RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
चौधराइन
भाग 16 – मदन की जिज्ञासा
उत्तेजना के मारे मदन का बुरा हाल हो चुका था, उसे कुछ भी समझ में नही आ रहा था। खेलने के लिये मिले इस नये खिलौने के साथ वो जी भर के खेल लेना चाहता था। लण्ड का सुपाड़ा रगड़ते हुए उसके मुंह से मजे की सिसकारियाँ फुट रही थी,
"ओह मामी, शशशीईईईईईई मजा आ गया मामी, शशशशीईईईईईईईई मामी।"
उर्मिला देवी की चूत में तो आग लगी हुई थी उन्होंने झट से मदन को धकेलते हुए बिस्तर पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ़ कर अपने पेटीकोट को ऊपर किया एक हाथ से लण्ड को पकड़ा और अपनी झांटदार पनियायी हुई चूत के गुलाबी छेद पर लगा कर बैठ गई। गीली चूत ने सटाक से मदन के पहाड़ी आलु जैसे सुपाड़े को निगल लिया।
मदन का क्यों की ये पहली बार था इसलिये जैसे ही सुपाड़े पर से चमड़ी खिसक कर नीचे गई मदन थोड़ा सा चिहुंक गया।
" ओह मामी, !!!"
"पहली बार है ना, सुपाड़े की चमड़ी नीचे जाने से,,,,,,,,,"
और अपनी चूतड़ों उठा कर खचाक से एक जोरदार धक्का मारा। गीली चूत ने झट से पूरे लण्ड को निगल लिया। जोश में उर्मिला देवी ने पूरा लण्ड अपनी चूत में ठाँस तो लिया पर उनकी साढ़े पाँच इन्ची लन्ड से चुदने वाली चूत मदन के दस इन्ची लण्ड ने चिगुरा दी मारे दर्द के उनकी साँस रुकने लगी जैसे लण्ड चूत से हलक तक आ गया हो। बोली –
“ उईईई माँ बहुत बड़ा है साला।”
नीचे लेटे लेटे ही मदन ने जब फ़िर मामी की गद्देदार माँसल चूचियों सामने देखीं तो फ़िर उनपर झपट पड़ा वो कभी बायीं चूची मुंह में भरता तो कभी दाहिनी चूची को मुंह में दबा लेता। कभी दोनो को एक साथ मिला के चूसता । मामी फ़िर सिसकारियाँ भरने लगी । थोड़ी देर में चूत ने पानी छोड़ दिया और उर्मिला देवी का दर्द कम हो गया तो उन्होंने पेटीकोट को कमर के पास समेट कर खोस लिया और चूतड़ उठा कर दो-तीन और धक्के लगा दिये।
मदन की समझ में खुछ नही आ रहा था। बस इतना लग रहा था जैसे उसके लण्ड को किसी ने गरम भठ्ठी में डाल दिया है। गरदन उठा कर उसने देखने की कोशिश की। मामी ने अपने चूतड़ को पूरा ऊपर उठाया, चूत के रस से चमचमाता हुआ लण्ड बाहर निकला, फिर तेजी के साथ मामी के चूतड़ों नीचे करते ही झांठों के जंगल में समा गया।
"शशशीईईईईईई मामी, आप ने तो अपना नीचे वाला ठीक से देखने भी नही,,,,,,,,,,,"
"बाद में,,,,,,,,,,,,अभी तो नीचे आग लगी हुई है."
"हाय मामी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,दिखा देती तोओओओओओओओओओ.."
"अभी मजा आ रहा है,,,,,,,,??"
"हाय, हां, आ रहा हैएएएएए,,,,,,,,,!!"
"तो फिर मजा लूट ना भोसड़ी के, देख के क्या अचार डालेगा ?,,,,,,,,,,,,,,,"
"उफफ् मामी,,,,,,,,,,,,,,,,शीईईईईईईईई ओह, आपकी नीचेवाली तो एकदम गरम,,,,,,,।"
"हां,,,,,,,,,,,,,,,बहुत गरमी है इसमे, अभी इसकी सारी गरमी निकाल दे. फिर बाद में,,,,,,,,,,,,,भठ्ठी देखना,,,,,,,,,,,अभी बहुत खुजली हो रही थी, ऐसे ही चुदाई होती है समझा, पूरा मजा इसी को शीईईईईईई,,,,,,,,,,,,जब चूत में लण्ड अन्दर बाहर होता है तभी,,,,,,,,,,,,,,हाय पहली चुदाई है ना तेरीईईईईईईईई.."
