Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ
04-25-2019, 11:57 AM,
#47
RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
दुलारा भतीजा
भाग -4



शोभा की चूत में भरा हुआ अजय के लन्ड का चित्र पद्मा के दिमाग में अपने आप बन गया. शोभा ने अजय का कुमारत्व छीन कर उसे बच्चे से जवान मर्द तो बना ही दिया था. अजय की जिन्दगी में किसी दूसरी औरत का साया पाकर उसका मन शोभा के लिये जबरदस्त जलन से भर गया. शोभा को खुद से दूर करके पद्मा उठी और रसोई में चली गयी.
शोभा की आंखों में देख कर ना तो वो अपनी जलन को जाहिर करना चाहती थी और ना ही अजय के लिये अपने दिमाग में चलते आज रात के प्लान के बारे में उसे कुछ भनक पड़ने देना चाहती थी. अपने अजय को वो किसी के साथ भी नहीं बांट सकती थी. अगर अजय को किसी औरत का साथ ही चाहिये था तो वो साथ पद्मा का ही होना चाहिये था किसी और का नहीं. जिन निपल्लों को अजय ने चूसा वो उसकी ताई के ही होने चाहिये थे और उसके औजार ने शोभा की जो चूत मारी थी वो अब सिर्फ़ पद्मा की होनी चाहिये थी. कम से कम इस वक्त वो अजय के पुरुषत्व को छुना चाहती थी. उसे अपने करीब महसूस करना चाहती थी. खुद की चूत से जो पानी बह कर जांघों तक पहुंच गया था और अब वो पद्मा को आज रात तक चैन नहीं लेने देगा. हे भगवान, क्या क्या सोच रही है पद्मा? अजय के साथ हमबिस्तर होकर वो उसे वापिस पा लेगी. पद्मा की लम्बी चुप्पी ने शोभा पर कुछ और ही असर किया. शायद पद्मा इस पूरे प्रकरण से काफ़ी आहत हुई थी और शोभा से फ़िर कभी बात ही नहीं करेगी. कहीं पद्मा ने सब कुछ उसके पति को बता दिया तो गजब ही हो जायेगा. पूरे परिवार में दरार पड़ जायेगी.
देर रात १० बजे. शोभा और कुमार घर छोड़ कर जा चुके थे. कुमार ने ऑफ़िस का कुछ जरूरी काम बता वहां से विदा ली. सवेरे जब चाय बना कर उसने सब को आवाज लगाई तो शोभा सबसे आखिर में पूरी तरह से तैयार हो कर डाईनिंग टेबिल पर आई थी. तब तक अजय अपने कॉलेज के लिये निकल चुका था. पूरे दिन के लिये अपनी सहेली के घर जाने का बहाना बना कर निकल गयी और फ़िर पद्मा के सामने नहीं आई. पद्मा को मालूम था कि असली वजह शोभा और उसके बीच सवेरे चला लम्बा वार्तालाप था.पद्मा अपने कमरे में बैठी कुछ सोच रही थी. गोपाल सो रहे थे. आज का पूरा दिन मानसिक और शारीरिक उथल पुथल से भरा रहा था. पद्मा ने आज पूरे दिन अजय पर नज़र रखी थी. अजय दिन भर अपनी पैंट के उभार को ठीक करता रहा था. बिचारा अपनी प्यारी चाची को ढूंढ रहा था. बोलना चाहता था कि वो उनसे कितना प्यार करता है. लेकिन उसकी प्यारी चाची तो कब की उसे छोड़ कर जा चुकी थीं. जब बार बार अजय किसी ना किसी बहाने से शोभा के बारे में पूछता तो पद्मा का दिल जल उठता. अजय को सिर्फ़ उसके बारे में ही सोचने का हक था. काश, उसने अजय को नहलाना बन्द नहीं किया होता तो जो सब शोभा ने किया वही सब वो खुद भी करती थी. उसका बेटा आज अपनी चाची का नहीं बल्कि उसका दिवाना होता था. अपने ही भतीजे के बारे में उसके कामुक विचार विकराल रुप धारण कर चुके थे. तेज होती सासें, पैरों के बीच अजय के लन्ड को महसूस करने की चाह और जबरदस्त तने हुये निप्पल सब कुछ वास्तविक था. और एक वास्तविकता ये भी थी कि वो अजय की ताई थी. ममता और वासना की मिली जुली भावनाओं से पद्मा के दिमाग में हलचल सी मची हुई थी. लेकिन जल्द ही वासना ने प्रेम के साथ मिल कर सब कुछ अपने काबू में कर लिया. दिमाग अब सिर्फ़ अजय के शरीर के बारे में सोचने लगा. आखिर कैसा होगा अजय का हथियार? लम्बा या मोटा? शोभा क्यूं कह रही थी की अजय बिल्कुल अलग है?
