RE: bahan sex kahani दो भाई दो बहन
26
गतान्क से आगे.......
राज ने अपनी पसंद की किताबे लाइब्ररी से पसंद की और बाहर निकल
आया.. तभी उसने महसूस किया कि एक सुंदर लड़की उसके बगल से गुज़रते
हुए मुस्करा रही है..... राज भी उसे देख मुस्कुरा दिया... और उसके
गोरे सुडौल बदन को देख उसके लंड मचलने लगा.
पीछले एक हफ्ते से वो और रोमा दोनो इतने व्यस्त थे अपने काम और
पढ़ाई मे कि उन्हे फ़ुर्सत ही नही मिली थी चुदाई करने की....पर उसने
निस्चेय कर लिया था कि उसे रोमा के लिए वक्त निकालना होगा... और रोमा
को भी उसके लिए वक्त निकालना होगा.. अगर वो साथ साथ रहेंगे तो फिर
रिया को अड्जस्ट करना होगा जिंदगी मे... आने वाले साप्ताह के आख़िर मे
काफ़ी छुट्टियाँ थी.. तभी उसके दिल मे एक ख़याल आया.
"क्यों ना हम सब छुट्टियों मे फिर एक बार उसी तालाब के किनारे चले
जाएँ जहाँ से सब शुरू हुआ था..." उसने अपने आप से कहा.
रोमा अब अपना ज़्यादा से ज़्यादा समय घर के बाहर रहकर जीत के साथ
पढ़ाई मे बिताती... उसका कहना था कि घर मे रह कर उसका मन नही
लगता और फिर अगर पढ़ाई के बीच उसे कुछ पूछना हो तो जीत के
होने से उसका हल तुरंत मिल जाता था.
वहीं राज रोमा के इस बदलते व्यवहार को महसूस कर रहा था.. पर
समस्या एक नही कई थी... बॅंक मे पैसे ख़तम होते जा रहे थे...
इसलिए उसने पढ़ाई के अलावा पार्ट टाइम नौकरी भी कर ली जिससे कि
पैसे की तंगी महसूस ना हो. ..
अक्सर काम की वजह से उसे घर पहुँचने मे देरी हो जाती थी.. एक
शाम जब वो घर से कुछ ही दूरी पर था उसने देखा कि रोमा कंधे
पर काले रंग का बॅग लटकाए कहीं जा रही थी.... रोमा को इस तरह
कहीं जाते देख राज कुछ शक़ हुआ... वो धीरे धीरे उसका पीछा
करने लगा.
उससे दूरी बनाए राज काफ़ी देर तक उसका पीछा करता रहा... रोमा
पैदाल ही कहीं जा रही थी... शाम ढाल चुकी थी और हवा मे
थोड़ी ठंडक हो गयी थी.... सर्दियाँ आने वाली थी.. दिन थोड़े
छोटे हो चले थे.... सूरज डूबने ही वाला था..
राज अपनी नज़रों को ज़मीन पर टीकाए पेड़ों के सहारे चल रहा
था.. वो नही चाहता था कि भूल से भी रोमा की नज़र उसपर पड़े...
जब भी उसके पैर किसी सूखे पत्ते पर पड़ते तो एक चरमराहट की
आवाज़ हो जाती जिससे रोमा पीछे मूड कर देखने लगती और राज को
तुरंत किसी पेड़ के पीछे छिप जाना पड़ता....... वो देख रहा था कि
रोमा को शायद किसी का पीछे करने का शक हो गया था.
अपनी बेहन का पीछा करते हुए कई सोचों ने उसके दीमाग को घेर
लिया था.... हवा मे थोड़ी ठंडक थी फिर भी रोमा ने एक छोटा
स्कर्ट पहन रखा था जिससे उसकी सुडौल टाँगे और भरे कूल्हे सॉफ
दिखाई दे रहे थे... जब रोमा ने अपना चेहरा पीछे घूमाया तो
उसने देखा कि उसने चेहरे पर अछा मेक अप किया हुआ था.... उसकी
बेहन काफ़ी सुंदर लग रही थी.. पर आज ऐसा क्या था.. वो इतना बन
संवर कर कहाँ जा रही थी... किसके लिए? यही सोच उसके दीमाग
मे थी.
उसके मन की जिगयासा बढ़ती गयी.. उसने देखा कि रोमा के सड़क को
क्रॉस किया तो वो एक पेड़ के पीछे छिप कर देखने लगा.. उसने देखा
कि रोमा ने एक मकान के दरवाज़े की घंटी बज़ा डी... एक हॅंडसम
मर्द ने दरवाज़ा खोला.
|