Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ
04-25-2019, 11:53 AM,
#20
RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
चौधराइन 
भाग 18 - माहिर मदन



मदन जल्दी से चूत पर से मुंह हटा कर बोला.
"ख्...खड़ा है, मामी,,,,,,,,एकदम खड़ा हैएएएएएए.."

"कैसे चोदना है ??,,,,,,,चल छोड़ मैं खुद,,,,,,,,"

"हाय, नही मामी,,,,,,,इस बाआर,,,,,,,मैं,,,,,,,,,,"

"फिर आजा सदानन्द के लण्ड,,,,,,,,जल्दी से,,,,,,,,बहुत खुजली हो,,,,,,,,,,,,,",
कहते हुए उर्मिला देवी नीचे पलंग पर लेट गई। दोनो टांग घुटनो के पास से मोड़ कर जांघ फैला दी, चूत की फांको ने अपना मुंह खोल दिया था।

मदन लण्ड हाथ में लेकर जल्दी से दोनो जांघो के बीच में आया, और चूत पर लगा कर कमर को हल्का सा झटका दिया। लण्ड का सुपाड़ा उर्मिला देवी की भोसड़े में पक की आवाज के साथ घुस गया। सुपाड़ा घुसते ही उर्मिला देवी ने अपने चूतड़ों को उचकाया । मोटा पहाड़ी आलु जैसा सुपाड़ा पूरा घुस चुका था। मामी की फुद्दी एकदम गरम भठ्ठी की तरह थी। चूत की गरमी को पाकर मदन का लण्ड फनफना गया।

लण्ड फ़क से मामी की बुर में फिसलता चला गया। कुंवारी लौंडिया होती तो शायद रुकता, मगर यह तो उर्मिला देवी की सेंकडो बार चुदी चूत थी, जिसकी दिवारों ने आराम से रास्ता दे दिया। उर्मिला देवी को लगा जैसे किसी ने उसकी चूत में मोटा लोहे का डन्डा गरम करके डाल दिया हो। लण्ड चूत के आखीरी कोने तक पहुंच कर ठोकर मार रहा था।
उफफफफ्फ्फ्,,,,,हरामी, आराम से नहीं डाल सकता था ?,,,,,,एक बार में ही पूराआआआ,,,,,,,,,,,"

आवाज गले में ही घुट के रह गई, क्योंकि ठरकी मदन अब नही रुकने वाला था। चूतड़ों उछाल उछाल कर पका-पक लण्ड पेले जा रहा था। मामी की बातों को सुन कर भी उनसुनी कर दी। मन ही मन उर्मिला देवी को गाली दे रहा था,
",,,,,,,,,साली कुतिया ने इतना नाटक करवाया है,,,,,,,,,बहन की लौडी ने,,,,,,,,अब इसकी बातों को सुन ने का मतलब है, फिर कोई नया नाटक खड़ा कर देगी,,,,,,,,,जो होगा बाद में देखूँगा,,,,,,,,पहले लण्ड का माल इसकी चूत में निकाल दुं,,,,,,,,,,,,,"

सोचते हुए धना-धन चूतड़ों उछाल-उछाल कर पूरे लण्ड को सुपाड़े तक खींच कर चूत में डाल रहा था। कुछ ही देर में चूत की दिवारों से पानी का सैलाब बहने लगा। लण्ड अब सटा-सट फच-फच की आवाज करते हुए अन्दर बाहर हो रहा था। उर्मिला देवी भी बेपनाह मजे में डुब गई। मदन के चेहरे को अपने हाथों से पकड़ उसके होठों को चुम रही थी, मदन भी कभी होठों कभी गालो को चुमते हुए चोद रहा था।

उर्मिला देवी के मुंह से सिसकारियाँ निकल रही थी,,,,,,,,
"शीईईईईईईईई,,,,,,,,,,,आईईईईईई,,,,,,और जोर सेएएएएएएएएए मदन,,,,,,,,,उफफफफ्फ्फ् बहुत मजा आआआककक्क्क्क्क्,,,,,,,,,,,,,,,,,फाआआड देएएएएएगाआआ,,,,,,,,उफफफफ्फ्फ् मादरच्,,"

"उफफफफ्फ्फ् मामी, बहुत मजा आ रहा हैएएएए,,,,,,,,,,,"

