RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
मुहल्लेदारी से रिश्तेदारी तक
भाग -2
चचा भतीजा
" तुम्हे मैं ही मिला हूँ क्या? चूतिया बनाने के लिए... बल्लू बता रहा था कि उसने तुम्हारी उसके बाद भी 2 बार मारी है... और मुझे हर बार टरका देती हो... परसों की परसों देखेंगे.... अब तो मोना के लिए तो एक एक पल काटना मुश्किल हो रहा है.. तुम्हे नही पता चाची.. तुम्हारे भारी चूतड़ देख देख कर ही जवान हुआ हूँ.. हमेशा से सपना देखता था कि किसी दिन तुम्हारी चिकनी जांघों को सहलाते हुए तुम्हारी रसीली चूत चाटने का मौका मिले.. और तुम्हारे मोटे मोटे चूतड़ों की कसावट को मसलता हुआ तुम्हारी चूत में उंगली डाल कर देखूं.. सच कहता हूँ, आज अगर तुमने मुझे अपनी मारने से रोका तो या तो मैं नही रहूँगा... या तुम नही रहोगी.. लो पकड़ो इस्सको..."
उनकी हरकतें इतनी साफ़ दिखाई नही दे रही थी... पर ये ज़रूर साफ़ दिख रहा था कि दोनो आपस में गुत्थम गुत्था हैं... मैं आँखें फ़ाडे ज़्यादा से ज़्यादा देखने की कोशिश करती रही....
"ये तो बहुत बड़ा है... मैंने तो आज तक किसी का ऐसा नही देखा...." उसकी मम्मी ने कहा....
"बड़ा है चाची तभी तो तुम्हे ज़्यादा मज़ा आएगा... चिंता ना करो.. मैं इस तरह करूँगा कि तुम्हे सारी उमर याद रहेगा... वैसे चाचा का कितना है?" तरुन ने खुश होकर कहा.. वह पलट कर खुद दीवार से लग गया था और मोना की मम्मी की कमर उसकी तरफ कर दी थी........
"धीरे बोलो......" उसकी मम्मी उसके आगे घुटनो के बल बैठ गयी... और कुछ देर बाद बोली," उनका तो पूरा खड़ा होने पर भी इस'से आधा रहता है.. सच बताउ? उनका आज तक मेरी चूत के अंदर नही झड़ा..." मोना की मम्मी भी उसकी तरह गंदी गंदी बातें करने लगी.. वो हैरान थी.. पर उसे मज़ा आ रहा था..
"वाह चाची... फिर ये गोरी चिकनी दो फूल्झड़ियाँ और वो लट्तू कहाँ से पैदा कर दिया.." तरुन ने पूछा... पर मोना की समझ में कुछ नही आया था....
"सब तुम जैसों की दया है... मेरी मजबूरी थी...मैं क्या यूँही बेवफा हो गयी...?"
कहने के बाद उसकी मम्मी ने कुछ ऐसा किया की तरुन उच्छल पड़ा....
"आआआअहह... ये क्या कर रही हो चाची... मारने का इरादा है क्या?" तरुन हल्का सा तेज बोला.....
"क्या करूँ ?इतना बड़ा देख शरारात करने को मन किया । मरोड़ दूँ थोड़ा सा!" उसके साथ ही उसकी मम्मी भद्दे से तरीके से हँसी.....
उसे आधी अधूरी बातें समझ आ रही थी... पर उनमें भी मज़ा इतना आ रहा था कि मोना ने अपना हाथ अपनी जांघों के बीच दबा लिया.... और अपनी जांघों को एक दूसरी से रगड़ने लगी... उस वक़्त उसे नही पता था कि उसे ये क्या हो रहा है.......
अचानक घर के आगे से एक ट्रॅक्टर गुजरा... उसकी रोशनी कुछ पल के लिए घर में फैल गयी.. उसकी मम्मी डर कर एक दम अलग हट गयी.. पर मोना ने जो कुछ देखा, रोम रोम रोमांचित हो गया...
तरुन का लण्ड गधे के की तरह भारी भरकम, भयानक और काला कलूटा था...वो साँप की तरह सामने की और अपना फन सा फैलाए सीधा खड़ा था... "क्या हुआ? हट क्यूँ गयी चाची.. कितना मज़ा आ रहा है.. तरुन ने उसकी मम्मी को पकड़ कर अपनी और खींच लिया....