या शायद अजय में वहीं जन्गली जानवर है जिसे सैक्स के समय हर औरत अपने सहचर में पाना चाहती है? इन सब विचारों से पद्मा का शरीर कांप रहा था. अब निर्णय की घड़ी पास ही थी. पद्मा अजय के कमरे मे दबे पांव घुसी. आज रात अपने बच्चे को पास से देखना चाहती थी. अजय के बिस्तर के किनारे पर लेटी हुई पद्मा, उसके नन्गे जिस्म को निहार रही थीं. अजय गहरी नींद में था. और पद्मा की आंखों में दूर दूर तक नींद का नामोनिशान नहीं था. निषिद्ध सैक्स और अजय के लिये मन में घर कर चुकी वासना ने उन्हें सोने ही नहीं दिया था.




थोड़ी देर के लिये पद्मा की आंख भी लग गयी. अचानक, बिस्तर के हिलने और कराहने की आवाजों से पद्मा जाग गयी. आंखें जब अन्धेरे की अभ्यस्त हुयीं तो देखा कि अजय चादर के अन्दर हाथ डाले किसी चीज को ज़ोर ज़ोर से हिला रहा था. अजय, कमरे में अपनी ताई कि मौजूदगी से अनभिज्ञ मुट्ठ मारने में व्यस्त था. शायद अजय कल की रात को सपनों में ही दुहरा रहा था. "आह, चाचीईईई" अजय की कराह सुनकर पद्मा को कोई शक नहीं रह गया कि अजय के दिमाग में कौन है. शोभा के लिये उनका मन घृणा से भर उठा. आखिर क्यूं किया उसने ऐसा? आज उनका लाड़ला ठीक उनके ही सामने कैसा तड़प रहा है. और वो भी उस शोभा का नाम ले कर. नहीं. अजय को और तड़पने की जरुरत नहीं है. जनम नहीं दिया तो क्या हुआ फ़िर भी यहां पर मैं उसकी ताई हूं उसकी हर ज़रुरत को पूरा करने के लिये. अजय के लिये उनके निर्लोभ प्रेम और इस कृत्य के बाद में होने वाले असर ने क्षण भर के लिये पद्मा को रोक लिया. अगर उनके पति अजय के ताऊ को कुछ भी पता चल गया तो? कहीं अजय ये सोचकर की उसकी ताई कितनी गिरी हुई औरत है उन्हें नकार दे तो? या फ़िर कहीं अजय जाकर सब कुछ शोभा को ही बता दे तो? तो, तो, तो? बाकी सब की उसे इतनी चिन्ता नहीं थी. और अपने खुले विचारों वाले पति को वो सब कुछ खुद ही बता कर समझा सकती थी कि अजय की जरुरतों को पूरा करना कितना आवश्यक था. नहीं तो जवान लड़का किसी भी बाजारु औरत के साथ आवारागर्दी करते हुये खुद को किसी भी बिमारी और परेशानी में डाल सकता था. पता नही कब, लेकिन पद्मा चलती हुई सीधे अजय की तरफ़ बिस्तर के पास जाकर खड़ी हो गईं. अजय ने भी एक साये को भांप लिया. तुरन्त ही समझ गया की ये शख्स कोई औरत ही है और पक्के तौर पर घर के अन्दर से ही कोई ना कोई है. क्या उसकी प्यारी शोभा चाची लौट कर आ गयीं हैं? क्या चाची भी उससे इतना ही प्यार करती है जितना वो उनसे? रात अपना खेल खेल चुकी थी. उसकी बिस्तर की साथी उसके पास थीं. अपने लन्ड पर उसकी पकड़ मजबूत हो गयी. बिचारा कितना परेशान था सवेरे से. दसियों बार मुत्ठ मार मार कर टट्टें खाली कर चुका था. लेकिन अब उसकी प्रेमिका उसके पास थी. और वो ही उसको सही तरीके से शान्त कर पायेंगी.
