RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
मुहल्लेदारी से रिश्तेदारी तक
भाग -5
बेला देखने गई मेला
उसने तरुन से बताया एक बार चन्दू मामा हमारे घर आये और मुझे अपने साथ ले गये. चन्दू मामा का लड़का राजू किसी काम से बाहर गया था उसकी बीबी टीना भाभी से मेरी बहुत पट्ती थी क्योंकि वो भी मेरी तरह बहुत सेक्सी और हर समय चुदासी रहती थी, अब चन्दू मामा अक्सर थके थके रहते हैं कभी कभी ही चुदाई के मूड में आते हैं जिसदिन मैं उन्के साथ गई उसदिन तो एक बार उन्होने मुझे चोदा पर हर दिन मैं और टीना भाभी एक ही कमरे में सोते थे और रात में देर तक चुदाई सम्बन्धी बातें किया करते थे। फिर वहाँ से मैं बेला, मेरी मामीजी, चन्दू मामा और भाभी टीना और नौकर रामू सब लोग मेले के लिए चल पड़े. सनडे को हम सब मेला देखने निकल पड़े. हमारा प्रोग्राम 8 दिन का था.. सोनपुर मेले में पहुँच कर देखा कि वहाँ रहने की जगह नही मिल रही थी. बहुत अधिक भीड़ थी. चन्दू मामा को याद आया कि उनके ही गाँव के रहने वाले एक दोस्त के दोस्त विश्वनाथजी ने यहाँ पर घर बना लिया है सो सोचा की चलो उनके यहाँ चल कर देखा जाए. हम चन्दू मामा के दोस्त यानी की विश्वनाथजी के यहाँ चले गये. विश्वनाथजी मजबूत कदकाठी के पहलवान जैसे व्यक्ति थे। उन्होने तुरंत हमारे रहने की व्यवस्था अपने घर के ऊपर के एक कमरे में कर दी. इस समय विश्वनाथजी के अलावा घर पर कोई नही था. सब लोग गाँव में अपने घर गये हुए थे. उन्होने अपना किचन भी खोल दिया,जिसमे खाने- पीने के बर्तनो की सुविधा थी. वहाँ पहुँच कर सब लोगों ने खाना बनाया और और विश्वनाथजी को भी बुला कर खिलाया. खाना खाने के बाद हम लोग आराम करने गये.
जब हम सब बैठे बातें कर रहे थे तो मैने देखा कि विश्वनाथजी की निगाहें बार-बार भाभी पर जा टिकती थी. और जब भी भाभी की नज़र विश्वनाथजी की नज़र से टकराती तो भाभी शर्मा जाती थी और अपनी नज़रें नीची कर लेती थी. दोपहर करीब 2 बजे हम लोग मेला देखने निकले. जब हम लोग मेले में पहुँचे तो देखा कि काफ़ी भीड़ थी और बहुत धक्का-मुक्की हो रही थी. चन्दू मामा बोले कि आपस में एक दूसरे का हाथ पकड़ कर चलो वरना कोई इधर-उधर हो गया तो बड़ी मुश्किल होगी. मैने भाभी का हाथ पकड़ा, चन्दू मामा-मामी और रामू साथ थे.
