RE: bahan sex kahani दो भाई दो बहन
वो अपनी गुड़िया को देखने लगा जो दीवान पर करीब करीब लेटी थी,
पीछे की ओर सिर किए उसका मासल बदन उस गुलाबी ड्रेस मे लिपटा हुआ
था और उसकी सुडौल और लंबी टाँगे कितनी अछी लग रही थी साथ ही
उसकी भारी और कड़ी चुचियाँ.
"और तुम मेरी गुड़िया एक सुन्दर परी बन गयी हो." उसने कहा.
उसने झुकते हुए एक बार फिर उसके होठों को अपने होठों मे लिया और
इस बार उसके होठों कोखोलते हुए अपनी जीब उसके मुँह मे डाल दी. रिया
ने भी अपनी जीब उसकी जीब से मिला दी लेकिन इस वॅन मे अकेले मे उसे
डर लग रहा था.
उसे लगा कि एक शीत लहर ने उसके निपल को तना दिया है, लेकिन ये
उसका भ्रम था आज़य की उंगलिया उसकी गुलाबी ड्रेस के उपर से उसके
निपल को दबा रही थी. मन ही मन जितना वो उससे नफ़रत करती
शरीर की काम अग्नि उसकी हरकतों का उतना ही साथ दे रही थी. उसकी
चूत मे अजीब सी हलचल मची हुई थी जो गीली होती जा रही थी.
"ये सही नही है.. छोड़ दीजिए मुझे,"
"तुम अपने पापा से प्यार करती हो ना गुड़िया..." उसने उसे जोरों से
चूमते और उसके होठों को चूस्ते हुए कहा.
उसने उसके दाएँ हाथ को पकड़ा और उसकी मुलायम और नाज़ुक उंगलियों
को अपने तने लंड पर दबा दी. रिया ने ना चाहते हुए भी उसके लंड
को पॅंट के उपर से पकड़ लिया, वो तन रहा था. वो अपना हाथ खींच
लेना चाहती थी लेकिन उसके लंड की गर्मी ने उसके हाथो को जैसे
बाँध दिया हो. उसकी उंगलिया मन्त्र मुग्ध हो उसके लंड की लंबाई और
मोटाई मापने लगी.
रिया के मुँह से खेलने के बाद उसका जीब उसके कान की ओर बढ़ी, अपनी
सांसो की गरम भाप उसने उसके कान पर छोड़ी और फिर उसके कान की लौ
को चूमने लगी. एक अजीब खुशी उसके बदन मे दौड़ गयी.
"प्लीज़ पापा रुक जाइए ये सही नही है," रिया ने कहा चाहा लेकिन
उसकी आवाज़ गले मे घूट कर रह गयी और उसकी उंगलिया अब भी अपने
पापा के लंड से खेल रही थी.
"आराम से गुड़िया.." वो धीरे से उसके कान मे पुशफुसाया, "में भी
देखूं कि मेरी गुड़िया मेरी ग़ैरहज़री मे मुझे कितना मिस करती रही
थी."
रिया की चूत मे खुजली मचनी शुरू हो गयी थी, "मुझे डर लग
रहा है पापा."
"कुछ नही होगा, इसमे डरने की क्या बात है, तुम्हे अपने पापा पर
भरोसा है ना.." उसने कहा.
उसने अपने पॅंट की ज़िप खोल कर अपनी पॅंट ढीली कर दी. रिया की
उंगलियाँ उसकी पॅंट के अंदर पहुँची और उसके नंगे खड़े लंड पर
जाकड़ गयी. जैसे ही उसकी हथेली ने तने हुए लंड को अपनी मुठ्ठी मे
लिया उसके दिल की धड़कने तेज हो गयी. वो उसके लंड को मसल्ने लगी
और वहीं उसकी चूत गीली होने लगी.
वो अपने घुटनो के बाल हो गया और रिया के चाहेरे को पकड़ अपना लंड
उसके मुँह के आगे कर दिया. रिया को जैसे ही अहसास हुआ कि वो क्या
करने जा रहा है उसने वहाँ से उठना चाहा तो रिया के चेहरे पर
उसकी पकड़ और कस गयी.
