RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
अशोक की मुश्किल
भाग 6
चन्दू वैद्य का इलाज…
गतांक से आगे…
उधर अगले दिन शाम को चन्दू चाचा अशोक के घर पहुँचे, महुआ ने चन्दू चाचा की तरफ़ देखा चन्दू मजबूत कद काठी का इस उमर में भी तगड़ा मर्द लगता था। इलाज के तरीके की जानकारी होने के कारण उनका मर्दाना जिस्म देख महुआ को झुरझुरी के साथ गुदगुदी सी हुई। महुआ ने उनका स्वागत किया।
महुआ –“आइये चाचाजी, चम्पा चाची ने फ़ोन करके बताया था कि आप आने वाले हैं।”
चन्दू चाचा ने महुआ को ध्यान से देखा। महुआ थोड़ी ठिगनी भरे बदन की गोरी चिट्टी कुछ कुछ गोलमटोल सी लड़की जैसी लगती थी। उसके चूतड़ काफ़ी बड़े बड़े और भारी थिरकते हुए से थे और उसका एक एक स्तन एक एक खरबूजे के बराबर लग रहा था। चन्दू चाचा महुआ को देख ठगे से रह गये। उन्हें ऐसे घूरते देख महुआ शरमा के बोली- बैठिये चाचा मैं चाय लाती हूँ।”
चन्दू चाचा –“नहीं नहीं चाय वाय रहने दे बेटा, हम पहले नहायेंगे फ़िर सीधे रात्रि का भोजन करेंगे क्योंकि शाम ढ़लते ही भोजन करने की हमारी आदत है। और हाँ, वैसे तो चम्पा ने बताया ही होगा कि हम वैद्य हैं और उसने मुझे तुम्हारे इलाज के लिए भेजा है सो समय बर्बाद न करते हुए, तेरा इलाज भी हम आज ही शुरू कर देंगे क्योंकि इस इलाज में हफ़्ते से दो हफ़्ते के बीच का समय लगता है।”
चन्दू चाचा नहा धो के आये और महुआ के साथ रात का खाना खाकर वहीं किचन के बाहर बरामदे मे टहलते हुए अनुभवी चन्दू ने महुआ से उसकी जिस्मानी समस्या के बारे में विस्तार से बात चीत की जिससे महुआ की झिझक कम हो गई और वो चन्दू चाचा से अपनेपन के साथ सहज हो बातचीत करने लगी। ये देख चन्दू चाचा ने अपना कहा- “महुआ बेटी एक लोटे मे गुनगुना पानी ले खाने की मेज के पास चल, इतनी देर में अपना दवाओं वाला बैग लेकर तेरा चेकअप करने वहीं आता हूँ।”
जब गुनगुना पानी ले महुआ खाने की मेज के पास पहुंची तो चाचा वहाँ अपने दवाओं वाले बैग के साथ पहले से ही मौजूद थे। वो अपने साथ महुआ के कमरे से एक तकिया भी उठा लाये थे।
चन्दू चाचा टेबिल के एकतरफ़ तकिया लगाते हुए बोले –“ये पानी तू वो पास वाली छोटी मेज पे रख दे और साड़ी उतार के तू इस मेज पर पेट के बल लेट जा, तो मैं तेरा चेकअप कर लूँ।”
महुआ साड़ी उतारने में झिझकी तो चाचा बोले –“बेटी डाक्टर वैद्य के आगे झिझकने से क्या फ़ायदा।”
महुआ शर्माते झिझकते साड़ी उतार मेज पर पेट के बल(पट होकर) लेट गई।
चन्दू चाचा ने पहले उसके कमर कूल्हों के आस पास दबाया टटोला पूछा कि दर्द तो नहीं होता। महुआ ने इन्कार में सिर हिलाया तो चन्दू चाचा ने उसका पेटीकोट ऊपर की तरफ़ उलट दिया और उसके शानदार गोरे सुडोल संगमरमरी गुदाज भारी भारी चूतड़ों पर दबाया, टटोला और वही सवाल किया कि दर्द तो नहीं होता। महुआ ने फ़िर इन्कार में सिर हिलाया तो उसे पलट जाने को बोला अब महुआ के निचले धड़ की खूबसूरती उनके सामने थी। संगमरमरी गुदाज गोरी मांसल सुडौल पिन्डलियाँ, शानदार सुडोल संगमरमरी गुदाज भारी भारी चूतड़ों और केले के तने जैसी रेश्मी चिकनी मोटी मोटी जांघों के बीच दूध सी सफ़ेद पावरोटी सी फ़ूली हुई चूत, जिसपे थोड़ी सी रेश्मी काली झाँटें। चन्दू चाचा ने पहले उसके पेट कमर नाभी के आसपास दबाया टटोला फ़िर उसकी नाभी में उंगली डाल के घुमाया तो महुआ की सिसकी निकल गई। इस छुआ छेड़ी से वैसे भी उसका जिस्म कुछ कुछ उत्तेजित हो रहा था। सिसकी सुन चन्दू चाचा ने ऐसे सिर हिलाया जैसे समस्या उनकी समझ में आ रही है। वो तेजी से उसके पैरों की तरफ़ आये और बोले –“ अब समझा, महुआ बेटी! जरा पैरों को मोड़ नीचे की तरफ़ इतना खिसक आ कि तेरा धड़ तो मेज पे रहे पर पैर मेज पर सिर्फ़ टिके हों और जरूरत पड़ने पर उन्हें नीचे लटका के जमीन पर टेक सके।
