Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ
04-25-2019, 11:52 AM,
#13
RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
चौधराइन
भाग 11 – चौधराइन के प्लान की सफ़लता



झट से बैठते हुए, अपनी लुंगी खोल एक तरफ फेंकी, तो कमरे की रोशनी में उसका दस इंच का तमतमाता हुआ लण्ड देख चौधराइन को झुरझुरी आ गई। उठ कर बैठते हुए, हाथ बढ़ा उसके लण्ड को फिर से पकड़ लिया और चमड़ी खींच उसके पहाड़ी आलु जैसे लाल सुपाड़े को देखती बोली,
“हाय,,,,,,,बेला ठीक बोलती थी…तु बहुत बड़ा,,,,,, हो गया है…तेरा…केला तो…। मेरी…तो फ़ाड़ ही देगा.........”
पेटिकोट के नाड़े को हाथ में पकड़ झटके के साथ खोलते हुए बोला,
“भगवान बेला का भला करे जिसने मेरी इतनी तारीफ़ की कि तू ललचा गई
कहती हुई चौधराइन अपने भारी भारी संगमरमरी गुदाज चूतड़ उठा, पेटिकोट को चूतड़ों से सरका और शानदार रेशमी मांसल जांघों से नीचे से ठेल निकाल दिया। इस काम में मदन ने भी उसकी मदद की और सरसराते हुए पेटिकोट को उसके पैरों से खींच दिया। कमरे की ट्यूबलाइट की रोशनी में चौधराइन के भारी संगमरमरी गुदाज चूतड़, शानदार चमचमाती रेशमी मांसल जांघो को देख मदन की आंखें एक बार तो चौंधियागयी फ़िर फ़टी की फ़टी रह गईं।
चौधराइन लेट गई, और अपनी दोनो टांगो को घुटनो के पास से मोड़ कर फैला दिया। दोनो मुँहबोले चाची-भतीजे अब जबर्दस्त उत्तेजना में थे. दोनो में से कोई भी अब रुकना नही चाहता था। मदन ने चौधराइन की चमचमाती जांघो को अपने हाथ से पकड़, थोड़ा और फैलाया और उनके ऊपर हपक के मुँह मारकर चुमते हुए, फ़िर उसकी झाँटदार चूत के ऊपर एक जोरदार चुम्मा लिया, और बित्ते भर की चूत की दरार में जीभ चलाते हुए, बुर की टीट को झाँटों सहित मुंह में भर कर खींचा, तो चौधराइन लहरा गई। चूत की दोनो पुत्तियों ने दुप-दुपाते हुए अपने मुंह खोल दिये। सिसयाती हुई बोली,
“इसस्स्,,,,,,,!!! क्या कर रहा है…???”

दरार में जीभ चलने पर मजा तो आया था मगर लण्ड, बुर में लेने की जल्दी थी। जल्दी से मदन के सिर को पीछे धकेलती बोली,
“…। क्या…करता…है ??…जल्दी कर…।”

पनियायी चूत की दरार पर उँगली चला उसका पानी लेकर, लण्ड की चमड़ी खींच, सुपाड़े की मुन्डी पर लगा कर चमचमाते सुपाड़े को चौधराइन को दिखाता बोला, “चाची,,,,,,देख मेरा…डण्डा…तेरे छेद…पर…”

“हां…जल्दी से…। मेरे छेद में…।“

लण्ड के सुपाड़े को चूत के छेद पर लगा, पूरी दरार पर ऊपर से नीचे तक चला, बुर के होठों पर लण्ड रगड़ते हुए बोला,
“हाय,,,,, पेल दुं,,,,पूरा…???”

“हां,,,,,,!! चाची…चोद बन जा…”

“फ़ड़वाये,,,गी…?????”हाय,,,,,,फ़ाड़ दूँ…”
“बकचोदी छोड़,,,,, फ़ड़वाने के,,,,,लिये तो,,,,,खोल के,,,,नीचे लेटी हूँ…!! जल्दी कर…”, वासना के अतिरेक से कांपती झुंझुलाहट से भरी आवाज में चौधराइन बोली।

लण्ड के लाल सुपाड़े को चूत के गुलाबी झांठदार छेद पर लगा, मदन ने धक्का मारा। सुपाड़ा सहित चार इंच लण्ड चूत के कसमसाते छेद की दिवारों को कुचलता हुआ घुस गया। हाथ आगे बढ़ा, मदन के सिर के बालो में हाथ फेरती हुई, उसको अपने से चिपका, भराई आवाज में बोली,
“हाय,,,, पूरा…डाल दे…“हाय,,,,, ,,,!!!…फ़ाड़…! मेरी मदन बेटा…शाबाश।"