"हां, मदन बहुत मजा आ रहा है,,,,,,,,,,,,,,,,ऐसे ही धक्के माआर,,,,,,,,बहुत मजा दे रहा तेरा हथियार,,,,,हाआये शीईईईईई चोद्,,,,,,,,,,अपने घोड़े जैसे,,,,,,,लण्ड सेएएएएए"
तभी मदन ने दोनो चूचियों को हाथों में भर लिया, और खूब कस कर दबाते हुए एक चूची को मुंह में भर लिया, और धीरे धीरे चूतड़ों उछालने लगा। उर्मिला देवी को अच्छा तो लगा मगर उसकी चूत पर तगडे धक्के नही पड़ रहे थे।

"मादरचोद, रुकता क्यों है ? दुध बाद में पीना, पहले चूतड़ों तक का जोर लगा के चोद."

"हाय मामी, थोड़ा दम तो लेने दो,,,,,,,,,पहली बार,,,,,,,,,,,?"

"चुप हरामी,,,,,,,,,,,चूतड़ों में दम नही,,,,,,,,,,,तो चोदने के लिये क्यों मर रहा था ?,,,,,,, मामी की चूत में मजा नही आ रहा क्या,,,,,,,,,,,?"

"ओह्ह्हह मामी, मेरा तो सपना सच हो गयाआ,,,,,,,,,,,,,,,,हर रोज सोचता था कैसे आपको चोदु ?!!,,,,,आज,,,,,,,मामी,,,,,,,,ओह मामी,,,,,,,,,,बहुत मजा आ रहा हैएएएएएए,,,,,,,,,,,बहुत गरम हैएएएएए आपकी चूत."

"हां, गरम और टाईट भी है,,,,,,,,,चोदो,,,,,,,,,आह्ह्ह,,,,,,,चोदो अपनी इस चुदासी मामी को ओह्ह्ह्हह,,,,,,,,,बहुत तडपी हुं,,,,,,,,,,,,मोटा लण्ड खाने के लिये,,,,,,,,,,तेरा मामा, बहन का लण्ड तो बस्सस,,,,,,,तू,,,,,,,,अब मेरे पास ही रहेगा,,,,,,,,, ,यहीं पर अपनी जांघो के बीच में दबोच कर रखूँगी,,,,,,,,,"

मदन (धक्के लगाते हुए) –“हां मामी, अब तो मैं आपको छोड़ कर जाने वाला नहीईईई,,,,,,,ओह मामी, सच में चुदाई में कितना मजा है,,,,,,,,,, हाय मामी देखो ना कितने मजे से मेरा लण्ड आपकी चूत में जा रहा है और आप उस समय बेकार में चिल्ला,,,,,,,,,?

मामी (मदन के धक्कों की वजह से रुक रुक के) –“अबे साले…लण्ड वाला है ना, तुझे क्या पता,,,,,,,,,,इतना……मोटा…लण्ड किसी…कुंवारी लौंडिया में…घुसा देता तो………अब तक बेहोश………मेरे जैसी चुदक्कड़ औरत……को भी एक बार तो……………बहुत मस्त लण्ड है ऐसे ही पूरा जड़ तक ठेल ठेल कर चोद…आ…आ…आ…ईशईईईईईईईईई ,,,,,,,,तू तो पूरा खिलाडी चुदक्कड़ हो…ग…या है ।"
लण्ड फच फच करता हुआ चूत के अन्दर बाहर हो रहा था। उर्मिला देवी चूतड़ों को उछाल उछाल कर लण्ड ले रही थी। उसकी बहकी हुई चूत को मोटे १० इंच के लण्ड का सहारा मिल गया था। चूत इतरा-इतरा कर लण्ड ले रही थी।

मदन का लण्ड पूरा बाहर तक निकल जाता था, और फिर कच से चूत की गुलाबी दिवारों को रौंदता हुआ सीधा जड़ तक ठोकर मारता था। दोनो अब हांफ रहे थे। चुदाई की रफतार में बहुत ज्यादा तेजी आ गई थी। चूत की नैया अब किनारा खोज रही थी।

उर्मिला देवी ने अपने पैरो को मदन की कमर के इर्द गिर्द लपेट दिया था और चूतड़ों उछालते हुए सिसकाते हुए बोली,
"शीईईईईई राजा अब मेरा निकल जायेगा,,,,,,,,जोर जोर से चोद,,,,,,,,,,पेलता रह,,,,, चोदु,,,,,,,,,मार जोर शीईईईईई,,,,,,,,,,निकाल दे, अपना माआआल्ल अपनी मामी की चूत के अन्दर,,,,,,,,,,ओह ओहहहहह्ह्ह्ह्ह?