मेले की भीड़ मे पहुँचे ही थे कि अचानक पीछे से मेरे चूतड़ों में कुछ कड़ा सा गड़ा और किसी ने सटकर कमर पर होले से हाथ रख दिये मैं एकदम बिदक पड़ी, कि उसी वक़्त सामने से धक्का आया और उसने मेरे उभरी हुई चूचियाँ सहला दी. भीड़ और धक्कामुक्की बढ़ती जा रही थी मुझे औरत होने की गुदगुदी का अहसास होने लगा था. वो भीड़ मे मेरे पीछे-पीछे चल रहा था, कुछ आगे बढ़ने पर अचानक पीछे से धक्का आया मेरा बदन फ़िर से सनसना गया शायद वही फ़िर पीछे से मेरी दोनो चूचियाँ पकड़ कर कान में फुसफुसाया - 'हाय मेरी जान' । मेरे चूतड़ों को तो उसने जैसे बाप का माल समझ कर दबोच रखा था. कभी-कभी मेरे चूतड़ों में उसका लण्ड गड़ने लगता था, फ़िर उसने मेरी नाभी के नीचे बन्धे पेटीकोट के नारे में से हाथ डाल मेरी चूत को अपने हाथ के पूरे पंजे से दबा लिया और मेरी चूत सहलाने लगा. उसने मेरी जाँघों को भी सहलाया. हम कुछ और आगे बढ़े तो अबकी धक्का-मुक्की में भाभी का हाथ छूट गया और भाभी आगे और में पीछे रह गयी. भीड़ काफ़ी थी और मैं भाभी की तरफ गौर करके देखने लगी. वो पीछे वाला आदमी भाभी के पेटीकोट में हाथ डाल कर भाभी की चूत सहला रहा था. भाभी मज़े से चूत सहलवाते हुए आगे बढ़ रही थी. भीड़ में किसे फ़ुर्सत थी कि नीचे देखे कि कौन क्या कर रहा है. मुझे लगा कि भाभी भी मस्ती में आ रही है. क्योकि वो अपने पीछे वाले आदमी से कुछ भी नही कह रही थी. जब मैं उनके बराबर में आई और उनका हाथ पकड़ कर चलने लगी तो उनके मुँह से आह सी निकल कर मेरे कानों में गूँजी. में कोई बच्ची तो थी नही, सब समझ रही थी. मेरा तन भी छेड़-छाड़ पाने से गुदगुदा रहा था. तभी मेरे चूतड़ों में उसका लण्ड गड़ा. ज़रा कुछ आगे बढ़े तो उसने मेरे दोनो बगलों में हाथ डाल कर मेरी बड़ी बड़ी चूचियों को इस तरह पकड़ कर खींचा कि देखने वाला समझे कि मुझे भीड़-भाड़ से बचाया है. शाम का वक़्त हो रहा था और भीड़ बढ़ती ही जा रही थी. इस छुआ छेड़ीं से हम दोनों बुरी तरह उत्तेजित हो चुदासी हो रहीं थीं तभी पीछे से वो रेला सा आया जिसमे चन्दू मामा मामी और रामू पीछे रह गये और हम लोग आगे बढ़ते चले गये. कुछ देर बाद जब पीछे मूड कर देखा तो चन्दू मामा मामी और रामू का कहीं पता ही नही था. अब हम लोग घबरा गये कि चन्दू मामा मामी कहाँ गये. हम लोग उन्हे ढूँढ रहे थे कि वो लोग कहाँ रह गये और आपस में बात कर रहे थे कि तभी दो आदमी जो काफ़ी देर से हमे घूर रहे थे और हमारी बातें सुन रहे थे वो हमारे पास आए और बोले तुम दोनो यहाँ खड़ी हो और तुम्हारे सास ससुर तुम्हें वहाँ खोज रहे हैं.
भाभी ने पूछा , कहाँ है वो? तो उन्होने कहा कि चलो हमारे साथ हम तुम्हे उनसे मिलवा देते है. {भाभी का थोड़ा घूँघट था. उसी घूँघट के अंदाज़े पर उन्होने कहा था जो क़ि सच बैठा} हम उन दोनो के आगे चलने लगे. साथ चलते-चलते उन्होने भी हमें नही छोड़ा बल्कि भीड़ होने का फायदा उठा कर कभी कोई मेरे चूचियों पर हाथ फिरा देता तो कभी दूसरा भाभी की कमर सहलाते हुए हाथ नीचे तक ले जाकर उनके चूतड़ों को छू लेता था. एक दो बार जब उस दूसरे वाले आदमी ने भाभी की चूचियों को ज़ोर से भींच दिया तो ना चाहते हुए भी चुदासी भाभी के मुँह से आह सी निकल गयी और फिर तुरंत ही संभलकर मेरी तरफ देखते हुए बोली कि इस मेले में तो जान की आफ़त हो गयी है , भीड़ इतनी ज़्यादह हो गयी है कि चलना भी मुश्किल हो गया है.