मदन ने अपनी कमर को थोड़ा ऊपर खींचते हुए, फिर से अपने लण्ड को सुपाड़े तक बाहर निकाल धक्का मारा। इस बार का धक्का जोरदार था। चौधराइन की चूतड़ों फट गई। पिछले दो दिनों से सदानन्द नहीं आया था सो उसने चुदवाया नही था जिससे उसकी चूत सिकुड़ी हुई थी। चूत के अन्दर जब तीन इंच मोटा और दस इंच लम्बा लण्ड, जड़ तक घुसने की कोशिश कर रहा था, तो चूत में छिलकन हुई और दर्द की हल्की सी लहर ने उसको कंपा दिया।

“उईईई आआ,,,,,, शाबाश फ़ाड़ दी,,,,,, ,,,,,,चौधराइन चाची की आह…।”,
करते हुए, अपने हाथों के नाखून मदन की पीठ में गड़ा दिये।
“बहुत,,,,, टाईट…है…तेरा,,,,छेद…”

चूत के पानी में फिसलता हुआ, पूरा लण्ड उसकी चूत की जड़ तक उतरता चला गया।

“बहुत बड़ा…है,,,,तेरा,,,,केला…उफफफ्…। मेरे,,,,,, आम चूसते हुए,,,,,चोद शाबाश”

मदन ने एक चूची को अपनी मुठ्ठी में जकड़ मसलते हुए, दूसरी चूची पर मुंह लगा कर चूसते हुए, धीरे-धीरे एक-चौथाई लण्ड खींच कर धक्के लगाता पुछा,
“पेलवाती,,,, नही… थी…???”

“नही,,,। किस से पेलवाती,,,,,,?”

“क्यों,,,,?…चौधरी चाचा…!!!।”

“उसका मूड…बहुत कम… कभी कभी ही बनता है।”

“दूसरा…कोई…”

“हरामी,,,,, कहे तो तेरे बाप से चुदवा लूँ ,,,,,,तुझे अच्छा…लगेगा…??।”, ताव में से चूतड़ पर मुक्का मारती हुई बोली।
“बात तो सुन लिया कर पूरी,,,,, सीधा गाली…देने…”,
झल्लाते हुए, मदन चार-पांच तगडे धक्के लगाता हुआ बोला।

तगडे धक्को ने चौधराइन को पूरा हिला दिया। चूचियाँ थिरक उठीं। मोटी जांघो में दलकन पैदा हो गई। थोड़ा दर्द हुआ, मगर मजा भी आया, क्योंकि चूत पूरी तरह से पनिया गई थी, और लण्ड गच-गच फिसलता हुआ अन्दर-बाहर हुआ था। अपने पैरों को मदन की कमर से लपेट उसको भींचती सिसयाती हुई,
“उफफफ्,,,,,,,, सीईई,,,,हरामी,,,,, दुखा…दिया…आरम,,,से,,,,भी बोल शकता…था…”

मदन कुछ नही बोला. लण्ड अब चुंकी आराम से फिसलता हुआ अन्दर-बाहर हो रहा था, इसलिये वो अपनी चौधराइन चाची कि टाईट, गद्देदार, रसिली चूत का रस अपने लण्ड की पाईप से चूसते हुए, गचा-गच धक्के लगा रहा था। चौधराइन को भी अब पूरा मजा आ रहा था. लण्ड सीधा उसकी चूत के अखिरी किनारे तक पहुंच कर ठोकर मार रहा था। धीरे धीरे चूतड़ों उंचकाते हुए सिसयाती हुई बोली,
“बोलना,,,,,तो, जो बोल…रहा…”

“मैं तो…बोल रहा था,,,,,, की अच्छा हुआ…जो किसी और से…नही…करवाया …नही तो,,,,,,,,मुझे…तेरे टाईट…छेद की जगह…ढीला…छेद…”

“हाय…हरामी…तुझे,,,,छेद की…पड़ी है…इस बात की नही, की मैं दूसरे आदमी…”

“मैं तो…बस एक,,,,बात बोल रहा…था की…
“चुप कर…कमीने…दूसरे से करवा कर मैं बदनाम होती…साले…तेरी मेरी घरेलू बात घर की बात…”

तब तो…मेरे बाप से चुदवाने का आइडिया बुरा नहीं, घरेलू मामला घर की बात घर में जैसे मैं चाची चोद वो बहन चोद”

“वैसे ठीक किया तूने…बचा कर रखा…मजा आ रहा,,,,,अब तुझे खूब मजे… दस इंच के हथियार वाला भतीजा किस दिन…काम आयेगा…”