"हाय मामीईई, मेरा भी निकलेगा शीईईईईईईईईई तुम्हारी चूत फ़ाड़ डालूँगाआआ,,,मेरे लण्ड काआआ पानीईईई,,,,,,,,,,,ओह मामीईईईइ…। हायएएए,,,,,,,, ,,,,,,,उफफफफ्फ्फ्।"

"हाय मैं गईईईईईईई, ओह आआअहहह्ह्हाआआ शीईईईइए....",
करते हुए उर्मिला देवी ने मदन को अपनी बाहों में कस लिया, उसकी चूत ने बहुत सारा पानी छोड़ दिया। मदन के लण्ड से तेज फुव्वारे की तरह से पानी निकलने लगा। उसकी कमर ने एक तेज झटका खाया और लण्ड को पूरा चूत के अन्दर पेल कर वो भी हांफते हुए ओहहहह्ह्ह्ह्ह्ह करते हुए झड़ने लगा। लण्ड ने चूत की दिवारों को अपने पानी से सरोबर कर दिया। दोनो मामी-भांजा एक दूसरे से पूरी तरह से लिपट गये। दोनो पसीने से तर-बतर एक दूसरे की बाहों में खोये हुए बेसुध हो गये।
करीब पांच मिनट तक इसी अवस्था में रहने के बाद जैसे उर्मिला देवी को होश आया उसने मदन को कन्धो के पास से पकड़ कर हिलाते हुए उठाया,
"मदन उठ,,,,,मेरे ऊपर ही सोयेगा क्या ?"

मदन जैसे ही उठा पक की आवाज करते हुए उसका मोटा लण्ड चूत में से निकल गया। वो अपनी मामी के बगल में ही लेट गया। उर्मिला देवी ने अपने पेटीकोट से अपनी चूत पर लगे पानी पोंछा और उठ कर अपनी चूत को देखा तो उसकी की हालत को देख कर उसको हँसी आ गई। चूत का मुंह अभी भी थोड़ा सा खुला हुआ था। उर्मिला देवी समझ गई की मदन के हाथ भर के लण्ड ने उसकी चूत को पूरा फैला दिया है। अब उसकी चूत सच में भोसड़ा बन चुकी है और वो खुद भोसड़ेवाली चुदक्कड़ । माथे पर छलक आये पसीने को वहीं रखे टोवेल से पोंछने के बाद उसी टोवेल से मदन के लण्ड को बड़े प्यार से साफ कर दिया।"
मदन मामी को देख रहा था। उर्मिला देवी की नजरे जब उस से मिली तो वो उसके पास सरक गई, और मदन के माथे का पसीना पोंछ कर पुछा,
"मजा आया,,,,,,,,???"

मदन ने भी मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "हां मामी,,,,,,,,,बहुत !!!।"

अभी ठीक ५ मिनट पहले रण्डी के जैसे गाली गलोच करने वाली बड़े प्यार से बाते कर रही थी।

"थक गया क्या ?,,,,,,,,,सो जा, पहली बार में ही तूने आज इतनी जबरदस्त मेहनत की है, जितनी तेरे मामा ने सुहागरात को नही की होगी."

मदन को उठता देख बोली, "कहाँ जा रहा है ?"

"अभी आया मामी,,,,,,,,,। बहुत जोर की पेशाब लगी है."

"ठीक है, मैं तो सोने जा रही हूँ,,,,,,,,,,अगर मेरे पास सोना है, तो यहीं सो जाना नही तो अपने कमरे में चले जाना,,,,,,,,,,,,केवल जाते समय लाईट ओफ कर देना."

