RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
अशोक की मुश्किल
भाग 2
चम्पा चाची का चूरन…
गतांक से आगे………………
इसी बीच अशोक व्यापार के सिलसिले में जिस कसबे में उसकी ससुराल थी, वहाँ गया। फुटकर व्यापारियों से हिसाब किताब करते रात हो गयी तो सास से मिलने रात ही में पहुंच पाया और रात में वापस आना ठीक न समझ ससुराल में ही रुक गया उसे देख उसकी विधवा सास चम्पा बहुत खुश हुई। महुआ की तरह वह भी उन्हें चाची ही कहता था।
चाची की उम्र यही कोई 40 या 42 साल के आस पास होगी। उनका रंग गोरा डील डौल थोड़ा भारी पर गठा कसा हुआ, वो तीस पैंतिस से ज्यादा की नहीं लगती थी
अशोक ने पाँव छुए तो वो झुककर उसे कन्धे पकड़ उठाने लगीं तो सीने से आंचल ढलक गया और चाची के हैवी लंगड़ा आमों जैसे स्तनों को देख अशोक सनसना गया।
चाची बोली- “अरे ठीक है ठीक है आओ आओ बेटा मैं रोटी बना रही थी इधर रसोईं मे ही आ जाओ जबतक तुम चाय पियो तबतक मैं रोटी निबटा लूँ।
अशोक ने महसूस किया कि चाची ने ब्रा नहीं पहनी है उसने सोचा शायद रसोई की गर्मी से बचने के लिए उन्होंने ऐसा किया हो।
चाची ने उसे चाय पकड़ाते हुए पूछा – “ महुआ कैसी है?”
बोला-“जी ठीक है।”
अशोक डाइनिंग टेबिल की कुर्सी खींच के उनके सामने ही बैठ गया। चाची रोटी बेलते हुए बातें भी करती जा रहीं थी। उनके लो कट ब्लाउज से फ़टे पड़ रहे उनके कटीले आम जैसे स्तन रोटी बेलते पर और भी छ्लके पड़ रहे थे। जिन्हें देख देख अशोक का दिमाग खराब हो रहा था। वो उनपर से अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था। उसने सोचा ये कोई महुआ की माँ तो है नहीं चाची है मेरा इसका क्या रिश्ता?
अगर मैं इसे किसी तरह पटा के चोद लूँ तो क्या हर्ज है, कौन सा पहाड़ टूट जायेगा। उसने आगे सोचा आज तो महुआ भी साथ नही है मकान में सिर्फ़ हमीं दोनों हैं पता नहीं ऐसा मौका दोबारा कभी मिले भी या नहीं ये सोंच उसने चाची को आज ही पटा के चोदने का पक्का निश्चय कर लिया।
वो चाय पीते और उन कटीली मचलती चूचियों को घूरते हुए चाची को पटाने की तरकीब सोचने लगा।
तभी चाची बोली- क्या सोच रहे हो बेटा बाथरूम में पानी रखा है नहा धो के कुछ खा लो दिन भर काम करके थक गये होगे।”
अशोक(हड़बड़ा के) – “मैं भी नहाने के ही बारे में सोंच रहा था।”
ये कहकर वो जल्दी से उठा और के नहाने चला गया। नहाते नहाते उसने महुआ की चाची को पटा के चोदने की पूरी योजना बना ली थी।
नहा के अपने कसरती बदन पर सिर्फ़ लुन्गी बांध कर वो बाहर आया और जोर जोर से कराहने लगा।
कराहने की आवाज सुन चाची दौड़ती हुई आयीं पर अचानक अशोक के कसरती बदन को सिर्फ़ लुन्गी में देख के सिहर उठीं।
वो बोली- “क्या हुआ अशोक बेटा।”
अशोक(कराहते हुए)- “आह! पेट में बड़ा दर्द है चाची।”
चाची बोली- “तू चल के कमरे में लेट जा बेटा मेरे पास दवा है मैं देती हूँ अभी ठीक हो जायेगा।”
वो उसे सहारा दे के उसके कमरे की तरफ़ ले जाने लगी सहारा लेने के बहाने अशोक ने उन्हें अपने गठीले बदन से लिपटा लिया। अशोक के सुगठित शरीर की मांसपेशियाँ बाहों की मछलियाँ चाची के गुदाज जिस्म में भी उत्तेजना भरने लगी पति की मौत के बाद से वो किसी मर्द के इतने करीब कभी नहीं आई थीं ऊपर से अशोक का शरीर तो ऐसा था जैसे मर्द की कोई भी औरत कल्पना ही कर सकती है। बाथरूम से कमरे की तरफ़ जाते हुए उसने देखा कि उत्तेजना से चाची के निपल कठोर हो ब्लाउज में उभरने लगे हैं वो मन ही मन अपनी योजना को कामयाबी की तरफ़ बढ़ते देख बहुत खुश हुआ। जैसे ही वो चाची के कमरे के पास से निकले वो जान बूझ के हाय करके उसी कमरे में घुस उन्हीं के बिस्तर पर लेट गया जैसे कि अब उससे चला नहीं जायेगा।
