीच के संबंधों के बारे मे हम हमेशा गुप्त रखेंगे. चाहे वो अरुण ही क्यों ना हो. अब हम एक ही कमरे मे एक ही बिस्तर पर सोते थे. जब अरुण आता तो रचना अपने मकान मे चली जाती वरना वो सारा दिन हमारे साथ ही रहती. राज शर्मा दो दो बीवियाँ पकड़ फूला नही समाता था. अरुण जब भी आता मुझे ज़रूर सबकी नज़र बचा कर एक दो बार अपने लंड से ठोक ही देता था. लेकिन अब मैं उतना बुरा नही मानती थी क्योंकि मैने उससे बदला ले लिया था. उसकी बीवी को मेरा पति अपनी दूसरी बीवी बना कर उसके साथ जब मर्ज़ी जितना मर्ज़ी सेक्स करता था. लेकिन राज शर्मा और मेरे प्यार मे किसी तरह का कोई बासी पन नही आया था. बालिक राज शर्मा दो दो बीवियाँ पकड़ और ज़्यादा कामुक हो गया था.

साल भर इस तरह मेहनत करने के बाद हम दोनो को एक साथ मेहनत का फल मिला. ऑलमोस्ट साथ साथ ही हम प्रेगञेन्ट हो गये. दोनो के पेट मे राज शर्मा का ही अंश था. लेकिन अरुण खुशी से फूला नही समा रहा था
दोस्तो ये कहानी यही ख़तम होती है फिर मिलेंगे किसी नई कहानी के साथ तब तक के लिए अलविदा दोस्तो आपको ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
दा एंड
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