RE: bahan sex kahani दो भाई दो बहन
"में काम कर रहा था.." राज ने अपनी सफाई मे कहा, "में ज़्यादा से
ज़्यादा पैसा कमाना चाहता हूँ जिससे हमे कोई परेशानी ना हो..
लेकिन जब में यहाँ पहुँचा तो तुम कहीं जा रही थी... वो इंसान
कौन था जिससे तुम बड़े प्यार से मिल रही थी..? क्या तुम्हारा उसके
साथ कोई रिश्ता है?"
रोमा को सब समझ मे आ गया.. वो पत्तों की चरमराहट.. राज उसका
पीछा कर रहा था... रोमा को आत्म गिलानी होने लगी... "में इस
विषय पर कोई बात नही करना चाहती."
"लेकिन में बात करना चाहता हूँ," राज ने ज़ोर से कहा...लेकिन रोमा
थी कि कुछ सुनने को तैयार ही नही थी.... उसने लाइट बंद कर दी
और बिस्तर पर लेट गयी.
आख़िर राज ने भी हार मान ली.. "ठीक है आज से में रिया के साथ
सोना शुरू कर देता हूँ."
"हां तुम्हारे लिए यही ठीक रहेगा." रोमा ने जवाब दिया.
कमरे की दीवार के उस ओर रिया दोनो को झगड़ते सुनती रही.. उसे
समझ मे नही आ रहा था कि दोनो के झगड़े पर वो खुश होवे या
फिर अपना दुख प्रगट करे.... लेकिन कितने समय से वो इसी दिन का
इंतेज़ार तो कर रही थी.... लेकिन वो खुश थी कि आख़िर राज हमेशा
के लिए उसके कमरे मे शिफ्ट हो रहा था.. वो बिस्तर मे चादर ओढ़
कर लेट गयी..
"मुझे दुख है राज.. तुम दोनो को इस तरह नही झगड़ना चाहिए
था.." रिया ने धीरे से झूठ कहा.
"मेरी समझ मे नही आ रहा है कि उसे हो क्या गया है.." राज ने
झल्लते हुए कहा.. "में पैसा कमाने के लिए इतनी मेहनत कर रहा
हूँ.. और वो है की ये बात समझने को ही तैयार नही है... उसे
ऐसा लगता है कि पैसे जैसे झाड़ पर उगते हों."
राज उसके बगल मे चादर ओढ़ लेट गया.. धीरे उसके हाथ रिया की
चुचियों को सहलाने लगे... उसने धीरे से उसकी गर्दन को चूम
लिया... रिया के निप्ले तन गये.. राज ने उसके निपल को उंगली और
अंगूठे मे दबा भींच लिया.
रिया थोड़ा सा नीचे की ओर खिसकी और उसके अर्ध खड़े लंड को अपने
मुँह ले चूसने लगी... लंड मे जान आने लगी..और वो खड़ा होने
लगा. ... सही मे रिया राज को ये साबित करना चाहती थी कि राज ने
यहाँ आकर अछा ही किया था... उससे ज़्यादा कौन उसे खुश कर सकता
था..... किसी मर्द को खुश करने के लिए इससे बड़ी क्या चीज़ थी..
वो सेक्स का हर खेल उसके साथ खेल कर उसे खुश कर देना चाहती
थी.
जय ने राज को कुछ पार्ट टाइम काम दिया जिसे उसने हंसते हंसते
स्वीकार कर लिया... राज और रोमा ने उस रात के झगड़े के बाद एक
दूसरे से बात नही की थी... दोनो अपना ज़्यादा से ज़्यादा वक्त घर के
बाहर रहकर बीताते थे... जिससे की एक दूसरे का सामना ना करना
पड़े. राज के समझ मे नही आ रहा था की वो इस झगड़े को कैसे
ख़तम करे... वो रिया को भी तो दुखी नही कर सकता था... लेकिन
उसे हर रात रिया के सोना अच्छा नही लग रहा था जब कि उसकी प्यारी
बेहन बगल के ही कमरे मे अकेली सो रही हो..
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