“हाय…बहुत मजा…आ…चोदे जा…मेरा जवान भतीजा…। गांव भर की हरामजादिया मजे लुटे, और मैं…”
“हाय,,,, अब…गांववालीयों को छोड़…अब तो बस तेरी…ही…सीईईइ उफफ्…बहुत मजेदार छेद है…”,
गपा-गप लण्ड पेलता हुआ, मदन सिसयाते हुए बोला।

लण्ड बुर की दिवारों को बुरी तरह से कुचलता हुआ, अन्दर घुसते समय चूत के धधकते छेद को पूरा चौड़ा कर देता था, और फिर जब बाहर निकलता था तो चूतके मोटे होठ और पुत्तियां अपने आप करीब आ छेद को फिर से छोटा बना देती थी। मोटी जाँघों और बड़े होठों वाली, फ़ूली पावरोटी सी गुदाज चूत होने का यही फायदा था। हंमेशा गद्देदार और टाईट रहती थी। ऊपर के रसीले होठों को चूसते हुए, नीचे के होठों में लण्ड धंसाते हुए मदन तेजी से अपनी चूतड़ों उछाल कर चौधराइन के ऊपर कुद रहा था।

“हाय,,, तेरा केला भी…!! बहुत मजेदार…है, मैंने आजतक इतना लम्बा…डण्डा…सीसीसीईईईईईईई…हाय डालता रह…। ऐसे ही…उफफ्…पहले दर्द किया,,,,,मगर…अब…। आराम से…। हाय…। अब फ़ाड़ दे…डाल…। सीईईईई…पूरा डाल…कर…। हाय मादर,,,,,चोद…बहुत पानी फेंक रही…है मेरी …चु…।”

नीचे से चूतड़ों उछालती, मदन के चूतड़ को दोनो हाथों से पकड़ अपनी चूत के ऊपर दबाती, गप गप लण्ड खा रही थी, चौधराइन। कमरे में बारिश की आवाज के साथ चौधराइन की चूत की पानी में फच-फच करते हुए लण्ड के अन्दर-बाहर होने की आवाज भी गुंज रही थी। इस सुहाने मौसम में खलिहान के विराने में दोनो चौधराइन चाची-भतीजे जवानी का मजा लूट रहे थे। कहाँ मदन अपनी चोरी पकड़े जाने पर अफसोस मना रहा था, वहीं अभी खुशी से चूतड़ों कुदाते हुए, अपनी चौधराइन चाची की टाईट पावरोटी जैसी फुली चूत में लण्ड पेल रहा था। उधर चौधराइन जो सोच रही थी की मदन बिगड़ गया है, अब नंगी अपने भतीजे के नीचे लेट कर, उसके तीन इंच मोटे और दस इंच लम्बे लण्ड को कच-कच खाते हुए अपने भतीजे के बिगड़ने की खुशियां मना रही थी। आखिर हो भी क्यों ना, जिस लण्ड के पीछे गांव भर की औरतो की नजर थी अब उसके कब्जे में था, अपने खलिहान या घर के अन्दर, जितनी मरजी उतना चुदवा सकती थी।
“हाय,,,, बहुत…। मजेदार है, तेरे आम…तेरा छेद…उफफ्…हाय,,,, अब तो…हाय, चौधराइन चाची,,,, मजा आ रहा है, इस भतीजे का डण्डा बिल में घुसवाने में ???…। सीएएएएएए…। हाय, पहले ही बता दिया होता तो…अब तक…कितनी बार तेरा आम-रस पी लेता…। तेरी सिकुड़ी चूत फ़ाड़ के भोसड़ा बना देता …सीईईईई ले भतीजे का…। लण्ड…। हाय…बहुत मजा,, हाय,,…तूने तो खेल-खेल कर इतना…तड़पा दिया है…अब बरदाश्त नही हो रहा…मेरा तो निकल जायेगा……सीईईईईई… तेरी … चु…त में,,,,???।,
सिसयाते हुए मदन बोला।

नीचे से धक्का मारती, धका-धक लण्ड लेती, चौधराइन भी अब चरम-सीमा पर पहुंच चुकी थी। चूतड़ों को उछालती हुई, अपनी टांगो को मदन की कमर पर कसते हुए चिल्लाई…,
”मार,,,,,मार ना,,,, भोसड़ीवाले… छोटे पण्डित हाय…सीईईईई,,,, अपने घोड़े जैसे…।लण्ड से,,,…मार… चौधराइन…की चूत…फ़ाड़ दे…। हाय,,,…। बेटा,, मेरा भी अब झड़ेगा…पूरा लण्ड…डाल के चोद दे… चाची…की चूत…। पेल देएएए…। चौधराइन चाची के लण्ड …। चोद्द्द्द्……मेरी चूऊत में…।”
यही सब बकते हुए उसने मदन को अपनी बाहों में कस लिया।

