RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
चौधराइन
भाग 14 – समझदार मामी की सीख 2
कच्छी एकदम छोटी सी थी और मामी की चूत पर चिपकी हुई थी। मदन तो बिना बोले एक टक घूर घूर कर देखे जा रहा था। उर्मिला देवी चुप-चाप मुस्कुराते हुए अपनी नशीली जवानी का असर मदन पर होता हुआ देख रही थी। मदन का ध्यान तोड़ने की गरज से वो हँसती हुई बोली,
कैसी है मेरी कच्छी की फ़िटिंग ठीक ठाक है, ना ?"
मदन एकदम से शरमा गया। हकलाते हुए उसके मुंह से कुछ नही निकला। पर उर्मिला देवी वैसे ही हँसते हुए बोली,
"कोई बात नही, शरमाता क्यों है, चल ठीक से देख कर बता कैसी फ़िटिंग आई है ?"
मदन कुछ नही बोला और चुप-चाप बैठा रहा। इस पर खुद उर्मिला देवी ने उसका हाथ पकड़ के खींच कर उठा दिया और बोली,
"देख के बता ना, कही सच-मुच में टाईट तो नही, अगर होगी तो कल चल के बदल लेंगे।"
मदन ने भी थोड़ी सी हिम्मत दिखाई और सीधा मामी के पैरों के पास घुटनो के बल खड़ा हो गया और बड़े ध्यान से देखने लगा। मामी की चूत कच्छी में एकदम से उभरी हुई थी। चूत की दोनो फांक के बीच में कच्छी फ़ँस गई थी और चूत के छेद के पास थोड़ा सा गीलापन दिख रहा था। मदन को इतने ध्यान से देखते हुए देख कर उर्मिला देवी ने हँसते हुए कहा,"
क्यों फिट है या नही, जरा पीछे से भी देख के बता ?"
कह कर उर्मिला देवी ने अपने भारी गठीले चूतड़ मदन की आंखो के सामने कर दिये। कच्छी का पीछे वाला भाग तो पतला सा स्टाईलीश कच्छी की तरह था। उसमे बस एक पतली सी कपड़े की लकीर सी थी जो की उर्मिला देवी की चूतड़ों की दरार में फ़ँसी हुई थी। मैदे के जैसे गोरे-गोरे गुदाज बड़े बड़े चूतड़ों को देख कर तो मदन के होश ही उड़ गये, उसके मुंह से निकल गया,
"मामी पीछे से तो आपकी कच्छी और भी छोटी है चूतड़ भी कवर नही कर पा रही।"
इस पर मामीजी ने हँसते हुए कहा, "अरे ये कच्छी ऐसी ही होती है, पीछे की तरफ केवल एक पतला सा कपड़ा होता है जो बीच में फ़ँस जाता है, देख मेरे चूतड़ों के बीच में फ़ँसा हुआ है, ना ?"
"हाँ मामी, ये एकदम से बीच में घुस गया है."
"तु पीछे का छोड़, आगे का देख के बता ये तो ठीक है, ना ?"
"मुझे तो मामी ये भी छोटा लग रहा है, साईड से थोड़े बहुत बाल भी दिख रहे है, और आगे का कपड़ा भी कहीं फ़ँसा हुआ लग रहा है।"
इस पर उर्मिला देवी अपने हाथों से कच्छी के जांघो के बीच वाले भाग के किनारो को पकड़ा और थोड़ा फैलाते हुए बोली,
"वो उठने बैठने पर फ़ँस ही जाता है, अब देख मैंने फैला दिया है, अब कैसा लग रहा है ?"
"अब थोड़ा ठीक लग रहा है मामी, पर ऊपर से पता तो फिर भी चल रहा है."
"अरे तु इतने पास से देखेगा तो, ऊपर से पता नही चलेगा क्या, मेरा तो फिर भी ठीक है तेरा तो साफ दिख जाता है।"
"पर मामी, हम लोगों का तो खड़ा होता है ना, तो क्या आप लोगों का खड़ा नही होता ?"