महुआ ने वैसा ही किया चन्दू चाचा ने दोनों हाथों की उंगलियों से पहले उसकी रेश्मी झांटे हटाईं और फ़िर चूत की फ़ाँके खोल उसमें उंगली डाल कर बोले जब दर्द हो बताना, जैसे ही महुआ ने सिसकी ली चाचा ने अपनी उंगली बाहर खींच ली और बोले –“चिन्ता की कोई बात नहीं तू बिलकुल ठीक हो जायेगी, पर पूरा एक हफ़्ता लगेगा इसलिए इलाज अभी तुरन्त शुरू करना ठीक होगा।” इतनी देर तक एकान्त मकान में चंदू चाचा के मर्दाने हाथों की छुआ छेड़ से उत्तेजित महुआ सोचने समझने की स्थिति में नहीं थी, वैसे भी पति की रजामन्दी के बाद सोचने समझने को बचा ही क्या था सो महुआ बोली –“ठीक है चाचा।”
चन्दू चाचा ने एक तौलिया महुआ के चूतड़ों के नीचे लगा कर गुनगुने पानी से उसकी रेशमी झाँटें गीली की फ़िर अपने बैग से दाढ़ी बनाने की क्रीम निकाल उनपर लगाई और उस्तरा निकाल फ़टाफ़ट झाँटें साफ़कर दीं। महुआ के पूछने पर उन्होंने बताया कि झाँटें न होने पर मलहम जल्दी और ज्यादा असर करता है। अब चन्दू चाचा ने चूतड़ों के नीचे से तौलिया बाहर निकाला फ़िर उसी से चूत और उसके आसपास का गीला इलाका पोंछपाछ के सुखा दिया। अब महुआ की बिना झाँटों की चूत सच में दूध सी सफ़ेद और पावरोटी की तरह फ़ूली हुई लग रही थी।
चाचा ने अपना मलहम निकाला और महुआ की चूत की फ़ाँके अपने बायें हाथ के अंगूठे और पहली उंगली से खोल अपने दूसरे हाथ की उंगली अंगूठे से उसमें धीरे धीरे मलहम लगाने लगे।
पहले से ही उत्तेजित महुआ को अपनी चूत में कुछ गरम गरम सा लगा फ़िर धीरे धीरे गर्मी के साथ कुछ गुदगुदाहट भरी खुजली बढ़ने लगी जोकि चुदास में बदल गई। जैसे जैसे चन्दू चाचा चूत में मलहम रगड़ रहे थे वैसे वैसे चूत की गर्मी और चुदास बढ़ती जा रही थी। महुआ के मुँह से सिस्कियाँ फ़ूट रही थी और उसकी दोनों टांगे हवा में उठ फ़ैलती जा रही थी। चाचा के मलहम उंगलियो के कमाल से थोड़ी ही देर में महुआ ने अपनी टांगे हवा मे फैला दी और सिस्कारी ले के तड़पते हुए चिल्लाई-
" इस्स्स्स्स्स्स आहहहहहह चाचा, ये मुझे क्या हो रहा है लग रहा है कि मैं अपने ही जिस्म की गर्मी में जल जाऊँगी, प्लीज़ कुछ कीजिये अब बर्दास्त नही हो रहा।”
चन्दू चाचा –“ अभी इन्तजाम करता हूँ बेटा।”
ये कहते हुए चन्दू चाचा अपनी धोती हटा के अपना फ़ौलादी लण्ड निकाला और उसके सुपाड़े पर अपना ढेर सा जादुई मलहम थोप के चूत के मुहाने पर रखा। फ़िर सुपाड़ा लगाये लगाये ही आगे झुक महुआ का ब्लाउज खोला और दोनो हाथों से दोनो बड़े बड़े बेलों को ज़ोर ज़ोर से दबाते हुए बारी बारी से निपल चूसने लगे। चुदासी चूत की पुत्तियाँ मुँह खोल के लण्ड निगलने लगीं और लण्ड का सुपाड़ा अपने आप चूत में घुसने लगा। मारे मजे के महुआ की आँखें बन्द थी और दोनों टांगे हवा में फ़ैली हुई थीं । जब लण्ड घुसना रुक गया और चाचा ने लण्ड आगे पीछे कर के चुदाई शुरू नहीं की और चूचियाँ दबाते हुए ज़ोर ज़ोर से निपल चूसना जारी रखा तो महुआ ने आँखें खोली हाथ से अपनी चूत मे टटोला और महसूस किया कि सुपाड़े के अलावा करीब आधा इन्च लण्ड और चूत में घुस गया था जब्कि पहले उसकी चूत में अशोक के लण्ड का सुपाड़ा घुसने के बाद आगे बढ़ता ही नहीं था। उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। तभी शायद चाचा को भी महसूस हो गया कि लण्ड चूत में आगे जाना रुक गया सो उन्होंने चूचियों से मुँह उठाया और कहा –“अब आगे का इलाज इस मेज पर नहीं हो सकता सो तू मेरी कमर पर पैर लपेट ले और अपनी बाहें मेरे गले मे डाल ले ताकि मैं तुझे उठा के बिस्तर पर ले चलूँ, आगे की कार्यवाही वहीं होगी।”