मुझे सब समझ में आ रहा था कि साली को मज़ा तो बहुत आ रहा है पर मुझे दिखाने के लिए सती सावित्री बन रही है. पर अपने को क्या गम, में भी तो मज़े ले ही रही थी और यह बात शायद भाभी ने भी नोटिस कर ली थी तभी तो वो ज़रा ज़्यादा बेफिकर हो कर मज़े लूट रही थी. वो कहते है ना कि हमाम में सभी नंगे होते हैं. मैने भी नाटक से एक बड़ी ही बेबसी भरी मुस्कान भाभी तरफ उछाल दी.इस तरह हम कब मेला छोड़कर आगे निकल गये पता ही नही चला. काफ़ी आगे जाने के बाद भाभी बोली ' बेला हम कहाँ आ गये, मेला तो काफ़ी पीछे रह गया. यह सुनसान सी जगह आती जा रही है, तेरे चन्दू मामा मामी कहाँ है?'
तभी वो आदमी बोला कि वो लोग हमारे घर है, तुम्हारा नाम बेला है ना, और वो तुम्हारे चन्दू मामा मामी है, वो हमे कह रहे थे कि बेला और बहू कहाँ रह गये. हमने कहा कि तुम लोग घर पर बैठो हम उन्हें ढूँढ कर लाते हैं. तुम हमको नही जानती हो पर हम तुम्हे जानते हैं. यह बात करते हुए हम लोग और आगे बढ़ गये थे.
वहाँ पर एक कार खड़ी थी. वो लोग बोले कि चलो इसमे बैठ जाओ, हम तुम्हे तुम्हारे चन्दू मामा मामी के पास ले चलते हैं. और अब मुझे यह बात समझ में आई कि ये दोनो आदमी वही हैं जो भीड़ मे मेरी और भाभी के चूतड़ और चूचियाँ दबा रहे थे. मैने सोचा फ़ँस तो गये ही हैं पर आखिरी सूरत में साले ज्यादा से ज्यादा क्या करेंगे चोद ही तो लेंगे, पर हमने जाने से इनकार करने का नाटक किया तो उन्होने कहा कि- “ घबराओ नही देखो हम तुम्हे तुम्हारे चन्दू मामा-मामी के पास ही ले चल रहे है और देखो उन्होंने ही हमे सब कुछ बता कर तुम्हारी खबर लेने के लिए हमे भेजा है अब घबराओ मत और जल्दी से कार में बैठ जाओ ताकि मामा- मामी से जल्दी मिल सको।”
मैंने भाभी की तरफ़ देखा भाभी ने सबकी आँख बचा कर मेरी तरफ़ शरारात से मुस्कुराकर आँख दबाई, मैं समझ गई कि आखिरी सूरत में भाभी को भी मेरी तरह मजा लूटने में कोई एतराज नहीं है । बेबसी का नाटक करते हुए हम लोग गाड़ी में बैठ गये । उन लोगों ने गाड़ी में भाभी को आगे की सीट पर बैठाया फ़िर दूसरा मेरे साथ पीछे की सीट पर बैठा कार थोड़ी ही दूर चली होगी कि उस आदमी का दायाँ हाथ मेरी गरदन के पीछे से दूसरी तरफ़ के कन्धे से आगे निकल मेरे बड़े गले के ब्लाउज में से झाँकती गोरी गुलाबी बड़ी बड़ी चूचियों में घुस उन्हें सहलाने दबाने लगा, और बायां हाथ मेरी कमर में आगे से मेरा पेट सहलाने और नाभी में उंगली डालने लगा । फ़िर उसका हाथ सरककर मेरी नाभी के नीचे बन्धे पेटीकोट के नारे में से मेरी चूत पर जा पहुंचा। उसने मेरी चूत को अपने हाथ के पूरे पंजे से दबोच लिया और सहलाने लगा । मैंने नखरा करते हुए उन्हे हटाने का नाटक करते हुए कहा ' हटो ये क्या बदतमीज़ी है.' तो एक ने कहा 'यह बदतमीज़ी नही है मेरी जान, हम वही कर रहे हैं जो मेले में कर रहे थे और तुम मजे ले रहीं थी तुम्हे तुम्हारे चन्दू मामा से मिलाने ले जा रहे हैं तो इसी खुशी में पहले हमारे चन्दू मामाओ से मिलो फिर अपने चन्दू मामा से. जब मैने आगे की तरफ देखा तो पाया कि भाभी का ब्लाउज और ब्रा खुली है दोनो टाँगे फैली हुई साड़ी और पेटिकोट कमर तक उठा हुआ है और वो आदमी कभी भाभी की दोनो चूचियाँ पकड़ता है कभी उनकी चूत को अपने हाथ के पूरे पंजे से दबोचता, सहलाता और उंगली डालता है भाभी झूठ मूठ की ना नुकुर व उसकी पकड़ से निकलने की कोशिश करने का अभिनय कर रही हैं ।