"नहीं हमारे में दरार सी होती है, इसी से तो हर चीज इसके अन्दर घुस जाती है।"
कह कर उर्मिला देवी खिलखिला कर हँसने लगी। मदन ने भी थोड़ा सा शरमाने का नाटक किया। अब उसकी भी हिम्मत खुल चुकी थी। अब अगर उर्मिला देवी चुची पकड़ाती तो आगे बढ़ कर दबोच लेता । उर्मिला देवी भी इस बात को समझ चुकी थी। ज्यादा नाटक चोदने की जगह अब सीधा खुल्लम-खुल्ला बाते करने में दोनो की भलाई थी, ये बात अब दोनो समझ चुके थे। उर्मिला देवी ने इस पर मदन के गालों को अपने हाथों से मसलते हुए कहा,
"देखने से तो बड़ा भोला भाला लगता है मगर जानता सब है, कि किसका खड़ा होता है और किसका नही, लड़की मिल जाये तो तू उसे छोड़ेगा,,,,,,,,,,,,,,, नहीं बहुत बिगड़ गया है तू तो"
कह कर उर्मिला देवी ने अपनी नाईटी को जिसको उन्होंने कमर तक उठा रखा था नीचे गिरा दिया।
"क्या मामी आप भी ना, मैं कहाँ बिगड़ा हूँ, लाओ पाउडर लगा दूँ."
"अच्छा बिगड़ा नही है, तो फिर ये तेरा औजार जो तेरी अंडरवियर में है, वो और भी क्यों तनता जा रहा है?"
मदन ने चौंक कर अपने अंडरवियर की तरफ देखा, सच-मुच उसका लण्ड एकदम से दीवार पर लगी खूँटी सा तन गया था और अंडरवियर को एक टेन्ट की तरह से उभारे हुए था। उसने शरमा कर अपने एक हाथ से अपने उभार को छुपाने की कोशिश की।
" हाय मामी आप भी छोड़ो न लाओ पाउडर लगा दूँ।"
“न बाबा तु रहने दे पाउडर, वो मैंने लगा लिया है, कहीं कुछ उलटा सीधा हो गया तो।"
"क्या उलटा सीधा होगा मामी ?, मदन अभी भी भोलेपन का नाटक कर रहा था बोला –
“मैं तो इसलिये कह रहा था की आपको खुजली हो रही थी तो फिर,,,,,,,,,,,,", बात बीच में ही कट गई।
"खूब समझती हूँ क्यों बोल रहे थे ?"
" क्यों मामी नही, मैं तो बस आप को खुजली,,,,,,,।"
"मैं अच्छी तरह से समझती हूँ तेरा इरादा क्या है, और तु कहाँ नजर गड़ाये रहता है, मैं तुझे देखती थी पर सोचती थी ऐसे ही देखता होगा मगर अब मेरी समझ में अच्छी तरह से आ गया है."
मामी के इतना खुल्लम-खुल्ला बोलने पर मदन के लण्ड में एक सनसनी दौड़ गई.
"हाय मामी नही,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,",
मदन की बाते उसके मुंह में ही रह गई और उर्मिला देवी ने आगे बढ़ कर मदन के गाल पर हल्के से चिकोटी काटी।
मामी के कोमल हाथों का स्पर्श जब मदन के गालों पर हुआ तो उसका लण्ड एक बार फिर से लहरा गया। मामी की नंगी जांघो के नजारे की गरमाहट अभी तक लण्ड और आंख दोनो को गरमा रही थी। तभी मामी ने उसकी ठुड्डी पकड़ के उसके चेहरे को थोड़ा सा ऊपर उठाया और एक हाथ से उसके गाल पे चुट्की काट के बोली,
"बहुत घूर घूर के देखता है ना, दिल चाहता होगा की नंगी देखने को मिल जाये तो… है ना ?