पद्मा कांपते कदमों से अजय कि तरफ़ बढ़ी. सही और गलत का द्वंद्ध अभी तक उसके दिमाग में चल रहा था. डर था कि कहीं अजय उससे नफ़रत ना करने लगे. तो वो क्या करेगी? कहीं वो खुद ही अपने आप से नफ़रत ना करने लगे. इन सारे शकों के बावजूद भतीजे को चोदने का ख्याल पद्मा अपने दिल से नहीं निकाल पाई. चादर के अन्दर हाथ डाल कर लन्ड के ऊपर जमे अजय के हाथों को अपने दोनो हाथों से ढक लिया. अब जैसे जैसे अजय लन्ड पर हाथ ऊपर नीचे करता पद्मा का हाथ भी खुद बा खुद उपर नीचे होता. "चाची" अजय फ़ुसफ़ुसाया. अपना हाथ लन्ड से अलग कर पद्मा के हाथों को पूरी आजादी दे दी उस शानदार खिलौने से खेलने की. अपने सपनों की मलिका को पास पाकर अजय का लन्ड कल से भी ज्यादा फ़ूल गया. पद्मा ने अजय के लन्ड पर उन्गलियां फ़िराईं तो नसों में बहता गरम खून साफ़ महसूस हुआ.
आंखे बन्द करके पूरे ध्यान से उस महान औजार को दोनो हाथों से मसलने लगी. पद्मा के दिल से आवाज आई कि ये अजय का लन्ड कभी उसका हिस्सा था. इतना कठोर, इतना तगड़ा, अपने ही पानी से पूरी तरह से तर ये जवानी की दौलत उसकी अपनी थी. इससे पहले अपनी जिन्दगी में उन्होनें कभी ऐसे किसी लन्ड को हाथ में नहीं लिया था. पता नहीं अजय के जन्म से पहले उसकी माँ ने क्या खाया था कि आज उसका लन्ड अपने ताऊ चाचा से भी कहीं आगे था.
अपने ही ख्यालों में डूबी हुई उस ताई को ये भी याद नहीं रहा कि कब उनकी मुट्ठी ने अजय के लन्ड को कसके दबाकर जोर जोर से दुहना चालू कर दिया. लन्ड की मखमली खाल खीचने से अजय दर्द से कराह उठा. हाथ बढ़ा कर अजय ने पद्मा की अनियंत्रित कलाई को थामा. पद्मा ने दूसरे हाथ से अजय का माथा सहलाया. खुद को घुटनों के बल बिस्तर के पास ही स्थापित करती हुई पद्मा ने लन्ड को मुठियाना चालू रखा. अजय के चेहरे से हटा अपने हाथ को पद्मा ने अब उसके सीने पर निप्पलों को आनन्द देने के काम में लगा दिया.
