Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ
04-25-2019, 11:52 AM,
#14
RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
चौधराइन 

भाग 12 - भोलु मदन की मुश्किलें


ये तो पता ही हैं अब से २ साल पहले तक सचमुच में अपने मदन बाबू उर्फ मदन बाबू बड़े प्यारे से भोले भाले लड़के हुआ करते थे। जब १५ साल के हुए और अंगो में आये परिवर्तन को समझने लगे तब बेचारे बहुत परेशान रहने लगे। लण्ड बिना बात के खड़ा हो जाता था। पेशाब लगी हो तब भी और मन में कुछ खयाल आ जाये तब भी। करे तो क्या करे। स्कूल में सारे दोस्तो ने अंडरविअर पहनना शुरु कर दिया था। मगर अपने भोलु राम के पास तो केवल पैन्ट थी। कभी अंडरविअर पहना ही नही था। लण्ड भी मदन बाबू का उम्र की औकात से कुछ ज्यादा ही बड़ा था, फुल-पैन्ट में तो थोड़ा ठीक रहता था पर अगर जनाब पजामे में खेल रहे होते तो, दौड़ते समय इधर उधर डोलने लगता था। जो की ऊपर दिखता था और हाफ पैन्ट में तो और मुसिबत होती थी अगर कभी घुटने मोड़ कर पलंग पर बैठे हो तो जांघो के पास के ढीली मोहरी से अन्दर का नजारा दिख जाता था। बेचारे किसी को कह भी नही पाते थे कि मुझे अंडरविअर ला दो क्योंकि रहते थे मामा-मामी के पास, वहां मामा या मामी से कुछ भी बोलने में बड़ी शरम आती थी। गांव काफी दिनों से गये नही थे। बेचारे बड़े परेशान थे।
सौभाग्य से मदन बाबू की मामी हँसमुख स्वभाव की थी और अपने मदन बाबू से थोड़ा बहुत हँसीं-मजाक भी कर लेती थी। उसने कई बार ये नोटिस किया था की मदन बाबू से अपना लण्ड सम्भाले नही सम्भल रहा है। सुबह-सुबह तो लगभग हर रोज उसको मदन के खड़े लण्ड के दर्शन हो जाते थे। जब मदन को उठाने जाती और वो उठ कर दनदनाता हुआ सीधा बाथरुम की ओर भागता था। मदन की ये मुसिबत देख कर मामी को बड़ा मजा आता था। एक बार जब मदन अपने पलंग पर बैठ कर पढ़ाई कर रहा था तब वो भी उसके सामने पलंग पर बैठ गई। मदन ने उस दिन संयोग से खूब ढीला-ढाला हाफ पैन्ट पहन रखा था। मदन पालथी मार कर बैठ कर पढ़ाई कर रहा था। सामने मामी भी एक मैगउन खोल कर देख रही थी। पढ़ते पढ़ते मदन ने अपना एक पैर खोल कर घुटने के पास से हल्का सा मोड़ कर सामने फैला दिया। इस स्थिति में उसके जांघो के पास की हाफ-पैन्ट की मोहरी नीचे लटक गई और सामने से जब मामीजी की नजर पड़ी तो वो दंग रह गई। मदन का मुस्टंडा लण्ड जो की अभी सोयी हुई हालत में भी करीब तीन-चार इंच लंबा दिख रहा था उसका लाल सुपाड़ा मामीजी की ओर ताक रहा था।

इस नजारे को ललचाई नजरों से एकटक देखे जा रही थी। उसकी आंखे वहां से हटाये नहीं हट रही थी। वो सोचने लगी की जब इस छोकरे का सोया हुआ है, तब इतना लंबा दिख रहा है तो जब जाग कर खड़ा होता होगा तब कितना बड़ा दिखता होगा। उसके पति यानी की मदन के मामा का तो बामुश्किल साढे पांच इंच का था। अब तक उसने मदन के मामा के अलावा और किसी का लण्ड नही देखा था मगर इतनी उमर होने के कारण इतना तो ज्ञान था ही की मोटे और लंबे लण्ड कितना मजा देते होंगे। कुछ देर में जब बर्दास्त के बाहर हो गया तो उर्मिला देवी वहां से उठ कर चली गई।