उसने कहा –
“ देखो मेरी जान, हम तुम्हे चोदने के लिए लाए हैं और चोदे बिना छोड़ेंगे नही, तुम दोनो राज़ी से चुदवा लोगी तो तुम्हे भी मज़ा आएगा और हमे भी, फिर तुम्हे तुम्हारे घर पहुँचा देंगे. जितना नखरा करोगी उतनी देरी से घर पहुँचोगी।”
और मेरी भाभी से कहा कि' “ये तो साफ़ दिख रहा है कि मजा तुम दोनो को भी आ रहा है फ़िर तुम तो शादी शुदा हो, चुदाई का मज़ा लेती ही रही हो, इसे भी समझाओ कि इतना मज़ा किसी और चीज़ में नही है, इसलिए चुपचाप खुद भी मज़ा करो और हमे भी करने दो ।”
इतना सुन कर मैं मन ही मन हँसी कि ये साला, ये नहीं जानता कि हम दोनों तो पहले से ही चुदासी हो रही हैं । अब हमने नखरे करने बन्द कर दिये और चुपचाप मज़ा लेने लगे । भाभी को शांत होते देख कर वो जो भाभी की मोटी मोटी जाघें पकड़े बैठा था वो भाभी की चूत दबोचते हुए बीच बीच में कस-कस कर भाभी की बड़ी बड़ी चूचियाँ सहलाने लगा. भाभी सी-सी करने लगी । इधर मेरी भी चूत और चूचियों, दोनो पर ही एक साथ आक्रमण हो रहा था और मैं भी सीसिया रही थी. वो मेरी चूचियों को भोंपु की तरह दबाते हुए बारी बारी से दोनों घूंड़ियों(निपलों) को होठों में दबा के चूसने में लगा था मेरे मुँह से सीसियाते हुए निकला “ स्स्स्स्सी आह्ह्ह ये तुम क्या कर रहे हो?”
क्यों मज़ा नही आ रहा है क्या मेरी जान?
मैंने एकदम से कसमसा कर हाथ पावं सिकोड़े तो दूसरा वाला मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए मेरी चूतड़ों की दरार में उंगली फिराते हुए चूत तक ले जा रहा था.
“चीज़े तो बड़ी उम्दा है यार।”
भाभी की मोटी मोटी जाघें दबोच कर मौज लेते हुए वो बोला. “एकदम कसा मस्त देहाती माल है ।”
मैं थोड़ा सा हिली तो मेरे वाले ने मेरी चूचियों को कस कर दबाते हुए मेरे होंटो पर अपने होंट रख कर ज़ोर से चुंबन लिया फिर मेरे गालों को मूँह में भर कर इतनी ज़ोर से चूसा कि मैं बूरी तरह से गन्गना उठी. ऐसा लग रहा था कि हम दोनो की मस्त जवानी देख कर दोनो बुरी तरहा से पगला गये थे. मेरा वाला मेरे चूतड़ और चूत दबोचे बैठा था, और मेरी चूचियों और गालों का सत्यानाश कर रहा था और मैं वैसे झूठ नही बोलूँगी क्योंकि मज़ा तो मुझे भी आ रहा था पर उस वक़्त डर भी लग रहा था. मैं दोहरे दबाव में अधमरी थी. एक तरफ़ शरारात की सनसनी और दूसरी तरफ इनके चंगुल में फँसने का भय,वो मेरी गदराई चूचियों को दबाते हुए मस्त आँखो से मेरे चेहरे को निहार रहा था ।
मैने भाभी की तरफ देखा, भाभी की साड़ी और पेटिकोट कमर तक उठा हुआ था और आगे वाले ने भाभी की दायीं मोटी गदराई जाँघ अपनी जाँघ के नीचे दबा रखी थी । भाभी दोनो हाथों से उसका हलव्वी लण्ड पकड़ के सहला रही थी. उन दोनो के खड़े मोटे-मोटे फ़ौलादी लण्डों को देख कर मैं डर गयी कि जाने ये लण्ड हमारी चूतों का क्या हाल करेंगे । तभी आगे वाले आदमी ने जो कि कार चला रहा था, एक हाथ से भाभी के गाल पर चुटकी भरी फ़िर उनकी जाँघों के बीच चूत के ऊपर उगी भूरी-भूरी झांटे सहलाते और चूत मे उंगली करते हुए भाभी से पूछा'
रानी मज़ा आ रहा है ना?
