RE: bahan sex kahani दो भाई दो बहन
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गतान्क से आगे.......
सही मे राज को रोमा के साथ ये सब मज़ाक या शैतानी करने का मौका
ही नही मिला था... रोमा काफ़ी कुछ अपनी पढ़ाई मे वय्स्त रहती थी...
राज हर बार अपने दिल की भावनाओ को दबा के रह जाता था.. और आज
इतने दिनो बाद उसे खुल कर मज़ा लेने का मौका मिला था.. रिया के
साथ था तो क्या हुआ.... आख़िर वो भी दोस्त थी.
जब दोनो ने मिलकर बर्तन और किचन सॉफ कर ली तो रिया राज से
बोली..." राज में दो मिनिट मे कपड़े बदल कर आई.. अगर तुम्हे भी
बदलने हो तो बदल लो."
"नही में ऐसे ही ठीक हूँ." राज ने जवाब दिया.
दोनो के किचन से बाहर निकलते ही किचन एक दम शांत हो गया...
कहने को तो रोमा की नज़रें कीताबों पर गढ़ी हुई थी... लेकिन उसके
जेहन मे राज और रिया ही दौड़ रहे थे... उसे इस बात का अच्छी तरह
एहसास था कि दोनो की जोड़ी कितनी अच्छी लगती थी... और दोनो की आपास
मे दोस्ती भी अच्छी थी... उसे लगने लगा कि वो ज़बरदस्ती राज और
रिया के बीच आ रही है.. पर दिल मे बसे राज का प्यार उसे छोडने
को तैयार ही नही था.
"प्लीज़ ऐसा मत करो ना?" रिया की जोरों की आवाज़ गूँजी.
रोमा ने देखा कि रिया दौड़ते हुए किचन मे आई और रुक गई... और
राज उसके पीछे दौड़ते हुए आआया... रिया ने एक सेक्सी पीले रंग की
स्कर्ट और उसपर हल्के प्रिंट की सफेद शर्ट पहन रखी थी... इस
ड्रेस मे वो बहोत ही सेक्सी लग रही थी...शर्ट का उपरी बटन
खुला हुआ था जिससे उसकी चुचियों की घाटी सॉफ नज़र आ रही
थी.... रोमा अपनी कुर्सी से उठी और रिया को अपनी बाहों मे भर लिया.
"थॅंक्स रोमा आज के एहसान का बदला में ज़रूर एक दिन चुका
दूँगी.." रिया उसके कान मे फुसफुसा और उसके होठों को चूम लिया.
"अब जाओ और आज की रात एंजाय करो." रोमा ने अपनी सहेली को राज
की और धकेलते हुए कहा.
रिया के हटते ही राज ने आगे बढ़ कर रोमा को अपनी बाहों मे भर
उसके होठों को चूम लिए.. "तुम जानती हो ना में तुमसे बहोत प्यार
करता हूँ."
"में भी तुमसे बहोत प्यार करती हूँ राज." रोमा ने उसे बाहों मे
भरे हुए कहा.
राज ने उसके होठों को चूमते हुए अपनी जीब से उसके मुँह को खोला और
अपनी जीब उसके मुँह मे दे दी.. रोमा ने भी प्यार से अपना मुँह खोलते
हुए उसकी जीब से अपनी जीब मिला दी और उसे चूसने लगी..... आज कई
दिनो बाद दोनो एक दूसरे को इस अंदाज़ मे प्यार कर रहे थे.... रोमा
के शरीर मे गर्मी भर गयी और उसके निपल तन कर राज की छाती मे
धँसने लगे.... उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी..और उसे विश्वास था कि
अगर इस वक्त वो उसे लेकर कमरे मे जाती तो राज निसंकोच उसके साथ
चल देता.
पर रोमा ने अपने जज्बातों पर काबू किया और अपने आप को राज से
छुड़ाते हुए बोली... "अब तुम जाओ नही तो तुम्हे लेट हो जाएगी और
फिर रात को आने मे भी देर कर दोगे."
राज रोमा से अलग हुआ और अंदर कमरे मे अलमारी की तरफ बढ़ गया.
"मेने अलमारी से 200/- रुपये लिए है... क्यों ठीक रहेंगे ना?"
राज ने रोमा से कहा.
राज और रोमा जब से यहाँ आए थे खर्चे के लिए बॅंक से रुपये
निकाल कर अलमारी रखते थे और लेने से पहले एक दूसरे से सलाह कर
लिया करते थे.
रोमा को पता नही क्यों राज का रिया के साथ बाहर जाना अच्छा नही लग
रहा था... एक डर एक गम के मारे उसकी आँखो मे आँसू आ गये..
कहने को तो उसने रिया से वादा किया था लेकिन फिर कहीं दिल के किसी
कोने मे उसके डर समाया रहता था कि अगर राज रिया से ज़्यादा घुल मिल
जाएगा तो एक दिन वो उससे दूर चला जाएगा..और उसकी जुदाई के ख़याल
से ही वो डर जाती थी.
रोमा ने अपनी गर्दन हिला कर राज को जवाब मे हां कहा और राज और
रिया फ्लॅट से बाहर चले गये... उनके जाने के बाद रोमा ने टेबल पर
पड़ी किताब को बंद कर दिया क्यों कि उसका मन पढ़ाई मे नही था...
और ऐसे हालत मे पढ़ाई हो भी नही सकती थी.
रोमा के आँखों से आँसू बह रहे था....वो सोचने लगी, "भगवान
काश राज भी मुझे उतना ही और वैसा ही प्यार करता जैसा में उससे
करती हूँ.... उसे मेरी आँखों मे प्यार क्यों नही दिखाई देता.. वो
मेरे जज्बातों क्यों नही समझ पाता..."
रोमा को वो रात याद आने लगी जब महीनो पहले तालाब किनारे रिया ने
उससे कहा था... वो आज भी उन शब्दों को नही भूल पाई थी... "हो
सकता है कि ये सब तुम्हारा एक ख़याल एक सपना हो." रोमा सोचने लगी
की रिया की कही बाते सच तो नही है.
राज के चुंबन ने उसके शरीर को उत्तेजना मे भर दिया था... उसके
निपल तन कर खड़े हो गये थे और ब्रा के अंदर चुभ रहे थे...
और पेट के नीचे हिस्से मे गर्मी बढ़ती जा रही थी.
"शायद मुझे भी उनके साथ चले जाना चाहिए था..." वो सोचने
लगी... "में भी रात के मज़े ले सकती थी."
पर रोमा को पता था कि राज और रिया दोनो ही उसके इस फ़ैसले से
खुश नही होते....वो नही चाहते कि रोमा उनके प्यार के बीच
आए... वो ये भी अच्छी तरह जानती थी कि दोनो आपस मे काफ़ी खुश
रहेंगे.... उसे अपना भविश्य अंधकार मे डूबता नज़र आ रहा था.
रोमा ने अपनी आँखों को पोंच्छा और कमरे मे जाकर उसी अलमारी से
100/- निकाले और अपने कपड़े बदलने लगी. नीले रंग की जींस और
हल्के आसमानी रंग की शर्ट पहन कर वो फ्लॅट से बाहर निकल गयी.
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