उस दिन की घटना के बाद से उर्मिला देवी जब मदन से बाते करतीं तो थोड़ा नजरे चुरा कर करतीं थीं क्योंकि बाते करते वख्त उनका ध्यान उसके पजामे में हिलते-डुलते लण्ड अथवा हाफ पैन्ट से झांकते हुए लण्ड की तरफ़ चला जाता। मदन भी सोच में डुबा रहता था की मामी उससे नजरें चुरा कर क्यों बात करतीं हैं और अक्सर नीचे की तरफ़ उसके पायजामे या निकर) की तरफ़ क्यों देखती रहती हैं । क्या मुझसे कुछ गड़बड़ हो गई है बड़ा परेशान था बेचारा। उधर लगातार मदन बाबू के लण्ड के बारे में सोचते सोचते मामी के दिमाग मे ख्याल आया कि अगर मैं किसी तरह मदन के इस मस्ताने हथियार का मजा चख लूँ तो न तो किसी को कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा न ही किसी को पता ही चलेगा? बस वो इसी फिराक में लग गई कि क्या ऐसा हो सकता है की मैं मदन के इस मस्ताने हथियार का मजा चख सकुं? कैसे क्या करें ये उनकी समझ में नही आ रहा था। फिर उन्होंने एक रास्ता खोज ही लिया।

अब उर्मिला देवी ने नजरे चुराने की जगह मदन से आंखे मिलाने का फैसला कर लिया था। वो अब मदन की आंखो में अपने रुप की मस्ती घोलना चाहती थी। देखने में तो वो माशा-अल्लाह खूबसुरत थीं ही। मदन के सामने अब वो खुल कर अंग प्रदर्शन करने लगी थी। जैसेकि जब भी वो मदन के सामने बैठती थी तो अपनी साड़ी को घुटनो तक ऊपर उठा कर बैठती, साड़ी का आंचल तो दिन में ना जाने कितनी बार ढुलक जाता था (जबकी पहले ऐसा नही होता था), झाड़ू लगाते समय तो ब्लाउज के ऊपर के दोनो बटन खुले ही रह जाते थे और उनमे से दो आधे आधे चाँद(उनके मस्ताने स्तन) झाँकते रहते थे। बाथरुम से कई बार केवल पेटीकोट और ब्लाउज या ब्रा में बाहर निकल कर अपने बेडरुम में सामान लाने जाती फिर वापस आती फिर जाती फिर वापस आती। नहाने के बाद बाथरुम से केवल एक लंबा वाला तौलिया लपेट कर बाहर निकल आती थी। बेचारा मदन बीच ड्राइंग रुम में बैठा ये सारा नजारा देखता रहता था। लड़कियों को देख कर उसका लण्ड खड़ा तो होने लगा था मगर कभी सोचा नही था की मामी को देख के भी लण्ड खड़ा होगा। लण्ड तो लण्ड ही ठहरा, उसे कहाँ कुछ पता है कि ये मामी हैं । उसको अगर खूबसुरत बदन दिखेगा तो खड़ा तो होगा ही। मदन को उसी दौरान मस्तराम की एक किताब हाथ लग गई। किताब पढ़ कर जब लण्ड खड़ा हुआ और सहलाते रगड़ते जब उसका झड़ गया उसकी कुछ कुछ समझ में आया कि चुदाई क्या होती है और उसमें कितना मजा आ सकता होगा। मस्तराम की किताबों में तो रिश्तों में चुदाई की कहानियां भी होती है और एक बार जो वो किताब पढ़ लेता है फिर रिश्ते की औरतो के बारे में उलटी सीधी बाते सोच ही लेता है चाहे वो ऐसा ना सोचने के लिये कितनी भी कोशिश करे। वही हाल अपने मदन बाबा का भी था। वो चाह रहे थे की अपनी मामी के बारे में ऐसा ना सोचे मगर जब भी वो अपनी मामी के रेशमी बदन को देखता तो ऐसा हो जाता था। मामी भी यही चाह रही थी। खूब थिरक थिरक के अपना बदन झलका दिखा रही थीं।