मामी की ये बात सुन कर मदन का चेहरा लाल हो गया और गला सुख गया फ़ँसी हुई आवाज में, "माआआआम्म्म्म्मीईईई,,,,,,,," करके रह गया।
मामी ने इस बार मदन का एक हाथ पकड़ लिया और हल्के से उसकी हथेली को दबा कर कहा, "क्यों मन करता है की नही, की किसी की देखुं।"
मदन का हाथ मामी के कोमल हाथों में कांप रहा था। मदन को अपने और पास खींचते हुए उर्मिला देवी ने मदन का चेहरा अपने गुदाज सीने से सटा लिया था। मामी को मदन की गर्म सांसो का अहसास अपने सीने पर हो रहा था। मदन को भी मामी की उठती गिरती छातियाँ अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी।
थुक निगल के गले को तर करता हुआ मदन बोला, "हांआआ मामी मन…तो…।"
उर्मिला देवी ने हल्के से फिर उसके हाथ को अपनी चूचियों पर दबाते हुए कहा, 'देख मैं कहती थी ना तेरा मन करता होगा, , लौंडा जैसे ही जवान होता है उसके मन में सबसे पहले यही आता है की किसी औरत की देखे।"
अब मदन भी थोड़ा खुल गया और हकलाते हुए बोला,
"स…च, मा…मी बहुत मन करता है कि देखे."
"मैं दिखा तो देती मगर....."
"हाय मामी, मगर क्या ?"
"तूने कभी किसी की देखी है ?”
"नही, माआआअमीईईइ...!!"
"तेरी उमर कम है, फिर मैं तेरी मामी हूँ।"
"मामी मैं अब बड़ा हो गया हूँ."
"मैं दिखा देती मगर तेरी उमर कम है, तेरे से रहा नही जायेगा."
"क्या रहा नही जायेगा मामी, बस दिखा दो एक बार."
उर्मिला देवी ने अपना एक हाथ मदन के अंडरवियर के ऊपर से उसके लण्ड पर रख दिया। मदन एकदम से लहरा गया। मामी के कोमल हाथों का लण्ड पर दबाव पा कर मजे के कारण से उसकी पलके बन्द होने को आ गई। उर्मिला देवी बोली,
" देख कैसे खड़ा कर के रखा हुआ है ?, अगर दिखा दूँगी तो तेरी बेताबी और बढ़ जायेगी."
"हाय नही बढ़ेगी मामी, प्लीज एक बार दिखा दो मेरी जिज्ञासा शान्त हो जायेगी."
"कच्छी खोल के दिखा दुं ?"
"हां मामी, बस एक बार, किसी की नही देखी." मदन गिड़गिड़ाया।
मदन का सर जो अभी तक उर्मिला देवी के सीने पर ही था, उसको अपने हाथों से दबाते हुए और अपने उभारों को थोड़ा और उचकाते हुए उर्मिला देवी बोली,
"वैसे तो मैंने नई ब्रा भी पहनी हुई, उसको भी देखेगा क्या ??
"हाँ मामी उसको भी…।"
"देखा तेरी नियत बदलने लगी यही तो मैं कह रही थी कि तुझसे रहा न जायेगा ।“
"नहीं मामी, मैं आपकी हर बात मानुंगा ।"
“मानेगा”
“हाँ मामी”
“चल दिखा दूँगी मगर एक शर्त पर”
"ठीक है”
“जा और मुत कर के अपना अंडरवियर उतार के आ."
