RE: Desi Sex Kahani गदरायी मदमस्त जवानियाँ
दोनों सहेलिया फिर से गले मिली और फिर आगे की प्लानिंग शुरू हुई. दो हफ्तोँके बाद रोहित किसी कॉनफेरेन्स के लिए दुबई जाने वाला था, वो भी पांच दिन के लिए. प्राइवेट डिटेक्टिव से यह भी पता चला था की डॉली भी साथमें जाने वाली थी.
अब प्लान ये बना, की जैसे ही रोहित एयरपोर्ट के लिए चला जायेगा, माधुरी ड्राइवर को लेकर अपनी बड़ी बेहेन कामिनी के घर जायेगी.
वहांपर दो घंटे रुकने के बाद टैक्सी लेकर राज और सुनीता के घर आ जाएगी. वापसी के दिन भी दो-तीन घंटे पहले कामिनी के घर पर रहेगी और उसके बाद ड्राइवर को वही बुलाएगी. इससे किसीको पता भी नहीं चलेगा की पूरे पांच दिन माधुरी अपनी बेहेन कामिनी के नहीं मगर सुनीता के घर पर रही.
गुरुवार के दिन दोपहर में दो बजे ही रोहित एयरपोर्ट के लिए निकल गया. वैसे तो कांफ्रेंस शनिवार से शुरू होने वाली थी मगर उसे एक दो दिन डॉली के साथ मौज मस्ती और शॉपिंग भी तो करनी थी. तीन बजे के करीब माधुरी ने ड्राइवर को अपनी बेहेन कामिनी के घर पर चलने के लिए कह दिया.
माधुरी बस घंटा भर ही वहाँ पर रुकी और बादमें सहेलियोंके साथ घूमने जाने का बहाना करके उसने टैक्सी बुला ली. टैक्सी सीधा हमारे बिल्डिंग के नीचे आकर रुकी. मैंने खिड़की से देखते ही नौकर को नीचे भेज दिया, वो माधुरी का बैग लेकर आ गया. अंदर आते ही माधुरी मेरे गले मिली. उसका दिल जोरोसे धड़क रहा था.
आजतक उसने अपने पति के अलावा किसी और मर्द के साथ सम्बन्ध नहीं बनाये थे, इसलिए उसे थोड़ा डर जरूर लग रहा था.
सुनीता ने उसे समझाया और उसका हौसला बढ़ाया.
सुनीता ने मुझे फ़ोन पर कहा, "राज, तुम्हे पता हैं रोहित दुबई चले गए है और माधुरी अकेला महसूस कर रही थी, इसलिए अपने घर पर आयी हैं."
मैंने कहा, "अच्छा, मैं बस बैंक से निकलने ही वाला हूँ. आते हुए रस्ते से मधु के पसंदीदा नमकीन और मिठाई लेते हुए घर पहुँचता हूँ."
कचोरी, समोसे, पकौड़े, जलेबी और बंगाली मिठाई (ये सब माधुरी को बहुत पसंद थे) खरीदकर मैं घर पहुँचा.
सुनीता और मधु, दोनोंने खुले गले की टी-शर्ट और सेक्सी शॉर्ट्स पहनी हुई थी. दोनों भी बड़ी सुन्दर और हॉट लग रही थी.
"कैसी हो मधु?" मैंने पूंछा.
"अभी अभी रोहित लगभग हफ्ते भर के लिए दुबई गए हैं, घर में अकेलापन खाने को दौड़ने लगा इसलिए मैं सुनीता के पास चली आयी."
"अरे ये तो ख़ुशी की बात हैं की तुम यहाँ चली आयी, ये भी तो तुम्हारा ही घर हैं. चलो सब मिलके तुम्हारी पसंद का नाश्ता करते हैं."
अब तीनों बैठकर वाइन के साथ कचोरी, समोसे, पकौड़े का आस्वाद लेने लगे.
"तुम दोनों भी आज बहुत सुन्दर और सेक्सी लग रही हो," मैंने कहा.
सुनीता की सांवली मांसल जाँघे और माधुरी की गोरी गोरी जांघें देखकर मेरा लंड जीन्स में कड़क होने चला था.
"यार आज कुछ ज्यादा ही गर्मी हैं, मैं ज़रा थोड़े ढीले कपडे पहनकर आता हूँ," कहकर मैं सिर्फ बनियान और लुंगी में उनके साथ बैठ गया.
जैसे ही वाइन और नमकीन खत्म हुए, सुनीता ने कहा, "चलो, आज एक बच्चोंवाला गेम खेलते हैं, मगर थोड़ा अलग तरीके से."
"अरे वा, कैसा गेम?" मैंने पूंछा.
"वही लुकाछुपी वाला मगर इसमें दो लोग एक साथ एक ही जगह छुपेंगे और तीसरा उन्हें ढूंढेगा." सुनीता ने कहाँ.
पहली बारी मुझपर आयी और दोनों लड़किया छुप कर बैठी. दो मिनट में मैंने उन्हें कपडोंकी अलमारी से बहार निकाला. मुझे ऐसा लगा की अंदर सुनीता मधु के साथ चूमा चाटी कर रही थी.
अब सुनीता ने कहा, "चलो, अब मेरी बारी, तुम दोनों छुपो."
मैंने मधु का हाथ पकड़कर उसे लेकर तीसरे बैडरूम में गया. वहांपर पलंग जमीन से थोड़ा ऊपर था. मैं पलंग के नीचे चला गया और मधु को भी आने को कहा. पलंग के नीचे जगह कम होने के कारण हम दोनों साइड पर लेटकर एक दुसरे की बाहोंमें थे. अब प्लान के मुताबिक सुनीता हम दोनोंको साथ में समय देना चाहती थी, इसलिए एक दो बार वो उस बैडरूम में आयी मगर नीचे झांके बगैर चली गयी.
"मधु, तुम्हारे पैर बाहर न दिख जाए, करीब आ जाओ," यह कहकर मैंने उसे अपनी बाहोंमे और भी जकड लिया. मेरी बालोंसे भरी जाँघे उसकी गोरी मुलायम जाँघोंसे जुड़ गयी और मेरा लंड अपने आप खड़ा हो गया. उसकी चूचियाँ मेरे सीने पर दब रही थी और होठ होठोंसे जुड़े थे.
"आह, ढूंढ लिया," चिल्लाते हुए सुनीता ने हमें पलंग के नीचे से बाहर आने के लिए कहा.
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