बाथरुम का दरवाजा खुला छोड़ साड़ी पेटीकोट अपने भारी बड़े बड़े चूतड़ों के ऊपर तक समेटकर पेशाब करने बैठ जाती, पेशाब करने के बाद बिना साड़ी पेटीकोट नीचे किये खड़ी हो जातीं और वैसे ही बाहर निकल आती और मदन को अनदेखा कर साड़ी पेटीकोट को वैसे ही उठाये हुए अपने कमरे में जाती और फिर चौंकने की एक्टिंग करते हुए हल्के से मुस्कुराते हुए साड़ी को नीचे गिरा देती थी। मदन भी अब हर रोज इन्तजार करता था की कब मामी झाड़ू लगायेगी और अपने बड़े बड़े कटीले लंगड़ा आमों (स्तनों) के दर्शन करायेगी या फिर कब वो अपनी साड़ी उठा के उसे अपनी मोटी-मोटी जांघो के दर्शन करायेगी। मस्तराम की किताबें तो अब वो हर रोज पढ़ता था। ज्ञान बढ़ने के साथ अब उसका दिमाग हर रोज नई नई कल्पना करने लगा कि कैसे मामी को पटाऊँगा। जब पट जायेगी तो कैसे साड़ी उठा के उनकी चूत में अपने हलव्वी लण्ड डाल के चोद के मजा लूँगा ।
इसी बीच बिल्ली के भाग से छींका टूटा चुदास की आग में जल रही मामी ने ही एक तरकीब खोज ली,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
एक दिन मामीजी बाथरुम से तौलिया लपेटे हुए निकली, हर रोज की तरह मदन बाबू उनको एक टक घूर घूर कर देखे जा रहे थे। तभी मामी ने मदन को आवाज दी,
" मदन जरा बाथरुम में कुछ कपड़े है, मैंने धो दिये है जरा बाल्कनी में सुखने के लिये डाल दे। "

मदन जो की एक टक मामीजी की गोरी चिकनी जांघो को देख के आनन्द लूट रहा था को झटका सा लगा, हडबड़ा के नजरे उठाई और देखा तो सामने मामी अपनी छातियों पर अपने तौलिये को कस के पकड़े हुए थी।

मामी ने हँसते हुए कहा, "जा बेटा जल्दी से सुखने के लिये डाल दे नहीं तो कपड़े खराब हो जायेंगे. "

मदन उठा और जल्दी से बाथरुम में घुस गया। मामी को उसका खड़ा लण्ड पजामे में नजर आ गया। वो हँसते हुए चुप चाप अपने कमरे में चली गई। मदन ने कपड़ों की बाल्टी उठाई और फिर बाल्कनी में जा कर एक एक करके सुखाने के लिये डालने लगा। मामी की कच्छी और ब्रा को सुखाने के लिये डालने से पहले एक बार अच्छी तरह से छु कर देखता रहा फिर अपने होठों तक ले गया और सुंघने लगा। तभी मामी कमरे से निकली तो ये देख कर जल्दी से उसने वो कपड़े सुखने के लिये डाल दिये।

शाम में जब सुखे हुए कपड़ों को उठाते समय मदन भी मामी की मदद करने लगा। मदन ने अपने मामा का सुखा हुआ अंडरवियर अपने हाथ में लिया और धीरे से मामी के पास गया। मामी ने उसकी ओर देखते हुए पुछा, 
"क्या है, कोई बात बोलनी है ?"

मदन थोड़ा सा हकलाते हुए बोला, " माआम्म्मी,,,,,,एक बात बोलनी थी. "

"हा तो बोल ना. "

"मामी मेरे सारे दोस्त अब बबबबबब्,,,,"

" अब क्या,,,,,,,,? " , उर्मिला देवी ने अपनी तीखी नजरे उसके चेहरे पर गड़ा रखी थी।

" मामी मेरे सारे दोस्त अब अं,,,,,,,,,अंडर,,,,,,,,, अंडरवियर पहनते है. "

मामी को हँसी आ गई, मगर अपनी हँसी रोकते हुए पुछी, "हाँ तो इसमे क्या है सभी लड़के पहेनते है. "

" पर पर मामी मेरे पास अंडरवियर नही है. "

मामी एक पल के लिये ठिठक गई और उसका चेहरा देखने लगी। मदन को लग रहा था इस पल में वो शरम से मर जायेगा उसने अपनी गरदन नीचे झुका ली।

उर्मिला देवी ने उसकी ओर देखते हुए कहा, " तुझे भी अंडरवियर चाहिये क्या ? "

" हा मामी मुझे भी अंडरवियर दिलवा दो ना !!"