मदन को एकदम से झटका लग गया। उसकी समझ में नही आ रहा था की क्या जवाब दे। मामी और उसके बीच खुल्लम-खुल्ला बाते हो रही थी मगर मामी अचानक से ये खेल इतना खुल्लम-खुल्ला हो जायेगा, ये तो मदन ने सोचा भी ना था। कुछ घबराता और कुछ सकपकाता हुआ वो बोला,
"मामी अंडरवियर,,,,,,,,,,,,,,"
"हा, जल्दी से अंडरवियर उतार के मेरे बेडरुम में आ जा फिर दिखाऊँगी.", कह कर उर्मिला देवी उस से अलग हो गई और टी वी बन्द कर के अपने बेडरुम की तरफ चल दी।
मामी को बेडरुम की तरफ जाता देख जल्दी से बाथरुम की तरफ भागा। अंडरवियर उतार कर जब मदन मुतने लगा तो उसके लण्ड से पेशाब की एक मोटी धार कमोड में छर छरा कर गिरने लगी। जल्दी से पेशाब कर अपने फनफनाते लण्ड को काबु में कर मदन मामी के बेडरुम की तरफ भागा। अन्दर पहुंच कर देखा की मामी ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी हो कर अपने बालों का जूड़ा बना रही थी।
मदन को देखते ही तपाक से बोली, "चल बेड पर बैठ मैं आती हुं.",
और बेडरुम से जुड़े बाथरुम में चली गई। बाथरुम से मामी के मुतने की सीटी जैसी आवाज सुनाई दे रही थी। कुछ पल बाद ही मामी बाथरुम से अपनी नाईटी को जांघो तक उठाये हुए बाहर निकली। मदन का लण्ड एक बार फिर से सनसनाया। उसका दिल कर रहा था की मामी की दोनो जांघो के बीच अपने मुंह को घुसा दे और उनकी रसीली चूत को कस के चुम ले। तभी उर्मिला देवी जो की, बेड तक पहुंच चुकी थी की आवाज ने उसको वर्तमान में लौटा दिया,
"तु अभी तक अंडरवियर पहने हुए है, उतारा क्यों नही ?
"हाय् मामी, अंडरवियर उतार के क्या होगा?!! मैं तो पूरा नंगा हो जाऊँगा मामी शरम आ रही है ।"
"तो क्या हुआ ?, मुझे कच्छी खोल के दिखाने के लिये बोलता है मुझे शरम नही आती क्या? शर्त यही है न तू शर्मा न मैं, अगर अंडरवियर उतारेगा तो मैं भी दिखाऊँगी और तुझे बताऊँगी की तेरी मामी को कहाँ कहाँ खुजली होती है और तेरी खुजली मिटाने की दूसरी दवा भी बताऊँगी । अब चल अंडरवियर खोल वरना अपने कमरे में जा।”."
मदन घबराया कि कहीं बनता काम न बिगड़ जाये सकपका के बोला –
"नहीं नहीं मामी, मैं उतार दूँगा पर दूसरी कौन सी दवा है ?"
"बताऊँगी बेटा, पहले जरा अपना सामान तो दिखा।"
मदन ने थोड़ा सा शरमाने का नाटक करते हुए अपना अंडरवियर धीरे धीरे नीचे सरका दिया। उर्मिला देवी की चूत पनियाने और आंखो की चमक बढ़ने लगी । आज दस इंच मोटे तगडे लण्ड का दर्शन पहली बार खुल्लम-खुल्ला ट्युब लाईट की रोशनी में हो रहा था। नाईटी जिसको अब तक एक हाथ से उन्होंने उठा कर रखा हुआ था, छुट कर नीचे हो गई । मदन की आंखो को गरमी देने वाली चीज तो ढक चुकी थी मगर उसकी मामी के मजे वाली चीज अपनी पूरी औकात पर आ के फुफकार रही थी। उर्मिला देवी ने एक बार अपनी नाईटी के ऊपर से ही अपनी चूत को दबाया और खुजली करते हुए बोली,
"इस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस तेरी माँ की आँख ! बाप रे ! कितना बड़ा हथियार है तेरा, उफ़!! मेरी तो खुजली और बढ़ रही है।"
मदन जो की थोड़ा बहुत शरमा रहा था झुंझुलाने का नाटक कर बोला –
"खुजली बढ़ रही है तो कच्छी उतार दो ना मामी, मैं पाउडर लगा दूँ, वो काम तो करती नही हो, बेकार में मेरा अंडरवियर उतरवा दिया."
क्रमश:………………………………
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