RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
मुहल्लेदारी से रिश्तेदारी तक
भाग -10
मामीजी का जादू
मामीजी बोलीं-
चोदो राजा फ़ाड़ दो आज मेरी चुदक्कड़ चूत ।
बस विश्वनाथजी मामीजी की हलव्वी चूचियाँ थामकर बारी बारी से निपल चूसते हुए धकापेल चोदने लगे । चूत भीगी होने के कारण लण्ड पकापक अंदर बाहर जाने लगा, और मामीजी को मज़ा आने लगा. वे चूतड़ उचका उचका के अपनी कमर के धक्के उसके लण्ड पर मारते हुए चुदवाने लगी उनकी दोनों टांगें विश्वनाथजी के कन्धों पर होने के कारण उनकी गद्देदार फूली हुयी चूत मोटी मोटी गोरी गुलाबी चिकनी जांघें भारी गद्देदार चूतड़ विश्वनाथजी के लण्ड के आस पास टकराकर डनलप के गुदगुदे गद्दे का मजा दे रहे थे और उनसे फटफट की आवाज आ रही थी। विश्वनाथजी ने दोनों हाथों से मामीजी के उछलते बड़े बड़े गोरे गुलाबी उरोजों को थामकर एकसाथ दोनों काले काले निपल होंठों में दबा लिये और उनकी नंगी नर्म चिकनी गोरी गुलाबी संगमरमरी मांसल बाहों को हाथों में दबोच कर निपल चूसने लगे ।
मामीजी के मुँह से आवाजे आ रही थीं उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्हआाााहहहहह
बेहद उत्तेजित होने के कारण करीब दस मिनट तक रगड़ते हुए चुदाई करने के बाद मामीजी चूत में जड़ तक विश्वनाथजी का लण्ड धँसवाकर उसे लण्ड पर बुरी तरह रगड़ते हुए झड़ने लगी। विश्वनाथजी भी मामीजी की आग हो रही चूत की गर्मी झेल नहीं पाये और उनके बड़े बड़े गुलाबी चूतड़ों को दोनो हाथों में दबोचकर अपने लण्ड पर दबाते हुए चूत की जड़ तक लण्ड धॉंसकर झड़ गये। झड़ने के बाद विश्वनाथजी ने मामी जी की टाँगें कन्धे से उतार दीं और बगल में लेट गये मामी जी उठीं और साड़ी उतार कर पेटीकोट ब्लाउज पर नाइटी डाल बाथरूम चली गयीं। जब मामीजी लौटीं तो देखा विश्वनाथजी कपड़े उतार के सिर्फ़ लुंगी पहने आँखें बन्द किये लेटे हैं मामीजी ने पेटीकोट ब्लाउज नाइटी सब उतार के टांग दिया और बिलकुल नंगी हो विश्वनाथजी के बगल में लेट गयीं और धीरे से उनकी लुंगी खोलकर उनसे लिपट गयी अबदोनों बिलकुल नंगधड़ंग एक ही बर्थ पर लिपटे पड़े थे विश्वनाथजी ने हड़बड़ा के आँखें खोल दीं बिलकुल नंगी मामी जी को बाहों मे देख उनके गुदाज मांसल बदन को अपनी भुजाओं मे कस उनकी स्तनों को अपने बालों भरे सीने मे पीसने लगे। मामी जी ने अपनी जांघों के बीच उनका हलव्वी लन्ड दबा कर मसलने लगीं ।
उस ट्रेन सफ़र में विश्वनाथजी ने तीन बार मामी जी की चूत का बाजा बजाया। मायके पहुँचकर मामीजी अपने पिताजी से मिली और उनके बगल वाले कमरे में यह कह कर ठहरीं कि अधिक से अधिक समय पिताजी के साथ ही बिताना चाहती हैं उसकमरे के बगल में बाथरूम अटैच था और बाथरूम के दूसरी तरफ़ दूसरा कमरा अटैच था जिसमें विश्वनाथजी ठहराये गये थे। दिन का अधिकतर समय मामी जी पिताजी के साथ ही बिता्ती थी। और रात को अपने कमरे में जाने के बाद अन्दर से बन्द कर बाथरूम से दूसरी तरफ़ विश्वनाथजी के कमरे में जा उनके बिस्तर में जा घुसतीं और रात भर जम के चुदवाती। दो दिन बाद वापसी के ट्रेन सफ़र में, ट्रेन के फ़र्स्ट क्लास कूपे में फ़िर से विश्वनाथजी ने तीन बार मामी जी की चूत का बाजा बजाया।