" हम तो सोचते थे की तु अभी बच्चा है, मगर, ", कह कर वो हँसने लगी।

मदन ने इस पर बुरा सा मुंह बनाया और रोआंसा होते हुए बोला, " मेरे सारे दोस्त काफी दिनों से अंडरवियर पहन रहे है, मुझे बहुत बुरा लगता है बिना अंडरवियर के पैन्ट पहनना। "

उर्मिला देवी ने अब अपनी नजरे सीधे पैन्ट के ऊपर टिका दी और हल्की मुस्कुराहट के साथ बोली, " कोई बात नही, कल बाजार चलेंगे साथ में। "

मदन खुश होता हुआ बोला, " ठीक है मामी।"

फिर सारे कपड़े समेट दोनो अपने अपने कमरों में चले गये।
वैसे तो मदन कई बार मामी के साथ बाजार जा चुका था। मगर आज कुछ नई बात लग रही थी। दोनो खूब बन संवर के निकले थे। उर्मिला देवी ने आज बहुत दिनो के बाद काले रंग की सलवार कमीज पहन रखी थी और मदन को टाईट जीन्स पहनवा दिया था। हांलाकि मदन अपनी ढीली पैन्ट ही पहेनना चाहता था मगर मामी के जोर देने पर बेचार क्या करता। कार मामी खुद ड्राईव कर रही थी। काली सलवार कमीज में बहुत सुंदर लग रही थी। हाई हील की सेंडल पहन रखी थी। टाईट जीन्स में मदन का लण्ड नीचे की तरफ हो कर उसकी जांघो से चिपका हुआ एक केले की तरह से साफ पता चल रहा था। उसने अपनी टी-शर्ट को बाहार निकाल लिया पर जब वो कार में मामी की बगल में बैठा तो फिर वही ढाक के तीन पात, सब कुछ दिख रहा था। मामी अपनी तिरछी नजरो से उसको देखते हुए मुस्कुरा रही थी। मदन बड़ी परेशानी महसूस कर रहा था। खैर मामी ने कार एक दुकान पर रोक ली। वो एक बहुत ही बड़ी दुकान थी। दुकान में सारे सेल्स-रिप्रेसेन्टिव लड़कियाँ थी।

एक सेल्स-गर्ल के पास पहुंच कर मामी ने मुस्कुराते हुए उस से कहा,
" जरा इनके साईज का अंडरवियर दिखाइये।"

सेल्स-गर्ल ने घूर कर उसकी ओर देखा जैसे वो अपनी आंखो से ही उसकी साईज का पता लगा लेगी। फिर मदन से पुछा, " आप बनियान कितने साईज का पहनते हो। "

मदन ने अपना साईज बता दिया और उसने उसी साईज का अंडरवियर ला कर उसे ट्रायल रुम में ले जा कर ट्राय करने को कहा। ट्रायल रुम में जब मदन ने अंडरवियर पहना तो उसे बहुत टाईट लगा। उसने बाहर आ कर नजरे झुकाये हुए ही कहा,
" ये तो बहुत टाईट है। "

इस पर मामी हँसने लगी और बोली, "हमारा भांजा मदन नीचे से कुछ ज्यादा ही बड़ा है, एक साईज बड़ा ला दो। "

उर्मिला देवी की ये बात सुन कर सेल्स-गर्ल का चेहरा भी लाल हो गया। वो हडबड़ा कर पीछे भागी और एक साईज बड़ा अंडरवियर ला कर दे दिया और बोली,

" पैक करा देती हूँ ये फिट आ जायेगी। "

मामी ने पुछा, " क्यों मदन एक बार और ट्राय करेगा या फिर पैक करवा ले। "

" नहीं पैक करवा लीजिये. '

" ठीक है, दो अंडरवियर पैक कर दो, और मेरे लिये कुछ दिखाओ। "