उसकी चूत ने पानी फेंकना शुरु कर दिया था। मदन के लण्ड से भी तेज फौवारे के साथ पानी निकलना शुरु हो गया था। मदन के होंठ चौधराइन के होठों से चिपके हुए थे, दोनो का पूरा बदन अकड़ गया था। दोनो आपस में ऐसे चिपक गये थे की तिल रखने की जगह भी नही थी। पसीने से लथ-पथ गहरी सांस लेते हुए। जब मदन के लण्ड का पानी चौधराइन की चूत में गिरा, तो उसे ऐसा लगा जैसे उसकी बरसों की प्यास बुझ गई हो। तपते रेगीस्तान पर मदन का लण्ड बारिश कर रहा था और बहुत ज्यादा कर रहा था, आखिर उसने अपनी चौधराइन चाची को चोद ही दिया। करीब आधे घन्टे तक दोनो एक दूसरे से चिपके, बेसुध हो कर वैसे ही नंगे लेटे रहे. मदन अब उसके बगल में लेटा हुआ था। चौधराइन आंखे बन्द किये टांगे फैलाये बेसुध लेटी हुई थी, ।

आधे घन्टे बाद जब माया देवी को होश आया, तो खुद को नंगी लेटी देख हडबड़ाकर उठ गई। बाहर बारिश अपने पूरे शबाब पर थी। बगल में मदन भी नंगा लेटा हुआ था। उसका लटका हुआ लण्ड और उसका लाल सुपाड़ा, उसके मन में फिर से गुद-गुदी पैदा कर गया। मन ही मन बोली लो पंडित सदानन्द आज मैंने तेरे छोटे पंडित को भी निबटा दिया , देख बारिश भी छोटे पंडित और बड़ी चौधराइन की चुदाई की खुशी मना रही आज से गाँव के दोनो पण्डित मेरी चूत से बंधे रहो।
मन ही मन ऐसी ऊल जलूल बातें सोचते, मुस्कुराते उन्होंने आहिस्ते से बिस्तर से उतर अपने पेटिकोट और ब्लाउज को फिर से पहन लिया और मदन की लुंगी उसके ऊपर डाल, जैसे ही फिर से लेटने को हुई की मदन की आंखे खुल गई। अपने ऊपर रखी लुंगी का अहसास उसे हुआ, तो मुस्कुराते हुए लुंगी को ठीक से पहन ली। थोड़ी देर तक तो दोनो में से कोई नही बोला पर, फिर मदन धीरे से सरक कर माया देवी की ओर घुम गया, और उसके पेट पर हाथ रख दिया और धीरे धीरे हाथ चला कर सहलाने लगा। फिर धीरे से बोला,
“कैसी हो चौधराइन चाची,,,,,, ,,,,?”

चौधराइन –“ एक एक जोड़ दुख रहा है।”
मदन फिर बोला,
“इधर देखो ना…।”

माया देवी मुस्कुराते हुए उसकी तरफ घुम गई। मदन उसके पेट को हल्के-हल्के सहलाते हुए, धीरे से उसके पेटिकोट के लटके हुए नाड़े के साथ खेलने लगा। नाड़ा जहां पर बांधा जाता है, वहां पर पेटिकोट आम तौर पर थोड़ा सा फटा हुआ होता है । नाड़े से खेलते-खेलते मदन ने अपना हाथ धीरे से अन्दर सरकाकर उनकी फ़ूली चूत जो अभी अभी चुदने से और भी फ़ूल गई थी हाथ फ़ेर दिया, तो गुदगुदी होने पर उसके हाथ को हटाती बोली,
“क्या करता है,,,,,? हाथ हटा…”

मदन ने हाथ वहां से हटा, कमर पर रख दिया और थोड़ा और आगे सरक कर उनकी आंखो में झांकते हुए बोला,
“,,,,,,मजा आया…!!!???”

झेंप से चौधराइन का चेहरा लाल हो गया. उसकी छाती पर के मुक्का मारती हुई बोली,-“,,,,,,,चुप…गधा कहीं का…!!!!”
मदन -“मुझे तो बहुत मजा,,,,,,,आया…बता ना, तुझे कैसा लगा…?”

“हाय, नही छोड़…तू पहले हाथ हटा…”

“क्यों,,,,अभी तो…बताओ ना,,,,,, चाची,,,?”