"हां मामी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हाय शीईईईईईई."
"क्यों, क्या हुआ,,,,,,??,,,,,,,,,,,शीईईईईईई.."
"ऐसा लग रहा है, जैसे उफफफ्फ्फ्,,,,,,,,,,,,जैसे ही आप नीचे आती है, एकदम से मेरे लण्ड की चमड़ी नीचे उतर जाती है,,,,,,,,,,,,,,,,उफफफ्फ्फ् माआआमीईईईई बहुत गुदगुदी हो रही है"
"तेरा बहुत मोटा है, ना,,,,,,,,,,,,,,,,,,इसलिये मेरी में एकदम चिपक कर जा रहा है,,,,,,,"
इतना कह कर उर्मिला देवी ने खचाक-खाचाक धक्के लगाना शुरु कर दिया। चूत में लण्ड ऐसे फिट हो गया था जैसे बोतल में कोर्क !!। उर्मिला देवी की चूत जो की चुद चुद के भोसड़ी हो गई थी, आज १० इंच मोटे लण्ड को खा कर अनचुदी बुर बनी हुई थी और इठला कर, इतरा कर पानी छोड़ रही थी। लण्ड चूत की दिवारों से एकदम चिपक कर रगड़ता हुआ पूरा अन्दर तक घुस जाता था, और फिर उसी तरह से चूत की दिवारों को रगड़ते हुए सुपाड़े तक सटाक से निकल कर फिर से घुसने के लिये तैयार हो जाता था। चूत के पानी छोड़ने के कारण लण्ड अब सटा-सट अन्दर बाहर हो रहा था।
मदन ने गरदन उठा कर अपना देखने की कोशिश की मगर उर्मिला देवी के धक्को की रफतार इतनी तेज और झटकेदार थी, की उसकी गरदन फिर से तकिये पर गिर गई। उर्मिला देवी के मुंह से तेज तेज सिसकारियाँ निकल रही थी और वो चूतड़ों उठा उठा के तेज-तेज झटके मार रही थी। लण्ड सीधा उसकी बच्चेदानी पर ठोकर मार रहा था और बार बार उसके मुंह से चीख निकल जाती थी। आज उसको बहुत दिनो के बाद ऐसा अनोखा मजा आ राह था। दोनो मामी-भांजा कुतिया-कुत्ते की तरह से हांफ रहे थे और कमरे में गच-गच, फच-फच की आवाजें गुंज रही थी।
"ओहहह,,,,,,,,,,,,,,शीईईईईईई,,,,,,,,,,,,मदन बहुत मस्त लण्ड है,,,,,,,,,उफफफफ्फ्फ्फ्."
"हां,,,,,,,,,,,,,,मामी,,,,,,,,,बहुत मजा आ रहा है,,,,,,,,,,,,,,,,,,आपके खरबूजे ईईईई ???..."
"हां, हां, दबा ना, खरबूजे दबा के खा,,,,,,,,,,,,,,,बहुत दिनो के बाद ऐसा मजा आ रहा है,,,,,,,,,"
"सच माआमीईइ,,,,,,,,आआज तो आपने स्वर्ग में पहुंचा दिया,,,,,,,,,,,"
"हाय तेरे इस घोड़े जैसे लण्ड ने तो,,,,,,,,,,आआआज्ज्ज्ज् मेरी बरसो की प्यास बुझाआअ,,,,,"
खच-खच, करता हुआ लण्ड, बुर में तेजी से अन्दर बाहर हो रहा था। उर्मिला देवी की मोटी-मोटी चूतड़ों मदन के लण्ड पर तेजी से उछल-कूद कर रही थी। मस्तानी मामी की दोनो चूचियाँ मदन के हाथों में थी, और उनको अपने दोनो हाथों के बीच दबा कर मथ रहा था।
"ओह हो, राआजूऊऊऊउ बेटाआआआआ,,,,,,,,,,,,,,मेरा निकलेगा अब श्श्श्श्शीशीईईईईईई हाय निकल जायेगा,,,,,,,,,,,,,,,ओओओओओओओओगगगगगगगगगग,,,,,,,,,,,,,,,,(फच-फच-फच) ,,,,,,,,शीईईईईईईईई हायरेएएएएएए कहा था ततततततूऊऊउ,,,,,,,,,,,,,,मजा आआआ गयाआआआ रेएएएएए, गई मैं,,,,,,,,,,हाय आआआआआज तो चूत फ़ाड़ के पानी निकाल दियाआआआ तूनेएएए,,,,,,,,,उफफफ्फ्.."