अभी हालात कुछ इस प्रकार हैं कि विश्वनाथजी और रमेश महेश ने रामू को पैसे वैसे देकर पूरी तरह पटा रखा है जब भी भैय्या गाँव से बाहर हों तो उन्हें खबर करने का काम रामू का है विश्वनाथजी रमेश या महेश मे से जिसका भी मौका लग पाये( कभी कभी तीनों ही) इस गाँव मे काम के बहाने से मामाजी के यहाँ आ कर टिक जाते हैं उस समय यदि भैय्या गाँव से बाहर हो तो भाभी के कमरे में चुदाई का जमघट लगता है और यदि मामा जी भी गाँव से बाहर हो तब तो सारे घर में चुदाई का भूचाल ही आ जाता है रामू को अपना मुँह बन्द रखने के पुरस्कार में पैसे के अतिरिक्त भाभीजी और मामीजी की चूतें बाकी के दिनों में दिन के वख्त जब भय्या और मामाजी काम पर गये हों उपलब्ध रहती हैं। मै भी अब अक्सर मामा मामी से मिलने उनके गाँव जाती हूँ यदि मौके पर विश्वनाथजी रमेश या महेश हुए तो मैं भी चुदवाकर उनके लण्डों का खूब मजा लेती हूँ नहीं तो अपना रामू का लण्ड तो रहता ही है।
जिन दिनों भय्या और मामाजी घर पर होते हैं और अगर उन दिनों मैं भी पहुँच जाती हूँ तो रामू की खूब ऐश रहती है। मैं जान बूझकर मेहमानो वाले कमरे में सोती हूँ जिसमें बाथरूम अटैच है बाथरूम के दूसरी तरफ़ रामू का कमरा अटैच है । रात में जब भय्या भाभी और मामाजी मामीजी अपने अपने कमरों में होते हैं मैं चुपके से बाथरूम के रास्ते रामू के कमरे में घुस जाती हूँ वो अपने बिस्तर में मेरा इन्तजार कर रहा होता है
क्योंकि जब मैं बिस्तर में घुस उससे चिपटती हुँ तो वो भी चादर के नीचे पूरी तरह नंगा होता है और उसका फ़ौलादी लण्ड पहले से ही टन्नाया होता है फ़िर मैं मनमाने ढ़ंग से खुल के चुदवाती और पूरी रात उसके जवान नंगे बदन से चिपट के सोती हूँ। अगर कही भैया बाहर गये हों तब तो रामू एक तरफ़ मुझे और दूसरी तरफ़ भाभी जी को लिटा के दोनो की एक एक चूची थाम के सोता है।
उन दिनों मामी जी देर तक सोती हैं इसका भी एक कारण है जो पहले मुझे नहीं मालूम था वो ये कि सुबह जब भय्या और मामाजी काम पर चले जाते थे तो मामीजी ऊपर से आवाज देती-
“रामू जरा यहाँ आ।”
मामीजी की आवाज ऊपर से सुनते ही किचन में भाभीजी की मदद करता रामू तुरन्त भागता हुआ ऊपर चला जाता। ये रोज का किस्सा था । मुझे कुछ शक हुआ तो आज मैं पीछे पीछे गयी और मैंने छिपके देखा-
रामू ऊपर उनके कमरे में पहुँच के बोला-
“जी मालकिन।”
पट लेटी मामीजी बिस्तर में लेटे लेटे ही बोली-
“आगया बेटा चल जरा दबा दे बदन में बड़ा दर्द है।”
रामू उनकी संगमरमरी टांगों को दोनो तरफ़ फ़ैलाकर उनके बीच बैठ मालिश करने और दबाने लगा । रामू के अभ्यस्त हाथों की मालिश से धीरे धीरे मामीजी का पेटीकोट ऊपर सरकने लगा धीरे धीरे रामू के हाथों के कमाल ने मामीजी का पेटीकोट पूरी तरह ऊपर सरकाकर उनके संगमरमरी चूतड़ तक नंगे कर दिये। रामू उनके दोनो पैरों के बीच आगे बढ़ आया था । अब रामू के हाथ मामीजी की कमर और चूतड़ों की मालिश कर रहे थे । मैने देखा कि लुंगी मे रामू का लण्ड तंबू बना रहा है और उनके चूतड़ों से टकरा रहा है। तभी मामीजी बोली –
