RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
अशोक की मुश्किल
भाग 3
चाची का फ़ैसला…
गतांक से आगे…
सो चाची ने खुल के सामने आने का फ़ैसला कर लिया, जी कड़ा कर धड़कते दिल से बोल ही दिया- “बेटा फ़िर तो तेरी जान बचाने का एक ही तरीका है तू मेरे साथ कर ले।
अशोक-“अरे ये क्या कह रही हैं चाची ये कैसे हो सकता है। हाय मैं मरा! आप तो महुआ की चाची यानि कि मेरी सास हैं। ”
चाची अशोक के पथरीले मर्दाने सीने पर झुक अपने ब्लाउज में उभरते उत्तेजना से कठोर हो रहे निपल रगड़ लण्ड को सहलाते हुए बोलीं- ये सच है कि मैं महुआ की चाची हुँ इस नाते वो मेरी मुँहबोली बेटी हुई उसके एवज में मुँहबोली माँ का फ़र्ज मैं अदा कर चुकी उसकी शादी कर उसका घर बसा दिया उसी नाते मैं तेरी मुँहबोली सास हुँ अस्लियत में मेरा तेरा कोई रिश्ता नहीं। तू एक अन्जान मर्द और मैं एक अन्जान औरत।
अशोक(दर्द से छ्ट्पटाने के बहाने लण्ड अकड़ा के उभारते हुए)-“मगर चाची……!
चाची अपनी धोती खींच के खोलते हुए बोली- “क्या अगर मगर करता है वैसे भी आखिर तू मेरी महुआ बेटी का पति है तेरी सास होने के नाते तेरी जान तेरे शरीर की रक्षा भी तो मेरा फ़र्ज है।”
अशोक(उनके हाथ से झूठ्मूठ लण्ड छुटाने की कोशिश करते हुए)-“मगर चाची बड़ी शरम आ रही है। हाय ये दर्द……!!
चाची ने एक ही झटके में अपना चुट्पुटिया वाला ब्लाउज खोल अपने बड़े बड़े विशाल स्तन अशोक की आँखों के सामने फ़ड़फ़ड़ा के कहा-“ इधर देख बेटा क्या मेरा बदन इस लायक भी नही कि तेरे इस पेट दर्द की मुसीबत की दवा के काम आये।”
ये कह के चाची ने अपना पेटीकोट का नारा खींच दिया पेटीकोट चम्पा चाची के संगमरमरी गुदाज भारी चूतड़ों शानदार रेशमी जांघों से सरक कर उनके पैरों का पास जमीन पर गिर गया। चाची ने अशोक बगल में लेट अपना नंगा बदन के बदन से सटा दिया और अपनी एक जाँघ उसके ऊपर चढ़ा दी। अशोक उत्तेजाना से पागल हुआ जा रहा था।
उनके बड़े बड़े विशाल स्तनों के निपल अशोक के जिस्म में चुभे तो अशोक बोला
- “हाय चाची कहीं कोई आ न जाय, जान न जाय।”
चाची –“ अरे यहाँ कौन आयेगा घर का मुख्य दरवाजा बाहर से बन्द है फ़िर भी आवाज बाहर न जाये के ख्याल से मैं कमरे का दरवाजा भी बन्द कर लेती हुँ।”
ये कह वे जल्दी से उठ कमरे का दरवाजा बन्द करने जल्दी जल्दी जाने लगीं। उत्तेजना से उनका अंग अंग थिरक रहा था। वो आज का मौका किसी भी कीमत पर गवाना नही चाहती थी। अशोक दरवाजे की तरफ़ जाती चाची की गोरी गुदाज पीठ, हर कदम पर थिरकते उनके संगमरमरी गुदाज भारी चूतड़ शानदार रेशमी जांघें देख रहा था।
दरवाजा बन्द कर जब चाची घूंमी तो अशोक को अपना बदन घूरते देख मन ही मन मुस्कराईं और धीरे धीरे वापस आने लगीं। अशोक एक टक उस अधेड़ औरत के मदमाते जवान जिस्म को देख रहा था। धीरे धीरे वापस आती चाची की मोटी मोटी गोरी रेशमी जांघों के बीच उनकी पावरोटी सी फ़ूली हुई दूध सी सफ़ेद चूत थी जो कभी जांघों के बीच विलीन हो जाती तो कभी सामने आ जाती। पास आकर चाची मुस्कुराती हुई उसके बिस्तर के दाहिनी तरफ़ इत्मिनान से खड़ी हो गईं क्योंकि अशोक को अपना बदन घूरते देख वो समझ गईं थी कि उसपर पर चाची के बदन का जादू चल चुका है। खड़े खड़े ही चाचीने उसकी लुंगी हटा कर उसका दस इन्ची लण्ड फ़िर से थाम लिया और हाथ फ़ेर के बोली –“ बेटा तेरा ये नाइसिल पावडर के डिब्बे के जितना लम्बा और मोटा हैवी लण्ड महुआ ले लेती है?”