"हाय मामी, और तेज मारो,,,,,,,मारो और तेज,,,,,,,,,और जोर सेएएएएएए, उफफफफ्फ्फ्फ् बहुत गुदगुदीईइ होओओओओओओ,,,,,,,,,,,,,,"
तभी उर्मिला देवी एक जोर की चीख मारते हुए,
",,,,,,,,,,,,,,शीईईईईईईईईईईई..."
करते हुए मदन के ऊपर ढेर हो गई। उसकी चूत ने फलफला कर पानी छोड़ दिया। चूत का छेद झड़ते हुए लण्ड को कभी अपनी गिरफ्त में कस रहा था कभी छोड़ रहा था। मदन भी शायद झड़ने के करीब था मगर उर्मिला देवी के रुकने के कारण चुदाई रुक गई थी और वो बस कसमसा कर रह गया। उर्मिला देवी के भारी शरीर को अपनी बाहों में जकड़े हुए नीचे से हल्के हल्के चूतड़ों उठा उठा कर अपने आप को सन्तुष्ट करने की कोशिश कर रहा था। मगर कहते है की थुक चाटने से प्यास नही बुजती।
मदन का लण्ड ऐसे तो झड़ने वाला नही था। हां अगर वो खुद ऊपर चढ़ कर चार पांच धक्के भी जोर से लगा देता तो शायद उसका पानी भी निकल जाता। पर ये तो उसकी पहली चुदाई थी, उसे ना तो इस बात का पता था ना ही उर्मिला देवी ने ऐसा किया। लण्ड चूत के अन्दर ही फुल कर और मोटा हो गया था। दिवारों से और ज्यादा कस गया था। धीरे धीरे जब मामी की सांसे स्थिर हुई तब वो फिर से उठ कर बैठ गई और मदन के बालों में हाथ फेरते हुए उसके होठों से अपने होठों को सटा कर एक गहरा चुम्बन लिया।
"हाय,,,,,,,,,,,,मामी रुक क्यों गई ???,,,,,,,,,,,,,,और धक्का लगाओ ना,,,,,,,,"
"मुझे पता है,,,,,,,,,,तेरा अभी निकला नही है,,,,,,,,,,,मेरी तो इतने दिनो से प्यासी थी,,,,,,,,, की ठहर ही नही पाई,,,,,,,,,,,,,,,"
कहते हुए उर्मिला देवी थोड़ा सा ऊपर उठ गई। पक की आवाज करते हुए मदन का मोटा लण्ड उर्मिला देवी की बित्ते भर की चूत से बाहर निकल गया। उर्मिला देवी जो की अभी भी पेटीकोट पहने हुई थी ने पेटीकोट को चूत के ऊपर दबा दिया। उसकी चूत पानी छोड़ रही थी और पेटीकोट को चूत के ऊपर दबाते हुए उसके कपड़े को हल्के से रगड़ते हुए पानी पोंछ रही थी। अपनी दाहिनी जांघ को उठाते हुए मदन की कमर के ऊपर से वो उतर गई और धड़ाम से बिस्तर पर अपनी दोनो जांघो को फैला कर तकीये पर सर रख कर लेट गई। पेटीकोट तो पूरी तरह से ऊपर था ही, उसका बस थोड़ा सा भाग उसकी झाँटों भरी चूत को ढके हुए था। वो अब झड़ने के बाद सुस्त हो गई थी। आंखे बन्द थी और सांसे अब धीरे धीरे स्थिर हो रही थी।
मदन अपनी मामी के बगल में लेटा हुआ उसको देख रहा था। उसका लण्ड एकदम सीधा तना हुआ छत की ओर देख रहा था। लण्ड की नसें फुल गई थी और सुपाड़ा एकदम लाल हो गया था। मदन बस दो-चार धक्को का ही मेहमान था, लेकिन ठीक उसी समय मामी ने उसके लण्ड को अपनी चूत से बे-दखल कर दिया था। झड़ने की कगार पर होने के कारण लण्ड फुफकार रहा था, मगर मामी तो अपनी झाड़ कर उसकी बगल में लेटी थी।