"हाँ आआआआहहहह". शरीर पर दौड़ती जादुई उन्गलियों का असर था ये. और ज्यादा आनन्द की चाह में अजय बेकरारी में अपनी कमर हिलाने लगा. अजय के हाथ पद्मा के कन्धों पर से होते हुए स्तनों को थामकर उन्हें अपने पास खीचने लगे. अन्धेरी रात में अजय उस मादा शरीर को अपने पूरे बदन पर महसूस करना चाहता था. लेकिन उसकी प्रेमिका ने तो पूरे कपड़े पहने हुये है. अजय की उत्तेजना अपने चरम पर थी. उधर पद्मा ने भी शरीर को थोड़ा और झुकाते हुए अजय के खड़े लन्ड तक पहुंचने की चेष्टा की. जो शोभा ने किया वो वह भी कर सकती है. तो क्या हुआ अगर लन्ड चूसने का उसका अनुभव जीरो है, भावनायें तो प्रबल हैं ना. एक बार के लिये उसे ये सब गलत लगा लेकिन फ़िर शोभा का ख्याल आते ही नया जोश भर गया. अगर उसने आज अजय का लन्ड नहीं चूसा तो वह कल फ़िर से इस आनन्द को पाने के लिये शोभा के पास जा सकता है. नहीं. नहीं. आज किसी भी कीमत पर वो अपने लाड़ले के दिलो दिमाग से शोभा की यादें मिटा देगी चाहे इसके लिये उन्हें कुछ भी क्युं ना करना पड़े. अजय अब अपनी सहचरी का चेहरा देखना चाहता था. वहीं चेहरा जो कल रात किसी देवी की मूर्ति की तरह चमक रहा था. हाथ बढ़ाकर बिस्तर के पास की लैम्प जलाई तो लम्बे बालों मे ढका चेहरा आज कुछ बदला हुआ लगा. ये उसकी चाची तो नहीं थीं. पद्मा ने अपना चेहरा अजय की तरफ़ घुमाया
“ताई ?”
लड़के के चेहरे पर दुनिया भर का आश्चर्य और डर फ़ैल गया. अजय जल्दी से अपनी चादर की तरफ़ झपटा. पद्मा समझ गईं अभी नहीं तो कभी नहीं वाली स्थिति आ खड़ी हुई है. अगर उन्होनें वासना और अनुभव का सहारा नहीं लिया तो इस मानसिक बाधा को पार नहीं कर पायेंगी और फ़िर अजय भी कभी उनका नहीं हो पायेगा. लन्ड पर तुरन्त ही झुकते हुये पद्मा ने पूरा मुहं खोला और अजय के तन्नाये पुरुषांग को निगल लिया. पद्मा के होंठ लन्ड के निचले हिस्से पर जमे हुये थे. मुहं के अन्दर तो लार का समुन्दर सा बह रहा था. आखिर पहली बार कोई लन्ड यहां तक पहुंचा था. लन्ड चुसाई करते हुए भी पद्मा के दिल में सिर्फ़ एक ही जज्बा था कि वो अजय को सैक्स के चरम पर अपने साथ ले जायेगी जहां ये लड़का सब कुछ भूल कर बस उन्हीं को चोदेगा.दो मिनट पहले के मानसिक आघात के बाद जो लन्ड थोड़ा नरम पड़ गया था वो फ़िर से अपने शबाब पर लौट आया. पद्मा के लम्बे बाल अजय की जांघों और पेट पर बिखर कर अलग ही रेशमी अहसास पैदा कर रहे थे. पिछली रात से बहुत ज्यादा अलग ना सही लेकीन काफ़ी मजेदार था ये सब. अजय ने भी अब सब कुछ सोचना छोड़ कर पद्मा के सिर को हाथों से थाम लिया और फ़िर कमर हिला हिला कर उनके मुहं को चोदने लगा. अजय का नियंत्रण खत्म हो गया. वो अभी झड़ना नहीं चाहता था परन्तु पद्मा का मखमली मुहं, वो जोश, वो गर्मी और मुहं से आती गोंगों की आवाजों से आपा खो कर उसका वीर्य बह निकला.
"ताई ताई" अजय सीत्कारा "रुको, रुको.. रुक जाओ" अजय चिल्लाया. पद्मा सब समझ गई. अजय छूटने वाला था. लन्ड की नसों मे बहते वीर्य का आभास पाकर पद्मा ने अपना मुहं हटाय़ा और गुलाबी सुपाड़े में से वीर्य की धार छूट पड़ी. पद्मा ने दोनो आंखें बन्द कर लीं. पद्मा का हाथ अजय के वीर्य से सना हुआ था. "बर्बाद" एक ही शब्द पद्मा के दिमाग में घूम रहा था. अभी तक झटके लेते लन्ड को पद्मा ने निचोड़ निचोड़ कर खाली कर दिया. लड़के के मुहं से कराह निकली
" ताई ताई, ये आपने क्या कर दिया?"
"वहीं, जो मुझे बहुत पहले कर देना चाहिये था" पद्मा ने जवाब दिया "तुमको मेरी जरूरत है. ना कि किसी चाची या किसी भी ऐरी गैरी लड़की या औरत की, तू सिर्फ़ मेरा है" उनके वाक्यों में गर्व मिश्रित अधिकार था.
