RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
अशोक की मुश्किल
भाग 4
राज की बात…
गतांक से आगे…
चाची ने भी मुस्कुरा के उसकी तरफ़ करवट ली और अपनी गोरी मोटी मांसल चिकनी जाँघ उसके ऊपर चढ़ा लन्ड पे रगड़ते हुए बोलीं- “एक बात सच सच बताना बेटा मैं बुरा नहीं मानूँगी। देख मैं भी उम्र दराज औरत हूँ मैंने भी दुनियाँ देखी है ये बता कि सचमुच तेरे पेट में दर्द था या तू सिर्फ़ मुझे चोदने का बहाना खोज रहा था क्योंकि मैंने तेरी आँखों को चोरी चोरी मेरा बदन घूरते देखा है।”
अशोक ने फ़िर झूठ का सहारा लिया-“अब क्या बताऊँ चाची दोनों बातें सही हैं। दरअसल चुदाई की इच्छा होने पर मुझे पेट दर्द होता है। जब आपको रसोई में सिर्फ़ धोती ब्लाउज में देखा………………।”
“तो पेट दर्द शूरू होगया।” चाची ने मुस्कुरा के वाक्य पूरा किया।
अशोक ने झेंपते हुए कहा-
“अरे छोड़िये न चाची”
कहते हुए उनके बायें स्तन के निपल को उंगलियों के बीच गोलियाते मसलते हुए और दायें स्तन के निपल पर जीभ से गुदगुदा के स्तन का निपल अपने होठों मे दबा उनके विशाल सीने में अपना मुँह छिपा लिया और उनके मांसल गुदाज बदन से लिपट गया.
अब उसका लण्ड कभी चाची की मोटी मोटी चिकनी गुलाबी जांघों कभी भारी नितंबों तो कभी उनकी चूत से रगड़ खा रहा था।
अशोक झेंपते हुए मुस्कुरा के बात बदलने की कोशिश की-“अच्छा ये बताइये आप कह रहीं थी कि चूत टाइट होना राज की बात है। कैसा राज?”
चाची –“ अरे हाँ बेटा ये तो बड़े काम की बात याद दिलाई। तू कह रहा था कि महुआ तेरे लण्ड का सिर्फ़ सुपाड़ा किसी तरह ले पाती है क्योंकि उसकी चूत बहुत छोटी है पहले मेरी भी बल्कि उससे भी छोटी ही थी मेरे मायके के पड़ोस मे एक वैद्यजी रहते हैं उनका एक लड़का चन्दू था जब मैं 15 साल की थी तो वो चन्दूजी 16 या 17 के होंगे। हमारा एक दूसरे के घर आना जाना भी था। अब ठीक से याद नहीं पर धीरे धीरे जाने कैसे चन्दूजी ने मुझे पटा लिया और एक दिन जब हम दोनों के घरों में कोई नहीं था वो मुझे अपने कमरे में ले गये और चोदने की कोशिश करने लगे पर एक तो 15 साल की उम्र, ऊपर से जैसा मैंने बताया मेरी कुंवारी बुर मेरी अन्य सहेलियों के मुकाबले छोटी थी सो लण्ड नहीं घुसा, तभी चन्दू उठा और अपने पिताजी के दवाखाने से एक अजीब मलहम जैसा ले आया, उसे मेरी बुर और अपने लण्ड पर लगाया उसे लगाते ही बुर मे चुदास कि गर्मी और खुजली बढ़ने लगी तभी वो अपना लण्ड मेरी बुर पे रगड़ने लगे थोड़ी ही देर में मैं खुद ही अपनी बुर में उनका लण्ड लेने की कोशिश करने लगी थोड़ी ही देर में आश्चर्यजनक रूप से मैंने उनका पूरा सुपाड़ा अपनी बुर मे ले लिया पर उस दिन उससे ज्यादा नही ले पाई चन्दू ने भी सुपाड़े से ही चोद के संतोष कर लिया।