“पूरे बदन की मालिश कर जरा जोर से दबा बेटा पूरा बदन बदन दुख रहा है।”
“जी मालकिन।”
रामू ने लुंगी उतार फ़ेकी उसका लण्ड बुरी तरह फ़नफ़ना रहा था रामू ने ऊपर कुछ नहीं पहना था अत: वो पूरी तरह नंगधड़ंग था । मामी के चूतड़ो पे बैठ के वो उनका ब्लाउज उनके कन्धों से खीचने लगा ब्लाउज उतर गया इसका मतलब मामीजी ने बटन पहले ही से खोल रखे थे। साफ़ नजर आ रहा था कि ये इन दोनो का रोज का धन्धा है। अब नंगधड़ंग रामू उनके ऊपर लेट गया और बगलों से हाथ डाल के वो मामीजी की चूचियाँ दबाते हुए उनके चूतड़ों पे लण्ड रगड़ रहा था । मैं चुपके से जा के भाभी को भी बुला लाई। थोड़ी देर बाद रामू मामी जी के ऊपर से उठा और मामी जी चित्त हो कर लेट गई और बोली- “शाबाश बेटा बस अब सामने से भी दबा दे ।”
“जी मालकिन।”
रामू फ़िर उनकी टाँगों के बीच आया और अपना हथौड़े सा सुपाड़ा उनकी फ़ूली हुई चूत के मुहाने पर लगाकर ठाप मारा और पूरा लण्ड ठोककर मामीजी के ऊपर लेट कर उनकी बड़ी बड़ी चूचियाँ दबाते हुए धकापेल चोदने लगा। घमासान चुदाई के बाद जब झड़े तो मामीजी बोली-
तूने मुझे सब गन्दा कर दिया चल अब नहला के साफ़ कर।”
“ठीक है मालकिन।”
और दोनो नंगधड़ंग बाथरूम मे चले गये वहाँ रामू ने मामीजी को मामीजी ने रामू को साबुन लगाया इस सब मे रामू का लण्ड फ़िर खड़ा हो गया और रामू मामी जी को झुका के साबुन लगे लण्ड से चोदने लगा मामीजी बोलीं –
“ये क्या कर रहा है।”
रामू ने जवाब दिया-
“चूत के अन्दर साबुन लगा के साफ़कर रहा हूँ मालकिन।”
अब हम भी बाहर निकल आये भाभीजी साड़ी पेटिकोट उठा के बोली –
“मेरी भी गन्दी है साबुन लगा के साफ़कर दे न ।”
फ़िर क्या था उसी बाथ रूम मे रामू ने हम सबकी चूत मे अपने लण्ड से साबुन लगा लगा के चोदते हुए साफ़ की। उस दिन के बाद से रामू हमसे इतना खुल गया है कि कि यदि घर में भय्या और मामा जी न हो तो मन करने पर सारे कमरों के बिस्तरों के अलावा बरान्डा, बाथरूम, रसोई, खाने कि मेज पर, कहीं खड़े तो कहीं बैठकर कही झुका के जहाँ जैसे बन पड़े मुआ मन करने पर कही भी पकड़ के चूत का बाजा बजाने की कोशिश का इजहार करता है क्यों कि उसे पता है कि हम बुरा नही मानेंगे । हम तीनों भी रामू से इतना खुल गये हैं कि घर में भय्या और मामा जी न होने का पूरा फ़ायदा उठाते हुए उसकी इच्छा मान ही लेते हैं वो भी हम तीनों का इशारा समझता है ।
इस उत्तेजक कहानी के कहने सुनने के बीच तरुन और बेला ने बुरी तरह से चुदासे हो एक दूसरे के कपड़े नोच डाले थे। तभी तरुन ने बेला को वही सोफ़े पे पटका तो बेला ने अपनी संगमरमरी टांगे उठा दी। तरुन ने उसकी मांसल जांघें थाम अपना हलव्वी लण्ड एक ही झटके मे उसकी पावरोटी सी बुरी तरह पनिया रही रसीली चूत में ठाँस दिया और धकापेल चोदते हुए बोला –“ तो क्या इरादा है अगर महेश से शादी करो तो बताओ तेरे बापू (बल्लू चाचा) से बात करूँ?”
बेला (चूतड़ उछालकर चुदाते हुए)–“हाय राजा नेकी और पूँछ पूँछ?