अजय ने बिस्तर पर एक तरफ़ हटते हुये अपनी ताई के लिये जगह बना ली. पद्मा भी अजय के पास ही बिस्तर पर लेट गयी. खुद को इस तरह से व्यवस्थित किया की अजय का चेहरा ठीक उनके स्तनों के सामने हो और लन्ड उनके हाथ में. नाईट गाऊन के सारे बटन खोल कर पद्मा ने उसे अपने बदन से आज़ादी दे दी. अजय की आंखों के सामने ताई की नन्गी भरी पूरी जवानी बिखरी पड़ी थी. जबसे सैक्स शब्द का मतलब समझने लगा था उसकी ताई ने कभी भी उसे अपने इस रूप का दर्शन नहीं दिया था. हां चाची के साथ जरूर किस्मत ने कई बार साथ दिया था. अजय का सिर पकड़ पद्मा ने उसे अपने बड़े बड़े गोरे गुलाबी उरोजों में छिपा लिया. अजय थोड़ा सा कुनमुनाया.
"श्श्श्श". "मेरे बच्चे, तेरे लिये तेरी ताई ही सब कुछ है. कोई चाची या कोई भी दूसरी औरत मेरी जगह नही ले सकती. समझे?"
अजय के होठों ने अपने आप ही ताई ताई के निप्पलों को ढूंढ लिया. ताई के दोनों निप्पल बुरी तरह से तने हुये थे. शायद बहुत उत्तेजित थी. अपने भतीजे के लिये उसकी ताई ने इज्जत की परवाह भी ना की. अजय का मन पद्मा के लिये प्यार और सम्मान से भर गया. ताई भतीजे एक दूसरे से बेल की तरह लपटे पड़े थे. अजय का एक पांव पद्मा की कमर को जकड़े था तो हाथ और होंठ ताई के सख्त हुये मुम्मों पर मालिश कर रहे थे. लन्ड में भी धीरे धीरे जान लौटने लगी. पर दिन भर का थका अजय जल्दी ही अपनी ताई के आगोश में सो गया.
पद्मा थोड़ी सी हताश तो थी किन्तु अजय की जरुरतों को खुद से पहले पूरा करना उनकी आदत में था. खुद की टांगों के बीच में आग ही लगी थी पर अजय को जन्मजात अवस्था में खुद से लिपटा कर सोना उसे सुख दे रहा था. थोङी देर में पद्मा भी नींद के आगोश में समा गयी. जो कुछ भी उन दोनों के बीच हुआ वो तो एक बड़े खेल की शुरुआत भर था. एक ऐसा खेल जो इस घर में अब हर रात खेला जाने वाला था.
आधी रात के बाद अजय की नींद खुली। पिछले चौबीस घन्टों में अपने ही घर की दो सीधी सादी दिखने वाली भद्र महिलाओं के साथ हुये उसके अनुभव को याद करके अजय का लन्ड फ़िर तेजी से सिर उठाने लगा. बिस्तर पर उसकी ताई जन्मजात नन्गी अवस्था में उसकी बाहों में पड़ी हुयीं थीं. अजय की तरफ़ ताई की पीठ थी। ताई के कड़े निप्पलों को याद करके अजय का हाथ अपने आप ही पद्मा के बड़े बड़े स्तनों पर पहुंच गया. हथेली में एक स्तन को भर कर अजय हौले हौले से दबाने लगा. शायद ताई जाग जाये और क्या पता खुद को चोदने भी दे. आज की रात वो किसी औरत के जिस्म को बिना चोदे रह नहीं पायेगा. अजय ने धीरे से ताई की तरफ़ करवट बदलते हुये अपना लन्ड उनके भारी नितंबों की दरार में घुसेड़ दिया. अपनी चूतड़ पर दबाब पाकर पद्मा की आंखें खुल गईं.
"अजय, ये क्या कर रहे हो?", पद्मा बुदबुदाईं.

क्रमश:………………
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RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�... - by sexstories - 04-25-2019, 11:57 AM

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