और मैने देखा कि भाभी मज़ा लेते हुए नखरे के साथ बोली
'ऊँ हूँ '
तब उसने कहा ' नखड़ा ना कर, मज़ा तो आ रहा है, है ना, प्यार से चुदवा लोगी तो कसम भगवान की पूरा मज़ा लेकर ऐसे ही साफ़ सुथरी तुम्हे तुम्हारे घर पहुँचा देंगे. तुम्हारे घर किसी को पता भी नही लगेगा कि तुम कहाँ से आ रही हो. और नखड़ा करोगी तो वक़्त भी खराब होगा और तुम्हारी हालत भी और घर भी देर से पहुँचोगी. वैसे भी तुम खुद समझदार हो जो मज़ा राज़ी-खुशी में है वो ज़बरदस्ती में कहाँ.
भाभी (झुंझुलाहट के साथ) – अरे तो क्या मैं लिख के दूँ, भाषण देने के बजाय जल्दी से करता क्यों नहीं ।”
भाभी की ऐसी बात सुन कर कार एक सुनसान जगह पर रोक ली और उन लोगों ने हमे कार से उतारा और कार से एक बड़ा सा कंबल निकाल कर थोड़ी समतल सी जगह पर बिछाया और मुझे और भाभी को उस पर लिटा दिया. अब पीछे वाला आदमी मेरे करीब आया और उसने पहले मेरा ब्लाउज उतारा, ब्रा में से फ़टी पड़ रही मेरी बड़े बड़े बेलों जैसी चूचियाँ देख उसने मेरी ब्रा लगभग नोचते हुए खीच कर उतार डाली अब वो मेरी फ़ड़क कर आजाद हो गई चूचियों पर झपटा और उनपर मुँह मारने लगा। मैं गनगना कर सीस्या रही थी. फिर उसने बाकी के सभी कपड़े उतार कर मुझे पूरी तरह से नंगा किया मेरी चूत में कीड़े रेंगने लगे थे. मेरे साथ वाला आदमी का जोश बढ़ता जा रहा था, और पागलों के समान मेरे शरीर को चूम चाट रहा था । मेरी खाई खेली चूत भी चुदाई की उम्मीद से में मस्ती में भर रही थी. वो काफ़ी देर तक मेरी चूत को निहारता रहा । वो मेरी चूत को कुँवारी चूत यानि बुर समझ रहा था फ़िर उसने मेरी पाव-रोटी जैसी फूली हुई चूत पर हाथ फेरा और मस्ती में भर झुक कर मेरी चूत को चूमने लगा, और चूमते-चूमते मेरी चूत के टीट {पुत्तियाँ} को चाटने लगा.अब मेरी बर्दाश्त के बाहर हो रहा था और मैं ज़ोर से सित्कार कर रही थी. वो जितना ही अपनी जीभ मेरी मस्त चूत पर चला रहा था उतना ही उसका जोश और मेरा मज़ा बढ़ता जा रहा था. मेरी चूत में जीभ घुसेड कर वो उसे चक्कर घिन्नी की तरह घुमा रहा था, अब मैं भी अपने चूतड़ ऊपर उचकाने लगी थी. मैंने भाभी की तरफ़ देखा वो आगे वाले आदमी की गोद में बिलकुल नंगी उसके सीने से अपनी पीठ लगाकर बैठी उसका लम्बा फ़ौलादी लण्ड अपनी चूत पर रगड़ रही थीं और वो उनकी चूचियाँ सहला रहा था.
मुझे एक अजीब तरह की गुदगुदी हो रही थी फिर वो कपड़े खोल कर नंगा हो गया. उसका भी लण्ड आगे वाले की तरह खूब लंबा और मोटा फ़ौलादी था जोकि एकदम टाइट होकर साँप की भाँति फुंफ़कार रहा था जिसे देख मेरी चुदक्कड़ चूत उसे(लण्ड को) निगल जाने को बेकरार हो उठी.
क्रमश:…………………
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