“धत,,,,,छोड़,,,वैसे, आज कोई आम चुराने वाली नही आई ?”,
माया देवी ने बात बदलने के इरादे से कहा।

“तूने इतनी मोटी-मोटी गालियां दी…थी, वो सब…”

“चल,,,,,,मेरी गालियों का,,,,,असर…उनपे कहाँ से…होने वाला…?”

“क्यों,,,!!,,,? इतनी मोटी गालियां सुन कर, कोई भी भाग जायेगा,,,,,,मैंने तो तुझे पहले कभी ऐसी गालियां देते नही सुना”

“वो तो,,,,,,,,वो तो तेरी झिझक दूर करने के लिए …बस,,,,…वरना रात बेकार जाती…”

“अच्छा, तो आप पहले से प्लान बनाये थी मैं तो अपने को बड़ा अकलमन्द समझ रहा था…? वैसे, बड़ी…मजेदार गालियां दे रही थी,,,,,,,,मुझे तो पता ही नही था…”

“…! चल हट, बेशरम…”

“…!! उन बेचारियों को तो तूने…।”
“अच्छा,,,,,,वो सब बेचारी हो गई,,,!!! सच-सच बता,,,, लाजो थी, ना…?”
आंखे नचाते हुए चौधराइन ने पुछा।

हँसते हुए मदन बोला,
“तुझे कैसे पता…? तूने तो उसका बेन्ड बजा…”,
कहते हुए, उनके होठों को हल्के से चुम लिया।

माया देवी, उसको पीछे धकेलते हुए बोली,
“हट,,,,,। बदमाश,,,, बजाई तो तूने है सबकी, सच सच बता अब तक गांव में कितनों की बजाई…???”

मदन एक पल खामोश रहा, फिर बोला,
“क्या,,,,,चौधराइन चाची,,,?…कोई नही.....”

“चल झूठे,,,,,,,,मुझे सब पता…है. सच सच बता....”.
कहते हुए. फिर उसके हाथ को अपने पेट पर से हटाया।

मदन ने फिर से हाथ को पेट पर रख. उसकी कमर पकड़ अपनी तरफ खींचते हुए कहा.
“सच्ची-सच्ची बताउं......?”

“हां, सच्ची…कितनो के साथ…?”,
कहती हुई, उसकी छाती पर हाथ फेरा।

मदन, उसको और अपनी तरफ खींचा तो चौधराइन उस्की तरफ़ घूम गईं, मदन अपनी कमर को उसकी कमर से सटा, धीरे से फुसफुसाता हुआ बोला,
“याद नही, पर....करीब बारह-तेरह …।"

“बाप रे,,,,!!!…इतनी सारी ???…कैसे करता था, मुए,,??,,,,मुझे तो केवल लाजो और बसन्ती का पता था…”,
कहते हुए उसके गाल पर चिकोटी काटी।

“वो तो तुझे तेरी जासुस बेला ने बताया होगा इसीलिए कल मैंने बेला को भी इसी बिस्तर पे पटक के चोद दिया… बाकियों को तो मैंने इधर-उधर कहीं खेत में, कभी पास वाले जंगल में, कभी नदी किनारे निपटा दिया था…।”

“कमीना कहीं का,,,,,तुझे शरम नही आती…बेशरम…”,
उसकी छाती पर मुक्का मारती बोली।

मदन(ताल ठोंक के) -“अब जब गाँव की चौधराइन चाची की ही निपटा दी तो…॥”,
कहते हुए, उसने चौधराइन को कमर से पकड़ कस कर भींचा। उसका खड़ा हो चुका लण्ड, सीधा चौधराइन की जांघो के बीच दस्तक देने लगा।
चौधराइन उसकी बाहों से छुटने का असफल प्रायास करती, मुंह फुलाते हुए बोली,
“छोड़,,,,बेशरम,,,,,बदमाश… तू तो कितना सीधा था, कहाँ सीखी इतनी बदमाशी?”
मदन –“अगर एक बार और करने दो तो बताऊँ।”
चौधराइन गरम तो थी हीं उसका लण्ड अपनी दोनों माँसल रेशमी जाँघों के बीच दबा के मसलते हुए बोलीं –“अगर सच सच बतायेगा तो… वरना नहीं।”
मदन –“मंजूर। तो फ़िर सुनिये”

ये कह मदन ने चौधराइन के ब्लाउज में हाथ डाल उनकी विशाल छाती थाम ली और सहलाते हुए अपनी आप बीती सुनानी शुरू की। 
यहाँ चौधराइन का प्रथम सोपान समाप्त हुआ।
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