"कुछ नही.. एक मिनिट.... लाइट ऑन कर लूँ । बिना देखे उतना मज़ा नही आ रहा... " उसकी मम्मी ने खड़े होकर कहा...
"कोई दिक्कत नही है... तुम अपनी देख लो चाची...!" तरुन ने कहा....
"एक मिनिट...!" कहकर मोना की मम्मी घुटनो के बल बैठ तरुन का भयानक लण्ड अपने हाथ में पकड़ कर अपनी चूत से रगड़ने लगी।
तरुन खड़ा खड़ा सिसकारियाँ भरते हुए पपीते जैसी बड़ी बड़ी चूचियाँ पकड़कर दबाते और मुँह मारते हुए तरह तरह की आवाजें निकाल रहा था.. और मोना की मम्मी बार बार नीचे देख कर मुस्कुरा रही थी... तरुन की आँखें पूरी तरह बंद थी...
"ओहूँऊ... इष्ह... मेरा निकल जाएगा...!" तरुन की टाँगें काँप उठी... पर उसकी मम्मी बार बार ऊपर नीचे नीचे ऊपर अपनी चूत से रगड़ती रही.. तरुन का पूरा लण्ड उसकी मम्मी के रस से गीला होकर चमकने लगा था..
"तुम्हारे पास कितना टाइम है?" उसकी मम्मी ने लण्ड को हाथ से सहलाते हुए पूछछा....
"मेरे पास तो पूरी रात है चाची... क्या इरादा है?" तरुन ने साँस भर कर कहा...
"तो निकल जाने दो..." उसकी मम्मी ने कहा और लण्ड के सुपाड़े को अपनी चूत से रगड़ अपने हाथ को लण्ड पर...तेज़ी से आगे पीछे करने लगी...
अचानक तरुन ने अपने घुटनो को थोड़ा सा मोड़ा तरुन का लण्ड गाढ़े वीर्य की पिचकारियाँ सी छोड़ रहा था.. ..
"कमाल का लण्ड है तुम्हारा... उसे पहले पता होता तो मैं कभी तुम्हे ना तड़पाती..."
मोना की मम्मी ने सिर्फ़ इतना ही कहा और तरुन की शर्ट से लण्ड को साफ़ करने लगी.....
"अब मेरी बारी है... कपड़े निकाल दो..." तरुन ने मोना की मम्मी को खड़ा करके उनके नितंब अपने हाथों में पकड़ लिए....
"तुम पागल हो क्या? परसों को में सारे निकाल दूँगी... आज सिर्फ़ लहंगा नीचे करके 'चोद' ले..." उसकी मम्मी ने नाड़ा ढीला करते हुए कहा...
"मन तो कर रहा है चाची कि तुम्हे अभी नंगी करके खा जाऊँ! पर अपना वादा याद रखना... परसों खेत वाला..." तरुन ने कहा और उसकी मम्मी को झुकाने लगा.. पर उसकी मम्मी तो जानती थी... हल्का सा इशारा मिलते ही उसकी मम्मी ने उल्टी होकर झुकते हुए अपनी कोहानिया फर्श पर टिका ली और घुटनो के बल होकर जांघों को खोलते हुए अपने नितंबों को ऊपर उठा लिया...
तरुन मोना की मम्मी का दीवाना यूँ ही नही था.. ना ही उसने मोना की मम्मी की झूठी तारीफ़ की थी... आज भी मोना की मम्मी जब चलती हैं तो देखने वाले देखते रह जाते हैं.. चलते हुए मोना की मम्मी के भारी नितंब ऐसे थिरकते हैं मानो नितंब नही कोई तबला हो जो हल्की सी ठप से ही पूरा काँपने लगता है... कटोरे के आकर के दोनो बड़े बड़े नितंबों का उठान और उनके बीच की दरार; सब कातिलाना थे...मोना की मम्मी के कसे हुए शरीर की दूधिया रंगत और उस पर उनकी कातिल आदयें; कौन ना मर मिटे!