चाची ने उसे अपना अचूक चूरन देते हुए कहा- “ये ले बेटा ये चूरन कैसा भी पेट दर्द हो ठीक कर देता है।”
अशोक चूरन खाकर फ़िर लेट गया चाची बगल में बैठ उसका पेट सहलाने लगीं काफ़ी देर हो जाने के बाद भी अशोक कराहते हुए बोला-“हाय चाची मर गया हाय बहुत दर्द है ये दर्द जब उठता है कोई दवा कोई चूरन असर नहीं करता। इसका इलाज तो यहाँ हो ही नही सकता इसका इलाज तो महुआ ही कर सकती है।”
चाची ने अपने अचूक चूरन का असर न होते देख पूछा- “आखिर ऐसा क्या इलाज है जो महुआ ही कर सकती है।”
अशोक कराहते हुए बोला-“हाय चाची मैं बता नहीं सकता मुझे बताने लायक बात नहीं है। हाय मर गया, बड़ा दर्द है चाची।”
चाची ने फ़िर पूछा- “मुसीबत में शर्माना नहीं चाहिये यहां मेरे सिवा और तो कोई है नहीं बता आखिर ऐसा क्या इलाज है जो महुआ ही कर सकती है।”
अशोक कराहते हुए बोला-“ चाची आप नहीं मानती तो सुनिये ये सिर्फ़ औरत से शारीरिक सम्बन्ध बनाने से जाता है अब महुआ होती तो काम बन जाता। हाय बड़ा दर्द है मर गया।”
अशोक का पेट सहलाते हुए चाची ने उसके सुगठित शरीर की मांसपेशियों बाहों की मछलियों की तरफ़ देखा और उन्हें ख्याल आया इस एकान्त मकान में वो यदि इस जवान मर्द के साथ शारीरिक सुखभोग लें तो किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। ये सोच उनके अन्दर भी जवानी अंगड़ाइयाँ लेने लगी। वो अशोक को सान्त्वना देने के बहाने उसके और करीब आकर सहलाने गयीं यहाँ तक कि उनका शरीर अशोक के शरीर से छूने लगा वो बोलीं- “ये तो बड़ी मुसीबत है बेटा।”
चाची की आवाज थरथरा रही थी।
अशोक कराहते हुए बोला-“हाँ चाची डाक्टर ने कहा है कि इसका और कोई इलाज नहीं है।”
तभी अशोक के पेट पर सहलाता चाची का हाथ बेख्याली या जानबूझकर अशोक के लण्ड से टकराया सिहर कर चाची ने चौंककर उधर देखा, लुंगी में कुतुबमीनार की तरह खड़े उसके लण्ड के आकर का अनुमान लगा कर उसे ठीक से देखने की अपनी इच्छा को चाची के अन्दर की जवान और भूखी औरत दबा नहीं पायी और अशोक के पेट दर्द की बीमारी का नाजुक मामला उन्हें इसका माकूल मौका भी दे रहा था। सो चाची ने बीमारी के मोआयने के अन्दाज में लुन्गी हटाके उसका नाइसिल पावडर के डिब्बे के जितना लम्बा और मोटा लण्ड थाम लिया उसके आकार और मर्दानी कठोरता को महसूस कर चाची के अन्दर की जवान औरत की जवानी बुरी तरह से अंगड़ाइयाँ लेने लगी। अपनी उत्तेजना से काँपती आवाज में वे बोल उठी,-“अरे बेटा तेरा लण्ड तो खड़ा भी है क्या पेट दर्द की वजह से।”
अशोक(लण्ड अकड़ा के उभारते हुए)-“ –हाँ चाची हाय इसे छोड़ दें।”
चाची की आवाज उत्तेजना से काँपने के अलावा अब उनकी साँस भी तेज चलने लगी थी। वो अशोक के लण्ड को सहलाते हुए बोलीं- “अगर मैं हाथ से सहला के झाड़ दूँ तो क्या तेरा दर्द चला जायेगा।”
अशोक-“अरे ये ऐसी आसानी से झड़ने वाला नहीं है चाची।”
चाची ने सोचा एकान्त मकान, फ़िर ऐसी मर्दानी ताकत(आसानी से न झड़ने वाला), ऐसी सुगठित बाहों की मछलियाँ वाला गठीला मर्द, ऐसे मौके और मर्द की कल्पना तो हर औरत करती है। फ़िर उन्हें तो मुद्दतों से मर्द का साथ न मिला था, ऐसे मौके और मर्द को हाथ से निकल जाने देना तो बेवकूफ़ी होगी।
क्रमश:………………
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