महुआने वैसा ही किया सोने के कमरे की तरफ़ जाते हुए लगने वाले हिचकोलों से लण्ड चूत में अन्दर को ठोकर मारता था,उन धक्कों की मार से महुआ के मुँह से तरह तरह की आवाजें आ रहीं थी-
"उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ओउुुुुुुुुुउउ ऊऊऊऊओह इस्स्सआःाहहहहहहहहह ऊहोहोूहोो अहहहहह उूुुउउफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ इस्स्सआःाहहहहहहहहह"
सोने के कमरे में पहुँच चाचा महुआ को लिये लिए ही बिस्तर पर इस प्रकार आहिस्ते से गिरे कि लण्ड बाहर न निकल जाये। चाचा ने महसूस किया कि सुपाड़े के अलावा करीब एक इंच महुआ की चूत के अन्दर चला गया है, पहले दिन को देखते हुए ये बहुत बड़ी कामयाबी है, ये सोच, महुआ के गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म के ऊपर झुककर उसकी बड़ी बड़ी चूचियों दबोच उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख चूसते हुए उतने ही लण्ड से चोदने लगे। उन्के मुँह से आवाजें आ रही थीं –
“उम्मह हम्मह उह्ह्ह्ह्ह उम्मह हम्मह उह्ह्ह्ह्ह उम्मह हम्मह उह्ह्ह्ह्ह उम्मह हम्मह उह्ह्ह्ह्ह उम्मह हम्मह उह्ह्ह्ह्ह उम्मह हम्मह उह्ह्ह्ह्ह”
उधर महुआ भी चुदाते हुए तरह तरह की आवाजें कर रहीं थी –
"उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ओउुुुुुुुुुउउ ऊऊऊऊओह इस्स्सआःाहहहहहहहहह ऊहोहोूहोो अहहहहह उूुुउउफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ इस्स्सआःाहहहहहहहहह"
एक जमाने से अशोक के हलव्वी लण्ड से होने वाले दर्द के डर से महुआ टालमटोल कर करके, चुदने से बचती चली आई थी सो जब आज इतने अरसे से उसकी बिन चुदी चूत चन्दू चाचा के कमाल से चुदासी हो इस तरह चुदने पर ज्यादा देर ठहर नहीं पाई और जल्दी ही झड़ने के करीब पहुँच गई और उसके मुँह से निकला –
"अहह चाचा लगता है मेरी झड़ जायेगी यहह आज तक इतनी गीली कभी नही हुई चाचा उफफफफफफफइस्स्सआःाहहहउम्म्महह"
ये देख अनुभवी चोदू चन्दू चाचा अपनी स्पीड बढ़ा के बोला-
“शाबाश बेटी झड़ खूब जम के झड़ मैं भी अब अपना झाड़ता हुँ ले शाबाश ले अंदरअहहहहहहहहहहहहहहहहाहोह "
और दोनों झड़ गये । महुआ की चूत में उसे ऐसा लगा जैसे काफ़ी वक्त के प्यासे को पानी मिल गया और माल चूत के अंदर जाते ही उसके मुँह से निकला-
"उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ओउुुुुुुुुुउउ ऊऊऊऊओह"
और इस तरह चन्दू चाचा ने पहले राउण्ड का इलाज खत्म किया। वो महुआ के ऊपर से उतर कर बगल में लेट गये और बोले –“तूने बहुत अच्छी तरह से हर काम मेरे कहे मुताबिक किया। अगर तू ऐसे ही मेरे कहे मुताबिक चलती रही तो मेरे मलहम के कमाल से तू बहुत जल्द अशोक के लायक तैयार हो जायेगी। मेरे मलहम का एक कमाल ये भी है और तेरी चूत कभी ढीली या बुड्ढी नही होगी। तेरी चाची की चूत अभी तक एकदम टाइट और जवान है।”
महुआ ये सोच के मन ही मन मुस्कुराई कि तब तो अशोक को बहुत मजा आ रहा होगा। बिचारे ने जमाने से कोई चूत जम के नही चोदी थी।
ऐसे ही बातें करते दोनों को नींद आ गई।
क्रमश:…………………
|