तरुन –“पर पहले मुझे टीना भाभी की दिलवा।”
बेला –“जब तू कहे।
क्रमश:…………………
मुहल्लेदारी से रिश्तेदारी तक भाग -11
एक दिन मैं रामू से चुदवा के अपने कमरे मे वापस जा रही थी कि तभी दरवाजे की घंटी बजी । देखा तो विश्वनाथ जी थे । अंदर आते ही आसपास किसी को ना देख मुझे गोद मे उठा लिया फिर मुझे गोद मे लिए लिए ही दरवाजा बंदकर मुझे मेरे कमरे मे लाकर बिस्तर पर पटक दिया । दरवाजा पंड कर मेरी नाइटी नोच कर फेक दी अब मैं सिर्फ काली ब्रा पैंटी मे अपने बिस्तर ओर पड़ी थी मैं समझ गयी की अब मेरी चूत की खैर नहीं । अभी अभी रामू से चुदवा के फारिग होने के कारण मैं बिलकुल मूड मे नहीं थी । मैंने बहाना किया की आज मेरे बदन मे बहुत दर्द है मामा जी नहीं हैं आप मामी जी को जम के चोद सकते हो पर मखमली गहरे लाल रंग की चादर पर सिर्फ काली ब्रा पैंटी मे लेटी गोरी चिट्टी गुदाज लड़की को वो किसी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहते थे । पास की मेज से तेल की शीशी उठाते हुए बोले -'अच्छा किया बता दिया, उसे भी चोद लूँगा पहले तेरी मालिश कर तेरा बदन दर्द तो दूर कर दूँ ।'
जब मामा और भैया घर पर नहीं होते तो रामू एक तरफ़ मुझे और दूसरी तरफ़ भाभी जी को लिटा के दोनो की एक एक चूची थाम के सोता है।
उन दिनों मामी जी देर तक सोती हैं इसका भी एक कारण है जो पहले मुझे नहीं मालूम था वो ये कि सुबह जब भय्या और मामाजी काम पर चले जाते थे तो मामीजी ऊपर से आवाज देती-
“रामू जरा यहाँ आ।”
मामीजी की आवाज ऊपर से सुनते ही किचन में भाभीजी की मदद करता रामू तुरन्त भागता हुआ ऊपर चला जाता। ये रोज का किस्सा था । मुझे कुछ शक हुआ तो आज मैं पीछे पीछे गयी और मैंने छिपके देखा-
रामू ऊपर उनके कमरे में पहुँच के बोला-
“जी मालकिन।”
पट लेटी मामीजी बिस्तर में लेटे लेटे ही बोली-
“आगया बेटा चल जरा दबा दे बदन में बड़ा दर्द है।”
रामू उनकी संगमरमरी टांगों को दोनो तरफ़ फ़ैलाकर उनके बीच बैठ मालिश करने और दबाने लगा । रामू के अभ्यस्त हाथों की मालिश से धीरे धीरे मामीजी का पेटीकोट ऊपर सरकने लगा धीरे धीरे रामू के हाथों के कमाल ने मामीजी का पेटीकोट पूरी तरह ऊपर सरकाकर उनके संगमरमरी चूतड़ तक नंगे कर दिये । रामू उनके दोनो पैरों के बीच आगे बढ़ आया था । अब रामू के हाथ मामीजी की कमर और चूतड़ों की मालिश कर रहे थे । मैने देखा कि लुंगी मे रामू का लण्ड तंबू बना रहा है और उनके चूतड़ों से टकरा रहा है। तभी मामीजी बोली –
“पूरे बदन की मालिश कर जरा जोर से दबा बेटा पूरा बदन बदन दुख रहा है।”
“जी मालकिन।”
रामू ने लुंगी उतार फ़ेकी उसका लण्ड अंडरवियर मे बुरी तरह फ़नफ़ना रहा था रामू ने ऊपर कुछ नहीं पहना था अत: ऊपर से वो पूरी तरह नंगधड़ंग था । साफ़ नजर आ रहा था कि ये इन दोनो का रोज का धन्धा है। अब नंगधड़ंग रामू उनके ऊपर लेट गया और बगलों से ब्लाउज़ मे हाथ डाल के वो मामीजी की चूचियाँ दबाते हुए उनके चूतड़ों पे लण्ड रगड़ रहा था ।साफ़ नजर आ रहा था कि ये इन दोनो का रोज का धन्धा है। मैं चुपके से जा के भाभी को भी बुला लाई । थोड़ी देर बाद रामू मामी जी के ऊपर से उठा और मामी जी चित्त हो कर लेट गई और बोली- “शाबाश बेटा बस अब सामने से भी दबा दे ।”
“जी मालकिन।”