खैर, मोना की मम्मी के कोहनियों और घुटनो के बल झुकते ही तरुन उनके पीछे बैठ गया... अगले ही पल उसने मोना की मम्मी के नितंबों पर थपकी मार कर लहंगा और पॅंटी को नीचे खींच दिया. इसके साथ ही तरुन के मुँह से लार टपक गयी वो बड़े बड़े चूतड़ों पर मुँह मारते हुए,बोला-
" क्या मस्त गोरे गुदगुदे कसे हुए चूतड़ हैं चाची..!"
कहते हुए वो अपने दोनो हाथ मोना की मम्मी के नितंबों पर चिपका कर उन्हे सहलाने और मुँह मारने लगा...
मोना की मम्मी उससे 90 डिग्री पर झुकी हुई थी, इसीलिए उसे उनके ऊँचे उठे हुए एक नितंब के अलावा कुछ दिखाई नही दे रहा था.. पर मैं टकटकी लगाए तमाशा देखती रही.....
"हाए चाची! तेरी चूत कितनी रसीली है अभी तक... इसको तो बड़े प्यार से ठोकना पड़ेगा... पहले थोड़ी चूस लूँ..." उसने कहा और मोना की मम्मी के नितंबों के बीच अपना चेहरा डाल दिया.... मोना की मम्मी सिसकते हुए अपने नितंबों को इधर उधर हटाने की कोशिश करने लगी...
"आअय्यीश्ह्ह्ह...अब और मत तडपा तरुन..आआअहह.... चूत तैयार है.. अब ठोक भी दे न अंदर!"
"ऐसे कैसे ठोक दूँ अंदर चाची...? अभी तो पूरी रात पड़ी है...." तरुन ने चेहरा उठाकर कहा और फिर से जीभ निकाल कर चेहरा मोना की मम्मी की जांघों में डाल दिया...
"समझा कर तरुन... आआहह...फर्श चुभ रहा है... थोड़ी जल्दी कर..!" मोना की मम्मी ने अपना चेहरा बिल्कुल फर्श से सटा लिया.. उनके 'दूध' फर्श पर ठीक गये....," अच्च्छा.. एक मिनिट... खड़ी होने दे...!"
मोना की मम्मी के कहते ही तरुन ने अच्छे बच्चे की तरह उन्हें छोड़ दिया... और मोना की मम्मी ने खड़े होकर मोना की तरफ मुँह कर लिया...
जैसे ही तरुन ने मोना की मम्मी का लहंगा ऊपर उठाया.. उनकी पूरी जांघें और उनके बीच छोटे छोटे गहरे काले बालों वाली मोटी चूत की फाँकें मोना के सामने आ गयी... तरुन घुटने टेक कर मोना की मम्मी के सामने मोना की तरफ पीठ करके बैठ गया और उनकी चूत मोना की नज़रों से छिप गयी... अगले ही पल मोना की मम्मी आँखें बंद करके सिसकने लगी... उनके मुँह से अजीब सी आवाज़ें आ रही थी...
वो हैरत से सब कुछ देख रही थी...
"बस-बस... मुझसे खड़ा नही रहा जा रहा तरुन... दीवार का सहारा लेने दो..",
मोना की मम्मी ने कहा और साइड में होकर दीवार से पीठ सटा कर खड़ी हो गयी... उन्होने अपने एक पैर से लहंगा बिल्कुल निकाल दिया । तरुन के सामने बैठते ही अपनी नंगी टाँग उठाकर तरुन के कंधे पर रख दी..
अब तरुन का चेहरा और मोना की मम्मी की चूत आमने सामने दिखाई दे रहे थे..
तरुन ने अपनी जीभ बाहर निकाली और मोना की मम्मी की चूत में घुसेड़ दी.. मोना की मम्मी पहले की तरह ही सिसकने लगी... मोना की मम्मी ने तरुन का सिर कसकर पकड़ रखा था और वो अपनी जीभ को कभी अंदर बाहर और कभी ऊपर नीचे कर रहा था...
अंजाने में ही मोना के हाथ अपनी कच्छी में चले गये.. मोना ने देखा; उसकी चूत भी चिपचिपी सी हो रही है..