पर अब तो मुझे भी चस्का लग गया था, अगले दिन फ़िर मैं मौका देख कर उनके के पास पहुंची वो बहुत खुश हुए और हम दोनों चुदाई करने की कोशिश करने लगे। पर मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब आज आधे सुपाड़े के बाद लण्ड ने घुसने से इन्कार कर दिया पूछने पर वो मुस्कुराये और उन्होंने बताया कि उनके वैद्य पिता एक अनोखा मलहम(जो कि उन्होंने कल लगाया था) बनाते हैं। अगर कम उम्र की लड़कियाँ उसे अपनी बुर पे लगा के चुदवाने की कोशिश करें तो धीरे धीरे कुछ ही समय में बुर में रबड़ जैसा लचीलापन आ जाता है पर बुर ढ़ीली नहीं होती यहाँ तक कि भयंकर चुदक्कड़ बन जाने पर भी चूतें कुंवारी बुर की सी टाइट रहती हैं पर साथ ही अपने लचीलेपन के कारण बड़े से बड़ा लण्ड लेने में उन्हें कोई परेशानी नहीं होती। मैं बहुत खुश हुई।
इस बीच चाचा मलहम ले आये मेरी चूत पर लगाने लगे, मैं तो चुदासी थी ही सो उनसे उस मलहम का इस्तेमाल कर चुदवाने को तैयार हो गई। कुछ ही दिनों में देखते ही देखते मैं आसानी से उनके पूरे लण्ड से चुदवाने लगी। मेरी बुर चुद के बुर से चूत बन गई, पर देखने और इस्तेमाल मे पन्द्रह सोलह साल की बुर ही लगती रही, आज भी लगती है तूने भी देखा और महसूस किया है।चन्दू चाचा से गाँव की शायद ही कोई लड़की बची हो? धीरे धीरे वो बदमाश लड़कियों मे पहले चन्दू चाचा फ़िर चोदू चाचा के नाम से मशहूर हो गये और अभी भी हैं। वो अभी भी अपने हुनर का उस्ताद है और अभी भी नाम कमा रहे है।”
इतना बताते बताते चाची मारे उत्तेजना के हाँफ़ने लगीं क्योंकि एक तो उनकी ये गरमागरम कहानी ऊपर से उनके जिस्म पर अशोक की हरकतें, इन दोनों बातों ने उन्हें बहुत गरम कर दिया था। इस समय वो चाची की मोटी मोटी नर्म चिकनी जांघों के बीच अपना फ़ौलादी लण्ड दबाकर, बारी बारी से उनके निपल चूसते हुए, अपने हाथों से उनके बड़े बड़े भारी नितंबों को दबोच टटोल रहा था।
अशोक ने पूछा –“उम्म क्या आप उनसे महुआ की चूत ठीक करवा सकती हैं।”
अशोक की हरकतों के कारण सिस्कारियाँ भरते हुए-“इस्स्स्स आ~ह उइइईई अम्म्म्म आआह हाँ पर उसके लिए तो महुआ को चन्दू चाचा से चुदवाना पड़ेगा।”
अशोक बायें हाथ से चाची की पावरोटी सी चूत के मोटे मोटे होठ फ़ैला, दायें हाथ से चूत के मुहाने पर अपने लण्ड का सुपाड़ा धीरे धीरे घिसते हुए बोला- “अरे तो कौन सी उसकी चूत घिस जायेगी उल्टे आपकी तरह हमेशा के लिए जवान बनी रहेगी साथ ही हमेशा के लिए सारी परेशानी दूर हो जायेगी सो अलग।”
चूत पे लण्ड घिसने से चाची की सिसकारियाँ और साँसे और भी तेज होने लगी –“ इस्स्स्स आ~ह उइइईई अम्म्म्म आआ~~ शैतान ! पर तुझे महुआ को फ़ुसलाकर चाचा से चुदवाने के लिए तैयार करना पड़ेगा।”
अशोक- “मेरे ख्याल से चुदाई करते हुए सोचें तो इसका कोई न कोई तरीका सूझ जायेगा।”
अचानक चाची ने एक झटके से उसे पलट दिया और बोली- “अच्छा ख्याल है तू आराम से लेटे लेटे चाची से चुदवाते हुए सोच और चाची का कमाल देख इसबार मैं चोदूंगी, तुझे ज्यादा मजा आयेगा जिससे सोचने में आसानी होगी और तेरा बचखुचा दर्द भी चला जायेगा।”