"तुम्हे मारने पर मुझे मजबूर मत करो..." उसने गुर्राते हुए कहा,
वो जानवर वापस आ गया था.
अपने बाप के गुस्से और मार का ख़ौफ़ आज भी उसके मन मे इतना था कि
रिया ने खुद को उसके हवाले कर दिया. उसने उसके होठों को अपने लंड
पर दबाया और उसका लंड रिया की खुले और गरम मुँह मे घुसता
चला गया.
उसके वीर्य की बूंदे के स्वाद ने उसके मुँह को नमकीन सा कर दिया
था, मन मे डर पर दिल मे चाहत लेते हुए रिया उसके लंड को चूसने
लगी.
"ऑश गुड़िया तुम्हारा मुँह मेरे लंड पर कितना अच्छा लग रहा है..."
वो खुशी मे सिसक पड़ा.
वो उसके सिर को पकड़े उसके सिर को अपने लंड पर उपर नीचे करने
लगा. कभी तो वह अपने लंड को उसके गले तक धकेल देता. रिया अब
मन लगाकर जोरों से उसके लंड को चूस रही थी.
"मुझे उमीद नही थी कि इस जनम मे तुमसे दुबारा मुलाकात होगी, ये
तो हमारा नसीब था कि हम टकरा गये," उसने झूट बोला, "हमे तो
मिलना ही था गुड़िया."
उसका एक हाथ उसके सिर पर से खिसक कर उसकी गर्दन पर आ गया और
उसकी गुलाबी ड्रेस की ज़िप को पीछे से नीचे तक खींचता चला
गया. रिया ने महसूस किया कि उसकी ड्रेस कुछ ढीली पड़ गयी है.
रिया उसके लंड को चूस रही थी और उसने आगे से उसकी ड्रेस को
नीचे करते हुए उसके भरी चुचियों को नंगा कर दिया. अब वो उन
चुचियों को अपने हाथों मे ले मसल्ने लगा, भींचने लगा.
"पापा की प्यारी गुड़िया अब काफ़ी बड़ी हो गयी है.." उसने कामुक भरी
आवाज़ मे कहा.
उसने अपने लंड को रिया के मुँह से निकाला और उसे थोड़ा धक्का देते
हुए पलंग पर चित लीटा दिया और खुद उसके बगल मे लेट गया.
आज़य रिया की आँखों मे झाँकने लगा जहाँ उसे डर के साथ चाहत
भी नज़र आई. वो मुस्कुराते हुए उसकी ओर बढ़ा और अपने होंठ उसके
होठों पर रख अपनी जीब उसके मुँह मे डाल दी. रिया पहले तो घबराई
लेकिन चाहत डर पर हावी हो गयी और उसने अपनी जीब उस जीब से मिला
दी और जोरों से उसकी जीब को चूसने लगी. वो उसकी खड़ी चुचियों
को मसल्ने लगा और रिया के मुँह से मादक सिसकारियाँ फूटने लगी.
"तुम्हारा शरीर कितना अछा लग रहा है," आज़य ने उससे कहा.
उत्तेजना अपने चरम सीमा पर थी. रिया उसे पाना चाहती थी, उसके
नाज़ुक हाथ उसके खड़े लंड पर जाकड़ गये और वो उसे ज़ोर से मसल्ने
लगी. चूत मे उठती गर्मी और खुजली से वो परेशान हो रही थी,
उससे रहा नही जा रहा था.
"ओह पापा मुझे चूओदिए प्लीज़ अब नही सहा जाताअ ओह पापा
अपना खड़ा लंड मेरी चूत मे डाल कर मुझे प्यार कीजिए पापा..." वो
सिसक पड़ी.
आज़य खुद पर मुस्करा पड़ा, उसे शुरू से ही पता था कि वो आज इसे पा
के रहेगा. उसकी हाथ उसकी चुचियों से खिसकते हुए नीचे की ओर
बढ़े, पहले तो उसने उसकी गुलाबी ड्रेस के उपर से उसके पेट को
सहलाया फिर अपने होठों से चूमने लगा.