पेशाब करने के बाद मदन ने मामी के कमरे की लाईट ओफ की, और दरवाजा खींच कर अपने कमरे में चला गया। उर्मिला देवी तुरंत सो गई, उन्होंने इस ओर ध्यान भी नही दिया। अपने कमरे में पहुंच कर मदन धड़ाम से बिस्तर पर गिर पड़ा, उसे जरा भी होश नही था।
सुबह करीब सात बजे की उर्मिला देवी की नींद खुली। जब अपने नंगेपन का अहसास हुआ, तो पास में पड़ी चादर खींच ली। अभी उसका उठने का मन नही था। बन्द आंखो के नीचे रात की कहानी याद कर, उनके होठों पर हल्की मुस्कुराहट फैल गई। सारा बदन गुद-गुदा गया। बीती रात जो मजा आया, वो कभी ना भुलने वाला था। ये सब सोच कर ही उसके गालो में गड्ढे पड़ गये, की उसने मदन के मुंह पर अपना एक बुंद पेशाब भी कर दिया था। उसके रंगीन सपने साकार होते नजर आ रहे थे।

ऊपर से उर्मिला देवी भले ही कितनी भी सीधी सादी और हँसमुख दिखती थी, मगर अन्दर से वो बहुत ही कामुक-कुत्सीत औरत थी। उसके अन्दर की इस कामुकता को उभारने वाली उसकी सहेली हेमा शर्मा थी। जो अब उर्मिला देवी की तरह ही एक शादी शुदा औरत थी, और उन्ही के शहर में रहती थी।

हेमा, उर्मिला देवी के कालेज के जमाने की सहेली थी। कालेज में ही जब उर्मिला देवी ने जवानी की दहलीज पर पहला कदम रखा था, तभी उनकी इस सहेली ने जो हर रोज अपने चाचा-चाची की चुदाई देखती थी, उनके अन्दर काम-वासना की आग भड़का दी। फिर दोनो सहेलीयां एक दूसरे के साथ लिपटा-चिपटी कर तरह-तरह के कुतेव करती थी, गन्दी-गन्दी किताबे पढ़ती थी, और शादी के बाद अपने पतियों के साथ मस्ती करने के सपने देखा करती।

हेमा का तो पता नही, मगर उर्मिला देवी की किस्मत में एक सीधा सादा पति लिखा था, जिसके साथ कुछ दिनो तक तो उन्हे बहुत मजा आया मगर, बाद में सब एक जैसा हो गया। और जब से लड़की थोड़ी बड़ी हो गई मदन का मामा हफ्ते में एक बार नियम से उर्मिला देवी की साड़ी उठाता लण्ड डालता धकम पेल करता, और फिर सो जाता।

उर्मिला देवी का गदराया बदन कुछ नया मांगता था। वो बाल-बच्चे, घर-परिवार सब से निश्चिंत हो गई थी. सब कुछ अपनी रुटीन अवस्था में चल रहा था। ऐसे में उसके पास करने धरने के लिये कुछ नही था, और उसकी कामुकता अपने उफान पर आ चुकी थी। अगर पति का साथ मिल जाता तो फिर,,,,,,,,,, मगर उर्मिला देवी की किस्मत ने धोखा दे दिया। मन की कामुक भावनाओं को बहुत ज्यादा दबाने के कारण, कोमल भावनायें कुत्सीत भावनाओं में बदल गई थी। अब वो अपने इस नये यार के साथ तरह-तरह के कुतेव करते हुए मजा लूटना चाहती थी।
आठ बजने पर बिस्तर छोडा, और भाग कर बाथरुम में गई. कमोड पर जब बैठी और चूत से पेशाब की धारा निकलने लगी, तो रात की बात फिर से याद आ गई और चेहरा शरम और मजे की लाली से भर गया। अपनी चुदी चूत को देखते हुए, उनके चेहरे पर मुस्कान खेल गई की, कैसे रात में मदन के मुंह पर उन्होंने अपनी चूत रगडी थी, और कैसे लौंडे को तड़पा तड़पा कर अपनी चूत की चटनी चटाई थी।

नहा धो कर, फ्रेश हो कर, निकलते निकलते ९ बज गये, जल्दी से मदन को उठाने उसके कमरे में गई, तो देखा लौंडा बेसुध होकर सो रहा है। थोड़ा सा पानी उसके चेहरे पर डाल दिया।