मामी के मुंह से ये बात सुन कर मदन चौंक गया। मामी क्या खरीदना चाहती है अपने लिये। यहां तो केवल कच्छी और ब्रा मिलेगी। सेल्स-गर्ल मुस्कुराते हुए पीछे घुमी और मामी के सामने गुलाबी, काले, सफेद, नीले रंगो के ब्रा और कच्छियों का ढेर लगा दिया। मामी हर ब्रा को एक एक कर के उठाती जाती और फैला फैला कर देखती फिर मदन की ओर घुम कर जैसे की उस से पूछ रही हो बोलती, " ये ठीक रहेगी क्या, मोटे कपड़े की है, सोफ्ट नहीं है. " य फिर " इसका कलर ठीक है क्या.. "

मदन हर बात पर केवल अपना सर हिला कर रह जाता था। उसका तो दिमाग घुम गया था। उर्मिला देवी कच्छियों को उठा उठा के फैला के देखती। उनकी इलास्टिक चेक करती फिर छोड़ देती। कुछ देर तक ऐसे ही देखने के बाद उन्होने तीन ब्रा और तीन कच्छियाँ खरीद ली। मदन को तीनो ब्रा और कच्छियाँ काफी छोटी लगी। मगर उसने कुछ नही कहा। सारा सामान पैक करवा कर कार की पिछली सीट पर डालने के बाद मामी ने पुछा,
" अब कहाँ चलना है ? "

मदन ने कहा, " घर चलिये, अब और कहाँ चलना है। "

इस पर मामी बोली, "अभी घर जा कर क्या करोगे चलो थोड़ा कहीं घुमते है। "

" ठीक है. "
कह कर मदन भी कार में बैठ गया।

फिर उसका टी-शर्ट थोड़ा सा उंचा हो गया पर इस बार मदन को कोई फिकर नही थी। मामी ने उसकी ओर देखा और देख कर हल्के से मुस्कुराई। मामी से नजरे मिलने पर मदन भी थोड़ा सा शरमाते हुए मुस्कुराया फिर खुद ही बोल पड़ा,
" वो मैं ट्रायल रुम में जा कर अंडरवियर पहन आया था। "

मामी इस पर हँसते हुए बोली, "वाह रे छोरे तू तो बड़ा होशियार निकला, मैंने तो अपना ट्राय भी नही किया और तुम पहन कर घुम भी रहे हो, अब कैसा लग रहा है ? "

" बहुत आराम लग रहा है, बड़ी परेशानी होती थी ! "

" मुझे कहाँ पता था कि इतना बड़ा हो गया है, नहीं तो कब का दिला देती. "
मामी की इस दुहरे अर्थ वाली बात को समझ कर मदन बेचारा चुपचाप झेंप कर रह गया। मामी कार ड्राईव करने लगी। घर पर मामा और चौधराइन की लड़की मोना दोनो नहीं थे। मामा अपनी बिजनेस टुर पर और मोना कालेज ट्रिप पर गये थे। सो दोनो मामी-भांजा शाम के सात बजे तक घुमते रहे। शाम में कार पार्किंग में लगा कर दोनो मोल में घुम रहे थे की बारिश शुरु हो गई। बड़ी देर तक तेज बारिश होती रही। जब ८ बजने को आया तो दोनो ने मोल से पार्किंग तक का सफर भाग कर तय करने की कोशिश की, और इस चक्कर में दोनो के दोनो पूरी तरह से भीग गये। जल्दी से कार का दरवाजा खोल झट से अन्दर घुस गये। मामी ने अपने गीले दुपट्टे से ही अपने चेहरे और बांहो को पोंछा और फिर उसको पिछली सीट पर फेंक दिया। मदन ने भी रुमाल से अपने चेहरे को पोंछ लिया।

मामी उसकी ओर देखते हुए बोली, " पूरे कपड़े गीले हो गये. "

" हां, मैं भी गीला हो गया हुं। "