अशोक-“ नहीं चाची सिर्फ़ सुपाड़ा किसी तरह सुपाड़े से चोद के झाड़ लेता हूँ उससे कभी मेरी चुदाई की प्यास नहीं बुझी। वो क्या मुझे आज तक अपने जोड़ की औरत मिली ही नहीं डाक्टरों के अनुसार इसीलिए मुझे हमेशा पेट दर्द रहता है।”
अशोक का लण्ड सहलाती चाची के बड़े बड़े विशाल स्तन, उनके खड़े खड़े निपल, मोटी मोटी गोरी रेशमी जांघें, जांघों के बीच उनकी पावरोटी सी फ़ूली हुई दूध सी सफ़ेद चूत ने अशोक की बर्दास्त खत्म कर दी थी। उसने अपना दाहिना हाथ उनकी कमर के पीछे से डालकर उन्हें अपने ऊपर गिरा लिया। उनके बड़े बड़े विशाल स्तनों के निपल अशोक की मर्दानी छाती में धँस गये।
अशोक ने महसूस किया कि चाची का बदन अभी तक जवान औरतों की तरह गठा हुआ है। वो उनके गुदाज कन्धे पर मुँह मारते हुए बोला-“मुझे आज पहली बार अपने पसन्द की औरत मिली है बदन तो आपका ऐसा है चम्पा चाची कि मैं खा जाऊँ मगर अब देखना है कि इस बदन की चूत मेरे लण्ड के जोड़ की है या नहीं।
चाची हँसते हुए बगल में लेट गई और उसका दस इन्ची हलव्वी लण्ड फ़िर से थाम लिया और हाथ फ़ेरते बोलीं-अशोक।
अशोक-“हाँ चाची ।
चाची “आ जा अब तेरे पेट का दर्द ठीक हो जायेगा क्योंकि ये चाची और उसकी चूत तेरे जोड़ की है।”
अशोक उठकर चाची की जाँघों के बीच बैठ गया और उनकी केले के तने जैसी सुडोल संगमरमरी रेशमी चिकनी और गुदाज मोटी मोटी रानों को सहलाते हुए बोला-“ आह चाची आप कितनी अच्छी हो । बोलते हुए उसका हाथ चूत पर जा पहुँचा। जैसे ही अशोक ने पावरोटी सी फ़ूली हुई दूध सी सफ़ेद चूत सहलाई चाची ने सिसकारी ली
"स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सआ---आ---ह आ---आ---ह।”
चाची ने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत की फांके फैलायी अब उनकी मोटी मोटी नर्म चिकनी गोरी गुलाबी जांघों भारी नितंबों के बीच मे उनकी गोरी पावरोटी सी फूली चूत का मुंह खुला दिख रहा था अशोक ने अपने फौलादी लण्ड का सुपाड़ा चूत के मुहाने पर टेक दिया। चाची ने सिसकारी ली –
"स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सआ---आ---ह आ---आ---ह।”
अशोक चूत के मुंह की दोनों फूली फांको के ऊपर अपना फौलादी सुपाड़ा घिसने लगा
चाची की चूत बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी। उत्तेजना में आपे से बाहर हो चाची ने जोर से सिसकारी ली और झुन्झुलाहट भरी आवाज में कहा –
"स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सआ---आ---ह आ---आ---ह अब डाल न।”