सुबह से तरह तरह के आग भड़काने वाले कुतेव करने के कारण उर्मिला देवी बहुत ज्यादा चुदास से भरी हुई थी. मदन का मोटा लण्ड अपनी चूत में लेकार झड़ गई पर मदन का लण्ड तो एक बार चूस कर झाड़ चुकी थी इसलिये और भी नही झड़ा। उर्मिला देवी अगर चाहती तो चार-पांच धक्के और मार कर झाड़ देती, मगर उसने ऐसा नही किया। क्योंकि वो मदन को तड़पाना चाहती थी वो चाहती थी की मदन उसका गुलाम बन जाये। जब उसकी मरजी करे तब वो मदन से चुदवाये अपनी चूतड़ों चटवाये मगर जब उसका दिल करे तो वो मदन की चूतड़ों पे लात मार सके, और वो उसकी चूत के चक्कर में उसके तलवे चाटे, लण्ड हाथ में ले कर उसकी चूतड़ों के पीछे घुमे।
उर्मिला देवी की आंखे बन्द थी और सांसो के साथ धीरे धीरे उसकी नंगी चूचियाँ ऊपर की ओर उभर जाती थी। गोरी चूचियों का रंग हल्का लाल हो गया था। निप्पल अभी भी खड़े और गहरे काले रंग के भुरे थे, शायद उनमें खून भर गया था, मदन ने उनको खूब चुसा जो था। मामी का गोरा चिकना माँसल पेट और उसके बीच की गहरी नाभी,,,,,,,,,,,मदन का बस चलता तो लण्ड उसी में पेल देता। बीच में पेटीकोट था और उसके बाद मामी की कन्दली के खम्भे जैसी जांघे और माँसल गुलाबी पिन्डलियाँ । मामी की आंखे बंद थी इसलिये मदन अपनी आंखे फ़ाड़ फ़ाड़ कर देख सकता था। वो अपनी मामी के मस्ताने रुप को अपनी आंखों से ही पी जाना चाहता था, मदन अपने हाथों से मामी की मोटी मोटी जांघो को सहलाने लगा। उसके मन में आ रहा था की इन मोटी-मोटी जांघो पर अपना लण्ड रगड़ दे और हल्के हल्के काट काट कर इन जांघो को खा जाये।
ये सब तो उसने नही किया मगर अपनी जीभ निकाल कर चुमते हुए जांघो को चाटना जरुर शुरु कर दिया। बारी-बारी से दोनो जांघो को चाटते हुए मामी की रानों की ओर बढ़ गया। उर्मिला देवी ने एक पैर घुटनो के पास मोड़ रखा था और दूसरा पैर पसार रखा था। ठीक जांघो के जोड़ के पास पहुंच कर हल्के हल्के चाटने लगा और एक हाथ से धीरे से पेटीकोट का चूत के ऊपर रखा कपड़ा हल्के से उठा कर चूत देखने की कोशिश करने लगा।
तभी उर्मिला देवी की आंखे खुल गई। देखा तो मदन उसकी चूत के पास झुका हुआ आंखे फ़ाड़ कर देख रहा है। उर्मिला देवी के होठों पर एक मुस्कान फैल गई और उन्होंने अपनी दूसरी टांग को भी सीधा फैला दिया।
मामी के बदन में हरकत देख कर मदन ने अपनी गरदन ऊपर उठाई। मामी से नजर मिलते ही मदन झेंप गया। उर्मिला देवी ने बुरा-सा मुंह बना कर नींद से जागने का नाटक किया,
"ऊहहह उह, क्या कर रहा है ?"
फिर अपने दोनो पैरो को घुटनो के पास से मोड़ कर पेटीकोट के कपड़े को समेट कर जांघो के बीच रख दिया और गरदन के पीछे तकिया लगा कर अपने आप को ऊपर उठा लिया और एकदम बुरा सा मुंह बनाते हुए बोली,
"तेरा काम हुआ नही क्या ?,,,,,,,,,,,,नींद से जगा दिया,,,,,,,,,,,सो जा।"
मदन अब उसके एकदम सामने बैठा हुआ था। उर्मिला देवी की पूरी टांग रानो तक नंगी थी। केवल पेटीकोट समेट कर रानो के बीच में बुर को ढक रखा था।
मदन की समझ में नही आया की मामी क्या बोल रही है। वो गिगयाते हुए बोला, "मामी,,,,,,,,,,,वो,,,,,,,,,,मैं बस जरा सा देखना,,,,,,,,,,,"
"हां, क्या देखना,,??,,,,,,,,,,,,चूत,,,,,,,,,,,???"
"हां हां, मामी वही."
उर्मिला देवी मुंह बिचकाते हुए बोली, "क्या करेगा,,?,,,,,,,झांटे गिनेगा ?।"
क्रमश:………………………
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