मदन एकदम से हडबड़ा कर उठता हुआ बोला, "पेशशशा,,,,ब,,,,,,मत्,,,,,,,।"

आंखे खोली तो सामने मामी खड़ी थी। वो समझ गई की, मदन शायद रात की बातो को सपने में देख रहा था, और पानी गिरने पर उसे लगा शायद मामी ने उसके मुंह पर फिर से कर दिया। मदन आंखे फ़ाड़ कर उर्मिला देवी को देख रहा था।

"अब उठ भी जाओ,,,,,,,,९ बज गये है, अभी भी रात के ख्वाबो में डुबे हो क्या,,,,,"

फिर उसके शोर्टस् के ऊपर से लण्ड पर एक ठुंकी मारती हुई बोली,
"चल, जल्दी से फ्रेश हो जा.."

उर्मिला देवी रसोई में नाश्ता तैयार कर रही थी। बाथरुम से मदन अभी भी नही निकला था।

"अरे जल्दी कर,,,,,,,,,, नाश्ता तैयार है,,,,,,,,,इतनी देर क्यों लगा रहा है बेटा,,,,,,,,?"
ये मामी भी अजीब है। अभी बेटा, और रात में क्या मस्त छिनाल बनी हुई थी। पर जो भी हो बड़ा मजा आया था। नास्ते के बाद एक बार चुदाई करूँगा तब कही जाऊँगा।

ऐसा सोच कर मदन बाथरुम से बाहर आया तो देखा मामी डाइनिंग़ टेबल पर बैठ चुकी थी। मदन भी जल्दी से बैठ गया और नाश्ता करने लगा। कुछ देर बाद उसे लगा, जैसे उसके शोर्टस् पर ठीक लण्ड के ऊपर कुछ हरकत हुई। उसने मामी की ओर देखा, उर्मिला देवी हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी। नीचे देखा तो मामी अपने पैरो के तलवे से उसके लण्ड को छेड़ रही थी।

मदन भी हँस पड़ा और उसने मामी के कोमल पैरो को, अपने हाथों से पकड़ कर उनके तलवे ठीक अपने लण्ड के ऊपर रख कर, दोनो जांघो के बीच जकड़ लिया। दोनो मामी-भांजे हँस पडे। मदन ने जल्दी जल्दी ब्रेड के टुकडो को मुंह में ठुसा और हाथों से मामी के तलवे को सहलाते हुए, धीरे-धीरे उनकी साड़ी को घुटनो तक ऊपर कर दिया। मदन का लण्ड फनफना गया था। उर्मिला देवी लण्ड को तलवे से हल्के हल्के दबा रही थी। मदन ने अपने आप को कुर्सी पर एडजस्ट कर, अपने हाथों को लम्बा कर, साड़ी के अन्दर और आगे की तरफ घुसा कर जांघो को छूते हुए सहलाने की कोशिश की।

उर्मिला देवी ने हस्ते हुए कहा,
"उईइ क्या कर रहा है ?,,,,,,,कहाँ हाथ ले जा रहा है,,,,,,,,??"

"कोशिश कर रहा हुं, कम से कम उसको छू लूँ, जिसको कल रात आपने बहुत तड़पा कर् छूने दिया.."

"अच्छा, बहुत बोल रहा है,,,,,,,रात में तो मामी,,,,मामी कर रहा था.."

"कल रात में तो आप एकदम अलग तरह से व्यवहार कर रही थी.."

"शैतान, तेरे कहने का क्या मतलब है, कल रात मैं तेरी मामी नही थी तब.."

"नहीं मामी तो आप मेरी सदा रहोगी, तब भी और अब भी मगर,,,,,,"

"तो रात वाली मामी अच्छी थी, या अभी वाली मामी,,,,,???"
"मुझे तो दोनो अच्छी लगती है,,,,,,,,पर अभी जरा रात वाली मामी की याद आ रही है.",
कहते हुए मदन कुर्सी के नीचे खिसक गया, और जब तक उर्मिला देवी,
"रुक, क्या कर रहा है ?"
कहते हुए रोक पाती, वो डाइनिंग़ टेबल के नीचे घुस चुका था और उर्मिला देवी के जाँघों और पिंडलियों चाटने लगा था। उर्मिला देवी के मुंह सिसकारी निकल गई. वो भी सुबह से गरम हो रही थी।

"ओये,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या कर रहा है ??,,,,,,,नाश्ता तो कर लेने दे,,,,,,,,"

'''पच्च पच्च,,,,,,,,,''',,,,,,, "ओह, तुम नाश्ता करो मामी. मुझे अपना नाश्ता कर लेने दो."