ये कह चाची ने उसका लण्ड अपने हाथ से पकड़कर निशाना ठीक किया।
ये देख अशोक ने उन्हें और परेशान करना ठीक नही समझा उसने हाथ बढ़ाकर चाची की सेर सेर भर की चूचियाँ थाम लीं और उन्हें दबाते हुए लण्ड का सुपाड़ा चूत मे धकेला।
पक की आवाज के साथ सुपाड़ा चाची की चूत में घुस गया, पर चाची की चीख निकल गई “आ---आ---ईईईईईह”
क्योंकि चाची की चूत में मुद्दतों से कोई लण्ड नहीं गया था सो वो दर्द से चीख पड़ी थीं पर अशोक के लण्ड के सुपाड़े को बिलकुल कोरी बुर का मजा आ रहा था।
अशोक –“ हाय चाची आपकी चूत तो बहुत टाइट है एकदम कोरी बुर लग रही है।”
चाची(बेकरारी से) –“हाय अशोक बेटा तेरे लण्ड का सुपाड़ा मुझे भी सुहागरात का मजा दे रहा है राजा किस्मत से मुझे ऐसा मर्दाना लण्ड और तुझे अपनी पसन्द की चूत मिली है। मेरी भतीजी महुआ के साथ सुपाड़े से मनाई आधी अधूरी सुहागरात की भरपायी, चाची की चूत में पूरा लण्ड धाँस के आज तू अपने मन की सुहाग रात मना के पूरी कर ले। पर अब जल्दी करमेरी चूत में आग लगी है।”
अशोक -“पर आप पूरा सह लोगी चाची? आपकी चूत भी तो इतनी टाइट छोटी सी ही लगती है मैं आप को तकलीफ़ नहीं पहुँचाना चाहता। मुझे डर लगता है क्योंकि आज तक कोई औरत मेरा पूरा लण्ड सह नहीं पाई है।”
चाची – “अरे तू डर मत बेटा मेरी चूत छोटी होने की वजह से टाइट नहीं है बल्कि इसका टाइट होना एक राज की बात है वो मैं फ़िर बाद में बताऊँगी तू पहले पूरा लन्ड तो डाल मेरी इतने सालों की दबी चुदास भड़क के मेरी जान निकाले ले रही है।
अशोक ने थोड़ा सा लण्ड बाहर खीच के फ़िर धक्का मारा तो थोड़ा और लण्ड अन्दर गया चाची कराहीं–
“उम्महहहहहहहहहहह।”
पर अशोक ने उनके कहे के मुताबिक, परवाह न करते हुए चार धक्कों में पूरा लण्ड उनकी चूत में ठाँस दिया
जैसे ही अशोक के हलव्वी लण्ड ने चाची की चूत की जड़ बच्चेदानी के मुँह पर ठोकर मारी, उनके मुँह से निकला- “ओहहहहहहहहहहह शाबाश बेटा।”
आज तक चाची ने जिस तरह के लण्ड की कल्पना अपनी चूत के लिए की थी अशोक के लण्ड को उससे भी बढ़ कए पाया उनके आनन्द का पारावार नहीं था। चाची ने अपनी टाँगे उठा के अशोक के कन्धों पर रख ली। अशोक ने उनकी जांघों के बीच बैठे बैठे ही चुदाई शुरू की। पॉव कन्धों पर रखे होने से लण्ड और भी अन्दर तक जाने लगा। उनके गोरे गुलाबी गद्देदार चूतड़ अशोक की जॉंघों से टकराकर उसे असीम आनन्द देने लगे। साथ ही उसको उनकी सगंमरमरी जॉंघों पिन्डलियों को सहलाने और उनपर मुँह मारने में भी सुविधा हो गई। उसके हाथ चाची की हलव्वी चूचियाँ थाम सहला रहे थे बीच बीच में वो झुककर उनके निपल जीभ से सहलाने और होठों में दबाके चूसने लगता।