फिर नीचे खिसकते हुए वो उसकी टाँगो के बीच आ गया. उसकी ड्रेस
को उसकी कमर तक उपर कर वो उसकी नंगी जांघों को चूमने लगा.
अपनी जीब से चाटने लगा, फिर अपनी हथेली उसकी गीली हुई पॅंटी के
उपर से उसकी चूत के उपर रख दी.
फिर चूत को मसल्ते हुए वो अपनी जीब पॅंटी के साइड से उसकी चूत
के किनारों पर फिराने लगा, रिया की सिसकिया तेज हो गयी. काम अग्नि
की ज्वाला उसके शरीर मे तांडव मचाने लगी. उसने अपनी टाँगे आपस
मे जोड़ी और आज़य ने उसकी पॅंटी नीचे खिसका दी. रिया ने पॅंटी को
अपने पैरों मे फँसा निकाल डी और दूर उछाल कर फैंक दी.
एक बार फिर उसने अपनी टाँगे फैला दी और आज़य का चेहरा उसकी टाँगो के
बीच आ गया. उसने अपना मुँह उसकी चूत पर रखा और उससे छूटते
शहद को पीने लगा, वो जोरों से उसकी चूत को चूस रहा था.
आज़य की जीब ने तो जैसे उसकी अग्नि को और भड़का दिया, "ओ डेडडी
हां चूसो ऐसे ही चूवसो और ज़ोर से चूसो ऑश हाआना काअतो
मेरी चूओत को ऑश."
रिया ने दोनो हाथों से उसके सिर को पकड़ा और अपनी टाँगे उसकी गर्दन
मे फँसा अपनी चूत उपर को उठाते हुए उसके मुँह को अपनी चूत
पर और दबा दिया.
"हाआँ पाप चूवसिए अपनी इस गुड़िया की चूत को ऑश हाआँ और
चूवसिए. ऑश हाआँ मेरा छूटने वाला है..हां आरू ज़ोर से
चूसिए."
सिसकते हुए उसने अपनी टाँगे और कस दी, तभी जैसे ज्वालामुखी फट
पड़ा हो उस तरह उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. चूत की अग्नि शांत तो
हो गयी लेकिन बुझी नही थी.
आज़य एक बार फिर घुटनो के बल हुआ और उसने अपनी शर्ट उतार दी फिर
अपनी पॅंट के बकल खोले और बैठ गया, उसकी बेटी ने उसकी पॅंट को
उसकी टाँगो से अलग कर दिया. अब रिया पीछ को हो लेट गयी और अपनी
टाँगे फैला दी.
आज़य उसकी टाँगो के बीच आ गया और अपने लंड को पकड़ उसकी चूत
के मुँह पर रख दिया. फिर धक्का देते हुए उसने अपने लंड को अंदर
घुसा दिया. रिया ने भी अपनी कमर को उपर उठा उसके लंड को अपनी
चूत को जड़ तक ले लिया.
आज़य अब उसकी चुचियों को पकड़ ज़ोर ज़ोर के धक्के मार रहा था.
रिया ने अपनी टाँगे उसकी कमर मे लपेट ली और नीचे से कमर उछाल
उसके हर धक्के का जवाब दे रही थी.
'ओह पापा चूडिए अपनी गुड़िया को ऑश हाआँ और ज़ोर से पापा ऑश
हाआँ और ज़ोर से." वो सिसक रही थी और वो धक्के मार रहा था.
'हां गुड़िया ले ले मेरे लंड को आं अपनी चूत मे जाकड़ ले इसे अपनी
चूत मे हाआना ले और लीयी"
फिर आज़य ने करवट बदली और रिया को अपने उपर ले लिया. उसके
चूतदों को नीचे से पकड़ वो अपनी कमर उठा लंड को अंदर
घुसाने लगा. रिया ने अपनी टाँगो को उसकी इर्द गिर्द ठीक से रखा और
फिर उछल उछल कर वो धक्के लगाने लगी. वो उपर उठती और ज़ोर से
नीचे बैठते हुए उसके लंड को अपनी चूत की जड़ तक ले लेती.
क्रमशः..................
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