मामी की जांघों पे बैठ के वो लेट सा गया और उनका ब्लाउज उनके कन्धों से खीचने लगा ब्लाउज उतर गया इसका मतलब मामीजी ने बटन पहले ही से खोल रखे थे ब्रा तो अंदर थी ही नहीं । रामु ने मामीजी की बायीं चूँची को थाम उसपे हपक़्क़ के मुंह मारा और निपल को होठों में दबा के जोर से चूसा तो मामी की सिसकी निकला गयी। फिर दोनों हाथों में उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को दोनों हाथों में थाम बुरी तरह दबाने मसलने और पागलों की तररह चूसने भभोड़ने लगा।
रामू फ़िर उनकी टाँगों के बीच आया उनकी मोटी गदराई जांघो पिंडलियों पर चूमने चाटने और मुंह मारने लगा फिर जब बरदास्त के बाहर हो गया तो उनका लाल कच्छा उतार के फेक दिया और अपना हथौड़े सा सुपाड़ा उनकी फ़ूली हुई चूत के मुहाने पर लगाया मामी जी ने अपने दाहिने हाथ से अपनी चूत के होठ और पुत्तियां फैलायीं और बायें हाथ में उसका लंड थाम अपनी पुत्तियों पर रगड़ने और सिसकारी भरने लगी। फिर उन्होंने उसका हथौड़े सा सुपाड़ा अपनी पुत्तियों बीच रखा और रामु ने धीरे धीरे दबाकर पूरा लण्ड मामीजी छूट में ठोक दिया। मामीजी ने दोनों टाँगे हवा में उठा दीं और रामू उनके ऊपर लेट कर उनकी बड़ी बड़ी चूचियाँ दबाते हुए धकापेल चोदने लगा।
घमासान चुदाई के बाद जब झड़े तो मामीजी बोली-
तूने मुझे सब गन्दा कर दिया चल अब नहला के साफ़ कर।”
“ठीक है मालकिन।”और दोनो नंगधड़ंग बाथरूम मे चले गये वहाँ रामू ने मामीजी को मामीजी ने रामू को साबुन लगाया इस सब मे रामू का लण्ड फ़िर खड़ा हो गया और रामू मामी जी को झुका के साबुन लगे लण्ड से चोदने लगा मामीजी बोलीं –
“ये क्या कर रहा है।”
रामू ने जवाब दिया-
“चूत के अन्दर साबुन लगा के साफ़कर रहा हूँ मालकिन।”
अब हम भी बाहर निकल आये भाभीजी साड़ी पेटिकोट उठा के बोली –
“मेरी भी गन्दी है साबुन लगा के साफ़कर दे न ।”
फ़िर क्या था उसी बाथ रूम मे रामू ने हम सबकी चूत मे अपने लण्ड से साबुन लगा लगा के चोदते हुए साफ़ की। उस दिन के बाद से रामू हमसे इतना खुल गया है कि कि यदि घर में भय्या और मामा जी न हो तो मन करने पर सारे कमरों के बिस्तरों के अलावा बरान्डा, बाथरूम, रसोई, खाने कि मेज पर, कहीं खड़े तो कहीं बैठकर कही झुका के जहाँ जैसे बन पड़े मुआ मन करने पर कही भी पकड़ के चूत का बाजा बजाने की कोशिश का इजहार करता है क्यों कि उसे पता है कि हम बुरा नही मानेंगे । हम तीनों भी रामू से इतना खुल गये हैं कि घर में भय्या और मामा जी न होने का पूरा फ़ायदा उठाते हुए उसकी इच्छा मान ही लेते हैं वो भी हम तीनों का इशारा समझता है ।
इस उत्तेजक कहानी के कहने सुनने के बीच तरुन और बेला ने बुरी तरह से चुदासे हो एक दूसरे के कपड़े नोच डाले थे। तभी तरुन ने बेला को वही सोफ़े पे पटका तो बेला ने अपनी संगमरमरी टांगे उठा दी। तरुन ने उसकी मांसल जांघें थाम अपना हलव्वी लण्ड एक ही झटके मे उसकी पावरोटी सी बुरी तरह पनिया रही रसीली चूत में ठाँस दिया और धकापेल चोदते हुए बोला –“ तो क्या इरादा है अगर महेश से शादी करो तो बताओ तेरे बापू (बल्लू चाचा) से बात करूँ?”
बेला (चूतड़ उछालकर चुदाते हुए)–“हाय राजा नेकी और पूँछ पूँछ?
तरुन –“पर पहले मुझे टीना भाभी की दिलवा।”
बेला –“जब तू कहे।
क्रमश:…………………
|