RE: bahan sex kahani दो भाई दो बहन
"क्या तुम मेरे उपर आकर धक्के लगाना पसंद करोगी.. जिससे में
तुम्हारे इस सुन्दर बदन को देख सकूँ खेल सकूँ..." जीत ने अपने लंड
को अंदर घुसाते हुए कहा.
"मुझे खुशी होगी." रोमा ने अपनी टाँगो की गिरफ़्त और मजबूत करते
हुए जवाब दिया.
जीत ने उसे बाहों मे भींचे भींचे करवट बदली और रोमा उसके उपर
आ गयी.... वो थोड़ा सा सीधी हुई और उछल उछल कर उसके लंड को
अपनी चूत मे लेने लगी....उसकी चुचियाँ किसी गेंद की तरह उछलने
लगी.. उसके निपल पूरी तरह तन कर खड़े थे...
रोमा अपनी चूत की मांसपेशियों को कसते हुए उसके लंड पर उठ बैठ
रही थी.... "तुम्हारा मोटा लंबा लंड कितना अच्छा लग रहा है.."
रोमा ने देखा कि जीत उसकी चुचियों को देख रहा है तो वो अपने
हाथो के ज़ोर से थोड़ा आगे को हुई और उसकी चुचियाँ उसके चेहरे से
रगड़ खाने लगी... अब जब रोमा उसके लंड पर उठती बैठती तो उसकी
चुचि जीत के चेहरे से रगड़ कर गुज़रती... एक अज़ीब सा नशा भर
रहा था दोनो के बदन मे.... जीत ने अपनी जीब बाहर निकाल दी थी
जिससे उसके निपल पर रगड़ जाती... रोमा और उन्माद मे भर उठी.. वो
और तेज़ी से उसके लंड पर उछलने लगी..
जीत ने रोमा को कमर से पकड़ा और उसे अपनी छाती पर लीटा लिया...
रोमा अब भी धक्के लगा रही थी और जीत नीचे से अपनी कमर उठा
उसका साथ दे रहा था.... रोमा को इस तरह जीत की बाहों मे लेटकर
चुदाई मे बड़ा मज़ा आ रहा था... हर गुज़रते लम्हे के साथ वो जीत
से और ज़्यादा प्यार करने लगी थी.. उसकी और इज्ज़ात करने लगी थी...
जीत ने एक बार फिर करवट बदली और रोमा के उपर आ गया और ज़ोर ज़ोर
से धक्के मारने लगा... वो अपने लंड को धीरे से बाहर खींचता और
एक ज़ोर का धक्का लगा पूरा अंदर घुसा देता... रोमा की सिसकिया और तेज
होने लगी.. वो कमर उछाल उसका साथ देने लगी.. जीत उसे वैसे ही
चोद रहा था जैसी उसे ज़रूरत थी.
"हां चोदो मुझे और ज़ोर से चोदो ऑश हाआँ घूसा दो पूरा लंड
मेरी चूत मे ऑश और ज़ोर से ऊहह. हां मेरा छूटने वाला है."
रोमा सिसक रही थी.
जीत ने उसकी चुचियों को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा...
"श हाआँ ऐसे ही ऑश हन्न्न में तो गयी..." सिसकते हुए उसकी चूत
ने पानी छोड़ दिया.
जीत का लंड भी पूरी तरह उबाल पर था.. उसका दिल तो कर रहा था कि
पूरी रात रोमा की चूत को चोद्ता रहे लेकिन उसका लंड था कि उसका
साथ देने को तैयार नही था.. वो झड़ने ही वाला था.. जीत ने एक ज़ोर
का धक्का मारा और अपने उसकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया.
जीत रोमा के उपर से हट उसके बगल मे लेट गया... "तुम बहोत अछी हो?
इतना अछा मुझे कभी नही लगा..." जीत ने उसे चूमते हुए कहा.
"तुम भी बहोत अच्छे हो जीत.. तुमने मेरी जिंदगी मे फिर एक बार खुशी
ला दी.. थॅंक्स." रोमा ने उसके होठों को चूमते हुए जवाब दिया.
"क्या तुम रात को रुकना पसंद करोगी?" जीत ने पूछा.
रोमा थोड़ा हिचकिचाई... दिल मे जीत के लिए प्यार जाग रहा था
लेकिन वो आज भी राज के लिए तड़प रही थी... उससे दूर रहकर तड़प
और बढ़ गयी थी.," अगर तुम कहो तो थोड़ी देर रुक जाती हूँ...
लेकिन रात को मुझे घर जाना होगा." रोमा ने जवाब दिया.
क्रमशः..................
|