RE: bahan sex kahani दो भाई दो बहन
जीत समझ रहा था कि रोमा इन बातों के ज़रिए कहाँ बढ़ रही
थी.. लेकिन वो इस लड़की को बहोत पसंद करने लगा था... साथ ही वो
सुंदर और सेक्सी भी थी.. वो अंजान बन उसके खेल मे साथ देने लगा.
"जब तुम मेरे बारे मे सोचते हो तो क्या तुम्हारा लंड तन कर खड़ा हो
जाता है?"
"इतना ज़्यादा तन जाता है कि लंड मे दर्द होने लगता है.. सहा नही
जाता." जीत ने जवाब दिया.
रोमा एक बार फिर खिलखिला पड़ी.. वो ख़यालों मे उसके तने हुए लंड
की कल्पना करने लगी.. उसके चूत मे सरसराहट होने लगी... वो
कल्पना करने लगी की वो उसके तने हुए लंड को चूस रही है.. और
फिर उसके लंड से छूटे वीर्य को चटकारे लेकर पी रही है.. और
चाट रही है... या फिर उस लंड को अपनी चूत मे ले रही है...
"कहाँ खो गयी.. क्या सोचने लगी?" जीत ने पूछा.
"ऐसा क्या सोचते हो जिससे तुम्हारा लंड तन जाता है?" रोमा ने एक
बार फिर पूछा.
"में तुम्हे करके बताता हूँ>"
रोमा उसकी छाती से चिपक गयी और उसने अपनी आँखे बंद कर ली...
जीत के उंगलियाँ और हथेली उसकी नाज़ुक चिकिनी कमर को सहलाने
लगे...रोमा की साँसे तेज होने लगी.. निपल ब्लाउस के नीचे तनने
लगे.....जांघों के बीच गर्मी बढ़ने लगी.
जीत के हाथ जैसे ही उसकी कमर से उपर की ओर बढ़ने लगा रोमा
मुस्कुरा दी... आज जान बुझ कर उसने ब्रा नही पहनी थी... उसे
विश्वास था कि जब जीत ये देखेगा तो खुश हो जाएगा.
जीब की उंगलियों ने उसकी चुचियों को गोलैईयों को छुआ तो उसका बदन
कांप उठा... उसकी उंगलियाँ उसकी चुचियों के चारों ओर फिरने लगी..
और निपल को सहलाने लगी.
"तुम पहले से जानती थी कि ये सब ऐसा ही होगा इसलिए तुमने आज ब्रा
नही पहनी है ना? फिर ये बॅग और बुक लाने की क्या ज़रूरत थी..
में भी ज़बरदस्ती सोच मे पड़ गया या फिर तुम मुझे आजमाना
चाहती थी? जीत ने उसकी चुचियों को हल्के से भींचते हुए बोला.
रोमा ने अपने हाथों को उठाया और उसकी गर्दन को नीचे कर उसकी
आँखों मे देखते हुए अपने होठ उसके होठों पर रख दिए.
जीत के होठों ने उसके होठों को अपने घेरे मे ले लिया और दोनो की
जीब आपस मे मिल गयी.....जीत के हाथ उसकी चुचियों को मसल रहे
थे उसके निपल को भींच रही थी... रोमा चूत बढ़ती सरसराहट
से सिसक पड़ी.....
दोनो एक दूसरे की जीब को चूस रहे थे... जीत जितनी ज़ोर से उसकी
चुचि को मसलता रोमा उतनी ज़ोर से उसकी जीब को चूसने लगती.....
आख़िर रोमा ने अपना मुँह उसके मुँह पर हटा लिया और एक गहरी सांस
ले अपनी साँसे संभालने लगी... थूक उसके होठों के किनारे से बह
रहा था.
जीत का लंड उसकी पॅंट के अंदर पूरी तरह तन कर खड़ा हो चुका
था.. वो अपने खड़े लंड को पीछे से रोमा के चूतडो पर रगड़ने
लगा....जीत उसके ब्लाउस के बटन को खोलने लगा और फिर ब्लाउस को
खोल कर उसकी चुचियों को आज़ाद कर दिया.... फिर दोनो हाथो से
उसकी दोनो चुचियों को पकड़ने मसल्ने लगा.
"मुझे तुम्हारी ये चुचियाँ बहोत पसंद है.. कितनी मुलायम है और
साथ ही कठोर भी" जीत उसके कान मे फुसफुसाते हुए बोला.. "तुम
कितनी सुंदर हो रोमा."
रोमा ने अपना हाथ पीछे किया और जीत के लंड को पॅंट के उपर से
सहलाने लगी.. उसने महसूस किया कि उत्तेजना मे उसकी पॅंट थोड़ी वहाँ
से गीली हो गयी थी.. शायद लंड से रस चुउ रहा था. ... वो उसके
लंड के सूपदे को पॅंट के उपर से ही महसूस कर सहला रही थी....
लंड और अपने पूरे आकार मे आने लगा.
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