वो अशोक के ऊपर चढ़ गयी और बायें हाथ की दो उँगलियों से अपनी पावरोटी सी चूत के मोटे मोटे होठ फ़ैलाये और दायें हाथ से उसके लण्ड को थाम, उसका सुपाड़ा अपनी, चुदास से बुरी तरह पनिया रही अपनी चूत के मुहाने से सटाया और दो ही धक्कों में पूरा लण्ड चूत में धंसा लिया और सिसकारियॉं भरते हुए अपने होंठों को दांतों में दबाती हुयी चूतड़ उछाल उछालकर धक्के पे धक्का लगाने लगी ।
अशोक के लिए ये बिलकुल नया तजुर्बा था उसने तो अब तक औरतों को अपने फ़ौलादी लण्ड से केवल डरते,बचते, चूत सिकोड़ते ही देखा था शेरनी की तरह झपटकर लण्ड को निगल जाने वाली चाची पहली औरत थीं सो अशोक को बड़ा मजा आ रहा था। उनके बड़े बड़े उभरे गुलाबी चूतड़ अशोक के लण्ड और उसके आस पास टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे। वो दोनों हाथों से उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे उछलने जिस्म को, गुदाज चूतड़ों को दबोचने लगा। उनके उछलते कूदते तरबूज जैसे स्तन देख अशोक उनपर मुँह मारने लगा । कभी निपल्स होठों मे पकड़ चूसने लगता, पर अशोक का पूरा लण्ड अपनी चूत मे जड़ तक ठोकने के जुनून में चाची उसके लण्ड पे इतनी जोर जोर से उछल रहीं थी कि निपल्स बार बार होठों से छूट जा रहे थे। वो बार बार झपट कर उनकी उछलती बड़ी बड़ी चूचियाँ पकड़ निपल्स होठों में चूसने के लिए दबाता पर चाची की धुआँदार चुदाई की उछल कूद में वे बार बार होठों से छूट जा रहे थे करीब आधे घण्टे की धुआँदार चुदाई के बाद इन दोनों खाये खेले चुदक्क्ड़ उस्तादों ने एक दूसरे को सिगनल दिया कि अब मंजिल करीब है सो अशोक ने दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी मसलने से लाल पड़ गई चूचियाँ पकड़कर एक साथ मुंह में दबा ली इस बार और उनके चूतड़ों को दबोचकर अपने लण्ड पर दबाते हुए चूत की जड़तक लण्ड धॉसकर झड़ने लगा तभी चाची अपनी चूँचियाँ अशोक के मुँह में दे उसके ऊपर लगभग लेट सी गईं और उनके मुँह से जोर से निकला-
“उहहहहहहहहहहह ”
वो जोर से उछलकर अपनी पावरोटी सी फूली चूत में जड़ तक अशोक का भयंकर फ़ौलादी लण्ड धॉंसकर और उसे लण्ड पर बुरी तरह रगड़ते हुए झड़ने लगी ।
दोनो झड़के पूरी तरह से निचुड़ गये थे। चाची बुरी तरह पस्त हो अशोक के ऊपर पड़ी थीं तभी अशोक ने पलट के चाची को नीचे कर दिया। अब अशोक उनके ऊपर आ गया था उसने चाची के बायें स्तन पर हाथ फ़ेरते हुए और दायें स्तन के निपल पर जीभ से गुदगुदाते हुए कहा-“मैंने महुआ को राजी करने का तरीका सोच लिया है बस आप चन्दू चाचा को उनकी दवा के साथ बुलवा लीजिये। सुबह महुआ को फ़ोन करेंगे मैं जैसा बताऊँ आप उससे वैसा कहियेगा समझ लीजिये काम हो गया।”
चाची-“ठीक है सबेरे ही फ़ोन करके मैं चन्दू चाचा को भी बुलवा लेती हूँ।”
फ़िर अशोक ने उन्हें समझाना शुरू किया कि उन्हें सुबह महुआ से फ़ोन पर कैसे और क्या बात करनी है। ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे लिपटे सबेरे की योजना पे बात करते हुए कब उन्हें नींद आ गई पता ही नही चला।
क्रमश:……………
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