बारिश से भीग जाने के कारण मामी का ब्लाउज उनके बदन से चिपक गई थी और उनकी सफेद ब्रा के स्ट्रेप नजर आ रहे थे। कमीज चुंकि स्लीवलेस थी इसलिये मामी की गोरी गोरी बांहे गजब की खूबसुरत लग रही थी। उन्होंने दाहिनी कलाई में एक पतला सा सोने का कड़ा पहन रखा था और दूसरे हाथ में पतले स्ट्रेप की घड़ी बांध रखी थी। उनकी उंगलियाँ पतली पतली थी और नाखून लंबे लंबे थे उन पर पिंक कलर की चमकीली नेईल पोलिश लगी हुई थी। स्टियरिंग को पकड़ने के कारण उनका हाथ थोड़ा उंचा हो गया था जिस के कारण उनकी चिकनी चिकनी कांखो के दर्शन भी मदन को आराम से हो रहे थे। बारिश के पानी से भीग कर मामी का बदन और भी सुनहरा हो गया था। बालों की एक लट उनके गालों पर अठखेलियां खेल रही थी। मामी के इस खूबसुरत रुप को निहार कर मदन का लण्ड खड़ा हो गया था।
घर पहुंच कर कार को पार्किंग में लगा कर लोन पार करते हुए दोनो घर के दरवाजे की ओर चल दिये। बारिश दोनो को भिगा रही थी। दोनो के कपड़े बदन से पूरी तरह से चिपक गये थे। मामी की कमीज उनके बदन से चिपक कर उनकी चूचियों को और भी ज्यादा उभार रही थी। चुस्त सलवार उनके बदन उनकी जांघो से चिपक कर उनकी मोटी जांघो का मदमस्त नजार दिखा रही थी। कमीज चिपक कर मामी के चूतड़ों की दरार में घुस गई थी। मदन पीछे पीछे चलते हुए अपने लण्ड को खड़ा कर रहा था। तभी लोन की घास पर मामी का पैर फिसला और वो पीछे की तरफ गिर पड़ी। उनका एक पैर लग भग मुड गया था और वो मदन के ऊपर गिर पड़ी जो ठीक उनके पीछे चल रहा था। मामी मदन के ऊपर गीरी हुई थी। मामी के मदमस्त चूतड़ मदन के लण्ड से सट गये। मामी को शायद मदन के खड़े लण्ड का एहसास हो गया था उसने अपने चूतड़ों को लण्ड पर थोड़ा और दबा दिया और फिर आराम से उठ गई। मदन भी उठ कर बैठ गया।

मामी ने उसकी ओर मुस्कुराते हुए देखा और बोली, " बारिश में गिरने का भी अपना अलग ही मजा है। "

" कपड़े तो पूरे खराब हो गये मामी. "

" हा, तेरे नये अंडरवियर का अच्छा उदघाटन हो गया. "

मदन हँसने लगा। घर के अन्दर पहुंच कर जल्दी से अपने अपने कमरो की ओर भागे। मदन ने फिर से हाफ पैन्ट और एक टी-शर्ट डाल ली और गन्दे कपड़ों को बाथरुम में डाल दिया। कुछ देर में मामी भी अपने कमरे से निकली। मामी ने अभी एक बड़ी खूबसुरत सी गुलाबी रंग की नाईटी पहन रखी थी। मैक्सी के जैसी स्लिवलेस नाईटी थी। नाईटी कमर से ऊपर तक तो ट्रान्सपरेन्ट लग रही थी मगर उसके नीचे शायद मामी ने नाईटी के अन्दर पेटीकोट पहन रखा था इसलिये वो ट्रान्सपरेन्ट नही दिख रही थी।
उर्मिला देवी किचन में घुस गई और मदन ड्राईंग रुम में मस्ती से बैठ कर टेलीवीजन देखने लगा। उसने दूसरा वाला अंडरवियर भी पहन रखा था अब उसे लण्ड के खड़ा होने पर पकड़े जाने की कोई चिन्ता नही थी। किचन में दिन की कुछ ।सब्जियाँ और दाल पड़ी हुई थी। चावल बना कर मामी उसके पास आई और बोली,
" चल कुछ खा ले। "

खाना खा कर सारे बर्तन सिन्क में डाल कर मामी ड्राईंग रुम में बैठ गई और मदन भी अपने लिये मेन्गो शेक ले कर आया और सामने के सोफे पर बैठ गया। मामी ने अपने पैर को उठा कर अपने सामने रखी एक छोटी टेबल पर रख दिये और नाईटी को घुटनो तक खींच लिया था। घुटनो तक के गोरे गोरे पैर दिख रहे थे। बड़े खूबसुरत पैर थे मामी के। तभी मदन का ध्यान उर्मिला देवी के पैरों से हट कर उनके हाथों पर गया। उसने देखा की मामी अपने हाथों से अपनी चूचियों को हल्के हल्के खुजला रही थी। फिर मामी ने अपने हाथों को पेट पर रख लिया। कुछ देर तक ऐसे ही रखने के बाद फिर उनका हाथ उनके दोनो जांघो के बीच पहुंच गया।