"उफफफ्फ्,,,,,,,,,,,,मुझे बाजार जाना है. अभीईई छोड़ दे,,,,,,,,,,,बाद मेंएएए,,,,,,,,,"

उर्मिला देवी की आवाज उनके गले में ही रह गई। मदन अब तक साड़ी को जांघो से ऊपर तक उठा कर उनके बीच घुस चुका था। मामी ने आज लाल रंग की कच्छी पहन रखी थी। नहाने के कारण उनकी स्किन चमकीली और मख्खन के जैसी गोरी लग रही थी, और भीनी भीनी सुगंध आ रही थी।
मदन गदराई गोरी जांघो पर पुच्चीयां लेता हुआ आगे बढ़ा, और कच्छी के ऊपर एक जोरदार चुम्मी ली।

उर्मिला देवी ने मुंह से, "आऊचाआ,,,,,,ऐस्स्सेएएए क्या कर रहा है ?, निकल।"

"मामीईइ,,,,,,,,,,मुझे भी ट्युशन जाना है,,,,,,,,पर अभी तो तुम्हारा फ्रुट ज्युस पी कर हीईइ,,,,,,,,"

कहते हुए मदन ने पूरी चूत को कच्छी के ऊपर से अपने मुंह भर कर जोर से चुसा।
"इसससस्,,,,,,,, एक ही दिन में ही उस्ताददद,,,,बन गया हैएएए,,,,,,,चूत काआ पानी फ्रुट ज्युस लगता हैएएएएएए !!!,,,,,,,,उफफ,,,,, कच्छीई मत उताररररा,,,,"

मगर मदन कहाँ मान ने वाला था। उसके दिल का डर तो कल रात में ही भाग गया था। जब वो उर्मिला देवी के बैठे रहने के कारण कच्छी उतारने में असफल रहा, तो उसने दोनो जांघो को फैला कर चूत को ढकने वाली पट्टी के किनारे को पकड़ खींचा और चूत को नंगा कर उस पर अपना मुंह लगा दिया। झांटो से आती भीनी-भीनी खुश्बु को अपनी सांसो मे भरता हुआ, जीभ निकाल चूत के भगनसे को भुखे भेड़िये की तरह काटने लगा।

फिर तो उर्मिला देवी ने भी हथियार डाल दिये, और सुबह-सुबह ब्रेकफास्ट में चूत चुसाई का मजा लेने लगी। उनके मुंह से सिसकारियाँ फुटने लगी। कब उन्होंने कुर्सी पर से अपने चूतड़ों को उठा कच्छी निकलवाई, और कब उनकी जांघे फैल गई, उसका उन्हे पता भी न चला। उन्हे तो बस इतना पता था, की उनकी फैली हुई चूत के मोटे मोटे होठों के बीच मदन की जीभ घुस कर उनकी बुर की चुदाई कर रही थी. और उनके दोनो हाथ उसके सिर के बालो में घुम रहे थे और उसके सिर को जितना हो सके अपनी चूत पर दबा रहे थे।

थोड़ी देर की चुसाई-चटाई में ही उर्मिला देवी पस्त होकर झड़ गई, और आंख मुंदे वहीं कुर्सी पर बैठी रही। मदन भी चूत के पानी को पी कर अपने होठों पर जीभ फेरता जब डाइनिंग़ टेबल के नीचे से बाहर निकला तब उर्मिला देवी उसको देख मुस्कुरा दी और खुद ही अपना हाथ बढ़ा कर उसके शोर्टस् को सरका कर घुटनो तक कर दिया।
"सुबह सुबह तूने,,,,,,,,ये क्या कर दिया,,,,,,,,!!?", कहते हुए उसके लण्ड सहलाने लगी।
"ओह मामी, सहलाओ मत,,,,,,,,,,,,,,,चलो बेडरुम में ।"
क्रमश:…………………………
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