तभी तरुन के कंधे से पैर हटाने के चक्कर में मोना की मम्मी लड़खड़ा कर गिरने ही वाली थीं कि अचानक पीछे से कोई आया और मोना की मम्मी को अपनी बाहों में भरकर झटके से उठाया और बेड पर ले जाकार पटक दिया.. मोना की तो कुछ समझ में ही नही आया..
मोना की मम्मी ने चिल्लाने की कोशिश की तो उनके ऊपर सवार हो गया और मुँह दबाकर बोला,
" मैं हूँ भाभी.. पता है कितने दिन इंतजार किया हैं खेत में..." फिर तरुन की और देखकर बोला,"क्या यार? तू भी अकेला चला आया उसे नहीं बुलाया.."
उसने अपना चेहरा तरुन की और घुमाया, तब मोना ने उन्हे पहचाना.. वो बल्लू चाचा थे... घर के पास ही उनका घर था.. पेशे से डॉक्टर(बलदेव)...मोना की मम्मी की ही उमर के होंगे... अब तो मोना के बर्दास्त की हद पार हो गई और वो दौड़कर बिस्तर पर चाचा को धक्का देकर उनके ऊपर चढ़ के अपनी मम्मी से कहने लगी,-
" मम्मी ! मेरे पास से तो तरुन को खींच लाईं। अब तुम ये क्या कर रही हो दो दो के साथ। तुम्हारी को दो दो मुझे एक भी नहीं?"
अचानक उसे देख कर वो सकपका गये,
" तू यहीं है छोटी तू.. तू जाग रही है?"
मैं बोली,-
" मैं छोटी नहीं हूँ।”
मोना की मम्मी शर्मिंदा सी होकर बैठ गयी,
" ये सब क्या है? जा यहाँ से.. अभी तू छोटी है और तरुन की और घूरने लगी...
मोना बोली,-
" नहीं मम्मी ! मैं छोटी नहीं हूँ । पूछो तरुन भैया से ।”
तरुन खिसिया कर हँसने लगा...
“हाँ चाची! ये ठीक कहती है आज मैंने सुपाड़ा डाला ही दिया होता अगर तुम न आ गयीं होतीं।”
“चाची! मेरी मानो तो एतिहात के तौर पर इसे मुझसे नही, क्योंकि मेरा ज्यादा बड़ा है और मै थोड़ा अनाड़ी भी हूं.. इसको बल्लू चाचा से चुदवा दें उनका मुझसे छोटा भी है.. और वे माहिर खिलाड़ी भी हैं । ”
तरुन ने कहा और सरक कर मोना की मम्मी के पास बैठ गया.... मोना की मम्मी अब दोनो के बीच बैठी थी...
बल्लू चहक कर-
"ठीक है आ जा बेटी.. अपने बल्लू चाचा की गोद में बैठ.. "
मोना की मम्मी ने हालात की गंभीरता को समझते हुए मोना की तरफ़ देखकर हाँ मैं सिर हिलाया और वो खुशी खुशी अपने दोनो कटोरे के आकर के दूधिया रंग के बड़े बड़े चूतड़ों को बल्लू चाचा की गोद में रख कर बैठ गयी....
वो लोग भी इंतजार करने के मूड में नहीं लग रहे थे.. बल्लू ने मोना की दोनों बगलों से हाथ डालकर मोना की चूचियों को दबोच लिया.. मोना ने गोद में बैठकर अपने बड़े बड़े चूतड़ों के बीच की नाली में उनका लण्ड फ़ँसा रखा था। उनका गरम सुपाड़ा मोना की कच्छी के ऊपर से प्यासी कुवाँरी बुर से टकरा कर उसे गर्मा रहा था । धीरे धीरे उसका हाथ रेंगता हुआ मोना की बुर पर पहुँच गया. उन्होंने मोना की बुर के ऊपर से कच्छी को सरकाकर एक तरफ कर दिया. चूत की दोनो फांकों पर उसे उनका हाथ महसूस हुआ. मोना ने उसने सिसकारी भरी...
उन्होंने अपने अंगूठे और उंगलियों से पकड़ कर मोटी मोटी फांकों को एक दूसरी से अलग की और पुत्तियाँ टटोलने लगे मोना की बुर बुरी तरह से गीली हो रही थी ।
इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स चाचा !!!
उसने काँपते हुए जांघें भींच लीं.