मदन बड़े ध्यान से उनकी ये हरकते देख रहा था। मामी के हाथ ठीक उनकी जांघो के बीच पहुंच गये और वो वहां खुजली करने लगे। जांघो के ठीक बीच में बुर के ऊपर हल्के हल्के खुजली करते-करते उनका ध्यान मदन की तरफ गया। मदन तो एक टक अपनी मामी को देखे जा रहा था। उर्मिला देवी की नजरे जैसे ही मदन से टकराई उनके मुंह से हंसी निकल गई। हँसते हुए वो बोली,
" नई कच्छी पहनी है ना इसलिये खुजली हो रही है। "

मदन ने अपनी चोरी पकड़े जाने पर शर्मिन्दा हो मुंह घुमा कर अपनी नजरे टी वी से चिपका लीं। तभी उर्मिला देवी ने अपने पैरो को और ज्यादा फैला दिया। ऐसा करने से उनकी नाईटी नीचे की तरफ लटक गई । मदन के लिये ये बड़ा बढ़िया मौका था, उसने अपने हाथों में पकड़ी रबर की गेंद जान बुझ के नीचे गिरा दिया। गेंद लुढकता हुआ ठीक उस छोटे से टेबल के नीचे चला गया जिस पर मामी ने पैर रखे हुए थे।
मदन, " ओह !! " कहता हुआ उठा और टेबल के पास जाकर गेंद लेने के बहाने से लटकी हुई नाईटी के अन्दर झांकने लगा। एक तो नाईटी और उसके अन्दर मामी ने पेटीकोट पहन रखा था, लाईट वहां तक पूरी तरह से नही पहुंच पा रही थी पर फिर भी मदन को मामी की मस्त जांघो के दर्शन हो ही गये। उर्मिला देवी भी मदन की इस हरकत पर मन ही मन मुस्कुरा उठी। वो समझ गई की छोकरे के पैन्ट में भी हलचल हो रही है और उसी हलचल के चक्कर में उनकी कच्छी के अन्दर झांकने के चक्कर में पड़ा हुआ है।
मदन गेंद लेकर फिर से सोफे पर बैठ गया तो उर्मिला देवी ने उसकी तरफ देखते हुए कहा, 
" अब इस रबर की गेंद से खेलने की तेरी उमर बीत गई है, अब दूसरे गेंद से खेला कर। "

मदन थोड़ा सा शरमाते हुए बोला," और कौन सी गेंद होती है मामी, खेलने वाली सारी गेंद तो रबर से ही बनी होती है. "

" हां, होती तो है मगर तेरे इस गेंद की तरह इधर उधर कम लुढकती है. ", कह कर फिर से मदन की आंखो के सामने ही अपनी बुर पर खुजली करके हँसते हुए बोली,
" बड़ी खुजली सी हो रही है पता नही क्यों, शायद नई कच्छी पहनी है इसलिये। "

मदन तो एक दम से गरम हो गया और एक टक जांघो के बीच देखते हुए बोला,
" पर मेरा अंडरवियर भी तो नया है वो तो नही काट रहा. "

" अच्छा, तब तो ठीक है, वैसे मैंने थोड़ी टाईट फ़िटिंग वाली कच्छी ली है, हो सकता है इसलिये काट रही होगी. "

"वाह मामी, आप भी कमाल करती हो इतनी टाईट फ़िटिंग वाली कच्छी खरीदने की क्या जरुरत थी आपको ? "

" टाईट फ़िटिंग वाली कच्छी हमारे बहुत काम की होती है, ढीली कच्छी में परेशानी हो जाती है, वैसे तेरी परेशानी तो खतम हो गई ना. "

" हां, मामी, बिना अंडरवियर के बहुत परेशानी होती थी, सारे लड़के मेरा मजाक उड़ाते थे। "

" पर लड़कियों को तो अच्छा लगता होगा, क्यों ? "

" हाय, मामी, आप भी नाआआ,,,, "

" क्यों लड़कियाँ तुझे नही देखती क्या ? "

" लड़कियाँ मुझे क्यों देखेंगी ? "
क्रमश:………………………………
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