धीरे धीरे चाची के बड़े बड़े स्तनों पर उसके हाथों और होठों की पकड़ मजबूत होती गई और कमरे में सिसकारियॉ गूँजने लगी। चाची टॉगें ऊपर उठाकर फैलाती गईं अशोक की रफ्तार बढ़ती गई और अब उसका लण्ड धॉस के पूरा अन्दर तक जा रहा था। अब दोनों घमासान चुदाई कर रहे थे। अब चाची अपने भारी चूतड़ उछाल उछाल के चुदवाते हुए सिसकारियॉं भरते हुए बड़बड़ा रही थीं- “शाबाश बेटा! मिटाले अपना पेट का दर्द और बुझा दे इस चुदासी चाची की उमर भर की चुदास, जीभर के चोद।
अशोक चाची के दबाने मसल़ने से लाल पड़ बडे़ बड़े स्तनों को दोनों हाथों में दबोचकर चूत में धक्का मारते हुए कह रहा था- “उम्म्हये चाची तुम कितनी अच्छी हो सबसे अच्छी हो, इस तरह पूरा लण्ड धँसवा धँसवा के आजतक किसी ने मुझसे नही चुदवाया इतना मजा मुझे कभी नहीं आया। उम्म उम्म उम्म लो और लो चाची आह”
चाची (भारी चूतड़ उछाल उछाल के सिसकारियॉं भरते हुए)- “इस्स्स्साह बेटा! किसी लण्ड की कीमत उसके जोड़ की चूत ही जान सकती है उन सालियों को क्या पता तेरे लण्ड की कीमत, मेरी चूत तेरे लण्ड के जोड़ की है तेरा लंड तो लाखों मे एक है बेहिचक चोदे जा, फ़ाड़ दे अब जबतक तू यहाँ है रोज मेरी चूत फ़ाड़ मैं रोज तेरे लंड से अपनी चूत फ़ड़वाऊंगी ह्म्म उम्म्म्ह उम्म्म ह्म्म उम्म्म्ह उम्म्म!!!!!!! अब तू जब भी यहाँ आयेगा मेरी चूत को अपने लण्ड के लिए तैयार पायेगा।
अब दोनों दनादन बिना सोचे समझे पागलों की तरह धक्के लगा रहे थे दोनों को पहली बार अपने जोड़ के लन्ड और चूत जो मिले थे। आधे घण्टे कि धुँआधार चुदाई के बाद अचानक अशोक के मुँह से निकला - आह चाची लगता है मेरा होने वाला है। आआअह अआआह मुझसे रुका नहीं जायेगा।
चाची-“ उम्मईईईईईईईईईई मैं भी झड़नेवाली हूँ बेटा।”
आ---आ---ह आ---आ---ह उ—ईईई ह्म्म आ--ईईई आ---आ---ह आ---आ---ह उ—ईईई आ--ईईई,. " मैं तो गईईर्र्र्र्ईईई।
“आह चाची आ---आ---ह आ---आ---ह उ—ईईई आ--ईईई आ---आ---ह आ---आ---ह उ—ईईई आ—ईईई मेरा भी छुट गया आह।”
अशोक थक कर चाची के बदन पर बिछ सा गया। वो अपनी उखड़ी सॉसों को सम्हालने की कोशिश करते हुए उनका चिकना बदन सहलाने लगा।
चाची –“अब दर्द कैसा है बेटा।
अशोक उनके ऊपर से हट बगल में लेट बोला- अब आराम है चाची।
फ़िर मुस्कुरा के उनकी चूत पर हाथ फ़ेर के बोला-“आपकी इस दवा ने जैसे सारा दर्द निचोड़ लिया।”
क्रमश:………………
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