"नीचे से दरवाजा बंद है ना?" तरुन ने चाचा से पूछा और मोना की मम्मी की टाँगों के बीच बैठ गया...
"सब कुछ बंद है यार.. आजा.. अब इनकी खोल.."
चाचा ने मोना की कमीज़ के बटन खोल डाले और मोना के दोनो गुलाबी बेल उछ्लकर बाहर निकल आये.... चाचा मोना की दोनो चूचियों को दबा रहे थे और घुण्डियों को मसल मसल के चूस रहे थे और फ़िर मोना के निचले होंट को मुँह में लेकर चूसने लगे...
तरुन ने मोना की मम्मी का ब्लाउज खींच कर उनकी ब्रा से ऊपर कर उतार दिया और लहंगे का नारा खींचने लगा....कुछ ही देर बाद उन दोनों ने मोना और मोना की मम्मी को पूरी तरह नंगा कर दिया.. मोना की मम्मी नंगी होकर और भी मारू लग रही थी.. उनकी चिकनी चिकनी लंबी मोटी मोटी मांसल जांघें.. उनकी छोटे छोटे काले बालों में छिपी चूत.. उनका कसा हुआ पेट और सीने पर थिरक रही बड़ी बड़ी चूचियाँ सब कुछ बड़ा प्यारा था...
तरुन मोना की मम्मी की मोटी मोटी जांघों के बीच झुक गया और उनकी जांघों को ऊपर हवा में उठा दिया.. फिर एक बार मोना की तरफ मुड़कर मुस्कुराया और मोना की मम्मी की चूत को लपर लपर चाटने लगा....
मोना की मम्मी बुरी तरह सीसीया उठी और अपने नितंबों को उठा उठा कर पटकने लगी..
करीब 4-5 मिनिट तक ऐसे ही चलता रहा... तभी अचानक चाचा ने अपने अंगूठे और उंगलियों से मोना की बुर की मोटी मोटी फांकों को पकड़ कर एक दूसरी से अलग कर बोला मोना के होठों को अपने होठों से आजाद कर बोले, " बेटा तेरी बुर बुरी तरह से गीली हो रही है लगता है बुर की सील टूट के चूत बनने को बिलकुल तैयार है शुरू करें बेटा..?"
तरुन ने जैसे ही चेहरा ऊपर उठाया, उसे मोना की मम्मी की चूत दिखाई दी.. तरुन के थूक से वो अंदर तक सनी पड़ी थी.. और चूत के बीच की पत्तियाँ अलग अलग होकर फांकों से चिपकी हुई थी.. मोना की जांघों के बीच भी खलबली सी मची हुई थी...
"पर थोड़ी देर और रुक जा यार!.. चाची की चूत बहुत मीठी है..."
तरुन ने कहा और अपनी पैंट निकाल दी.. तरुन का कच्छा सीधा ऊपर उठा हुआ था ।
तरुन वापस झुक गया और मोना की मम्मी की चूत को फिर से चाटने लगा... उसका भारी भरकम लण्ड अपने आप ही उसके कच्छे से बाहर निकल आया और मोना की आँखों के सामने रह रह कर झटके मार रहा था...
चाचा ने मोना की और देखा तो मोना ने शर्मा कर अपनी नज़रें झुका ली.... अब चाचा ने उसे धीरे से लिटा दिया और मोना की पावरोटी सी बुर से कच्छी उतार दी फ़िर ढेर साड़ी क्रीम अपने लण्ड के सुपाड़े पर और मोना की बुर पर थोप दी। अपने अंगूठे और उंगलियों से मोना की बुर की मोटी मोटी फांकों को पकड़ कर एक दूसरी से अलग कर अपने लण्ड का सुपाड़ा मोना की पावरोटी सी बुर पर रखा। मोना के मुँह से सिसकारी निकल गई।
“इ्स्स्स्स्सइम्म्म्म”
अब चाचा थोड़ी आगे झुके और मोना के बायें बेल पर लगे गुलाबी रंगत के 'अनार दाने' के (निप्पल) को मुँह में दबा कर चूसते हुए धक्का मारा... पक की आवाज के साथ सुपाड़ा अन्दर चला गया।
“आअअअअअअ~आह”
क्रमश:…………………
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